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ज्ञानवाणी. दिल दिमाग की रस्साकशी. मंगलवार, 16 जून 2015. छोटू घडी नहीं उतारता. समय को मुठ्ठी में रखना चाहता है! छोटू (धर्मेन्द्र) का साथी बताता है कि ये उसके साथ काम नहीं करता . वहाँ भारी समान उठाते रहना पड़ता है इसलिये हम अपने साथ रख लिये. प्रतिदिन 1100 में से 700 स्वयं रखता है और 400 छोटू को. दोनों एक ही गाँव के हैं. अब तक कितने कमा लिये! उसके साथ काम कर रहा कारीगर बताता है 4000 रूपये. क्या करेगा इन पैसों का? टूशन रखूँगा. मगर जयपुर जैसी नहीं मिलेगी न! हम नहीं पढे हैं! पेट की आग से. मणिपुर म&...कश्...

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ज्ञानवाणी. दिल दिमाग की रस्साकशी. मंगलवार, 16 जून 2015. छोटू घडी नहीं उतारता. समय को मुठ्ठी में रखना चाहता है! छोटू (धर्मेन्द्र) का साथी बताता है कि ये उसके साथ काम नहीं करता . वहाँ भारी समान उठाते रहना पड़ता है इसलिये हम अपने साथ रख लिये. प्रतिदिन 1100 में से 700 स्वयं रखता है और 400 छोटू को. दोनों एक ही गाँव के हैं. अब तक कितने कमा लिये! उसके साथ काम कर रहा कारीगर बताता है 4000 रूपये. क्या करेगा इन पैसों का? टूशन रखूँगा. मगर जयपुर जैसी नहीं मिलेगी न! हम नहीं पढे हैं! पेट की आग से. मणिपुर म&...कश्...
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ज्ञानवाणी | vanigyan.blogspot.com Reviews

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ज्ञानवाणी. दिल दिमाग की रस्साकशी. मंगलवार, 16 जून 2015. छोटू घडी नहीं उतारता. समय को मुठ्ठी में रखना चाहता है! छोटू (धर्मेन्द्र) का साथी बताता है कि ये उसके साथ काम नहीं करता . वहाँ भारी समान उठाते रहना पड़ता है इसलिये हम अपने साथ रख लिये. प्रतिदिन 1100 में से 700 स्वयं रखता है और 400 छोटू को. दोनों एक ही गाँव के हैं. अब तक कितने कमा लिये! उसके साथ काम कर रहा कारीगर बताता है 4000 रूपये. क्या करेगा इन पैसों का? टूशन रखूँगा. मगर जयपुर जैसी नहीं मिलेगी न! हम नहीं पढे हैं! पेट की आग से. मणिपुर म&...कश्...

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ज्ञानवाणी: 2014-10-26

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ज्ञानवाणी. दिल दिमाग की रस्साकशी. गुरुवार, 30 अक्तूबर 2014. आख़िर लाचार कौन था ? सियां. टाबरों. पुराना. मगर जब अगले ही दिन बच्चों को बिना चप्पल देख वृंदा इस बाबत कोई प्रश्न करती तो जवाब मिलता . सियां. लूंगी. वह सोचने लगी आखिरकार भूख और लाचारी ही तो उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करती है।. कुछ अनमने मन से लॉन में बिखरी हुए सूखे पत्तों की ओर इशारा करते हुए उसने कहा. मिलेगा. करेगी।. इतने में तो उसका बडबडाना शुरू हो गया . टियों. जावेगी. प्रस्तुतकर्ता. वाणी गीत. लेबल: गरीबी. भिखारी. लाचारी. नई पोस्ट. An Indian ...

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ज्ञानवाणी: 2014-09-07

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ज्ञानवाणी. दिल दिमाग की रस्साकशी. बुधवार, 10 सितंबर 2014. परम्पराएँ मूढ़मगज की उपज हरगिज नहीं थी , न हैं! विचार प्रवाह में शामिल होते हुए इन परम्पराओं पर चिंतन किया तो आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता की सीमा न रही। यह विश्वास पुष्ट होता गया कि हमारी. परम्पराएँ. मूढ़मगज की उपज हरगिज नहीं थी , न हैं ।. मिलाप और मानसिक उन्नति का. मनोवैज्ञानिक हल भी है।. में भी भिन्न नामों से ये. परम्पराएँ. और भी जाने कितने पर्व , संस्कार और रस्में और उनके ...पंडितों. परम्पराएँ. यदि आप विभिन्न संस्...वाणी गीत. नई पोस्ट. यहा&#23...

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ज्ञानवाणी: 2014-04-13

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ज्ञानवाणी. दिल दिमाग की रस्साकशी. शनिवार, 19 अप्रैल 2014. रोशनी है कि धुआँ. (7). एक सप्ताह बात पुनः लौटी ससुराल तो सास ,ससुर दोनों ही चहक उठे . मुझे अकेले घर में डर लगता है . अकेले कहाँ थी तुम , तुम्हारे ससुर थे न घर में . और अपने घर में किससे डर लगता है! तुम्हे अपने मायके में डर नहीं लगता था कभी! क्या बात है सौरभ , इतना क्यों चीख रहे हो , क्या हुआ . कुछ नहीं माँ , ये अपने मायके रहना चाहती है या मेरे साथ . क्रमशः . अपने भय से मुक्ति पाने के ...चित्र गूगल से साभार . वाणी गीत. लेबल: अलगाव. सात स&#236...

