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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Sunday, March 20, 2011. रूपसिंह चन्देल. हमारे कुछ पूछने से पहले उन्होंने यथावत गंभीरता बरकरार रखते हुए पूछा,‘‘ कुछ लोगे? ना में सिर हिलाने के बाद वह बोले, ‘‘आप पत्रकार लोग ठंडा-गर्म कहां लेते हैं! हमने उनके व्यंग्य को समझा और बोले,‘‘सर पहले हम अपने परिचय- - ।’’. 8216;‘अब वह बात नहीं है। लोग कम ही एक-दूसरे से मिलते हैं।’’. 8216;‘क्यो? आपको जानना चाहिए। साहित्य में राजनीति प्रवí...8216;‘संभव है, जैसाकि आप कह रहे हैæ...8216;‘यह लोगों कì...8216;‘नही...8216;R...

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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Sunday, March 20, 2011. रूपसिंह चन्देल. हमारे कुछ पूछने से पहले उन्होंने यथावत गंभीरता बरकरार रखते हुए पूछा,‘‘ कुछ लोगे? ना में सिर हिलाने के बाद वह बोले, ‘‘आप पत्रकार लोग ठंडा-गर्म कहां लेते हैं! हमने उनके व्यंग्य को समझा और बोले,‘‘सर पहले हम अपने परिचय- - ।’’. 8216;‘अब वह बात नहीं है। लोग कम ही एक-दूसरे से मिलते हैं।’’. 8216;‘क्यो? आपको जानना चाहिए। साहित्य में राजनीति प्रव&#237...8216;‘संभव है, जैसाकि आप कह रहे है&#230...8216;‘यह लोगों क&#236...8216;‘नही...8216;&#82...
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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Sunday, March 20, 2011. रूपसिंह चन्देल. हमारे कुछ पूछने से पहले उन्होंने यथावत गंभीरता बरकरार रखते हुए पूछा,‘‘ कुछ लोगे? ना में सिर हिलाने के बाद वह बोले, ‘‘आप पत्रकार लोग ठंडा-गर्म कहां लेते हैं! हमने उनके व्यंग्य को समझा और बोले,‘‘सर पहले हम अपने परिचय- - ।’’. 8216;‘अब वह बात नहीं है। लोग कम ही एक-दूसरे से मिलते हैं।’’. 8216;‘क्यो? आपको जानना चाहिए। साहित्य में राजनीति प्रव&#237...8216;‘संभव है, जैसाकि आप कह रहे है&#230...8216;‘यह लोगों क&#236...8216;‘नही...8216;&#82...

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रचना रूप: कहानी-३३

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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Saturday, March 5, 2011. चित्र :बलराम अग्रवाल. वह चेहरा. रूपसिंह चन्देल. वही हैं .लेकिन यहां क्यों? निेश्चित ही यह वही हैं .' वह अपनी टेबल के चारों ओर कमरे में कुछ क्षण तक टहलते रहे , ' क्या उन्हें मेरे बारे में जानकारी नहीं? दरवाजे पर दस्तक हुई . कम इन ' वह तेजी से पलटे और कुर्सी की ओर ऐसे बढ़े मानो चोरी करते हुए पकड़े जाने का भय था . यस प्रवीण . इज एवरीथिंग फाइन! और हेड साहब.डॉ0 सच्चिदानंद पाण्डे? सर मैंने पहले ही उन्हें ...सर , निकिता सिं...उन्होंन&#...हुं...क्ष...

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रचना रूप: कहानी-३४

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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Sunday, March 20, 2011. रूपसिंह चन्देल. हमारे कुछ पूछने से पहले उन्होंने यथावत गंभीरता बरकरार रखते हुए पूछा,‘‘ कुछ लोगे? ना में सिर हिलाने के बाद वह बोले, ‘‘आप पत्रकार लोग ठंडा-गर्म कहां लेते हैं! हमने उनके व्यंग्य को समझा और बोले,‘‘सर पहले हम अपने परिचय- - ।’’. 8216;‘अब वह बात नहीं है। लोग कम ही एक-दूसरे से मिलते हैं।’’. 8216;‘क्यो? आपको जानना चाहिए। साहित्य में राजनीति प्रव&#237...8216;‘संभव है, जैसाकि आप कह रहे है&#230...8216;‘यह लोगों क&#236...8216;‘नही...8216;&#82...

