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विद्रोही भिक्षुक: February 2013
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विद्रोही भिक्षुक. यह ब्लॉग मेरी कविताओ और अन्य रचनाओ का संग्रह है. एक द्रवित हृदय और सजग मस्तिष्क की गुनगुनाहटें, आवाज़े, पुकारें, चिल्लाहटें और पीड़ाएँ. View my complete profile. Sunday, February 3, 2013. तुम प्रेम सी नौका मिली, मैं पार जीवन तट गया. तम रात थी, कुछ कट गयी. सुध भोर थी आकर गयी,. ये दिन बड़ा लाचार था,. कुछ राग था कुछ प्यार था,. तुम पास थे सब साथ था,. तुम दूर थे, एहसास था,. फिर सूर्य की पहली किरण,. घन मेघ सारा छट गया,. तुम प्रेम सी नौका मिली,. मैं पार जीवन तट गया. Subscribe to: Posts (Atom).
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विद्रोही भिक्षुक: December 2010
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विद्रोही भिक्षुक. यह ब्लॉग मेरी कविताओ और अन्य रचनाओ का संग्रह है. एक द्रवित हृदय और सजग मस्तिष्क की गुनगुनाहटें, आवाज़े, पुकारें, चिल्लाहटें और पीड़ाएँ. View my complete profile. Saturday, December 25, 2010. बीमार इस लाइलाज के फ़क़त एक हम नहीं. निशानात पांवों के दो दर्ज हैं,. सहरा में अकेले हम ही हम नहीं. हवाएं औसत से ज्याद गर्म हैं,. ये आहें हमारी अकेले नहीं. बात तुम खूब कहते थे, कहते हो, कहते रहोगे,. चुप रहना यूँ हमारी भी फितरत नहीं. Links to this post. Saturday, December 18, 2010. होने तक. तब तक आन&#...
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विद्रोही भिक्षुक: January 2010
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विद्रोही भिक्षुक. यह ब्लॉग मेरी कविताओ और अन्य रचनाओ का संग्रह है. एक द्रवित हृदय और सजग मस्तिष्क की गुनगुनाहटें, आवाज़े, पुकारें, चिल्लाहटें और पीड़ाएँ. View my complete profile. Friday, January 1, 2010. नए साल में. उधर सुना था कोई,. मांग रहा था नयी सुबह नए साल में, उज्ज्वल धरती,. अप्रदूषित जल, गुनगुनी धुप और खुशहाल चहरे. बे-इमान रहा होगा,. या फिर बीमार. बीमारी भी ऐसी लाईलाज जो दोहराती है हर साल,. लौट आती है हर बार. इसी दिन. महंगा था, मुश्किल भी. लेकिन फिर भी,. सुप्रेम. Links to this post. प्रस...
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विद्रोही भिक्षुक: September 2013
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विद्रोही भिक्षुक. यह ब्लॉग मेरी कविताओ और अन्य रचनाओ का संग्रह है. एक द्रवित हृदय और सजग मस्तिष्क की गुनगुनाहटें, आवाज़े, पुकारें, चिल्लाहटें और पीड़ाएँ. View my complete profile. Thursday, September 12, 2013. मुख-पुस्तक पर इंग्लिस विंग्लिस. एक दुर्दांत हत्यारे ने फांसी पर लटका कर आदमी को मारा - आगे प्रश्नचिह्न? फिर कोई उनकी बड़ी सी पोस्ट पढ़ कर उन्हें बताता है -. उदाहरणार्थ - I am doing dancing. (मैं नृत्य कर रहा हूँ). आइये आज हिंदी दिवस की पूर्व संध&#...Links to this post. क्रूर था व...साल भर त&...
