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एक स्वप्निल एहसास.....: May 2011
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एक स्वप्निल एहसास. Thursday, May 26, 2011. प्यार में ज़िन्दगी बिताइए. इधर से जो गुजर गयी, उसी पे हम मचल गए,. जो कुछ न हो सका तो फिर करीब से निकल गए. कुछ पल का दुःख फिर मस्त हो हम चल लिए,. नए चेहरों की तलाश में फिर हम बढ़ लिए. सभी हसीन सभी जवान किसी पे दिल को हारिए,. जब किसी पे दिल आ जाये तो उसके लिए फाईट मारिये. दिले-ज़ज्बात इज़हार करने में कभी ना हिचकिचाईये,. इन्कार का डर निकाल कर प्रेम पथ पर बढ़ते जाइए. अगर सफल ना हुए तो तनिक भी ना घबराईये,. Labels: मेरी कविताएँ (My Poems). हास्य रस. अक्षर तí...
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एक स्वप्निल एहसास.....: April 2012
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एक स्वप्निल एहसास. Tuesday, April 3, 2012. तुम क्या ही लिखोगे! सोचा कि कुछ लिखूं,. इन बीतें पलों को कुछ शब्दों में बयाँ करूँ,. इन नए अनुभवों को शब्दों का एक रूप दे दूं ,. इन गलियों, इन चौराहों.को कुछ शब्द समर्पित कर दूं. तभी कहीं भीतर से एक आवाज़ आती है,. यहाँ तो एक ज़िन्दगी सी बीत गयी,. और तुम कुछ पलों की बात करते हो. यहाँ तुम्हारी शख्सियत ही बदल गयी,. ये गलियाँ, ये चौराहे. जहाँ एक अलग सी ज़िन्दगी ही. जहाँ हर रोज नए विचार जन्म लेते हैं,. मेरी कविताएँ (My Poems). Subscribe to: Posts (Atom).
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एक स्वप्निल एहसास.....: September 2010
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एक स्वप्निल एहसास. Monday, September 6, 2010. मैं बताता हूँ.मोहब्बत कितनी हसीन होती है? लोग मोहब्बत में खुदा देख लेते हैं ,. जीने मरने की कसमें बाँध लेते हैं,. हर पल हसीन हो जाता है. किसी की नींद तो किसी का चैन खो जाता है. कुछ के लिए ये जीवन का हसीन पल होता है ,. तो किसी के लिए शायराना खयाल होता है,. किसी को जन्नत की सीढियां दिख जाती हैं,. तो किसी को ख़ुशी का आशियाँ मिल जाता है. मैंने भी यही उम्मीद की थी,. इश्क करने की एक भूल की थी. इस मोहब्बत में,. लेकिन ना जाने. Thursday, September 2, 2010. इसे आ...
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एक स्वप्निल एहसास.....: November 2010
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एक स्वप्निल एहसास. Saturday, November 27, 2010. ऐ नियति. ऐ नियति ,. तुने कितने सपने दिखाए थे,. मन में ना जाने कितने ही अरमान जगाये थे. तेरे सहारे,. एक स्वर्णिम भविष्य की कल्पना की थी,. चिलचिलाती धूप में छाँव की तमन्ना की थी. तेरे भरोसे,. सपनों की एक दुनिया बनायी थी,. इच्छाओं आशाओं की इक पुटली सजायी थी. सोचा था,. अपने इस वीरान जीवन को सतरंगी कर दूंगा,. इन दुःख और निराशा के बादलों को भेद दूंगा. पर ना,. तुझसे मेरी ख़ुशी देखी ना गयी,. तुने मेरे हर सपने तोड़े,. पर याद रख,. Monday, November 22, 2010. आइये...
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एक स्वप्निल एहसास.....: August 2010
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एक स्वप्निल एहसास. Monday, August 16, 2010. प्रजातंत्र चल रहा है, चलता रहेगा. हम चल रहे हैं, चलते रहेंगे. देश का विकास भी हो ही रहा है,. और उम्मीद है, यह होते भी रहेगा. किन्तु प्रश्न यह है कि,. कब तक, आखिर कब तक. सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा? कब तक, यह काम चलाने की प्रवृत्ति चलती रहेगी,. कब तक, यह जुगाड़ भिड़ाने की प्रवृत्ति चलती रहेगी,. कब तक आकाओं की जी-हुजूरी हमसे होती रहेगी,. कब तक, आखिर कब तक, हमारी चुप्पी ऐसे ही बनी रहेगी. कब तक और आखिर कब तक . मेरे विचार. Subscribe to: Posts (Atom). Few words to you.
