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HINDI VANGMAY ALIGARH हिन्दी वाडमय: 09_02
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आप सभी का स्वागत है. रचनाएं भेजें और पढ़ें. उन तमाम गुरूओं को समर्पित जिन्होंने मुझे ज्ञान दिया. रेडियो सबरंग. हिन्दी साहित्यिक पत्रिका. राही मासूम रज़ा साहित्य. रूद्र-संदेश. Wednesday, February 11, 2009. नारी चेतना. नगमा जावेद. मैं -. अपने खोये हुए ख्वाबों को. ढूंढ रही हूं -. वो ख्वाब, जो मुझे. ये एहसास देंगे. मैंने तुम्हारे. संगदिल हाथों से. अपने हिस्से की की धूप. छीन ली है।. Posted by शगुफ्ता नियाज़. Subscribe to: Posts (Atom). इन्टरव्यू साहित्य. कबीर अंक. दलित अंक. नारी अंक. View my complete profile.
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं: 08/21/08
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. अन्तर्जाल पर साहित्य प्रेमियों के लिए. गुरुवार, 21 अगस्त 2008. ज़रुरत है हमें. भीग भीग कर इतने सीम गए हैं. कल के सूरज की ज़रूरत है हमें. हर रिशते के खौफ़ से बेखौफ़ सोए हैं. एक पहर की नींद की ज़रूरत है हमें. दर्द के बढ़ने से खुद बेदर्दी हो गए. हरज़ाई के कत्ल की ज़रूरत है हमें. ज़िन्दा लोग कफ़न में ज़माने के सोए हैं. बस मुर्दों को बदलने की ज़रूरत है हमें. अनजाने सफ़र पर अपने निकल गए हैं. इसकी सफ़ल साधना की ज़रूरत है हमें. विधा: कविता. 12 टिप्पणियाँ. रक्त का दान. हो जनकल्याण. खुल गयì...
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kuchlamhe: March 2009
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अश्कों का दीया. अश्कों का दीया". रात गमगीन रही. दिल वीरान रहा. कितना खामोश ये आसमान रहा. सिसकियों की सरगोशियाँ उफ़. अश्कों का दीया ". अंधेरों मे मेहरबान रहा. Http:/ vangmaypatrika.blogspot.com/. Posted by seema gupta. Links to this post. मधुर एहसास ". मधुर एहसास ". चंचल मन के कोने मे. मधुर एहसास. ने ली जब अंगडाई,. रेशमी जज्बात का आँचल. पर फैलाये देखो फलक फलक. खामोशी के बिखरे ढेरो पर. यादों के स्वर्णिम प्याले से. कुछ लम्हे जाएँ छलक छलक. अरमानो के साये से उलझे. Posted by seema gupta. Links to this post.
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kuchlamhe: February 2009
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झील को दर्पण बना ". झील को दर्पण बना". रात के स्वर्णिम पहर में. झील को दर्पण बना. चाँद जब बादलो से निकल. श्रृंगार करता होगा. चांदनी का ओढ़ आँचल. धरा भी इतराती तो होगी. मस्त पवन की अंगडाई. दरख्तों के झुरमुट में छिप कर. परिधान बदल बदल. मन को गुदगुदाती तो होगी. नदिया पुरे वेग मे बह. किनारों से टकरा टकरा. दीवाने दिल के धड़कने का. सबब सुनाती तो होगी . खामोशी की आगोश मे रात. जब पहरों में ढलती होगी. ओस की बूँदें दूब के बदन पे. फिसल लजाती तो होगी . पायल की रुनझुन और सरगम. Posted by seema gupta. Links to this post.
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HINDI VANGMAY ALIGARH हिन्दी वाडमय: 09_03
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आप सभी का स्वागत है. रचनाएं भेजें और पढ़ें. उन तमाम गुरूओं को समर्पित जिन्होंने मुझे ज्ञान दिया. रेडियो सबरंग. हिन्दी साहित्यिक पत्रिका. राही मासूम रज़ा साहित्य. रूद्र-संदेश. Thursday, March 5, 2009. तुम्हे मेरे मन की बात बताऊ. सुनील गज्जाणी. किस नयन तुमको निहारू,. किस कण्ठ तुमको पुकारू,. रोम रोम में तुम्ही हो मेरे,. फिर काहे ना तुम्हे दुलारू,. तुम्हे मेरे मन की बात बताऊ।. प्रतिबिम्ब मै या काया तुम,. दोनो मे अन्तर जानू,. तुम तिलक मै ललाट बन जाऊ,. सुनील गज्जाणी. बीकानरे।. Wednesday, March 4, 2009. बा...
