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Unmanaa: July 2012
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मंगलवार, 31 जुलाई 2012. ये नयन बने कारे बादर. ऊधो उनसे कहना जाकर! करुणा कर दर्शन दें हमको ,. नहीं, अब न कहेंगी 'करुणाकर'! क्यों प्रीति की बेल बढ़ाई तब ,. क्यों विरह की आग लगाई अब ,. कहें कौन हुआ अपराध है कब ,. जब साथ रहीं हम उनके तब? बेचैन करें मथुरा में जा ,. हमें गोकुल लगता दु:ख सागर! ऊधो उनसे कहना जाकर! अंतरयामी' वे क्यों हैं बने ,. जब उर अंतर को नहीं गुनें ,. ना ही दिलों का वे संताप हनें ,. कहे 'दु:खहारी' तब कौन उन्हें? हमसे ही मिली हैं उपाधि सकल ,. ऊधो उनसे कहना जाकर! घूँघट में...हरी ओढ़न&#...
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Unmanaa: January 2014
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सोमवार, 6 जनवरी 2014. प्रिय पाठकों ,. यह ब्लॉग मैंने अपनी माँ, श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना 'किरण' जी, की रचनाओं को आप सभी के सामने प्रस्तुत करने के लिये बनाया था! उनकी कविताओं की दो पुस्तकों, 'उन्मना' तथा 'सतरंगिनी', की लगभग सभी रचनायें मैं यहाँ इस ब्लॉग पर आपके सामने प्रस्तुत कर चुकी हूँ! लेकिन फिलहाल इस ब्लॉग पर मैं कुछ अनोखी सामग्री आपके सामने रखना चाहूँगी! इसी श्रंखला में आज यह आलेख प्रस्तुत है! Then how to get rid of this problem! A student weak in Physics needs more time to clear his concepts on the d...
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Unmanaa: November 2011
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गुरुवार, 24 नवंबर 2011. गुरु तेग बहादुर. आज गुरु तेगबहादुर का जन्मदिवस है इस पुनीत अवसर पर आनंद उठाइये माँ की इस विशिष्ट श्रद्धांजलि का! तेरे ऐसे रत्न हुए माँ जिनकी शोभा अनियारी ,. तेरे ऐसे दीप जले माँ जिनकी शाश्वत उजियारी! तव बगिया के वृक्ष निराले अमिट सुखद जिनकी छाया ,. ऐसे राग बनाये तूने जिन्हें विश्व भर ने गाया! तेरे ताल, सरोवर, निर्झर शीतल, निर्मल नीर भरे ,. तेरे लाल लाड़ले ऐसे जिन पर दुनिया गर्व करे! प्रस्तुतकर्ता. रविवार, 20 नवंबर 2011. भक्त पुजारी सेवक आये, भ&#...अरमानों को...इक दुख...
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Unmanaa: July 2011
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गुरुवार, 28 जुलाई 2011. जगमग जग हो जाये. कवि तुम ऐसी ज्योति जलाओ. जगमग जगमग जग हो जाये! नील गगन के दीप सुनहरे. लाकर धरती पर बिखराओ ,. सप्त सिंधु की लोल लहरियों. पर जागृति का साज सजाओ ,. कवि तुम ऐसा राग सुनाओ. छोड़ उदासी सब मुस्कायें! कवि तुम ऐसी ज्योति जलाओ. जगमग जगमग जग हो जाये! बाल सूर्य की सुघर रश्मियाँ. लाकर कण-कण ज्योतित कर दो ,. अरुण उषा का पिला सोमरस. रागान्वित सबका मन कर दो ,. कवि तुम ऐसी बीन बजाओ. तन मन धन की सुधि खो जाये! कवि तुम ऐसी ज्योति जलाओ. जगमग जगमग जग हो जाये! उसके अगणित उपक&...रूख...
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Unmanaa: May 2012
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सोमवार, 28 मई 2012. अश्रुमाल. नाथ तुम्हारी क्षुद्र सेविका लाई यह रत्नों का हार ,. तुम पर वही चढ़ाती हूँ मैं करना मेरे प्रिय स्वीकार! मेरा मुझ पर नाथ रहा क्या जो कुछ है वह तेरा है ,. मुझे निराशा अरु आशा की लहरों ने प्रभु घेरा है! तुम लक्ष्मी माँ के प्रिय पति हो रत्न भेंट हों कैसे नाथ ,. रत्नों की जब खान स्वयं माँ होवें प्रियतम तेरे साथ! बस हैं यह आँसू ही भगवन् जिनका है यह हार सजा ,. प्रस्तुतकर्ता. शुक्रवार, 11 मई 2012. माँ की याद. उन आँखों में उमड़ सरोवर पल क्षण त&#...हृदय बना पाषाण ...हमें ब...जो ...