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ज्ञानवाणी: 2014-04-27

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ज्ञानवाणी. दिल दिमाग की रस्साकशी. शुक्रवार, 2 मई 2014. ब्लॉगिंग के पांच वर्ष पूर्ण होने की बधाई तो देंगे न . आज फेसबुक पर शिखा. इस चिंतन मनन का कारण है कि आज ब्लॉगिंग की शुरुआत को पांच वर्ष पूर्ण हुए . दे दीजिये बधाई और शुभकामनाये भी आगे के अनगिनत वर्षों के लिए . प्रस्तुतकर्ता. वाणी गीत. 34 टिप्‍पणियां:. लेबल: आभार. पांच वर्ष. ब्लॉगर्स. हिंदी ब्लॉगिंग. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). मैं यहाँ भी . गीत मेरे. मेरी ब्लॉग सूची. ललितडॉटकॉम. आशीष शुभ-आशीष. Lamhon Ke Jharokhe Se.

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ज्ञानवाणी: 2014-06-22

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ज्ञानवाणी. दिल दिमाग की रस्साकशी. शुक्रवार, 27 जून 2014. द्विरागमन . (1). We All are Dogs! कह दिया मैंने और उसकी प्रतिक्रिया को परखता रहा। पिछले जितने समय से उसे जानता था उसे लगा था कि वह बुरी तरह चिढ़ेगी , चीखेगी और कहेगी कि इसमें क्या शक है! मगर नहीं! एक सेकण्ड के लिए उसके चेहरे का रंग बदला और फिर से वही स्निग्ध मुस्कराहट लौट आई थी।. अचानक हंसी आ गयी मुझे।. पता नहीं! तुम जिंदगी से खुश हो! पता नहीं! तुम नाराज हो! पता नहीं! मैं चिढ़ता हूँ खुद पर उस पर- गुस&#2...कौन थी वह! किसी से बा...मौका म&#2...मै&...

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रावण जलाया तो मृत्यु निश्चित शिव नगरी में बैजनाथ में,,शिव नगरी बैजनाथ में लोगों की मान्यता पुतला जलाना तो दूर सोचना भी महापाप | भृगु ज्योतिष अनुसन्धान केन्द्र

https://bhrigujyotish.wordpress.com/2009/09/28/रावण-जलाया-तो-मृत्यु-निश्

भ ग ज य त ष अन सन ध न क न द र. भ ग ज य त ष अन सन ध न क न द र. र वण जल य त म त य न श च त श व नगर म ब जन थ म , श व नगर ब जन थ म ल ग क म न यत प तल जल न त द र स चन भ मह प प. स तम बर 28, 2009. Posted by bhrigujyotish in 1. र वण जल य त म त य न श च त श व नगर म ब जन थ म , श व नगर ब जन थ म ल ग क म न यत प तल जल न त द र स चन भ मह प प. ट प पण य ». अक ट बर 6, 2011. र चक और नव न ज नक र! एक उत तर द जव ब रद द कर. Enter your comment here. Fill in your details below or click an icon to log in:. ईम ल (आवश यक). न म (आवश यक).

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शख्स - मेरी कलम से: June 2011

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शख्स - मेरी कलम से. गुरुवार, 30 जून 2011. बरगद सी विशालता (अशोक आंद्रे ). अशोक आंद्रे . कथासृजन ब्लॉग http:/ wwwkathasrijan. पर जिस दिन मैं गई , मैंने पढ़ा -. आँख बन्द होते ही. एहसासों की पगडण्डी पर. शब्दों का हुजूम. थाह लेता हुआ बन्द कोठरी के. सीलन भरे वातावरण में. अर्थ को छूने के प्रयास में. विश्वास की परतों को. तह - दर -तह लगाता है. जहाँ उन परतों को छूने में , हर बार. पोर - पोर दुखने लगता है ।. कर रख न पाया . धीरे-धीरे मैं लेखन से जुड़त&#2366...पाण्डेय जी, स्वर्ग&#2...लेकिन पहली ब&#2...कवित&#236...

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एक अरज | बाँसुरी

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जब ज स चल प रव य. अप र ल 5, 2013. म र सपन म ह सल क र ग. बस इतन करम कर म र भगव न. न आसम न स वफ़ म ह कम. और न ज़म न क जफ़ द कदम. क प र इट 2013 @स मक र त य. Posted in: म र रचन ए. अप र ल 5, 2013 क 6:55 प र व ह न. बड अच छ ह अरज! अप र ल 5, 2013 क 6:56 प र व ह न. बड अच छ ह अरज! अप र ल 5, 2013 क 11:21 प र व ह न. Word Hug🙂 I love You xo and wanna start a page for raising awareness on Facebook – Autism – you know where to find me😉 …….Love to You and B xxx🙂 xx. अप र ल 5, 2013 क 12:23 अपर ह न. स तम बर 17, 2013 क 7:4...