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रचना रूप: March 2011

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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Sunday, March 20, 2011. रूपसिंह चन्देल. हमारे कुछ पूछने से पहले उन्होंने यथावत गंभीरता बरकरार रखते हुए पूछा,‘‘ कुछ लोगे? ना में सिर हिलाने के बाद वह बोले, ‘‘आप पत्रकार लोग ठंडा-गर्म कहां लेते हैं! हमने उनके व्यंग्य को समझा और बोले,‘‘सर पहले हम अपने परिचय- - ।’’. 8216;‘अब वह बात नहीं है। लोग कम ही एक-दूसरे से मिलते हैं।’’. 8216;‘क्यो? आपको जानना चाहिए। साहित्य में राजनीति प्रव&#237...8216;‘संभव है, जैसाकि आप कह रहे है&#230...8216;‘यह लोगों क&#236...8216;‘नही...8216;&#82...

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रचना रूप: November 2009

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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Wednesday, November 11, 2009. Links to this post. कहानी के बारे में. तकनीकी कारणों से कहानी - २७ का शीर्षक कहानी के साथ प्रकाशित नहीं हो पाया . अतः पाठको से अनुरोध है कि वह उसका शीर्षक - ’हादसा’ पढ़ेंगे. रूपसिंह चन्देल. Links to this post. Labels: कहानी - २७. Wednesday, November 4, 2009. कहानी - २८. दरिन्दे. रूपसिंह चन्देल. लेकिन मित्र , विमला रस्तोगी किससे शिकायत करती! क्यों? मैंने पूछा ।. क्या ऽऽऽ? शिकार ।'. विमला रस्तोगी पर अपने द&...Links to this post. उसकी ब&...

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रचना रूप: कहानी-३१

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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Saturday, January 16, 2010. रूपसिंह चन्देल. उसकी कोई चाल हो सकती है ।'. मेरे बटाईदार गणपत ने गांव में घुसते ही उसके विषय में जो कुछ बताया था , वह थर्रा देने वाला था ।. पेशेवर है? न भइया .भले घर का भला लड़का . लेकिन.।'. लेकिन क्यों? गणपत चुप रहा तो मैंने टोका , 'चुप क्यों हो गए! मैंने स्वीकृति में सिर हिलाया ।. संभल के जायो भइया.।'. क्यों मुझे उससे क्या खतरा! वह तो मुझे जानता भी नहीं.फिर? सभी ने एक स्वर में कहा ।. हुजूर उसकी साल भर की पढ़&#23...मैंने ज&#...उसी र&#23...

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वातायन: November 2012

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साहित्य, समाज और संस्कृति का झरोखा. मुखपृष्ठ. शुक्रवार, 2 नवंबर 2012. वातायन-नवंबर,२०१२. हम और हमारा समय. विकास के रथ में भ्रष्टाचार का पहिया. रूपसिंह चन्देल. सभी एक-मत हैं– एक जुट हैं. ऎसा पहली बार हो रहा है और इसलिए पहली बार. हो रहा है क्योंकि किसी व्यक्ति ने. एक साथ सभी को बेनकाब कर आम जनता को उनके असली चेहरे दिखाए हैं. 2404; अपने एक इंटरव्यू में. डेड लाइन. प्रेम प्रकाश. पंजाबी से अनुवाद : सुभाष नीरव. एसपी. आनन्द. गन में गेंद से खेलनेवाला. और जो भी सब्ज़ी बनती. हो सकता है. ताया की प&#...पहोव&#236...

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वातायन: December 2013

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साहित्य, समाज और संस्कृति का झरोखा. मुखपृष्ठ. मंगलवार, 3 दिसंबर 2013. वातायन-दिसम्बर,२०१३. हम और हमारा समय. लड़कियां और सामन्ती सोच. रूपसिंह चन्देल. से जुड़े वे तथ्य. थे जिन्हें तलवार दम्पति ने छुपाए या पुलिस को उनके संबन्ध में भटकाने का प्रयास किए. विद्वान जज ने दोनों को उम्रकैद. की सजा के छब्बीस आधार. कारणों से जो त्यधिक व्यस्त रहते थे…सूत्रों के. प्राण शर्मा की तीन लघु कथाएँ. अहिंसावादी. लिए उसके आगे कर देना चाहिए।. बिच्छु है। मार गिराइये। `. मुझ अहिंसावादी को क...बिच्छु अकस्म&#2...मारता ह&#...सोन...

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साहित्य, समाज और संस्कृति का झरोखा. मुखपृष्ठ. गुरुवार, 11 दिसंबर 2014. वातायन-दिसम्बर,२०१४. अपनी बात. मित्रो,. स्वर्ण मंदिर). वाह अंबरसर! वाह-वाह वाघा! रूपसिंह चन्देल. 1977 के अक्टूबर माह की बात है. एक मित्र से यशपाल का. झूठा सच. प्राप्त हुआ. विभाजन की त्रासदी ने मेरे अंदर हलचल मचा दी. उस उपन्यास के पात्र आज भी मेरे अंदर जीवित हैं. यद्यपि उसके बाद मैंने भीष्म साहनी का. वाह कैंप. भी परन्तु. झूठा सच. से इन दोनों की तुलना नहीं की. जा सकती. झूठा सच. को विश्व के. है. वह. लेकिन मेरा. आभिप्राय. लेकि...हुआ...

