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सुख़नसाज़

Friday, October 18, 2013. माना कि तुम कहा किये और वो सुना किये. मिर्ज़ा असदुल्ला खां ‘ग़ालिब’ की ग़ज़ल को आवाज़ दी है तलत महमूद ने. उस बज्म मे मुझे नहीं बनती हया किए. बैठा रहा अगरचे इशारे हुआ किये. किस रोज़ तोहमते न तराशा किये अदू. किस दिन हमारे सर पे न आरे चला किये. ज़िद की है और बात मगर ख़ू बुरी नहीं. भूले से उस ने सैकड़ों वादे-वफ़ा किये. 8216; ग़ालिब. तुम्हीं कहो के मिलेगा जवाब क्या. माना कि तुम कहा किये और वो सुना किये. यह रही पूरी ग़ज़ल. 8216; ग़ालिब. माना कि. Posted by Ashok Pande. मेरा...कभी...

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Friday, October 18, 2013. माना कि तुम कहा किये और वो सुना किये. मिर्ज़ा असदुल्ला खां ‘ग़ालिब’ की ग़ज़ल को आवाज़ दी है तलत महमूद ने. उस बज्म मे मुझे नहीं बनती हया किए. बैठा रहा अगरचे इशारे हुआ किये. किस रोज़ तोहमते न तराशा किये अदू. किस दिन हमारे सर पे न आरे चला किये. ज़िद की है और बात मगर ख़ू बुरी नहीं. भूले से उस ने सैकड़ों वादे-वफ़ा किये. 8216; ग़ालिब. तुम्हीं कहो के मिलेगा जवाब क्या. माना कि तुम कहा किये और वो सुना किये. यह रही पूरी ग़ज़ल. 8216; ग़ालिब. माना कि. Posted by Ashok Pande. मेरा...कभी...

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सुख़नसाज़: June 2013

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Thursday, June 13, 2013. उस्ताद मेहदी हसन की पहली बरसी है आज. आज खान साहब मेहदी हसन की पहली बरसी है. अभी अभी भाई संजय पटेल ने याद दिलाया. उस्ताद को याद करते हुए पेश है. कबाड़खाने. से एक पुरानी पोस्ट-. उस्ताद बता रहे हैं क्या होता है आवारा गाना:. मेहदी हसन साहब को श्रद्धांजलि के तौर पर यह बहुत ख़ास प्रस्तुति:. Posted by Ashok Pande. Labels: मेहदी हसन. श्रद्धांजलि. Subscribe to: Posts (Atom). गोश को होश के टुक खोल के सुन शोर-ए-जहां. मीर तक़ी मीर. मिर्ज़ा ग़ालिब. फ़िराक़ गोरखपुरी. अमिताभ मीत. जीवन मे...आलम त&#23...

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सुख़नसाज़: September 2008

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Tuesday, September 30, 2008. पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है. उस्ताद मेहंदी हसन को क्या कहेंगे आप? एक गुलूकार? पत्ता-पत्ता, बूटा-बूटा हाल हमारा जाने है. जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है. चारागरी बीमारि-ए-दिल की रस्मे-ए-शहर-ए-हुस्न नहीं. वरना दिलबर-ए-नादां भी इस दर्द का चारा जाने है. मेहर-ओ-वफ़ा-ओ-लुत्फ़-ओ-इनायत, एक से वाक़िफ़ इनमें नहीं. और तो सब कुछ तंज़-ओ-कनाया रम्ज़-ओ-इशारा जाने है. मीर तक़ी 'मीर'. चारागरी. चिकित्सा. रस्मे-ए-शहर-ए-हुस्न. तंज़-ओ-कनाया. रम्ज़-ओ-इशारा. Posted by sanjay patel.

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सुख़नसाज़: March 2011

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Thursday, March 31, 2011. वो ही एक ख़ामोश नग़मा है शकील जान-ए-हस्ती. शकील बदायूंनी साहेब का क्या परिचय दिया जाए. फ़िलहाल उनकी एक शानदार ग़ज़ल तलत महमूद की रेशम आवाज़ में -. ग़म-ए-आशिकी से कह दो रह-ए-आम तक न पहुंचे. मुझे ख़ौफ़ है ये तोहमत मेरे नाम तक न पहुंचे. मैं नज़र पी रहा था तो ये दिल ने बददुआ दी. तेरा हाथ ज़िन्दगी भर कभी जाम तक न पहुंचे. ये अदा-ए-बेनियाज़ी तुझे बेवफ़ा मुबारक. मग़र ऐसी बेरुख़ी क्या कि सलाम तक न पहुंचे. Posted by Ashok Pande. Labels: तलत महमूद. Tuesday, March 29, 2011. फ़िरा...अब क&#237...

