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कविताओं के मन से....!!!!: February 2016
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कविताओं के मन से! कविताओ के मन से. साईबाबा : SAIBABA. अंतर्यात्रा. हिंदी चुटकुले. बस यूँ ही. ख्वाबो के दामन से . Saturday, February 13, 2016. मुझ से तुझ तक एक पुलिया है. शब्दों का,. नज्मो का,. किस्सों का,. आंसुओ का . और हां बीच में बहता एक जलता दरिया है इस दुनिया का! 169; विजय. ज़िन्दगी. दुनिया. यूँ ही . Subscribe to: Posts (Atom). Winner of best blogs in hindi poetry. विजय कुमार : VIJAY KUMAR. I , ME AND MYSELF. Thanks for being my friends. I will cherish the soulful memories. मुझे मेर&...मेरी...
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कविताओं के मन से....!!!!: November 2013
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कविताओं के मन से! कविताओ के मन से. साईबाबा : SAIBABA. अंतर्यात्रा. हिंदी चुटकुले. बस यूँ ही. ख्वाबो के दामन से . Sunday, November 17, 2013. सपने टूटते है ,. बिखरते है. चूर चूर होते है. और मैं उन्हें संभालता हूँ दिल के टुकडो की तरह. उठाकर रखता हूँ जैसे कोई टुटा हुआ खिलौना हो. सहेजता हूँ जैसे कांच की कोई मूरत टूटी हो . और फिर शुरू होती है ,. एक अंतहीन यात्रा बाहर से भीतर की ओर. खुद को सँभालने की यात्रा ,. और शुरू होता है एक युद्ध. ज़िन्दगी से. भाग्य से. और स्वंय से ही. मैं कह सकूँ. कविता ©. I , ME AND MYSELF.
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कविताओं के मन से....!!!!: April 2015
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कविताओं के मन से! कविताओ के मन से. साईबाबा : SAIBABA. अंतर्यात्रा. हिंदी चुटकुले. बस यूँ ही. ख्वाबो के दामन से . Sunday, April 12, 2015. मेरा होना और न होना . तब धरा के विषाद और वैराग्य से ही जन्मता है समाधि का पतितपावन सूत्र ! अंतिम आनंदमयी सत्य तो यही है की ; मैं ही रथ हूँ , मैं ही अर्जुन हूँ , और मैं ही कृष्ण ! तुम्हारे ही सहारे ही ; मैं अब ये जीवन का भवसागर पार करूँगा ! विजय कुमार. Wednesday, April 8, 2015. हमें सांझा करना था. और बांटना था प्यार. और हमने ठीक वही किया! हम अनचाहे ही ए...कहीं...
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कविताओं के मन से....!!!!: February 2014
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कविताओं के मन से! कविताओ के मन से. साईबाबा : SAIBABA. अंतर्यात्रा. हिंदी चुटकुले. बस यूँ ही. ख्वाबो के दामन से . Thursday, February 27, 2014. मैं, वो और मोहब्बत! उसकी सोच ये कि,. उसने मुझे सिर्फ आशिक समझा. जबकि मुझे ये हौसला कि,. मैं इंसान भी बेहतर हूँ! उसको ये फ़िक्र कि. जमीन और ज़माने का क्या करे. जबकि मैं ख्वाबो और. आसमान की बाते करता रहा! उसने मेरे और अपने बीच. बंदिशों के जहान को ला दिया. जबकि मैं अपने. इश्क के जूनून से फुर्सत न पा सका! मोहब्बत शायद हो न पाएगी ,. ये वादा रहा! फिर एक बार! एक और फो...
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कविताओं के मन से....!!!!: October 2015
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कविताओं के मन से! कविताओ के मन से. साईबाबा : SAIBABA. अंतर्यात्रा. हिंदी चुटकुले. बस यूँ ही. ख्वाबो के दामन से . Saturday, October 17, 2015. एक ज़िन्दगी. एक ज़िन्दगी. और कितने सारे ख्वाब. बस एक रात की सुबह का भी पता नहीं . कितनी किताबे पढना है बाकी. कितने सिनेमा देखना है बाकी. कितने जगहों पर जाना है बाकी. हक़ीकत में एक पूरी ज़िन्दगी जीना है बाकी! एक ज़िन्दगी. और कितने सारे ख्वाब. बस एक रात की सुबह का भी पता नहीं . 169; विजय. ज़िन्दगी. Thursday, October 15, 2015. एक नज़्म खुदा के लिए. अब तुम हो. हां ;. There is ...
