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मेरा कमरा: January 2009
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मेरा कमरा. Sunday, January 18, 2009. हारे हुए शब्दों का मोल. सुनो, तुम मेरे शब्दों का मोल क्या दोगे? कहाँ हैं तुम्हारी जेब में आकाश गंगा और हजारों सितारे? बिस्तर की कितनी ही सिलवटों में. धरती,आकाश. और अन्जले चिरागों को समेटा है मैंने. तुम्हारे अस्वीकार के बाद. उन हारे हुए शब्दों का क्या मोल? डूबते हुए अंधेरे के अदृश्य कम्पन में. चाँद मेरी आंखों में कई बार डूबा है,. तुम्हारे बदलते रंगों से ,. तुम्हारी त्वचा के उजास से. अपने अंगों से,. अपनी देह से,. अपने मन से,. अपने ही भार से,. डर लगता है. Consequently I ...
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मेरा कमरा: October 2008
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मेरा कमरा. Thursday, October 23, 2008. इकरारे-गुनाह इश्क है शरहे-हयात अब,. नज़रों से रह गई जो, क्या हो वो बात अब. जो जिस्म नाजनीं था निगारे नज़रनवाज़,. वो है निगाह में बर्के-सिफात अब. गम से जो छूटा हूँ तो ये गम है मुझे,. शबे-अलम से क्यूँकर है नजात अब. किसने हकीकतों के खज़ाने लुटा दिए,. बेमाया इस कदर है मेरी सौगात अब. माना तेरे करम में कोई कमी नही,. पर पहले सी है कहाँ मेरी औकात अब. नींद आ चली है बशर, तबीयत हरी नहीं,. बशर - my pen name. शरहे-हयात - जीवन का निचोड़. बेमया - तुच्छ. Thursday, October 23, 2008.
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मेरा कमरा: October 2010
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मेरा कमरा. Monday, October 11, 2010. Monday, October 11, 2010. Subscribe to: Posts (Atom). तूने जिस भी पत्थर को छुआ, वो ही संग मेरा खुदा हुआ. मेरे कैमरे से निकली तस्वीरों पर जरा गौर फरमाइए. मेरा कोना. Prior to earning a Post Graduate degree in Electronic Journalism, I was a software Engineer, who became very dis-interested with alpha numeric codes of software languages like Java and C . It was going all very well till one day I saw few stills shots captured by Ansel Adams and Henri Cartier Bresson. I hav...
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मेरा कमरा: September 2008
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मेरा कमरा. Monday, September 29, 2008. आओ आलिंगन करें. आओ आलिंगन करें. जैसे फूल करता है फूल को. सूरज आभा को और रात चाँदनी को! आओ आलिंगन करें. जैसे बारिश करती है. धरा को, पहाड़ को पेड़ को, पौधे को. और सम्पूर्ण अंतर्मन को! आओ आलिंगन करें. क्यूंकि प्रेम से ही सब विद्यमान है. मैं और तुम भी! दिन और वर्ष सब छूट जायेंगे,. और आँगन में पड़ी साँझ को कहीं लिखा नही जाएगा,. चिडियों की अनगिनत आवाजें बेमानी होंगी. और तुम्हरी देह से टकराती धूप. और आद्र अधर कहीं खो जायेंगे! आओ आलिंगन करें. Monday, September 29, 2008.
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मेरा कमरा: December 2008
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मेरा कमरा. Friday, December 12, 2008. यूँ ही. मैंने सोचा. कि उसके चले जाने से,. जो कांपती सी खाली जगह बची है,. वहाँ कुछ शब्द रख दूँ,. फिर मन में आया,. कि खुरदरे संबंधों और अपमानित आशाओं को क्या नाम दूँगा? क्यूंकि जाले सिर्फ़ कमरों में ही नहीं,. मन और शरीर पर भी तो उग आए हैं! मेरे शब्दकोष पर लगे ताले कि चाबी. तो बरसों पहले ही खो दी थी उसने,. पता नही यह जगह. उसे अब याद भी होगी या नही. इस ताले में रखे शब्द. मुझे मालूम है कि. बिना शब्दों के. किसी को तो बचना होगा. शब्दों कि जगह. Friday, December 12, 2008.
