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अनुष्का: फिर जहाँ थे वहीं चले ....!!
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अनुष्का. मेरा बचपन मेरी मम्मा की नज़र से. Thursday, May 12, 2011. फिर जहाँ थे वहीं चले ! फिर स्कूल में सारे फ्रेंड्स और टीचर्स के साथ. फिर मुझे बहुत बहुत प्यार करने वाली रम्या आंटी, दीप्ती आंटी और मेरे बेस्ट फ्रेंड नीक ने मिलकर सरप्राईज़ अरेंज किया मेरे लिए . Posted by रानीविशाल. जन्म दिन की बहुत बधाई, शुभकामनाएँ एवं आशीष अनुष्का को. आ जाओ न्यू जर्सी तो खबर करना. May 12, 2011 at 11:04 AM. चैतन्य शर्मा. May 13, 2011 at 9:23 PM. यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur). May 13, 2011 at 11:09 PM. Monsoon In Mumbai -ख&...
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हिन्दी सागर: जो तुम आ जाते (महादेवी वर्मा)
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हिन्दी सागर. Friday, April 15, 2011. जो तुम आ जाते (महादेवी वर्मा). जो तुम आ जाते एक बार. कितनी करुणा कितने सन्देश. पथ में बिछ जाते बन पराग. गाता प्राणों का तार तार. अनुराग भरा उन्माद राग. आँसू लेते वे पथ पखार. जो तुम आ जाते एक बार . हँस उठते पल में आद्र नयन. धुल जाता होठों से विषाद. छा जाता जीवन में बसंत. लुट जाता चिर संचित विराग. आँखें देतीं सर्वस्व वार. जो तुम आ जाते एक बार. मीनाक्षी. Labels: महादेवी वर्मा. जयकृष्ण राय तुषार. जो तुम आ जाते एक बार. जो तुम आ जाते एक बार . April 15, 2011 at 4:12 PM.
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हिन्दी सागर
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हिन्दी सागर. Monday, July 11, 2011. पर भी पढ़े जा सकते हैं. जी चाहता है. कि जीवन का हर क्षण जी लूँ. और वह भी ऐसा जियूँ. कि जीवन का हर क्षण. सार्थक हो जाए. मुझसे किसी की. कोई शिकायत न रह जाए. जी चाहता है. कि जीवन का हर घूँट पी लूँ. और वह भी ऐसा पियूँ. कि हर घूँट ख़ुद तृप्त हो जाए. बस सारी तिश्नगी मिट जाए. जी चाहता है. कि जीवन की फटी चादर सी लूँ. और वह भी ऐसी सियूँ. कि उसका तार-तार चमके. उसकी हर किनार दमके. उसके बूटों में ख़ुशबू सी भर जाए. नरहरि पटेल". मीनाक्षी. Labels: मालवा. अरूण साथी. Narhari Patel je se p...
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इंतज़ार | Sunehrepal
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Tuesday, May 31, 2011. Posts by : Admin. इंतज़ार में जिनके हम बैठे थे ,. उसकी आहात भी सुनाई न दी . खयालो में वो जो एक चेहरा. था ,. उसकी झलक भी दिखाई न दी . थी जिसकी में आशीक वो तो बेवफा निकला ,. बिछड़े हम ऐसे की ,. गिरते हुए आँसों की आवाज़ भी सुनाई न दी . एक अच्छी अभिव्यक्ति है. May 31, 2011 at 12:28 AM. ਮੇਰਿਯਾੰ ਸਪੈਲਿੰਗ ਮਿਸਟੇਕਾੰ ਮਾਫ. May 31, 2011 at 1:28 AM. आपको धन्यवाद. May 31, 2011 at 1:31 AM. इंतज़ार पे कुछ शैर आपके लिए -. एक शैर और भी इंतज़ार पर आपकी नजर -. May 31, 2011 at 4:22 AM. थोड़ा क...गिर...
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मैंने पढ़ी है: गुरु को नमन
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मैंने पढ़ी है. वन्देमातरम जय हिन्द. शुक्रवार, 15 जुलाई 2011. गुरु को नमन. गुरु ब्रह्म गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः. गुरु साक्षात् पर ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः. गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।. बलिहारी गुरु आपकी, गोविंद दियो बताए।।. बंदउ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि।. महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर।।. बंदउ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा।।. जथा सुअंजन अंजि दृग साधक सिद्ध सुजान।. राम भक्ति जहँ सुरसरि धारा। सरसइ ब्र...बिधि निषेधमय कलि मल हरन...हरि हर कथा ब...बटु...
