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मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपनेचंद लम्हें थे मिले,भींगी सुनहरी धूप में, हमने सोचा हँस के जी लें,जिन्दगानी फिर कहाँ
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चंद लम्हें थे मिले,भींगी सुनहरी धूप में, हमने सोचा हँस के जी लें,जिन्दगानी फिर कहाँ
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मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने | voice-vinod.blogspot.com Reviews
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चंद लम्हें थे मिले,भींगी सुनहरी धूप में, हमने सोचा हँस के जी लें,जिन्दगानी फिर कहाँ
मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने: March 2015
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मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने. चंद लम्हें थे मिले,भींगी सुनहरी धूप में, हमने सोचा हँस के जी लें,जिन्दगानी फिर कहाँ. Thursday, March 12, 2015. मैं रंग मुहब्बत का,थोड़ा सा लगा दूं तो - - (विनोद कुमार पाण्डेय ). पंकज सुबीर जी द्वारा आयोजित होली की तरही मुशायरा में मेरी ग़ज़ल ।. पसंद आये तो अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराइयेगा. मुस्कान तेरे लव पे. अपनी मैं. सजा दूं तो. सब दर्द तेरे. पी लूं. अश्कों को सुखा दूं तो. इकरार किया तुमने हंगामा हुआ बरपा. भी मैं. है अभी. भुक्खड़ की तरह. Links to this post.
मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने: June 2016
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मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने. चंद लम्हें थे मिले,भींगी सुनहरी धूप में, हमने सोचा हँस के जी लें,जिन्दगानी फिर कहाँ. Saturday, June 11, 2016. विनोद पांडेय की हास्य-व्यंग्य कविता/छन्द की रिकार्डिंग नोएडा के ग्रीन स्टूडियो में (कवि सम्मलेन) - - - विनोद कुमार पांडेय. नोएडा के. 2404; आप सभी का अग्रिम धन्यवाद ।. विनोद कुमार पांडेय. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). विनोद कुमार पांडेय. बनारस- नोएडा, उत्तर प्रदेश, India. View my complete profile. काव्यांजलि.
मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने: December 2016
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मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने. चंद लम्हें थे मिले,भींगी सुनहरी धूप में, हमने सोचा हँस के जी लें,जिन्दगानी फिर कहाँ. Friday, December 30, 2016. राम के नहीं हुए ,रामगोपाल के कैसे होते. उत्तर प्रदेश की राजनीति में. जिस बात का आकलन कर रहे थे. कहते थे सब लोग नाम से मुलायम हैं. निकला बड़ा कठोर नाम का नहीं हुआ. काम बोलने लगा तो अखिलेश को हटाया. वही जो कभी भी किसी काम का नहीं हुआ. उसके लिए तो सब आलू और बैगन हैं. आदमी जो भगवान राम का नहीं हुआ. विनोद पांडेय. Links to this post. Thursday, December 29, 2016.
मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने: November 2013
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मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने. चंद लम्हें थे मिले,भींगी सुनहरी धूप में, हमने सोचा हँस के जी लें,जिन्दगानी फिर कहाँ. Saturday, November 30, 2013. संस्कार किससे सीखे हम लोग - - (विनोद कुमार पाण्डेय ). संस्कार किससे सीखे हम लोग,. जब अपना ही देश निराला है।. मानव मुल्य गिर रहें हैं क्यों,. सोचो कहाँ पे कहाँ गड़बड़ झाला है।. अलगथलग है पिता-पुत्र क्यों,बच्चों की अपनी दुनिया,. जज्बातों के लिए जगह ना,ना ही वो अटूट रिश्ता,. प्यार और अपनेपन के बंधन से मुक्त हुआ,. एक बार इतिहास अगर दोहराए,. हर रिश्तो...उनके घर म...
मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने: February 2016
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मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने. चंद लम्हें थे मिले,भींगी सुनहरी धूप में, हमने सोचा हँस के जी लें,जिन्दगानी फिर कहाँ. Friday, February 12, 2016. लव का महीना - व्यंग्य - - -(विनोद कुमार पाण्डेय). जुआरियों. दिवाली. क्योंकि. दीवाली. अधिकारिक. मान्यता. दोनों. दोनों. वेलेंटाइन. जिन्दा. बेचारे. प्रेमी. यातनाएँ. ज्यादा. स्थायित्वता. प्राप्त. मुस्कुराते. बांछे. छिपाते. प्रेमी. हिम्मती. धैर्यवान. उन्हें. संस्कृति. संस्कृति. ठेकेदारों. द्वारा. बहादुरी. वालों. बहादुरी. 2404;प्रेम. क्योंकि. 2404;प्रेम.
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उद्धवजी: आरती
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Friday, 19 August 2011. मैं कोई बहुत अक्लमंद या विदुषी महिला नही. ना ही किसी भी एंगल से ऐसी कि कोई रुक कर देखना चाहे . एकदम 'ऑर्डिनरी' आम भारतीय चेहरा,साधारण सा व्यक्तित्व. भगवान की दया से दिमाग भी नही है ,जो है दिल है . दिल को छू जाने वाले वाकयों से जीवन को जीना सीखा है मैंने. और पाया, दिल ने हर बार सही रास्ता दिखाया . नफा,नुक्सान क्या मिला? इसकी भी ज्यादा परवाह नही की. मैं उसी से पूछती हूँ -' ए! बोलना ये करूँ या ना करूँ? पर बोलता सच है. वो 'जीनियस' संस्कारी, स&...मगर लडके के बाबू...हम खुद नह...
पागल दिल था | लम्हे जिन्दगी के
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लम ह ज न दग क. म र ब र म …. सम पर क कर – contact me. अक ट बर 15, 2009. य क ई ग ज ल ग नग न रह थ …. कल आहट थ क ई पहच न ,. य क ई दरव ज पर आ आ क ज र थ …. कल च द थ फलक पर ,. य त र च हर म स क र रह थ …. व न थ न नज र आरह थ …. त म ह हर श म प रह थ. Filed under द स त. And tagged कव त. लम ह ज दग क. लम ह ज न दग क. 43 ट प पण य. About Hem Jyotsana "Deep". Hemjyotsana Prashar http:/ hemjyotsana.wordress.com http:/ hemjyotsana.blogspot.com. View all posts by Hem Jyotsana "Deep" ». 43 responses ». सम र ल ल ’उड़न तश तर ’ व ल.
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Susan Dennis-Gabriel. Gesangsunterricht in Wien. Voice lessons in Vienna.
मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने
मुस्कुराते पल-कुछ सच कुछ सपने. चंद लम्हें थे मिले,भींगी सुनहरी धूप में, हमने सोचा हँस के जी लें,जिन्दगानी फिर कहाँ. Sunday, January 8, 2017. किसकी नैया पार लगेगी ,किसकी डूबेगी. विनोद कुमार पांडेय. Links to this post. Thursday, January 5, 2017. साइकिल की घंटी किसको मिलेगी. विनोद कुमार पांडेय. Links to this post. Tuesday, January 3, 2017. पतझड़ से सीख. पतझड़ का आभाष न होगा ।. रे मन फिर मधुमास न होगा । ।. पतझड़ जीवन का दर्शन है. एकाकीपन की अनुकृति है. पहले खो कर फिर पाता है. Links to this post. भून द...
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201406.02 新サービス ボイプラ 提供開始のお知らせ. ミライニホン プロジェクトは、生活者発想によるイノベーションを研究する Human-Centered Open Innovation の第一弾として、2011年にTBWA博報堂がスタートした オフグリッド による未来の暮しを共創するプロジェクトです。 オフグリッド とは、自分でエネルギーを創り、コントロールすることで、電気 水道 ガスといった生活インフラから解放されることです。
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