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वातायन: August 2014

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साहित्य, समाज और संस्कृति का झरोखा. मुखपृष्ठ. शनिवार, 30 अगस्त 2014. वातायन-सितम्बर,२०१४. हम और हमारा समय. आत्मीय,जीवन्त,खुद्दार और अति संवेदनशील व्यक्ति. रूपसिंह चन्देल. सम्पादकों, लेखक मित्रो, और उन पाठकों को जो मेरी रचनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया देते थे. रचनात्मक कारणों से होता. विशेषांक तो बहु-चर्चित रहे. क़मर भाई ने. एक बार का वाकया याद आ रहा है. ही अच्छा. आपकी चेहरा कहानी सण्डे मेल प्रकाशित देखी. लेकिन दो लोगों की उन्होंने. चाहकर भी साक्षात्कार. नहीं कर पाया. लेक&#2367...अकस्मात प्र&#...पां...आज स&#237...

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वातायन: April 2014

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साहित्य, समाज और संस्कृति का झरोखा. मुखपृष्ठ. सोमवार, 28 अप्रैल 2014. वातायन-मई,२०१४. हम और हमारा समय. क्या कर सकती है भीड़! रूपसिंह चन्देल. लेकिन कब तक? वे भूल गए हैं कि इसी भीड़ ने एक दिन रूस के जार का तख्त पलट दिया था…और उसके साथ क्या हुआ था- -! अशोक बाजपेई). किताबें हमें बनाती हैं, किताबें हमें गढ़ती हैं. अंजना बख्शी. आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक. कौन जीता है तेरी जुल्फ़ के सर होने तक. मैं रसूल हमज़ातोव को धन्यवाद देती थी…. एक इंसानी आत्मा,. कैसे सीख पाए. समझ नहीं पाती. जब भी उमड़ती है. यादे...उन लम&#23...

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वातायन: September 2013

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साहित्य, समाज और संस्कृति का झरोखा. मुखपृष्ठ. सोमवार, 30 सितंबर 2013. वातायन-अक्टूबर,२०१३. हम और हमारा समय. राजनीति और अपराधों का बढ़ता ग्राफ. रूपसिंह चन्देल. की पृष्ठभूमि में राजनीतिज्ञ ही होते हैं. चाहे १९८४. जी की दस गज़लें. काँटों. न्यौते. कामयाबी. क्यों. ख्वाहिशों. मालामाल. दोस्तों. प्यारे. गुनगुनी. डालियाँ. नन्हीं. कलियों. किसीकी. बिठलाया. बेरुखी. नाराजगी. किसीके. बच्चों. खुशियों. ढिंढोरा. पिटवाया. दिखलाया. दोस्तो. ज्यों. प्यारा. मारिये. दोस्तो. दुनिया. क्यों. दोस्तो. छिपाता. बच्चों. उन्ह&#2379...

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वातायन: June 2014

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साहित्य, समाज और संस्कृति का झरोखा. मुखपृष्ठ. रविवार, 29 जून 2014. वातायन-जुलाई,२०१४. हम और हमारा समय. अनुवाद भी रचनात्मक कर्म है. रूपसिंह चन्देल. डॉ. काशीनाथ सिंह की पुस्तक ’आलोचना भी रचना है’. अनुवाद दो भाषाओं के मध्य सेतु का कार्य करता है. अमृत राय द्वारा अनूदित ’स्पार्टकस’. का अनुवाद ’आदि विद्रोही’. 8217;कॉल ऑफ दि वाइल्ड’ का अनुवाद. 8217;जंगल की पुकार’. जुड़ते हैं. मेरे मित्रो में सूरज प्रकाश. की एन फ्रैंक की डायरी और चार्ल चैप्लिन. मेरा यह. इस बार वातायन में प्रस&#...उन्होंने ...मैंन&#237...काग...

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साहित्य, समाज और संस्कृति का झरोखा. मुखपृष्ठ. रविवार, 10 फ़रवरी 2013. वातायन-फरवरी,२०१३. मेरी अपनी बात. रूपसिंह चन्देल. इस बार ’वातायन’ में मेरे स्थायी स्तंभ. 8217;हम और हमारा समय’. में प्रस्तुत है चर्चित लेखिका और समाज सेविका शालिनी माथुर का आलेख. 8217;मृतात्माओं का जुलूस’. 8217;रचना समय’. में प्रकाशित किए थे, जिनकी अंतरार्ष्ट्रीय स्तर पर चर्चा हुई थी. इस संदर्भ में मेरे एक मित्र का कहना है कि. आपका क्या विचार है? औरत के नज़रिये से. मृतात्माओं का जुलूस. शालिनी माथुर. कोलकता के एक क&#236...व्य&#2366...

