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tarz.e.byaaN: December 2011
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Saturday, December 31, 2011. नई दस्तक, नए आसार ओ साथी. सँवर जाने को हैं तैयार ओ साथी. नया साल आए, तो ऐसा ही अब आए. मने, हर दिल में ही त्यौहार ओ साथी. सभी साथियों को. नव वर्ष - २०१२ के लिए. ढेरों शुभकामनाएँ. दुआ है, कि आने वाला ये साल. आप सब के लिए. नई उम्मीदें. नए रास्ते. नई मंज़िलें. नई सफलताएँ लेकर आए. आप सब खुश रहें ,. खुशहाल रहें. औरअपनी साहित्यिक रुचियों के साथ. यूं ही बने रहें, जुड़े रहें. डी के सचदेवा). Wednesday, December 14, 2011. बस, इतना तो है ही. यूं ही कहीं. बुन-सा जाए. रचने लगे. ग़ज&#...
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tarz.e.byaaN: June 2011
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Sunday, June 19, 2011. प्रकृति. खिलखिलाती. ज़िन्दगी. खिलखिलाती. परिंदे. पैग़ाम. चिड़िया. रोज़ सुबह. भोर के उजले पहर में. सूरज की मासूम किरणों सँग. मेरे घर की तन्हा मुंडेर पर. वक्त की पाबंदी. फ़र्ज़ की बंदिशों से बेख़बर. इक नन्ही-सी चिड़िया. यहाँ-वहाँ बिखरा. दाना-दुनका चुगती. उडती ,. फुदकती ,. चहचहाती है. शुक्र अल्लाह! आज ऐसी भीड़ में भी. ज़िन्दगी. हँसती ,. खेलती ,. मुस्कराती है . Subscribe to: Posts (Atom). शब्दकोश (Dictionary). शेफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی. ग़ज़लगंगा.dg. आज की ग़ज़ल. हरकीरत ' हीर'.
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tarz.e.byaaN: September 2011
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Sunday, September 4, 2011. खामोशी की तो कोई मुद्दत नही होती.जब आती है. तो घने कोहरे की तरह ज़हनो-दिल को ढके रहती है. कुछ पल, कुछ लम्हें, कुछ रोज़. कभी, दिल में उठी ख्वाहिशों को दिमाग, हकीक़त का आइना दिखा कर चुप करवा देता है,. तो कभी दिमाग की ज़िद के आगे दिल की बेबसी साफ़ नज़र आती है. ऐसे में खामोश रहना जरुरत भी बन जाता है, और मजबूरी भी. हर क़दम पर बिछी है. ख़ामोशी. रूह तक जा बसी है. ख़ामोशी. ज़िन्दगी की तवील राहों में. फ़र्ज़ की बेबसी है. ख़ामोशी. औ` मुझे ढूँढती है. ख़ामोशी. होती है. भली है. Hum hai maha...
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tarz.e.byaaN: March 2012
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Thursday, March 8, 2012. कुछ रास्ते, तो मानो बंद गलियों की तरह. रुक-से जाते हैं . ढूँढना, बस ढूँढना ही. चारा रह जाता है , , कभी कभी . एक ग़ज़ल हाज़िर करता हूँ . जो तेरे साथ-साथ चलती है. वो हवा, रुख़ बदल भी सकती है. क्या ख़बर, ये पहेली हस्ती की. कब उलझती है, कब सुलझती है. वक़्त, औ` उसकी तेज़-रफ़्तारी. रेत मुट्ठी से ज्यों फिसलती है. मुस्कुराता है घर का हर कोना. धूप आँगन में जब उतरती है. ज़िन्दगी में है बस यही ख़ूबी. ज़िन्दगी-भर ही साथ चलती है. मेरी इन सबसे खूब जमती है. Subscribe to: Posts (Atom).
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tarz.e.byaaN: February 2012
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Sunday, February 12, 2012. वक़्त और हालात की अपनी अलग चाहतें हैं. मन का बहलना या बुझ जाना,. इन्हीं. चाहतों के वश में ही रहता है. किसी तरह के भी ख़ालीपन को भरते रहने की कोशिश. करते रहना. भी है और ज़रूरी भी . ख़ैर , एक ग़ज़ल के चंद शेर हाज़िर हैं. शौक़ दिल के पुराने हुए. हम भी गुज़रे ज़माने हुए. बात, आई-गई हो गई. ख़त्म सारे फ़साने हुए. आपसी वो कसक अब कहाँ. बस बहाने , बहाने हुए. दूरियाँ और मजबूरियाँ. उम्र-भर के ख़ज़ाने हुए. आँख ज्यों डबडबाई मेरी. दोस्त सारे सयाने हुए. Subscribe to: Posts (Atom).
