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संदेशा: समीर लाल का जीवन भी किसी उपन्यास से कम नहीं: ’ देख लूँ तो चलूँ ’: विवेक रंजन श्री
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संदेशा. संजय के संदेश. Saturday, February 12, 2011. समीर लाल का जीवन भी किसी उपन्यास से कम नहीं: ’ देख लूँ तो चलूँ ’: विवेक रंजन श्रीवास्तव. 8217; देख लूँ तो चलूँ. समीर लाल. मूल्य :. प्रकाशक: शिवना प्रकाशन, पी. सी. लैब, सम्राट काम्पलेक्स बेसमेंट, बस स्टेंड, सीहोर (म.प्र.) ४६६००१. समीक्षक: विवेक रंजन श्रीवास्तव. ओबी. 11, विद्युत मंडल कालोनी, जबलपुर. उपन्यासिका टाइप का संस्मरण है। समीर लाल. हिन्दी ब्लाग जगत. विवेक रंजन श्रीवास्तव. संजय तिवारी. Labels: देख लूँ तो चलूँ. समीक्षा. February 12, 2011 at 8:25 AM.
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संदेशा: May 2009
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संदेशा. संजय के संदेश. Friday, May 29, 2009. आइये आपको दिखाये कुछ नया. आइये आपको दिखाये कुछ नया ये वीडियो मुझे मेरे दोस्त ने भेजा है मै आप सब को कुछ दिखाना चाहता हू शायद आपको पसंद आये तो अपनी राय से अवगत कराये. संजय तिवारी. Monday, May 18, 2009. अहसास की रचनाऐं: बिखरे मोती: समीर लाल- समीक्षा: विवेक रंजन श्रीवास्तव ’विनम्र’. पुस्तक समीक्षा. बिखरे मोती. समीर लाल ’समीर’. २०० रुपये, १५ US $, पृष्ठ १०४. शिवना प्रकाशन. सिहोर (म.प्र.). कवि: समीर लाल ’समीर’. समीर लाल. या फिर. या फिर. या फिर. भेद करते...धर्...
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........बिजली चोरी के विरूद्ध ....Blog by ER.Vivek Ranjan Shrivastava: मई 2008
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बिजली चोरी के विरूद्ध .Blog by ER.Vivek Ranjan Shrivastava. Power is key for development, let us save power,. प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध". विवेक के व्यंग. मेरी कवितायें. संस्कृत का मजा हिन्दी में. 09 मई, 2008. एक कविता मेरी भी बिजली पर. विवेक रंजन श्रीवास्तव. C-6 , M.P.S.E.B. Colony Rampur ,. Jabalpur (M.P.) 482008. ई मेल vivekranjan.vinamra@gmailcom. निराकार पर सर्व व्याप्त है , आभास दायिनी है बिजली! प्रस्तुतकर्ता. शुक्रवार, मई 09, 2008. प्रतिक्रियाएँ:. Jabalpur (M.P.) 482008. इनके किस...अग्...
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........बिजली चोरी के विरूद्ध ....Blog by ER.Vivek Ranjan Shrivastava: मार्च 2009
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बिजली चोरी के विरूद्ध .Blog by ER.Vivek Ranjan Shrivastava. Power is key for development, let us save power,. प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध". विवेक के व्यंग. मेरी कवितायें. संस्कृत का मजा हिन्दी में. 24 मार्च, 2009. बचत लैंप योजना. Lighting energy efficiency programme in MPPKVVCL under the “Bachat Lamp Yojna” of. Bureau of Energy Efficiency, Ministry of Power, and Government of India. The Discom East, as a part of the Demand Side Efficiency initiative, intends to. Lamp Yojna” (BLY). Project as per UNFCCC...
