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|| आचार्यश्री ||: शुभ दीपावली
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आचार्यश्री. ज्ञान-विज्ञान के अखण्ड सूर्य! Thursday, October 15, 2009. शुभ दीपावली. उनके आगमन के इस शुभ अवसर पर संपूर्ण अयोध्या को घी के दीयों से सजाया गया! सभी अनुचरों को आचार्य श्री का स्नेहाशीष एवं दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं! Posted by विप्र. Subscribe to: Post Comments (Atom). आचार्यश्री. श्रद्धावान लभते् ज्ञानम्. अमृत वाणी. काल चक्र. एक महत्वपूर्ण सूचना. काव्य-रचना. काव्यांश. देवी स्तुति. प्रश्नावली. प्रेरक-प्रसंग. मंत्र-संग्रह. माँ देवी. लघु-कथाएँ. व्यक्तित्व परिचय. स्तुति. हृदय तरंग.
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|| आचार्यश्री ||: श्री दुर्गा स्तुति - वैदिक
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आचार्यश्री. ज्ञान-विज्ञान के अखण्ड सूर्य! Sunday, April 6, 2008. श्री दुर्गा स्तुति - वैदिक. Posted by विप्र. Labels: माँ देवी. Subscribe to: Post Comments (Atom). आचार्यश्री. श्रद्धावान लभते् ज्ञानम्. अमृत वाणी. काल चक्र. एक महत्वपूर्ण सूचना. काव्य-रचना. काव्यांश. देवी स्तुति. प्रश्नावली. प्रेरक-प्रसंग. मंत्र-संग्रह. माँ देवी. लघु-कथाएँ. व्यक्तित्व परिचय. श्रीमद्भागवत गीता. संत ऋषि मुनि. स्तुति. स्तोत्रम्. हृदय तरंग. मेरे प्रिय. विप्र: एक स्मृति.
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|| आचार्यश्री ||: देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्
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आचार्यश्री. ज्ञान-विज्ञान के अखण्ड सूर्य! Tuesday, April 22, 2008. देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्. न मन्त्रं नो यन्त्रं तदापि च न जाने स्तुतिमहो. न चाह्वानं ध्यानं तदापि च न जाने स्तुतिकथाः ।. न जाने मुद्रास्ते तदापि च न जाने विलपनं. परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥ १ ॥. विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया. विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् ।. तदेतत्क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे. परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः ।. न विज्ञानापेक्षा शशिमुख...मृडानी रुद्राण&...नाराधितास...किं र...श्य...
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|| आचार्यश्री ||: हनुमान चालीसा श्रवनामृत !
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आचार्यश्री. ज्ञान-विज्ञान के अखण्ड सूर्य! Tuesday, April 28, 2009. हनुमान चालीसा श्रवनामृत! हनुमान चालीसा. Posted by विप्र. Labels: हनुमान. Subscribe to: Post Comments (Atom). आचार्यश्री. श्रद्धावान लभते् ज्ञानम्. अमृत वाणी. काल चक्र. एक महत्वपूर्ण सूचना. काव्य-रचना. काव्यांश. देवी स्तुति. प्रश्नावली. प्रेरक-प्रसंग. मंत्र-संग्रह. माँ देवी. लघु-कथाएँ. व्यक्तित्व परिचय. श्रीमद्भागवत गीता. संत ऋषि मुनि. स्तुति. स्तोत्रम्. हृदय तरंग. मेरे प्रिय. विप्र: एक स्मृति.
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|| आचार्यश्री ||: पहले पन्ने का हमेसा ज़िक्र था वो आदमी!
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आचार्यश्री. ज्ञान-विज्ञान के अखण्ड सूर्य! Tuesday, April 29, 2008. पहले पन्ने का हमेसा ज़िक्र था वो आदमी! पहले पन्ने का हमेसा ज़िक्र था वो आदमी. आखरी अंजाम से बे-फिक्र था वो आदमी. न बहुत, थोड़ा मगर मगरूर था वो आदमी. इल्म के बाबद हुआ मजबूर था वो आदमी. उनकी आंखों का रौशन नूर था वो आदमी. सामने होकर भी कितना दूर था वो आदमी. कहने वाले कह गए, बेजोर था वो आदमी. खोखले चट्टान सा कमजोर था वो आदमी. आज शरहद पे खड़ा पछता रहा है, देख लो. Posted by विप्र. Labels: शायरी. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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|| आचार्यश्री ||: श्री दुर्गा स्तुति
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आचार्यश्री. ज्ञान-विज्ञान के अखण्ड सूर्य! Sunday, April 6, 2008. श्री दुर्गा स्तुति. Posted by विप्र. Labels: माँ देवी. Subscribe to: Post Comments (Atom). आचार्यश्री. श्रद्धावान लभते् ज्ञानम्. अमृत वाणी. काल चक्र. एक महत्वपूर्ण सूचना. काव्य-रचना. काव्यांश. देवी स्तुति. प्रश्नावली. प्रेरक-प्रसंग. मंत्र-संग्रह. माँ देवी. लघु-कथाएँ. व्यक्तित्व परिचय. श्रीमद्भागवत गीता. संत ऋषि मुनि. स्तुति. स्तोत्रम्. हृदय तरंग. मेरे प्रिय. विप्र: एक स्मृति.
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|| आचार्यश्री ||: देवी स्तुति
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आचार्यश्री. ज्ञान-विज्ञान के अखण्ड सूर्य! Thursday, April 22, 2010. देवी स्तुति. भयहारिणी, भवतारिणी, भवभामिनि जय जय। (जगजननी जय! तू ही सत्-चित्-सुखमय, शुद्ध ब्रह्मरूपा।. सत्य सनातन, सुन्दर, पर-शिव सुर-भूपा॥१॥ (जगजननी जय! आदि अनादि, अनामय, अविचल, अविनाशी।. अमल, अनन्त, अगोचर, अज आनन्दराशी॥२॥ (जगजननी जय! अविकारी, अघहारी, अकल कलाधारी।. कर्ता विधि, भर्ता हरि, हर संहारकारी॥३॥ (जगजननी जय! तू विधिवधू, रमा, तू उमा महामाया।. भेद प्रदर्शिनि वाणी विमले! वेदत्रयी॥११॥ (जगजननी जय! ॐ देवी शरणम. भवतः ब्लì...The uniqu...