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मेरा कमरा: November 2008
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मेरा कमरा. Wednesday, November 26, 2008. ऐ ज़िन्दगी. ऐ ज़िन्दगी आ,. इक शाम मेरे घर भी आ. करेंगे बैठकर दो चार बातें,. मेरी पोटली में बहुत कुछ है जो है दिखाना तुझको,. मेरे पास बहुत कुछ है जो है सुनाना तुझको. हैरान ना होना,जो इक बात पूछूँ तुमसे,. सुना है! बहुत खूबसूरत हो तुम? गर ये सच है. तो परदे में आना ऐ ज़िन्दगी,. अब तो हर खूबसूरत चीज़ डराती है मुझको. ये जो चाँद है न! सोचता हूँ तोड़ लूँ इसको,. और सजा लूँ अपने घर के आँगन में. तुम आओ तो मेरा पता देना,. Wednesday, November 26, 2008. Subscribe to: Posts (Atom).
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मेरा कमरा: June 2009
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मेरा कमरा. Friday, June 5, 2009. ज़िन्दगी. मैं खींच लूँगा आकाश से नीली चादर. और सफ़ेद बादलों से नरम तकिया,. घास से मांग लूँगा हरा कालीन. और पेड़ से छप्पर,. तुम्हारे लिए सब कुछ वैसा ही रखूँगा,. शरद के आकाश में आधा चाँद,. झींगुरों का संगीत. और जुगनुओं की टिमटिमाती रौशनी. रात को लगने वाली प्यास के लिए पास की नदी. और तुम्हे रिझाने के लिए कुछ नक्षत्र और आकाशगंगा. हवा भी मंद मंद तुम्हारे बालों को सहलाती चलेगी. और एक नयी कविता लिखेंगे. और तुम्हारी रौशनी में. Friday, June 05, 2009. Subscribe to: Posts (Atom).
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मेरा कमरा: February 2009
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मेरा कमरा. Saturday, February 21, 2009. जब तुम खोलोगी दरवाज़ा,. तो तुम्हारे पीछे का वो आला. अपनी कितोबों की आभा. उड़ेल देगा तुम पर,. खिड़की की धूप. रौशन कर देगी तुमको. न जाने तुम्हारी कितनी ही खुशबूएं ले आएँगी मुझ तक. चिड़ियों की न जाने कितनी ही आवाजें. तुम्हारे साथ मुझे अंगीकार करने को आतुर होंगी,. और पलाश की अन्तिम किरण. हमारे ही कमरे में बुझेगी. तुम्हारी हँसी जैसे दिन के हर यौवन को. अपनी अंजलि से उछाल देगी मेरी तरफ़. सांझ का रंग डूब जाएगा. और हमारी देह. एक ज्वलंत पुष्प! Saturday, February 21, 2009. It wa...
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मेरा कमरा: May 2014
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मेरा कमरा. Saturday, May 31, 2014. पुरानी किताब. आओ वो पुरानी किताब ढूंढें,. जिसके सफों में बरसों पहले,. एक गुलाब रखा था हमने,. उसे पानी दे दें. मुरझा गया है शायद. सर्दी की वो सर्द सुबहें भी,. कितनी गर्म थीं उस शॉल के अंदर. जिसे हम अक्सर ओढ़ लिया करते थे. वो शॉल ढूंढें. कॉफी होम के वो दिन, याद हैं ना,. कितने आसान से थे,. तुम्हारा आना, मेरा मिलना. और शाम का हंसते हुए चुपचाप ढल जाना. उन हंसती शामों की सुबह ढूंढें. वो पुरानी किताब ढूंढें! मनुज मेहता. Saturday, May 31, 2014. Subscribe to: Posts (Atom). The w...