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एक स्वप्निल एहसास.....: November 2014
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एक स्वप्निल एहसास. Saturday, November 29, 2014. सपनों के सौदागर. मुझे आगे बढ़ना है,. केवल गेहूं ही नहीं, गुलाब की महक भी महसूस करनी है ।. मुझे केवल वर्तमान में ही नहीं, भविष्य में भी जीना है ;. या वर्तमान ही को भविष्य जैसा बनाना है ।. हाँ. ये एक सपना तो है,. थोड़ा कठिन भी है इसे पूरा करना ;. लेकिन सपने कठिन तो होते ही हैं ।. और फिर, कई सौदागर भी तो हैं. जो सपने बेचने और खरीदने के काम में पारंगत है ;. बस तुम मेरा बांया हाथ पकड़ लो,. उसने दूकान पे बुलाया था,. सौदागर तो कई हैं,. Subscribe to: Posts (Atom).
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एक स्वप्निल एहसास.....: March 2016
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एक स्वप्निल एहसास. Saturday, March 12, 2016. सच्चा मानव! बचपन की सीखें. पढ़ी हुई चंद पंक्तियाँ, आप भुला नहीं पाते हो. ऐसा ही कुछ था,. मैंने पढ़ा था - मानव का जीवन विनिमय की ऐसी तुला है जिसमे कोई पासंग नहीं है! लगता है. मैंने ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया. जिंदगी भर इसे संतुलित करने का प्रयास करता रहा. सोचा कम से कम सच्चा मानव तो बन पाउँगा! शायद यहीं गलती हो गयी, असली मानव तो वो है,. जो तुला को किसी एक तरफ झुका सके,. Subscribe to: Posts (Atom). Pune, Maharashtra , India. View my complete profile.
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एक स्वप्निल एहसास.....: July 2011
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एक स्वप्निल एहसास. Tuesday, July 26, 2011. ऐ-हुक्म के आकाओं. ऐ-हुक्म के आकाओं, मेरी इक बात तुम सुन लो ;. इक आग उठने वाली है, हो सके तो बच लो. ये सिर-फिरी मनमानियां, चल ना पाएंगी इस क़दर ;. हमारे सब्र को न तोड़ो, तुम अब गिरोगे जमीन पर. इन आँधियों ने कितनों के, मिटा दिए हैं नामों-निशां,. अभी भी वक़्त है सम्हल लो, न तबाह करो ये गुलिस्तां. इक नसीहत है तुम्हें, इतिहास के पन्नों को पलट लो ;. Labels: मेरी कविताएँ (My Poems). Sunday, July 17, 2011. मैं चाहता हूँ. Labels: मेरे विचार. Subscribe to: Posts (Atom).
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एक स्वप्निल एहसास.....: April 2011
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एक स्वप्निल एहसास. Saturday, April 23, 2011. दुःख नहीं कि हमें मन चाहे दृश्य ना मिले. आज सोचता हूँ तो,. मझधार में फंसी कश्ती की तरह,. कभी किनारा ना मिला. हाथ में फंसे रेत की तरह,. सहारा ना मिला. समय को पकड़ने की,. ना जाने, कितनी ही कोशिशें कर डाली. स्तिथियों को बदलने की,. ना जाने, कितनी ही मिन्नतें कर डाली. फिर भी,. दुःख नहीं कि, हर कदम गलत ही दिखे,. दुःख इस बात का है कि,. हमने देखने कि कोशिशें कर डालीं. दुःख इस बात का है कि,. Labels: मेरी कविताएँ (My Poems). Subscribe to: Posts (Atom). Few words to you.
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एक स्वप्निल एहसास.....: May 2010
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एक स्वप्निल एहसास. Sunday, May 30, 2010. कविताओं में भी एक दुनिया होती है. कविताओं में भी एक दुनिया होती है. कविता कभी कवि की कल्पना होती है,. तो कभी यह विचारों का प्रवाह होती है. कभी यह लोगों को व्यंग्य से हंसाती है,. तो कभी लोगों को वास्तविकता से रुलाती है. कभी यह पुष्प की अभिलाषा. होती है,. और समाज में चेतना फैलाती है ;. तो कभी चक्रधर की गलियां. होती हैं,. और इस समाज पर कटाक्ष कर जाती हैं. और ये उनका पुनः एहसास कराती हैं. के माध्यम से,. ये सब कुछ कह जाती हैं. मेरे विचार. Saturday, May 29, 2010. तì...