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विद्रोही भिक्षुक
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विद्रोही भिक्षुक. यह ब्लॉग मेरी कविताओ और अन्य रचनाओ का संग्रह है. एक द्रवित हृदय और सजग मस्तिष्क की गुनगुनाहटें, आवाज़े, पुकारें, चिल्लाहटें और पीड़ाएँ. View my complete profile. Friday, November 1, 2013. Bahujan Lokpal Bill -. 3 September 2011 at 22:52. और तो बुराई क्या है? क्यों दे उन्हें मीडिया कवरेज . धंधा करना है उन्हें. Labels: Bahujan Lokpal Bill. Location: London, UK. Subscribe to: Post Comments (Atom). प्रस्तुत है मेरी प्रिय कहानी, म&#...स्कूल के दौरान इससे म...गाय के बाद अपन&...सन्नì...
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विद्रोही भिक्षुक: हमारे ज़माने की प्रेम-कथा....a bug-free love story
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विद्रोही भिक्षुक. यह ब्लॉग मेरी कविताओ और अन्य रचनाओ का संग्रह है. एक द्रवित हृदय और सजग मस्तिष्क की गुनगुनाहटें, आवाज़े, पुकारें, चिल्लाहटें और पीड़ाएँ. View my complete profile. Wednesday, December 5, 2007. हमारे ज़माने की प्रेम-कथा.a bug-free love story. प्रेम कहानी. गुड मॉर्निंग, - लगता है रात का नशा अभी, आँख से गया नहीं॰॰॰॰॰॰॰". गुड नाइट,"- मेरी तब तक लगभग बंद हो चुकी आँखों ने अधखुला हो कर कहा।. अब उठो भी! उसने कहा "क्या तुम सोते ही रहोगे? अब बात तो तुम रोज़ करती हो". वो हतप्रभ थी. और हाँ,...देख...
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विद्रोही भिक्षुक: November 2011
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विद्रोही भिक्षुक. यह ब्लॉग मेरी कविताओ और अन्य रचनाओ का संग्रह है. एक द्रवित हृदय और सजग मस्तिष्क की गुनगुनाहटें, आवाज़े, पुकारें, चिल्लाहटें और पीड़ाएँ. View my complete profile. Sunday, November 27, 2011. गद्दे-चादर हाथ में ले लो, बने कफ़न ये साथ चलेंगे. आंसू अब न और बहेंगे, अब लब ना खामोश रहेंगे,. रस्ते अपनी राह बदलकर, अपनी मंजिल आप चलेंगे. कलम-दवातें फूट पड़ेंगी, घर-घर बैरक बाक बनेंगे,. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). स्कूल के दौरान इससे मज़ेद&#...सन्नाटों मí...
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विद्रोही भिक्षुक: March 2011
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विद्रोही भिक्षुक. यह ब्लॉग मेरी कविताओ और अन्य रचनाओ का संग्रह है. एक द्रवित हृदय और सजग मस्तिष्क की गुनगुनाहटें, आवाज़े, पुकारें, चिल्लाहटें और पीड़ाएँ. View my complete profile. Friday, March 18, 2011. चार लाइन. सिर्फ चार लाइन हैं . चिराग़, मुझे नहीं पता क्या तेरी ख़ता है,. पर जो भी रौशनी करता है उसे जला देते हैं ये लोग. फकीर, तू किस तलाश में इस शहर में निकला है,. छत पे बैठे परिंदे भी उड़ा देते हैं ये लोग. विद्रोही भिक्षुक. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). सन्नाटों...
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विद्रोही भिक्षुक: October 2013
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विद्रोही भिक्षुक. यह ब्लॉग मेरी कविताओ और अन्य रचनाओ का संग्रह है. एक द्रवित हृदय और सजग मस्तिष्क की गुनगुनाहटें, आवाज़े, पुकारें, चिल्लाहटें और पीड़ाएँ. View my complete profile. Thursday, October 31, 2013. फिर चार लाइने हैं . सहेज के रखे हैं मैंने इस दिल के टुकड़े,. के कभी न कभी तू इस दिल में बसी थी . सात तालों में रखा है वो रास्ते का पत्थर,. जिससे मैं लड़खड़ाया था, और तू हंसी थी . विद्रोही-भिक्षुक. Links to this post. Wednesday, October 30, 2013. फिर चार लाइने हैं. Links to this post. अध्याय १. वे ...