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बदलते मायने......... ~ अनजाने रास्ते
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अनजाने रास्ते. रास्ते अनजाने सही, पर सधे हैं कदम मेरे और निगाहें हैं खुली. अनजाने रास्ते पर कटता वक्त. Tuesday, August 5, 2008. बदलते मायने. पे load कर दी। कुछ. ग तुम्हे abnormel समझ लेंगे। चलो बात aai गई हो gai।. तो बताया- long drive पे गया था udaypur तक। मैंने खुश हो के कहा - ऑफिस friends के साथ गए hoge? इतना बोलना था की वह कहता- आर yu crazy? Posted by Neetu Singh. Subscribe to: Post Comments (Atom). नाकारा साबित हुईं राजनीति कि चाल. View my complete profile. तय रास्ते. तय रास्ते.
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ढलती सांझ में भी धूप की तपिश ~ अनजाने रास्ते
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अनजाने रास्ते. रास्ते अनजाने सही, पर सधे हैं कदम मेरे और निगाहें हैं खुली. अनजाने रास्ते पर कटता वक्त. Wednesday, September 9, 2009. ढलती सांझ में भी धूप की तपिश. Posted by Neetu Singh. Subscribe to: Post Comments (Atom). इतना भी बुरा नहीं यह वक्त, जितना सब कोसते हैं. नाकारा साबित हुईं राजनीति कि चाल. View my complete profile. तय रास्ते. तय रास्ते.
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Fulbagiya: February 2015
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मंगलवार, 3 फ़रवरी 2015. डरता चांद. आसमान पर ही रहता क्यों. नीचे नहीं उतरता चांद? मां बतलाओ क्यों मुझसे. हर रात ठिठोली करता चांद? दूर-दूर ही चमका करते. ये झिल-मिल झिल-मिल तारे।. पास बुलाऊं तो शरमा जाते हैं. सारे के सारे तारे।. इनसे भी बादल में छुपकर. आंख-मिचौली करता चांद।. मैंने कहा,एक दिन मेरे. आंगन में भी आ जाओ।. दूध-भात की खीर बनी है. मीठी-नीठी खा जाओ।. पर लगता है मेरे जैसे. छुटकू से भी डरता चांद।. आसमान पर ही रहता क्यों. नीचे नहीं उतरता चांद? रचनाकार-रमेश तैलंग. 8220;World of Children’s. डा0 ह&#...
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Fulbagiya: March 2015
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रविवार, 22 मार्च 2015. चिड़ियों का अनशन (बाल नाटक). मुख्य पात्र. सोन चिरैया. जंगल का ठेकेदार. शांति(ठेकेदार की बेटी). तोता,गौरैय्या,बुलबुल,कौवा,बाज,नीलकंठ और कुछ अन्य पक्षी।. नक्कारे की आवाज के साथ ही खाली मंच पर एक तरफ़ से नट. नट-अरे आज कोई हमारी कहानी सुनने नहीं आयेगा? नटी अपने माथे पर दो तीन बार हाथ मारती है फ़िर बीच में बैठ जाती है). नटी- ओफ़्फ़ोह मै तो इस सूरदास से परेशान हो गयी हूं।. नट-क्या हुआ? क्यों चिल्ला रही हो? नट उछल कर दर्शकों की तरफ़ मुंह करता है). 8212; अरे- -।. नट-(गाता है). मंच के...नट नट...
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~ अनजाने रास्ते
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अनजाने रास्ते. रास्ते अनजाने सही, पर सधे हैं कदम मेरे और निगाहें हैं खुली. अनजाने रास्ते पर कटता वक्त. Friday, December 4, 2009. दिल्ली की ग्रीनरी यानी सावन के अंधे की हरियाली. यहां की ग्रीनरी का ज्यादातर हिस्सा एनवायरनमेंट फ्रेंडली नहीं. नीतू सिंह ॥ नई दिल्ली. प्लांटेशन का अचीवमेंट (पर्सेंट में). वर्ष टारगेट अचीवमेंट. 2001 9.30 9.38. 2002 9.00 9.10. 2003 9.85 9.16. 2004 10.50 11.44. 2005 12.54 13.53. Posted by Neetu Singh. हेमन्त 'स्नेही' said. December 26, 2009 at 6:46 PM. March 1, 2010 at 10:57 PM.