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..................................प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध" की रचनायें: July 2011
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प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध" की रचनायें. संस्कृत का मजा हिन्दी में. विवेक के व्यंग. मेरी कवितायें. बिजली चोरी के विरूद्ध. शनिवार, 9 जुलाई 2011. चार मुक्तक. चार मुक्तक. प्रो.सी.बी.श्रीवास्वत विदग्ध. ओ बी ११ , विद्युत मंडल कालोनी रामपुर जबलपुर. जो कभी कुर्सी पे थे वे अब गुनहगारों में है,. आये दिन खबरें अनोखी उनकी अखबारों में है।. जाने क्यों इंसान का गिर गया है इतना जमीर,. बेच जो इज्जत भी , दौलत के तलबगारों में है।।. वेबजह आता उतर है हर बशर मैदान में।. प्रस्तुतकर्ता. 1 टिप्पणी:. चीर छाती...करना ह...
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नमस्कार: December 2013
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विविध विषयों पर मुझ जैसे नासमझ की समझ. संस्कृत का मजा हिन्दी में. विवेक की कवितायें. बिजली चोरी के विरुद्ध . रामभरोसे. व्यंग. प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध" की रचनायें. Tuesday 10 December 2013. केवल पक्ष या विपक्ष नही मुद्दो पर वैचारिक एकता .लोकतंत्र की जरूरत. केवल पक्ष या विपक्ष नही मुद्दो पर वैचारिक एकता .लोकतंत्र की जरूरत. विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र. ओबी. 11, एमपीईबी कालोनी. रामपुर, जबलपुर (मप्र) मो. 9425806252. Links to this post. Sunday 8 December 2013. Links to this post. २ मुक्तक म...मूल...
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मेरी कवितायें: 2009-12-27
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मेरी कवितायें. आक्रोश के स्वर ही कुछ परिवर्तन ला सकते है , इस जड़ समाज में. प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध". विवेक के व्यंग. संस्कृत का मजा हिन्दी में. बिजली चोरी के विरूद्ध. मंगलवार, 29 दिसंबर 2009. हर सुबह सो रहे हैं, रतजगा हो रहा है,. हर सुबह सो रहे हैं, रतजगा हो रहा है,. विवेकरंजन श्रीवास्तव. मो.नं. 9425484452. हर सुबह सो रहे हैं, रतजगा हो रहा है,. ये कैसा चलन है, ये क्या हो रहा है।. गुनहगार बे खौफ, बेगुनाह फंस रहा है,. दूध तक है नकली, असल सो रहा है,. प्रस्तुतकर्ता. 1 टिप्पणी:. नई पोस्ट. सदा चक&#...
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संदेशा: February 2011
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संदेशा. संजय के संदेश. Saturday, February 12, 2011. समीर लाल का जीवन भी किसी उपन्यास से कम नहीं: ’ देख लूँ तो चलूँ ’: विवेक रंजन श्रीवास्तव. 8217; देख लूँ तो चलूँ. समीर लाल. मूल्य :. प्रकाशक: शिवना प्रकाशन, पी. सी. लैब, सम्राट काम्पलेक्स बेसमेंट, बस स्टेंड, सीहोर (म.प्र.) ४६६००१. समीक्षक: विवेक रंजन श्रीवास्तव. ओबी. 11, विद्युत मंडल कालोनी, जबलपुर. उपन्यासिका टाइप का संस्मरण है। समीर लाल. हिन्दी ब्लाग जगत. विवेक रंजन श्रीवास्तव. संजय तिवारी. Labels: देख लूँ तो चलूँ. समीक्षा. Subscribe to: Posts (Atom).
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मेरी कवितायें: 2010-12-26
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मेरी कवितायें. आक्रोश के स्वर ही कुछ परिवर्तन ला सकते है , इस जड़ समाज में. प्रो.सी.बी.श्रीवास्तव "विदग्ध". विवेक के व्यंग. संस्कृत का मजा हिन्दी में. बिजली चोरी के विरूद्ध. मंगलवार, 28 दिसंबर 2010. और यह बात बढ़ाई हमने . श्रद्धा जैन गजल के सुंदर शब्दो की हमसफर हैं .उनकी ये पंक्तियां फेस बुक पर . कुछ बात तो ज़रूर थी, मिलने के बाद अब तलक. खुद की तलाश में हूँ मैं, लेकिन मेरे निशाँ नहीं. और यह बात बढ़ाई हमने . प्रस्तुतकर्ता. 1 टिप्पणी:. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: के सुंदर. शब्दो की. नई पोस्ट. मेघदू...
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