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इन असुयन की पीर | बाँसुरी

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जब ज स चल प रव य. इन अस यन क प र. फ़रवर 8, 2012. कब क स ग छ ड़ गय. आस और म ह. आज भ ह त ह दर द. आज भ हस ख लत ह ह ट पर. आज भ आत ह सपन. इतन दह ज द य त ब प. द द त थ ड अक षर द न. ह ल न द त प व पर खड़. फ र करत ड ल पर सव र. आज इस धड कन क च ख. म झ म टकर त रहत ह. लड़क बन जन म. वह क य कम थ अपर ध. अब त व धव. और त ह ह एक श र प. Posted in: म र रचन ए. Tagged: आव ह न. म र रचन य. फ़रवर 8, 2012 क 11:08 प र व ह न. औरत क व यथ क सट क वर णन ,Very touching poem. फ़रवर 8, 2012 क 3:45 अपर ह न. फ़रवर 9, 2012 क 5:16 प र व ह न. Thanks Sc...

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Soma Mukherjee | बाँसुरी

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जब ज स चल प रव य. Author Archive: Soma Mukherjee. अप र ल 5, 2013. 14 ट प पण य. म र सपन म ह सल क र ग. बस इतन करम कर म र भगव न. न आसम न स वफ़ म ह कम. और न ज़म न क जफ़ द कदम. क प र इट 2013 @स मक र त य. Posted in: म र रचन ए. स हब क जय ह. अक ट बर 8, 2012. 13 ट प पण य. यह रचन उन सभ स हब ल ग क समर प त ह ज इस द न य म भगव न द व र ड ईर क ट भ ज गए ह …. इन ह जन म ल न क ल ए क स त च छ म नव क सह र नह ल न पड. ऐस न त /अफसर/पड त क म र स ष ट ग प रण म. आप क य प ज करत ह सरक र. आप त ख द ह द वत ह. भगव न स ज य द ज त प त पर मन लग न.

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सुबह की चुस्की | बाँसुरी

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जब ज स चल प रव य. मई 28, 2012. आज स बह जब. अपन प ख ड. त भ उठ कर द ख. स बह म आज. क स हव नए र ग ल ए. मस त मगन ह ड ल रह. क स कल नए प श ख पहन. ख लन क ह रह आत र. ब ध ह नए ब धनव र. क स र त क ब दल स रज क त ज. स नह रह ह आज. अम म आव ज द द कर थक गय. र त तक कर उसक द खभ ल. ब दर स कह. क द क द कर रख न द क त य र. क जब थक ज ए यह शर र. त आन म न कर आज द र. तब तक इस नए स बह क च स क य स. मन क कर तर त ज़. और नए र स त स. आज कर पहच न. कर स बह क आव ह न. Posted in: म र रचन ए. Tagged: ह द कव त य. मई 28, 2012 क 6:06 प र व ह न.

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साहब की जय हो | बाँसुरी

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जब ज स चल प रव य. स हब क जय ह. अक ट बर 8, 2012. यह रचन उन सभ स हब ल ग क समर प त ह ज इस द न य म भगव न द व र ड ईर क ट भ ज गए ह …. इन ह जन म ल न क ल ए क स त च छ म नव क सह र नह ल न पड. ऐस न त /अफसर/पड त क म र स ष ट ग प रण म. आप क य प ज करत ह सरक र. आप त ख द ह द वत ह. भगव न स ज य द ज त प त पर मन लग न. म त र कम ग ल य क ज य द ज प करन. इसक धर म-उसक कर म, मन म इतन कड़व हट. आप क य कष ट करत ह सरक र. आप त ख द ह द वत ह. ब त ब त पर ल ग क झ ड कन. र त द न सबपर पर ह क म चल न. आप द न य क नह , द न य आपक ह स स ह. यशवन त म थ र.

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बातें अपने दिल की : June 2015

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Monday, June 29, 2015. एक साँप के प्रति. बात बस इतनी सी थी. कि उसने अपनी टाँगे मेरे टाँगों पर रख दी थी. और सोचा था. कि जैसे नदी ने अपने में आकाश भर रखा है. जैसे एक ऑक्टोपस ने एक मछली का सर्वांग दबा रखा है. वैसे एक सांप और सेब के गिरफ्त में सारी पृथ्वी है. मैंने कई बार चाहा है कि मुझे एक पवित्र सांप मिले. एक पवित्र सांप. जो चुपके से आये और कुछ पावन कर जाए. पावन, अति-पावन. लेकिन सदियों से. मुझे, या भाई अमीरचंद फोतेदार. को वो सांप नहीं मिलता है. मिलता है. एक तक्षक सांप. काला सांप और. अपना अपना अ...परखन&#236...

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