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Fulbagiya: July 2015
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सोमवार, 27 जुलाई 2015. मोती का इंटरव्यू. जब नौकरी की तलाश में. मोती कुत्ता आया।. घंटी बजा. बुलाकर उसको. भालू ने समझाया।. उसे नौकरी दूंगा जो कि. बोल सके दो भाषा।. सुनकर भी मोती कुत्ते को. हुई न तनिक निराशा।. बोला आती भाषाएं दो. लो मैं तुम्हें सुनाऊं।. पहले तेज-तेज गुर्राया. और फिर बोला म्याऊं।. डा0अरविन्द दुबे. पेशे से चिकित्सक एवम शिशु रोग विशेषज्ञ डा0 अरविन्द दुबे. प्रस्तुतकर्ता. डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumar. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. बुधवार, 22 जुलाई 2015. प्यारी. जाये&#...कुत...
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Fulbagiya: May 2015
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रविवार, 31 मई 2015. कराटे वाला चाणक्य. कराटे वाला चाणक्य. 8221; कमरे मे प्रवेश कर विनय कोहली साहब से बोला।. 8220; कहो,कौन हो तुम? क्या चाहते हो तुम? 8221; कोहली ने पूछा।. प्रश्नों की इस बौछार से जरा भी विचलित हुए बिना विनय बोला. 8220; सर,मैं कराटे सीखना. चाहता हूँ. 8220; क्या कहा,कराटे? यह शरीर लेकर तुम कराटे सीखना चाहते हो? 8221; कोहली मजाक के रूप में हँस कर बोले।. 8220; हां सर। क्या मैं कराटे नहीं सीख सकता? 8221; विनय ने पूछा।. 8221; कह कर कोहली अखबार पढ़ने लगे।. 8221; विनय बोला।. विनय प्रत&...8212;R...
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Fulbagiya: April 2014
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मंगलवार, 1 अप्रैल 2014. बाल-नाटक- - वन की पुकार. पेड़: आम. वन देवता. वन देवी. ज्वाला. पशु: शेर. अभिनय के लिए पेड़ों का अभिनय करने वाले पात्र अपने शरीर पर उस पेड़ विशेष के पत्ते धारण करें. जिसका वे अभिनय कर रहे हैं. इसी प्रकार मुखौटे लगा कर पशुओं का अभिनय करना ठीक रहेगा). पहला दृश्य). अब मैं तुम्हें कैसे शरण दे सकूंगा। आह. शीशम का प्रवेश). शीशम- आम भैया! शीशम भाई! मेरा शरीर टुकड़े. भी नहीं लगा सकता।. महुआ का प्रवेश). आम- महुआ काका. तुम भी आ गये। क्यों न आते. महुआ- आम भाई. शीशम- (भरे गले ...सुन्...
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Fulbagiya: May 2014
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शनिवार, 31 मई 2014. टूटा सिंहराज का वादा. सिंहराज ने खबर सुनी जब. शाकाहारी जीते ज्यादा. चिंता हुयी उन्हें फ़िर भारी. क्या मेरी बस उमर है आधा।. शाकाहारी बनूं अगर तो. मार्ग में आयें ढेरों बाधा. कौन लाएगा भोजन मेरा. घट के वजन भी होगा आधा।. बुला के जंगल के जीवों को. किया तुरत उनसे इक वादा. मांस नहीं खाऊंगा अब मैं. फ़लाहार बस करूंगा सादा।. बैठ गुफ़ा के बाहर अपनी. सोच रहा क्या खाऊं सादा. खरगोश देख के लालच आयी. तोड़ दिया फ़िर अपना वादा।. डा0हेमन्त कुमार. प्रस्तुतकर्ता. बाल गीत. रविवार, 18 मई 2014. आई टी बì...
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