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करनी चापरकरन: February 2015
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करनी चापरकरन. तुम अपने आपमें डूबे हुए चुपचाप - खड़े हो किताब में छपे पेड़ की तरह मौसम से बेखबर. मुख्यपृष्ठ. यह ब्लॉग. मैंने मैं शैली अपनाई. ख़त मेरा. ख़त तुम्हारा. सत्रह सितंबर: हर साल. चुरा लाया गया एक संवाद. एक पन्ना फ़ेसबुक. जनसत्ता में. गुम हो गए पते. फ़रवरी 28, 2015. कमरा जो छूट रहा है. आज हिंदुस्तान. वाले पेज का पीडीएफ़ का लिंक दे रहा हूँ। }. प्रस्तुतकर्ता. शचीन्द्र आर्य. 1 टिप्पणी:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. दराज़ के अन&...परि...
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करनी चापरकरन: May 2015
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करनी चापरकरन. तुम अपने आपमें डूबे हुए चुपचाप - खड़े हो किताब में छपे पेड़ की तरह मौसम से बेखबर. मुख्यपृष्ठ. यह ब्लॉग. मैंने मैं शैली अपनाई. ख़त मेरा. ख़त तुम्हारा. सत्रह सितंबर: हर साल. चुरा लाया गया एक संवाद. एक पन्ना फ़ेसबुक. जनसत्ता में. गुम हो गए पते. मई 24, 2015. हमारी मौसी का मर जाना. जनसत्ता में. समांतर,. शीर्षक: मौसी की याद. प्रस्तुतकर्ता. शचीन्द्र आर्य. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. घर की बात. बहराइच से. तस्...
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करनी चापरकरन: June 2015
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करनी चापरकरन. तुम अपने आपमें डूबे हुए चुपचाप - खड़े हो किताब में छपे पेड़ की तरह मौसम से बेखबर. मुख्यपृष्ठ. यह ब्लॉग. मैंने मैं शैली अपनाई. ख़त मेरा. ख़त तुम्हारा. सत्रह सितंबर: हर साल. चुरा लाया गया एक संवाद. एक पन्ना फ़ेसबुक. जनसत्ता में. गुम हो गए पते. जून 27, 2015. प्रस्तुतकर्ता. शचीन्द्र आर्य. 2 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. दराज़ के अन्दर: आधुनिक लोककथा. इंतज़ार पर कुछ. बीतती शाम. जून 19, 2015. ख़...
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करनी चापरकरन: July 2014
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करनी चापरकरन. तुम अपने आपमें डूबे हुए चुपचाप - खड़े हो किताब में छपे पेड़ की तरह मौसम से बेखबर. मुख्यपृष्ठ. यह ब्लॉग. मैंने मैं शैली अपनाई. ख़त मेरा. ख़त तुम्हारा. सत्रह सितंबर: हर साल. चुरा लाया गया एक संवाद. एक पन्ना फ़ेसबुक. जनसत्ता में. गुम हो गए पते. जुलाई 31, 2014. मुर्दहिया: एक ज़िन्दगी की याद. 8220;हे खेदन के बाबू! हम कवन-कवन बतिया लिखाई? थोर लिखना, ढेर समझना”।. उस चुरा लाये अम्मा के बक्से का क्या हुआ होगा? प्रस्तुतकर्ता. शचीन्द्र आर्य. 2 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. दस्तावेज़. पढ़ते पढ़ते. शायद ऐस...
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करनी चापरकरन: मँझले बाबा नहीं रहे..
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करनी चापरकरन. तुम अपने आपमें डूबे हुए चुपचाप - खड़े हो किताब में छपे पेड़ की तरह मौसम से बेखबर. मुख्यपृष्ठ. यह ब्लॉग. मैंने मैं शैली अपनाई. ख़त मेरा. ख़त तुम्हारा. सत्रह सितंबर: हर साल. चुरा लाया गया एक संवाद. एक पन्ना फ़ेसबुक. जनसत्ता में. गुम हो गए पते. जुलाई 27, 2015. मँझले बाबा नहीं रहे. प्रस्तुतकर्ता. शचीन्द्र आर्य. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. दराज़ के अन्दर: घर की बात. डायरी का एक पन्ना. तस्वीर के बहाने. बहराइच से. एक उफनती नद...