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Sudhinama: January 2015
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Sunday, January 25, 2015. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें. उल्लास लाया. गणतंत्र दिवस. देश गर्वित! हर्ष प्रसंग. मनोहारी छटायें. राजपथ पे! विरल दृश्य. संस्कृति औ' सैनिक. मान बढ़ायें! मनमोहक झाँकी. मुग्ध दर्शक! वीर जवान. कदम से कदम. मिलाते चलें! आसमान में. अद्भुत करतब. करें हैरान! धारे हुए है. हर भारतवासी. वसंती चोला! गर्व है हमें. गणतंत्र हमारा. विश्व में न्यारा! संकल्प लेंगे. अपने भारत का. मान रखेंगे! राष्ट्र पर्व है. छब्बीस जनवरी. मान हमारा! साधना वैद. Links to this post. बधाई देश को. धधकते ह...
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Sudhinama: May 2014
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Saturday, May 24, 2014. आज की नारी. साधना वैद. चित्र - गूगल से साभार. Links to this post. Thursday, May 22, 2014. शब्द बाण. कब तक इसी तरह. विष बुझे बाणों से. बींधते रहोगे तुम मुझे! स्वर्ण मृगी बन कर. सनातन काल से. आखेट के लिये आतुर. तुम्हारे बाणों की. पिपासा बुझाने के लिये. अपनी कमनीय काया पर. मैं अनगिनत प्रहारों को. झेलती आयी हूँ! युग परिवर्तन के साथ. बाणों के रूप रंग. आकार प्रकार में भी. परिवर्तन आया है! इस युग के बाण. पहले से स्थूल नहीं वरन. अब ये धनुष की. ये चलते हैं. और जब चलते हैं. मुट्...अती...
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Sudhinama: July 2015
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Tuesday, July 28, 2015. रफ्ता-रफ्ता सारे सपने पलकों पर ही सो गये ,. कुछ टूटे कुछ आँसू बन कर ग़म का दरिया हो गये! कुछ शब की चूनर के तारे बन नज़रों से दूर हुए ,. कुछ घुल कर आहों में पुर नम बादल काले हो गये! कुछ बन कर आँसू कुदरत के शबनम हो कर ढुलक गये ,. कुछ रौंदे जाकर पैरों से रेज़ा रेज़ा हो गये! कुछ दरिया से मोती लाने की चाहत में डूब गये ,. कुछ लहरों ने लीले, कुछ तूफ़ाँ के हवाले हो गये! कुछ ने उड़ने की चाहत में अपने पर नुचवा डाले ,. साधना वैद. Links to this post. Sunday, July 19, 2015. और आसमान मे&...चा&...
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Unmanaa: No More Homework ! Please……
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सोमवार, 6 जनवरी 2014. प्रिय पाठकों ,. यह ब्लॉग मैंने अपनी माँ, श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना 'किरण' जी, की रचनाओं को आप सभी के सामने प्रस्तुत करने के लिये बनाया था! उनकी कविताओं की दो पुस्तकों, 'उन्मना' तथा 'सतरंगिनी', की लगभग सभी रचनायें मैं यहाँ इस ब्लॉग पर आपके सामने प्रस्तुत कर चुकी हूँ! लेकिन फिलहाल इस ब्लॉग पर मैं कुछ अनोखी सामग्री आपके सामने रखना चाहूँगी! इसी श्रंखला में आज यह आलेख प्रस्तुत है! Then how to get rid of this problem! A student weak in Physics needs more time to clear his concepts on the d...
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Sudhinama: May 2015
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Friday, May 29, 2015. एक आँख पुरनम. न तुझे पास अपने बुला सके. न तेरी याद को ही भुला सके. एक आस दिल में जगी रही. न जज़्बात को ही सुला सके! तू पलट के ऐसे चला गया. ज्यों कभी न देखा हो हमें. न आवाज़ देते ही बना. न नज़र से तुझको बुला सके! तुझे ज़िंदगी की तलाश थी. तू खुशी की राह पे चल पड़ा. हमें चाह दरिया ए दर्द की. कि खुदी को उसमें डुबा सकें! तुझे रोशनी की थी चाहतें. तूने चाँद तारे चुरा लिये. हमें हैं अंधेरों से निस्बतें. कि ग़मों को अपने छिपा सकें! या खुदा दुआ ये क़ुबूल कर. साधना वैद. Links to this post. उसी...