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tarz.e.byaaN: January 2011
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Wednesday, January 12, 2011. ख़ामोशी. ख़ामोशी. मुनासिब. मुनासिब. स्वामी. विवेकानंद. सांझा. विश्वास. माना,. कुछ' खो. माना,. बुरा है. अज्ञानतावश. ज़यादा. जीवन में,. विश्वास. आप सब को लोहरी के त्योहार. और मकर संक्राति की शुभकामनाएं. Subscribe to: Posts (Atom). शब्दकोश (Dictionary). शेफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی. पाल ले इक रोग नादां. कविता की कॉन्सपिरेसी थ्योरी. ग़ज़लगंगा.dg. चुप लगा जाना अलग है, बेजु़बानी और है. अब कोई भी क्यों सकुचाए. आज की ग़ज़ल. रेडियो वाणी. Links for 2016-08-23 [del.icio.us].
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tarz.e.byaaN: December 2014
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Wednesday, December 3, 2014. यादें. कुछ यादें,. जब साथ रहती हैं. तो दे जाती हैं ज़िंदगी को. इक अनचाहा-सा ख़याल . और कुछ यादें,. जब साथ रहती हैं. तो भर देती हैं ज़िंदगी में. सलीक़ा,. हिम्मत,. इक मनचाहा-सा अहसास . ज़िंदा बना रहता है इन्सान. यादों के साथ बँधे रहने से ! Subscribe to: Posts (Atom). शब्दकोश (Dictionary). शेफ़ा कजगाँवी - شفا کجگاونوی. पाल ले इक रोग नादां. कविता की कॉन्सपिरेसी थ्योरी. ग़ज़लगंगा.dg. चुप लगा जाना अलग है, बेजु़बानी और है. अब कोई भी क्यों सकुचाए. आज की ग़ज़ल. हरकीरत ' हीर'.
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tarz.e.byaaN: October 2011
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Wednesday, October 5, 2011. पिछले माह राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किये गये. हिंदी-दिवस समारोह के सिलसिले में. श्रीनाथद्वारा , उदयपुर (राजस्थान) जाने का अवसर प्राप्त हुआ. देश के विभिन्न प्रान्तों से साहित्यकारों, समआलोचकों, ग़ज़लकारों ,. पत्रकारों इत्यादि ने अपने अनुपम और उपयोगी विचारों से. सभी साहित्य प्रेमियों के ज्ञान में अपार वृद्धि की. कुछ प्रमुख साहित्यकारों को पुरस्कृत अलंकृत भी किया गया . कुछ ऐसी ही दशा इस काव्य में . आख़िर . . . बता ही दिया गया उसे. कि यह सब ठीक नहीं. सो ,. Subscribe to: Posts (Atom).
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tarz.e.byaaN: November 2011
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Tuesday, November 29, 2011. पल-पल , छिन-छिन सरकते सरकते जाने कब. बड़े लम्हों में तब्दील हो जाते हैं . अहसास तब होता है. जब यूँ लगने लगता है कि वक़्त का एक बड़ा हिस्सा. आने वाले वक़्त के एक और हिस्से को सामने लाने के लिये. हमसे विदा ले चुका है . लीजिये एक ग़ज़ल हाज़िर करता हूँ ।. मुश्किलें. ख़ारदार. खिलेंगे. यादों. ग़ुरूर. क्यूँ. ज़िन्दगी. इख़्तियार. फ़र्क़. दोस्ती. ख़ुमार. हिफाज़तें. दाग़दार. सुकूँ. रहे-खारदार = कंटीली राह. हयात = ज़िन्दगी. सुकूँ = आनंद. Thursday, November 3, 2011. जो फ़ना. खोए रहि...
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tarz.e.byaaN: January 2015
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Monday, January 19, 2015. कोई सूरत निकालिये साहिब. ख़ुद को दुनिया में ढालिये साहिब. अस्ल चेहरा छिपा रहे जिसमें. इक नक़ाब ऐसा डालिये साहिब. वाह' कह कर निभाइए सबसे. यूँ न कमियाँ निकालिये साहिब. ख़्वाब कोई तो फल ही जाएगा. ख़्वाहिशें ख़ूब पालिए साहिब. मैकदे में भी आपसी झगड़े. छोड़िये, ख़ाक डालिये साहिब. ये ज़बां कौन अब समझता है. आँसुओं को सँभालिए साहिब. जो हक़ीक़त बयां न कर पाए. वो क़लम तोड़ डालिये साहिब. क्या उसूल और क़ाइदा कैसा. काम अपना निकालिये साहिब. बात हँस कर न टालिए साहिब. Subscribe to: Posts (Atom).
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