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*ब्लॉग पहेली-चलो हल करते हैं *: March 2012
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ब्लॉग पहेली-चलो हल करते हैं *. शनिवार, 31 मार्च 2012. ब्लॉग पहेली -१९ का परिणाम .विजेता -आशा जी. ब्लॉग पहेली -१९ का परिणाम .विजेता -आशा जी. ब्लॉग पहेली 19 के जवाब में आशा जी. ने सही जवाब देकर ' विजेता ' बनने का गौरव प्राप्त किया है .आशा जी को हार्दिक शुभकामनायें -. ब्लॉग पहेली-१९. विजेता. सुश्री आशा सक्सेना. पहेली में पूछे गए ब्लॉग का नाम - AAJ KA AGRA. ब्लॉग स्वामी का नाम - Sawai Singh राजपुरोहित. ब्लॉग का पता -. Http:/ rajpurohitagra.blogspot.in/. शिखा कौशिक. प्रस्तुतकर्ता. 1 टिप्पणी:. लेबल: r 19.
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टिप्पी का टिप्पा टैण टैणेन ..: May 2012
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टिप्पी का टिप्पा टैण टैणेन . पोस्टों पर आप सब मजे मजे में टीप कर निकल जाते हैं , उसमें थोडा सा छौंक अरे तडका जी , लगा कर उसका टैण टैणेन हम बना देते हैं बस इत्ता ही करता है. इस गैज़ेट में एक त्रुटि थी. रविवार, 27 मई 2012. तुम मुझे पोस्ट दो मैं तुम्हें टिप्पणी दूंगा. और उसमें लिखा कि ,. इस पर टिप्पणियां कमाल की आईं देखिए ,. डॉ टी एस दराल. लेकिन अनुभव के साथ कुछ बातें सीखना ज़रूरी है . जैसे :. अनूप शुक्ल. ब्लागिंग एक बवाल है, बड़ा झमेला राग,. हड़बड़-हड़बड़ पोस्ट हैं, गड़बड़-सड़बड़ राय,. बाकी रचना ज...एक तरफ आप कहत&#...
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तुम हाँ तुम ....: September 2012
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तुम हाँ तुम . दास्ताँ कहो, या कोई सपना कहो जो अधूरा रह गया, या कहो एक सनक की बस किसी को पाना है. मंगलवार, 25 सितंबर 2012. तुम जो नहीं हो तो. चाँद डूबा नहीं है पूरा, थोड़ा बाकी है. वो जुगनू जो अक्सर रात भर चमकने पर,. सुबह तक थक जाता, रौशनी मंद हो जाती थी,. अभी भी चहक रहा है, बस थोड़ा सुस्त है. यूँ लगता है जैसे रात पूरी, जग के सोयी है ,. आँख में जगने की नमी है,. दिल में नींद की कमी. सूरज के आने का सायरन,. अभी एक गौरेया बजाकर गयी है. मेरी मेज़ पर रखी घड़ी में भी,. देवांशु. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट.
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तुम हाँ तुम ....: November 2011
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तुम हाँ तुम . दास्ताँ कहो, या कोई सपना कहो जो अधूरा रह गया, या कहो एक सनक की बस किसी को पाना है. बुधवार, 23 नवंबर 2011. लम्हें…. जबकि ये मालूम है,. नहीं मुमकिन,. तेरा मेरी जिंदगी में होना,. तो दो घड़ी बैठ,. सोचना चाहा, कुछ लम्हों के बारे में,. कुछ लम्हे,. जो मेरी गुज़री जिंदगी से हैं,. वो तुम्हारे करीब से गुज़रे थे,. वो गुजर गए,. उनका मुझे कोई अफ़सोस नहीं. बात उन लम्हों की भी जो,. जो तुम्हारे जाने से अब तक बीते,. वो तुम्हारे पास कैद थे,. आज वो भी आजाद हो गए. अब उन लम्हों की भी ,. पर वो नहीं...एक शख...
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तुम हाँ तुम ....: June 2011
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तुम हाँ तुम . दास्ताँ कहो, या कोई सपना कहो जो अधूरा रह गया, या कहो एक सनक की बस किसी को पाना है. रविवार, 26 जून 2011. आशियाँ…. एक माहिर तामीरत की तरह,. किसी कोरे कागज पर,. आड़ी टेढ़ी सी लकीरें खींच,. बनाया एक ईमारत का. नीव-ए-उम्मीद बड़ी मेहनत से. रखी और सींची,. खडीं की चाहतों की. चार दिवारी,. एक एक कोने को,. आसमान के. खालिस सितारों से सजाया. तैयार है मेरे सपनों का,. छोटा सा आशियाँ,. 8220;तुम" आकर देख तो लो,. यकीनन “महल" बन जायेगा…. देवांशु. प्रस्तुतकर्ता. देवांशु निगम. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट.
