akpathak3107.blogspot.com akpathak3107.blogspot.com

akpathak3107.blogspot.com

गीत ग़ज़ल औ गीतिका

गीत ग़ज़ल औ गीतिका. रविवार, 19 जुलाई 2015. एक ग़ज़ल : रास्ता इक और . रास्ता इक और आयेगा निकल. हौसले से दो क़दम आगे तो चल. लोग कहते हैं भले ,कहते रहें. तू इरादों मे न कर रद्द-ओ-बदल. यूँ हज़ारो लोग मिलते हैं यहाँ. 8217;आदमी’ मिलता कहाँ है आजकल. इन्क़लाबी सोच है उसकी ,मगर. क्यूँ बदल जाता है वो वक़्त-ए-अमल. इक मुहब्बत की अजब तासीर से. लोग जो पत्थर से हैं ,जाएं पिघल. इक ग़म-ए-जानाँ ही क्यूँ हर्फ़-ए-सुखन. कुछ ग़म-ए-दौराँ भी कर ,हुस्न-ए-ग़ज़ल. इस लिए ’आनन’ न तू ज़्यादा उछल. आनन्द.पाठक-. शब्दार्थ. आनन्द पाठक. तेरí...

http://akpathak3107.blogspot.com/

WEBSITE DETAILS
SEO
PAGES
SIMILAR SITES

TRAFFIC RANK FOR AKPATHAK3107.BLOGSPOT.COM

TODAY'S RATING

>1,000,000

TRAFFIC RANK - AVERAGE PER MONTH

BEST MONTH

October

AVERAGE PER DAY Of THE WEEK

HIGHEST TRAFFIC ON

Thursday

TRAFFIC BY CITY

CUSTOMER REVIEWS

Average Rating: 3.2 out of 5 with 9 reviews
5 star
3
4 star
0
3 star
4
2 star
0
1 star
2

Hey there! Start your review of akpathak3107.blogspot.com

AVERAGE USER RATING

Write a Review

WEBSITE PREVIEW

Desktop Preview Tablet Preview Mobile Preview

LOAD TIME

0.2 seconds

FAVICON PREVIEW

  • akpathak3107.blogspot.com

    16x16

  • akpathak3107.blogspot.com

    32x32

  • akpathak3107.blogspot.com

    64x64

  • akpathak3107.blogspot.com

    128x128

CONTACTS AT AKPATHAK3107.BLOGSPOT.COM

Login

TO VIEW CONTACTS

Remove Contacts

FOR PRIVACY ISSUES

CONTENT

SCORE

6.2

PAGE TITLE
गीत ग़ज़ल औ गीतिका | akpathak3107.blogspot.com Reviews
<META>
DESCRIPTION
गीत ग़ज़ल औ गीतिका. रविवार, 19 जुलाई 2015. एक ग़ज़ल : रास्ता इक और . रास्ता इक और आयेगा निकल. हौसले से दो क़दम आगे तो चल. लोग कहते हैं भले ,कहते रहें. तू इरादों मे न कर रद्द-ओ-बदल. यूँ हज़ारो लोग मिलते हैं यहाँ. 8217;आदमी’ मिलता कहाँ है आजकल. इन्क़लाबी सोच है उसकी ,मगर. क्यूँ बदल जाता है वो वक़्त-ए-अमल. इक मुहब्बत की अजब तासीर से. लोग जो पत्थर से हैं ,जाएं पिघल. इक ग़म-ए-जानाँ ही क्यूँ हर्फ़-ए-सुखन. कुछ ग़म-ए-दौराँ भी कर ,हुस्न-ए-ग़ज़ल. इस लिए ’आनन’ न तू ज़्यादा उछल. आनन्द.पाठक-. शब्दार्थ. आनन्द पाठक. तेर&#237...
<META>
KEYWORDS
1 skip to main
2 skip to sidebar
3 फ़ानी
4 दौर ए ग़म
5 राह ए हक़
6 साहिब
7 anand pathak
8 create your badge
9 custom myspace clock
10 favourite
CONTENT
Page content here
KEYWORDS ON
PAGE
skip to main,skip to sidebar,फ़ानी,दौर ए ग़म,राह ए हक़,साहिब,anand pathak,create your badge,custom myspace clock,favourite,statistics,website counter,समर्थक,october
SERVER
GSE
CONTENT-TYPE
utf-8
GOOGLE PREVIEW