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साहित्य, समाज और संस्कृति का झरोखा. मुखपृष्ठ. शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015. वातायन-मार्च,२०१५. मित्रो,. प्राण शर्मा की ग़ज़लें. वो सबके दिल लुभाता है कभी हमने नहीं देखा. कि कौवा सुर में गाता है कभी हमने नहीं देखा. ये सच है झोंपड़े सबको गिराते देखा है लेकिन. महल कोई गिराता है कभी हमने नहीं देखा. जवानी सबको भाती है चलो हम मान लेते हैं. बुढ़ापा सबको भाता है कभी हमने नहीं देखा. जो करता है सभी की निंदा यारो उससे मिलने को. सब्र करने की कोई हद होती है ऐ साहिबो. उसकी खुशियों में...आग अपने आशियाने...दर्द कितन...उंग...

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การควบคุมการใช้แบบฟอร์ม. วันพฤหัสบดีที่ 28 สิงหาคม พ.ศ. 2551. หมายถึง กระบวนการวัดและ. แก้ไขการปฏิบัติงานของผู้ไต้บังคับบัญชา. นอกจากนี้ เป็นเครื่องมือสําคัญในการกำหนดแผน. การดําเนินการตามแผน และการประเมินแผน. เพื่อให้บรรลุเป้าหมายที่กําหนดไว้. หมายถึง เอกสารที่จัดทำขึ้น โดยเว้นช่องว่างไว้สำหรับให้. บุคคลแต่ละคนกรอกข้อความลงไป เพื่อให้เป็นการสะดวกแก่ผู้รวบรวมในการ. ข้อความนั้นไปใช้ประโยชน์ในด้านต่าง ๆ เสร็จสมบูรณ์แล้ว. การควบคุมการใช้แบบฟอร์ม. ไม่มีความคิดเห็น:. การควบคุมการใช้แบบฟอร์ม. เป็นการดำเน...

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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Sunday, March 20, 2011. रूपसिंह चन्देल. हमारे कुछ पूछने से पहले उन्होंने यथावत गंभीरता बरकरार रखते हुए पूछा,‘‘ कुछ लोगे? ना में सिर हिलाने के बाद वह बोले, ‘‘आप पत्रकार लोग ठंडा-गर्म कहां लेते हैं! हमने उनके व्यंग्य को समझा और बोले,‘‘सर पहले हम अपने परिचय- - ।’’. 8216;‘अब वह बात नहीं है। लोग कम ही एक-दूसरे से मिलते हैं।’’. 8216;‘क्यो? आपको जानना चाहिए। साहित्य में राजनीति प्रव&#237...8216;‘संभव है, जैसाकि आप कह रहे है&#230...8216;‘यह लोगों क&#236...8216;‘नही...8216;&#82...

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रचना समय

शुक्रवार, 26 जून 2015. कविता का रुदन. दरद न जाने कोय! डा.दीप्ति गुप्ता. 8216;भरत मुनि ‘ के समय से साहित्य की जिस. उदात्त विधा ‘कविता’ का ‘दर्शन’ जन्मा हो, रमणीय. और सुरुचि सम्पन्न भाषा-शैली से. जिसके कलेवर को बुनने. का निदर्शन हुआ हो,. साहित्य दर्पणाकार ‘विश्वनाथ’ ने. 8216;रसात्मकं वाक्यं काव्यं’. कहकर परिभाषित किया हो,. आज वह ‘कविता’ और. 8216;कविता’ मे ‘नारी’. के जिस सुकोमल, सुंदर और संस्कारी उदात्त रूप. हो, जो आज भी कालेजों में. जिस नग्नता और अभद्रता के साथ. प्रस्तुत. परिचर्चा. की बात. और रूह,. 8217; क...

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रचना यात्रा

रचना यात्रा. गुरुवार, 7 मई 2015. यात्रा संस्मरण. जैसलमेर - समसैंड ड्यून का एक चित्र - २९ .११.२०१४). अतीत में जीते हुए कुछ दिन. रूपसिंह चन्देल. वीर प्रसूता राजस्थान मुझे सदा आकर्षित करता रहा. चित्तौड़ और उदयपुर (जनवरी,१९९१) की यात्रा के पश्चात ही तय किया था कि. मूमल से सम सैंड ड्यून की दूरी ४२ कि.मी. है. लागभग आधी. कुलधरा गांव का एक दृश्य). कुलधरा का एक ध्वस्त मकान). 8217;भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग’, न. राजस्थान सरकार ध्यान. कुलधरा का मंदिर). विषय में प्रकाश ने बत&#...इंदिरा कै...१ दिसम्बर...8221; प&#...

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