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कविताओं के मन से....!!!!: June 2015
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कविताओं के मन से! कविताओ के मन से. साईबाबा : SAIBABA. अंतर्यात्रा. हिंदी चुटकुले. बस यूँ ही. ख्वाबो के दामन से . Sunday, June 7, 2015. कविता : ज़िन्दगी. भीगा सा दिन,. भीगी सी आँखें,. भीगा सा मन ,. और भीगी सी रात है! कुछ पुराने ख़त ,. एक तेरा चेहरा,. और कुछ तेरी बात है! ऐसे ही कई टुकड़ा टुकड़ा दिन. और कई टुकड़ा टुकड़ा राते. हमने ज़िन्दगी की साँसों तले काटी थी! न दिन रहे और न राते,. न ज़िन्दगी रही और न तेरी बाते! कोई खुदा से जाकर कह तो दे,. 169; विजय. कविता : ज़िन्दगी. स्मृति. Saturday, June 6, 2015. मेरì...
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कविताओं के मन से....!!!!: November 2015
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कविताओं के मन से! कविताओ के मन से. साईबाबा : SAIBABA. अंतर्यात्रा. हिंदी चुटकुले. बस यूँ ही. ख्वाबो के दामन से . Thursday, November 26, 2015. नज़्म : शहीद हूँ मैं . शहीद हूँ मैं . मेरे देशवाशियों. जब कभी आप खुलकर हंसोंगे ,. तो मेरे परिवार को याद कर लेना . जो अब कभी नही हँसेंगे. जब आप शाम को अपने. घर लौटें ,और अपने अपनों को. इन्तजार करते हुए देखे,. तो मेरे परिवार को याद कर लेना . जो अब कभी भी मेरा इन्तजार नही करेंगे. जब आप अपने घर के साथ खाना खाएं. जब आप सकून से सोयें. क्योंकि ,. ज़िन्दगी. I , ME AND MYSELF.
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कविताओं के मन से....!!!!: January 2016
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कविताओं के मन से! कविताओ के मन से. साईबाबा : SAIBABA. अंतर्यात्रा. हिंदी चुटकुले. बस यूँ ही. ख्वाबो के दामन से . Friday, January 1, 2016. भोर भई मनुज अब तो तू उठ जा : : नव वर्ष पर आप सभी को मेरी ओर से मंगलकामनाये . भोर भई मनुज अब तो तू उठ जा : :. भोर भई मनुज अब तो तू उठ जा,. रवि ने किया दूर ,जग का दुःख भरा अन्धकार ;. किरणों ने बिछाया जाल ,स्वर्णिम और मधुर. अश्व खींच रहें है रविरथ को अपनी मंजिल की ओर ;. भोर भई मनुज अब तो तू उठ जा! भोर भई मनुज अब तो तू उठ जा! और वसुंधरा पर ,एक नए यु...तू भी ह&#...भोर...
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कविताओं के मन से....!!!!: May 2016
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कविताओं के मन से! कविताओ के मन से. साईबाबा : SAIBABA. अंतर्यात्रा. हिंदी चुटकुले. बस यूँ ही. ख्वाबो के दामन से . Monday, May 30, 2016. लम्हों का सफ़र. किसी एक लम्हे में तुमसे नज़रे मिली. उम्र भर का परदा हो गया. किसी एक लम्हे में तुमसे मोहब्बत हुई. ज़िन्दगी भर की जुदाई मिली. लम्हों का सफ़र. लम्हों में ही सिमटा रहा! 169; विजय. कविता : ज़िन्दगी. लम्हों का सफ़र. Sunday, May 8, 2016. हम भारतीयों के. लिए तो हर दिन ही ". माँ है तो जीवन है . Subscribe to: Posts (Atom). Winner of best blogs in hindi poetry. मुझ&#...
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कविताओं के मन से....!!!!: July 2013
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कविताओं के मन से! कविताओ के मन से. साईबाबा : SAIBABA. अंतर्यात्रा. हिंदी चुटकुले. बस यूँ ही. ख्वाबो के दामन से . Saturday, July 27, 2013. प्रेमपत्र नंबर : 1409. प्रेमपत्र नंबर : 1409. जानां ;. तुम्हारा मिलना एक ऐसे ख्वाब की तरह है , जिसके लिए मन कहता है कि , कभी भी ख़त्म नहीं होना चाहिए . एक दिन जब तुम ;. मुझसे मिलने आओंगी प्रिये,. मेरे मन का श्रंगार किये हुये,. तुम मुझसे मिलने आना! तब मैं वो सब कुछ तुम्हे अर्पण कर दूँगा . कुछ बारिश की बूँदें . कुछ ओस की नमी . कुछ ठहरे हुए से कदम,. कुछ अहसास,. तो ;. ह...
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