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Kolaz of Life..: A true respect to our nation
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A true respect to our nation. Posted by कुश. A true respect to our nation on the victory anniversary of kargil. Sunday, July 26, 2009. बस आंसु नहीं आये. बहुत सुन्दर विडियो. छोटे बच्चे तो देख आदि की याद आ गई. July 26, 2009 at 5:31 AM. कितनों का खून बहा- इधर भी, उधर भी! किसके लिए? July 26, 2009 at 10:20 AM. कई बार देखा मन नहीं भरा. August 25, 2009 at 12:37 PM. Y nice and motivational. A pathar to tabiyat say uchalo yaro. Asman ma bi chad ho sakta hai. Or i can say. Akela chana bhand toad sakta hai.
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अल्पना की आर्ट गैलरी: स्त्री गुड़िया नही, निर्माता है!!
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हमारा पर्यावरण. व्यंग्य लेख. वार्ता. यात्रा4ऑल. चिटठा जगत. गुरुवार, 18 मार्च 2010. स्त्री गुड़िया नही, निर्माता है! इतना सब होने के बाद मैं खाली समय में सोचती हूँ कि नारी सोई कब थी? नारी तो सतत् दिन रात निर्माण की प्रक्रिया में संलग्न है। फ़िर वही प्रश्न उठता है कि वह सोई कब है? सिर्फ़ एक ही स्वार्थ था अच्छे सुसंस्कृत परिवार, नागरिक एवं देश का निर्माण्।. प्रस्तुतकर्ता. लेबल: गुड़िया. गृहस्थी. 7 टिप्पणियां:. ने कहा…. 18 मार्च 2010 को 5:29 pm. ललित शर्मा. ने कहा…. अच्छी पोस्ट।. शरद कोकास. नई पोस्ट. गणेश...
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'क्षितिज' The Horizon: शून्य में खुद को खोजती नारी ( updated )
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क्षितिज' The Horizon. हिम्मत से सच कहो तो बुरा मानते है लोग, रो-रो के कहने की आदत नहीं रही "! मेरी रचनाएं "अपराजिता"! मेरे अंग्रेज़ी चिट्ट्ठे. Wednesday, 7 March 2012. शून्य में खुद को खोजती नारी ( updated ). अरे आप तो सोचने लगे कि मैं नारी विरोधी बात कर रहा हूं! जी नहीं, आप बिल्कुल गलत है और मैं सोलह आने ठीक! इसके लिए शिक्षित होने के साथ नारी सचेतना की आवश्यकता है! अब तो लेखक भी नारी की व्यथा लिखते लिखते थक गये हैं! लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात! देखना होगा की नार...पर वे या तो न&#...आवश्यकत&#...
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!!! ढोला-मारू !!! (Dhola-Maru): !!! ढोला-मारू - एक सन्दर्भ !!!
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ढोला-मारू! पिक्चर गूगल सर्च से चेपी हूँ! Tuesday, December 21, 2010. ढोला-मारू - एक सन्दर्भ! सुपनेहू प्रीतम मन्ने मिलिया, हूँ गले लगी गयी. डरपतां पलका ना खोली, मति सुपनो हुई जाई! संदर्भ ग्रन्थ-. मध्ययुगीन प्रेमव्याख्यान. डॉ.श्याम मनोहर पाण्डेय. पेज नंबर- १२४. Posted by Siya Chaudhary. December 17, 2010 at 11:41 AM. Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार. January 20, 2011 at 11:14 AM. सिया चौधरी जी. घणी खम्मा! मोकळा रामा श्यामा! राजेन्द्र स्वर्णकार. March 17, 2011 at 8:12 AM. April 23, 2011 at 9:08 PM.
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सुज्ञ: दुर्गम पथ सदाचार
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मुखपृष्ठ. जीवन-मूल्य. बोध-कथाएँ. सुभाषित. दर्शन-अध्यात्म. गीत, कविता, प्रार्थना. जीवदया / शाकाहार. चिठ्ठाकारिता. 10 जून 2011. दुर्गम पथ सदाचार. ग चाहे कोई भी हो. सदैव जीवन. मूल्य ही इन्सान को सभ्य और सुसंस्कृत बनाते है।. करते है। किन्तु हमारे जीवन में बरसों. के जमे जमाए उटपटांग. आचार विचार. के कारण, जीवन में सार्थक जीवन मूल्यो को स्थापित करना अत्यंत कष्टकर होता है।. कठिन ही नहीं, दुष्कर. प्रतीत होता है।. तब हम घोषणा ही कर देते है कि साधारण. 8217; या. 8217; ।. 8216; आज कौन है जो यह सब. प्रबल हो. अच्...