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तुम हाँ तुम ....: August 2012
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तुम हाँ तुम . दास्ताँ कहो, या कोई सपना कहो जो अधूरा रह गया, या कहो एक सनक की बस किसी को पाना है. शुक्रवार, 24 अगस्त 2012. उस घने हरे भरे जंगल को देखकर कुछ यूँ लगा,. कि बारिश भी कितनी पाक होती है. और जब यही बारिश पेड़ों के पत्तों से छनकर ज़मीं पर गिरती है,. तो इस ज़मीं को ज़न्नत सा खुशनसीब कर जाती है. जंगल की उसी ज़मीं को देख ये खयाल जागा,. कि चलो वहीं चलें,. छोड़ आयें अपना रिश्ता वहीं. इस रिश्ते का ना तो कोई नाम रख पाए हम,. न किसी और ने तवज्जो ही बख्शी,. देवांशु. प्रस्तुतकर्ता. लेबल: जंगल. नई पोस्ट. चित&...
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तुम हाँ तुम ....: July 2012
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तुम हाँ तुम . दास्ताँ कहो, या कोई सपना कहो जो अधूरा रह गया, या कहो एक सनक की बस किसी को पाना है. मंगलवार, 10 जुलाई 2012. ना जीना ना मरना. पैदा मैं हुआ नहीं,. अवतार मुझ जैसों का होता नहीं. कटती है घुट के ज़िंदगी,. वक्त कभी बेख़ौफ़ सा होता नहीं. एक रात जब आंसू की चादर बिछेगी,. एक भी मोती न होगा उसमें,. सिर्फ एक अनचाहा पानी,. और ज़िंदगी का नमक. बस उस दिन रूह शांत हो जायेगी,. जो पैदा नहीं होते उन्हें मरने का हक नहीं,. परिनिर्वाण भी होता नहीं! देवांशु. प्रस्तुतकर्ता. देवांशु निगम. नई पोस्ट. एक नज़र इधर भी.
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तुम हाँ तुम ....: April 2011
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तुम हाँ तुम . दास्ताँ कहो, या कोई सपना कहो जो अधूरा रह गया, या कहो एक सनक की बस किसी को पाना है. बुधवार, 27 अप्रैल 2011. कुछ याद आता है…. खाहिशों के पंखों पे सवार हो,. जब कभी ये दिल मचल जाता है,. तुम्हारे साथ बिताई जिंदगी का,. हर लम्हा, हर पल याद आता है. तुमसे जो कहना था कुछ बाकी सा रह गया,. तेरे जाने का गम मै बिन आंसूं सह गया,. उन आंसुओं में फिर से डूब,. जब ये तन अक्सर बिखर जाता है,. तुम्हारे साथ बिताई जिंदगी का,. हर लम्हा, हर पल याद आता है. इन सपनों में डूब ये मन,. देवांशु. उम्मीद…. जिसकी म...इसे...
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तुम हाँ तुम ....: July 2013
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तुम हाँ तुम . दास्ताँ कहो, या कोई सपना कहो जो अधूरा रह गया, या कहो एक सनक की बस किसी को पाना है. गुरुवार, 11 जुलाई 2013. ज़िन्दगी! ज़िन्दगी! एक अनसुलझे सवालों की किताब है,. है समंदर सी फैली , बादलों सी घिरी और न जाने क्या - क्या,. कुछ अधुरी सी , पर क्या , पता नहीं, न जवाब मालूम,. न जानने का सबब है, न जानने को बेताब है. ज़िन्दगी एक अनसुलझे सवालों की किताब है. है दरिया भी मिल चुका साहिलों से अब ,. जानते हुए सब कुछ, न जाना है इसने कुछ भी,. देवांशु. प्रस्तुतकर्ता. देवांशु निगम. नई पोस्ट. एक नज़र इधर भी.
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तुम हाँ तुम ....: June 2012
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तुम हाँ तुम . दास्ताँ कहो, या कोई सपना कहो जो अधूरा रह गया, या कहो एक सनक की बस किसी को पाना है. मंगलवार, 26 जून 2012. वो वक़्त भी आएगा. कि एक वक़्त आएगा.हाँ वो वक़्त भी आएगा.तब पूछूंगा . बता सकता है तो बता, कि उस वक़्त तेरी रज़ा क्या थी . हाँ ठीक उसी वक़्त जब मेरे सर से किसी का साया जा रहा था,. दोनों हाथ जोड़ मांगा था तुझसे कुछ, आँखों में आंसूं भी थे,. पर ऐसा छोड़ा हाथ तूने, मेरे हाथ कुछ भी ना लगा. पर कह तो सही , हुई हमसे भी ऐसी खता क्या थी. देवांशु. प्रस्तुतकर्ता. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. चितî...
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