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करनी चापरकरन: August 2015
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करनी चापरकरन. तुम अपने आपमें डूबे हुए चुपचाप - खड़े हो किताब में छपे पेड़ की तरह मौसम से बेखबर. मुख्यपृष्ठ. यह ब्लॉग. मैंने मैं शैली अपनाई. ख़त मेरा. ख़त तुम्हारा. सत्रह सितंबर: हर साल. चुरा लाया गया एक संवाद. एक पन्ना फ़ेसबुक. जनसत्ता में. गुम हो गए पते. अगस्त 31, 2015. मुझे मार दिया गया है. प्रस्तुतकर्ता. शचीन्द्र आर्य. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. जेरिनिमो. अगस्त 29, 2015. अगस्त 26, 2015. Pinter...
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करनी चापरकरन: लाल किले के कबूतर
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करनी चापरकरन. तुम अपने आपमें डूबे हुए चुपचाप - खड़े हो किताब में छपे पेड़ की तरह मौसम से बेखबर. मुख्यपृष्ठ. यह ब्लॉग. मैंने मैं शैली अपनाई. ख़त मेरा. ख़त तुम्हारा. सत्रह सितंबर: हर साल. चुरा लाया गया एक संवाद. एक पन्ना फ़ेसबुक. जनसत्ता में. गुम हो गए पते. अगस्त 15, 2015. लाल किले के कबूतर. गूगल आज उनकी 1930 की दांडी यात्रा. को याद कर रहा है। सुधीर चंद्र की किताब. हो जाएँगे। हमारा दिल, दिमाग हो जाएगा। दिल सोचतì...और आधा गाँव. साथ रखकर अपने आसपास बनी इस जटिल दुनिय&...कभी-कभी मैं यह ...Facebook पर साझ...
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करनी चापरकरन: छपने की राजधानी
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करनी चापरकरन. तुम अपने आपमें डूबे हुए चुपचाप - खड़े हो किताब में छपे पेड़ की तरह मौसम से बेखबर. मुख्यपृष्ठ. यह ब्लॉग. मैंने मैं शैली अपनाई. ख़त मेरा. ख़त तुम्हारा. सत्रह सितंबर: हर साल. चुरा लाया गया एक संवाद. एक पन्ना फ़ेसबुक. जनसत्ता में. गुम हो गए पते. जुलाई 23, 2015. छपने की राजधानी. टिटहरी प्रकाशन ’. पश्चलेख माने पोस्ट स्क्रिप्ट:. प्रस्तुतकर्ता. शचीन्द्र आर्य. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. मिसफिट रेफरेंस. 6:09 pm, अगस्त 26, 2015.
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करनी चापरकरन: March 2015
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करनी चापरकरन. तुम अपने आपमें डूबे हुए चुपचाप - खड़े हो किताब में छपे पेड़ की तरह मौसम से बेखबर. मुख्यपृष्ठ. यह ब्लॉग. मैंने मैं शैली अपनाई. ख़त मेरा. ख़त तुम्हारा. सत्रह सितंबर: हर साल. चुरा लाया गया एक संवाद. एक पन्ना फ़ेसबुक. जनसत्ता में. गुम हो गए पते. मार्च 28, 2015. तब उसने ख़त लिखा. आज हमारी शादी. की पहली सालगिरह है। एक ख़त. आया है। जनसत्ता में। लिंक. दे रहा हूँ। प्रिंट के लिए. भी ले सकते हैं। }. प्रस्तुतकर्ता. शचीन्द्र आर्य. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. ख़त, सपने और हम. कभì...
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