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राही मासूम रज़ा का साहित्य ( RAHI MASOOM RAZA ): 10.13
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राही मासूम रज़ा का साहित्य ( RAHI MASOOM RAZA ). Sunday, October 20, 2013. Rahi masoom raza ka kaymat upnayas. Rahi masoom raza ka naya upnayas 2013. Subscribe to: Posts (Atom). समर्थक बनने पर धन्यवाद. मेरे बारे में. View my complete profile. लेखानुसार संचालन. Rahi masoom raza ka kaymat upnayas. Rahi masoom raza ka naya upnayas 2013. वाड्मय की अन्य कड़िया. वाडमय पत्रिका. आपने लिखा.धन्यवाद. कहां-कहां देखा जा रहा है-. उपन्यास साहित्य. कविता/शायरी/ग़ज़ल. Awesome Inc. template. Powered by Blogger.
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HINDI VANGMAY ALIGARH हिन्दी वाडमय: 09_05
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आप सभी का स्वागत है. रचनाएं भेजें और पढ़ें. उन तमाम गुरूओं को समर्पित जिन्होंने मुझे ज्ञान दिया. रेडियो सबरंग. हिन्दी साहित्यिक पत्रिका. राही मासूम रज़ा साहित्य. रूद्र-संदेश. Saturday, May 9, 2009. संत्रस्त. महेंद्र भटनागर. दृष्टि-दोषों से सतत संत्रास्त. अर्थ-संगति हीन,. अद्भुत,. सैकड़ों पूर्वाग्रहों से ग्रस्त. सन्देह के गहरे तिमिर से घिर. परस्पर देखते हैं. अजनबी से! विषैले वायुमण्डल में. घुटन के बोझ से. निष्कल तड़पते जब —. घहर उठता तभी. अति निम्नगामी. मनुजोचित सभी. Friday, May 8, 2009. दर्द यदि. अस्...
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आप सभी का स्वागत है. रचनाएं भेजें और पढ़ें. उन तमाम गुरूओं को समर्पित जिन्होंने मुझे ज्ञान दिया. रेडियो सबरंग. हिन्दी साहित्यिक पत्रिका. राही मासूम रज़ा साहित्य. रूद्र-संदेश. Wednesday, April 8, 2009. प्रतिकार्य. महेंद्र भटनागर. रे हृदय. उत्तर दो. जगत के तीव्र दंशन का. राग-रंजित,. सोम सुरभित साँस से! स्वीकार्य. जीवन-पंथ पर. दर्द हर उपेक्षा का. शांत उज्ज्वल हास से! घन तिमिर के. द्वार पर. स्वर्ण किरणों की. असंशय आस से! वज्रघाती देव. प्राण के संगीत से,. प्रेमोद्गार से. अभिरत रास से! रे हृदय! हर पल विरल.
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HINDI VANGMAY ALIGARH हिन्दी वाडमय: 09_01
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं: इन्तजाम
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रचना गौड़ ’भारती’ की रचनाएं. अन्तर्जाल पर साहित्य प्रेमियों के लिए. बुधवार, 20 अगस्त 2008. हर पल तेरी याद का संजो कर रखा है. सूखा फूल गुलाब का किताब में रखा है. निराधार ज़माने में कुछ आधार रखा है. पत्थरों भरी ज़मीं में कोइ भगवान रखा है. महफिलों में जामों का आतिशांदाज रखा है. पीने वालों ने जिसका गंगाजल नाम रखा है. सुरमई शामों में तेरी यादों का हिस्सा रखा है. मुलाकात के वास्ते कोना कोई खाली रखा है. अगले जन्म में मिलन का इन्तजाम रखा है. विधा: ग़ज़ल. 2 टिप्पणियाँ:. डा. फीरोज़ अहमद. ने कहा…. नई पोस्ट.
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