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सुख़नसाज़: February 2012

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Wednesday, February 22, 2012. दिल की तबाही भूले नहीं हम, देते हैं अब तक उनको दुआएं. अब तो यही हैं दिल से दुआएं. भूलने वाले भूल ही जाएँ. वजह-ए-सितम कुछ हो तो बतायें. एक मोहब्बत लाख ख़तायें. दर्द-ए-मोहब्बत दिल में छुपाया. आँख के आँसू कैसे छुपायें. होश और उनकी दीद का दावा. देखने वाले होश में आयें. दिल की तबाही भूले नहीं हम. देते हैं अब तक उनको दुआएं. रंग-ए-ज़माना देखने वाले. उनकी नज़र भी देखते जायें. शग़ल-ए-मोहब्बत अब है ये 'तस्कीन'. शेर कहें और जी बहलायें. Posted by Ashok Pande. Subscribe to: Posts (Atom).

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सुख़नसाज़: माना कि तुम कहा किये और वो सुना किये

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Friday, October 18, 2013. माना कि तुम कहा किये और वो सुना किये. मिर्ज़ा असदुल्ला खां ‘ग़ालिब’ की ग़ज़ल को आवाज़ दी है तलत महमूद ने. उस बज्म मे मुझे नहीं बनती हया किए. बैठा रहा अगरचे इशारे हुआ किये. किस रोज़ तोहमते न तराशा किये अदू. किस दिन हमारे सर पे न आरे चला किये. ज़िद की है और बात मगर ख़ू बुरी नहीं. भूले से उस ने सैकड़ों वादे-वफ़ा किये. 8216; ग़ालिब. तुम्हीं कहो के मिलेगा जवाब क्या. माना कि तुम कहा किये और वो सुना किये. यह रही पूरी ग़ज़ल. 8216; ग़ालिब. माना कि. Posted by Ashok Pande. गोश क&#237...

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सुर-पेटी: 8/1/10

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सुर-पेटी. कानों में क्या पड़ गई नग़्मे की चार बूँद.आँखों के ख़ार कितने बहकर निकल गए. Sunday, August 8, 2010. मोरा अंग अंग रंगा क्यों रसिया-पीनाज़ मसानी. संजय पटेल. पीनाज़ मसानी. सुगम संगीत. Subscribe to: Posts (Atom). भले पधारो! सुरीली बिछात पर स्वागत है! सुर पेटी का मशालची. मोरा अंग अंग रंगा क्यों रसिया-पीनाज़ मसानी. मनचाहे शब्द-स्वर. कबाड़खाना. गीतों की महफिल. रेडियो वाणी. रेडियोनामा. मोहल्ला. जोग लिखी संजय पटेल की. किस से कहें? श्रोता बिरादरी. Picture Window template. Powered by Blogger.

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दिलीप के दिल से: January 2010

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दिलीप के दिल से. दिली सुकून की तलाश, आखिर दिल ही तो है. Monday, January 18, 2010. है दुनिया उसीकी,ज़माना उसीका. ओ पी नय्यर और रफ़ी का दर्द में डूबा हुआ एक कालजयी गीत. आज लगभग एक महिना होने आया, आपसे मुखातिब नहीं हो पाया. मेरी पसंद के दो महानतम दर्द भरे गानों की फ़ेहरिस्त में आपके दो गानें है:. चैन से हमको कभी . और. है दुनिया उसीकी, ज़माना उसीका. दिलीप कवठेकर. Labels: ओ.पी.नय्यर. दिलीप के दिल से. मोहम्मद रफ़ी. Subscribe to: Posts (Atom). ताऊ द्वारा सन्मान! ताऊ पहेली-48. के विजेता. ताऊ डाट इन. अल्&#8...

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दिलीप के दिल से: May 2010

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दिलीप के दिल से. दिली सुकून की तलाश, आखिर दिल ही तो है. Sunday, May 23, 2010. अद्बुत , अद्भुत और अद्भुत . मुकुल शिवपुत्र - कुमार जी गंधर्व के पुत्र. जो अपने दम पर खुद एक बेहद ही उम्दा ,ऊंचे पाये के कसे हुए गायक हैं.शायद आपमें से काफ़ी लोग उनके बारे में जानते भी होंगे. मैंने कहा कि मैं भला ताऊ के आदेश का पालन नहीं करने की हिमाकत कर सकता हूं? आप और मुकुल शिवपुत्र. दिलीप कवठेकर. Labels: कुमार गंधर्व. Saturday, May 1, 2010. ये बात तो पक्की है, कि इतने दिन...कितनी बार आपसे वाद&#2...मगर क्या कर&#23...मगर जब जब...

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सुर-पेटी: 7/1/09

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सुर-पेटी. कानों में क्या पड़ गई नग़्मे की चार बूँद.आँखों के ख़ार कितने बहकर निकल गए. Friday, July 3, 2009. ये उस्ताद अमीर ख़ाँ नहीं गोस्वामी गोकुलोत्सवजी हैं. उपनाम से कई बंदिशे रचीं हैं. बंदिश उनकी स्वरचित है. संजय पटेल. Labels: इन्दौर घराना. गोकुलोत्सवजी महाराज. राग मियाँ मल्हार. शास्त्रीय गायन. Wednesday, July 1, 2009. अब कहाँ सुनने को मिलता है ऐसा भरा-पूरा मालकौंस? अभी 24 जून को संगीतमार्तण्ड ओंकारनाथ ठाकुर. वैसे पण्डितजी की गायकी इतनी सुमध&#236...Raag Malkauns - Pa. संजय पटेल. Subscribe to: Posts (Atom).

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दिलीप के दिल से: August 2009

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दिलीप के दिल से. दिली सुकून की तलाश, आखिर दिल ही तो है. Friday, August 28, 2009. अपने अपने ग़म के फ़सानों का तसव्वूर - मुकेश के गीत ( पुण्य तिथी पर विशेष). कल स्व. मुकेश जी की पुण्य तिथी थी. मगर फ़िर कई संगीत प्रेमी और कानसेन ये भी लिखते हैं कि उनकी तमन्ना थी कि मैं अपना भी कोई गीत सुनवाता. फ़रीश्तों की नगरी में मैं आ गया हूं,. ये रानाईयां, देख चकरा गया हूं. तो अब आपके प्यार और लाड दुलार की ही तो दरकार है. सारंगा तेरी याद में,. नैन हुए बेचैन, ओ ss,. मन दौडने लगता है. दिलीप कवठेकर. Labels: मुकेश. अब इस ग&#23...

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दिलीप के दिल से: September 2010

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दिलीप के दिल से. दिली सुकून की तलाश, आखिर दिल ही तो है. Monday, September 13, 2010. यही वो जगह है, यहीं पर कभी हमने आपके सामने गाया था. याद पडता है कि किशोर दा गाना गा रहे थे आशाजी का, जो दूरी के वजह से ठीक से सुनाई नही पड रहा था. गाना था. यही वो जगह है ,यही वो फ़िज़ाएं, यहीं पर कभी आप हमसे मिले थे. रब की मर्ज़ी). यही वो जगह है, जहां कभी हमने आपके सामने गाया था. दिलीप कवठेकर. Labels: अल्पना वर्मा. आशा भोंसले. किशोर कुमार. मोहम्मद रफ़ी. Subscribe to: Posts (Atom). ताऊ पहेली-48. ताऊ डाट इन. कमज़&#237...

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दिलीप के दिल से: December 2009

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दिलीप के दिल से. दिली सुकून की तलाश, आखिर दिल ही तो है. Sunday, December 20, 2009. राज कपूर और शैलेंद्र. दोस्त दोस्त ना रहा. दोस्त दोस्त ना रहा. दिलीप कवठेकर. Labels: दिलीप के दिल से. राज कपूर. शंकर जयकिशन. शैलेंद्र. Friday, December 4, 2009. सुन मेरे बंधू रे, सुन मेरे मितवा, सुन मेरे साथी रे. आज फ़िर इच्छा हो रही है कि उनकी आवाज़ में भी एक गीत गाऊं -. सुन मेरे बंधू रे, सुन मेरे मितवा, सुन मेरे साथी रे. दिलीप कवठेकर. Labels: गुरुदत्त. दिलीप के दिल से. सचिन देव बर्मन. Subscribe to: Posts (Atom). अल्&#...

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दिलीप के दिल से. दिली सुकून की तलाश, आखिर दिल ही तो है. Monday, February 23, 2009. अल्ला रक्खा रहमान के दिल से- - जय हो.शिवमणी. इस बार फ़िर देर हो गयी, घर में शादी जो थी.मित्रों को भी यही समय मिला था. बस सब निपट चुका है, चार किलो वजन भी बढ गया है, और आज महाशिवरात्री के रोज़ का उपवास बडा सुकून भरा लग रहा है. चलिये साहब, आपने सुना नहीं? जय हो,जय हो, जय हो, जय हो ,. आजा आजा जिन्द शामियाने के तले. आज जरीवाले नीले आसमान के तले,. जय हो,जय हो,२. जय हो, जय हो ,. जय हो,जय हो,२. जय हो, जय हो ,. क्या ह&#2...कार...

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दिलीप के दिल से: April 2009

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दिलीप के दिल से. दिली सुकून की तलाश, आखिर दिल ही तो है. Tuesday, April 28, 2009. अभागे शंकर. शंकर रामसिंग रघुवंशी. अभी उनकी बरसी (२६ अप्रिल )को उन्हे हम से बिछडे बाईस साल हो गये. महान शोमॆन राज कपूर. की सन १९४८ में बनी फ़िल्म बरसात. नवाब बेगम? जिसे हम सभी निम्मी के नाम से जानते है! इसी फ़िल्म से हमसे रू ब रू हुए महान गीतकार शैलेन्द्र. बनाया.राज,शंकर,जयकिशन, शैलेन्द्र और हसरत जयपुरी . हम सभी शंकर. उसी समय देर दूरदर्शन को रात दिये गये अपने इंट...साभार - लोकसत्ता). दिलीप कवठेकर. Labels: राज कपूर. दुखद न...

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दिलीप के दिल से: June 2009

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दिलीप के दिल से. दिली सुकून की तलाश, आखिर दिल ही तो है. Wednesday, June 24, 2009. उस्ताद अली अकबर खां – विनम्र श्रद्धांजली. खैर, २० जून को विश्व संगीत दिवस था, और Father’s Day भी. पता नही ये दिन कौन तय करता है, और एक ही दिन ये दो दो खास विधायें… गज़ब……. भगवान उनकी आत्मा को शांती प्रदान करे . 160;                     . 160;                         . भय भंजना , वंदना सुन हमारी. उपर गगन विशाल, नीचे गहरा पाताल …. और बाद में पूरा गीत अलग से. दिलीप कवठेकर. मन्ना डे. Subscribe to: Posts (Atom). अल्‍ल...घन गरजत ब...

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सुख़नवर : शेर-ओ-शायरी का एक दीवाना

सुख़नवर : शेर-ओ-शायरी का एक दीवाना. मेरी कलम से लिपटे आकर, जाने किस-किस के अरमान मैं ख़ुश शायर कहला कर, आबाद रहें जिनका एहसान. Wednesday 27 October 2010. यहाँ हर सिम्त रिश्ते हैं जो अब मुश्किल निभाना है. बहुत आसाँ है रो देना, बहुत मुश्किल हँसाना है. कोई बिन बात हँस दे-लोग कहते हैं "दिवाना है". हमारी ख़ुशमिज़ाजी पे तुनक-अंदाज़ वो उनका-. तुम्हें क्यों हर किसी को हमने क्या बोला बताना है? चलो जल्दी चलें,फिर से किसी का घर जलाना है". प्रस्तुतकर्ता Himanshu Mohan. 22 टिप्पणियाँ. Friday 27 August 2010. वर्न&#23...

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Tuesday, May 18, 2010. मेरी एक नई ग़ज़ल. दोस्तों,. उर्दू वर्ल्ड. वेबसाइट पर हाल ही तरही ग़ज़ल मुक़ाबला. शुरू किया गया है. इसमें जनाब फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के मिसरे 'बहुत जानी हुई सूरत भी पहचानी नहीं जाती'. पर कई शायरों ने अपनी-अपनी ग़ज़ल पेश की है. मैंने भी इस बहर पर वहाँ ग़ज़ल पोस्ट की है. आपके लिए वह ग़ज़ल पेश कर रहा हूँ. यह बहर-ए-हज़ज सालिम. मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन) है. ग़ज़ल मुलाहिज़ा फ़रमाइए. अजब उलझन भरे दिन हैं वजह जानी नहीं जाती. भले नासाज़ हों हालात, इम&#...उसे कब होश है इसका कह...सितमगर की...मेर...

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Just another WordPress.com weblog. ANOTHER TYPE OF TERRORISM. May 19, 2013. ANOTHER TYPE OF TERRORISM. THE ONGOING POLITICAL PROCESS IN PAKISTAN. May 9, 2013. THE ONGOING POLITICAL PROCESS IN PAKISTAN. SEE YOU ON THE ELECTION DAY. May 9, 2013. SEE YOU ON THE ELECTION DAY. NEITHER A SPY NOR A TERRORIST. May 9, 2013. NEITHER A SPY NOR A TERRORIST. TALIBAN AND PEACE PROCESS IN AFGHANISTAN. August 5, 2011. TALIBAN AND PEACE PROCESS IN AFGHANISTAN. March 3, 2011. Is it a logical bartering? The writer is a Pak...

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Ghalib

This blog is a tribute to Ghalib. It is a labour of love by two of his ardent fans. The contributors don't claim to be any authority on Ghalib, nor do their postings claim any scholastic merit. Their postings are simply an attempt to share with the visitors their understanding of the work of this great philosopher and poet of love, hope and humanism. Thursday, March 13, 2008. Ug raha hai dar-o-deewar se. Ug raha hai dar-o-deewar se sabzah Ghalib. Ham bayabaan mein hein aur ghar mein bahar aai hai. हर एक ...