गीत ग़ज़ल औ गीतिका | akpathak3107.blogspot.com Reviews

https://akpathak3107.blogspot.com

गीत ग़ज़ल औ गीतिका. रविवार, 19 जुलाई 2015. एक ग़ज़ल : रास्ता इक और . रास्ता इक और आयेगा निकल. हौसले से दो क़दम आगे तो चल. लोग कहते हैं भले ,कहते रहें. तू इरादों मे न कर रद्द-ओ-बदल. यूँ हज़ारो लोग मिलते हैं यहाँ. 8217;आदमी’ मिलता कहाँ है आजकल. इन्क़लाबी सोच है उसकी ,मगर. क्यूँ बदल जाता है वो वक़्त-ए-अमल. इक मुहब्बत की अजब तासीर से. लोग जो पत्थर से हैं ,जाएं पिघल. इक ग़म-ए-जानाँ ही क्यूँ हर्फ़-ए-सुखन. कुछ ग़म-ए-दौराँ भी कर ,हुस्न-ए-ग़ज़ल. इस लिए ’आनन’ न तू ज़्यादा उछल. आनन्द.पाठक-. शब्दार्थ. आनन्द पाठक. तेर&#237...

INTERNAL PAGES

akpathak3107.blogspot.com akpathak3107.blogspot.com
1

गीत ग़ज़ल औ गीतिका: December 2014

http://www.akpathak3107.blogspot.com/2014_12_01_archive.html

गीत ग़ज़ल औ गीतिका. शनिवार, 13 दिसंबर 2014. चन्द माहिया : क़िस्त 11. उल्फ़त की राहों से. कौन नहीं गुज़रा. मासूम गुनाहों से. आँसू न कहो इसको. एक हिकायत है. चुपके से पढ़ो इसको. कुछ वस्ल की बातों में. उम्र कटी मेरी. कुछ हिज्र की रातों में. ये किसकी निगहबानी. हुस्न है बेपरवाह. और इश्क़ में नादानी. तेरी चाल शराबी है. क्यूँ न बहक जाऊँ. मौसम भी गुलाबी है. आनन्द पाठक. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द पाठक. 2 टिप्‍पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. गीत ग़ज़ल संग्रह. हमारी वाणी. आनन्द पाठक.

2

गीत ग़ज़ल औ गीतिका: April 2015

http://www.akpathak3107.blogspot.com/2015_04_01_archive.html

गीत ग़ज़ल औ गीतिका. शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015. एक ग़ज़ल : हुस्न उनका जल्वागर था. हुस्न उनका जल्वागर था, नूर था. मैं कहाँ था ,बस वही थे, तूर था. होश में आया न आया ,क्या पता. बाद उसके उम्र भर , मख़्मूर था. एक परदा रोशनी का सामने. पास आकर भी मैं कितना दूर था. एक लम्हे की सज़ा एक उम्र थी. वो तुम्हारा कौन सा दस्तूर था. अहल-ए-दुनिया का तमाशा देखने. क्या यही मेरे लिए मंज़ूर था? खाक में मिलना था वक़्त-ए-आखिरी. किस लिए इन्सां यहाँ मग़रूर था? शब्दार्थ. आनन्द.पाठक-. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द पाठक. आनन्द.पाठक. नोट ; म&#237...

3

गीत ग़ज़ल औ गीतिका: March 2015

http://www.akpathak3107.blogspot.com/2015_03_01_archive.html

गीत ग़ज़ल औ गीतिका. मंगलवार, 31 मार्च 2015. एक ग़ज़ल : आप की नज़र. एक ग़ज़ल -आप [AAP] की नज़र - आप की बात नहीं - बात है ज़माने की]. चेहरे पे था निक़ाब ,हटाने का शुक्रिया. कितने कमीन लोग"-बताने का शुक्रिया. अच्छा हुआ कि आप ने देखा न आईना. इलजाम ऊँगलियों पे लगाने का शुक्रिया. घड़ियाल शर्मसार, तमाशा ये देख कर. मासूमियत से आँसू बहाने का शुक्रिया. हर बात पे कहना कि हमी दूध के धुले. बाक़ी सभी हैं चोर’ जताने का शुक्रिया. तुम तो चले थे लिखने कहानी नई नई. आनन्द पाठक. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द पाठक. मौसम भी बदला. इस संद&#2...

4

गीत ग़ज़ल औ गीतिका: May 2015

http://www.akpathak3107.blogspot.com/2015_05_01_archive.html

गीत ग़ज़ल औ गीतिका. रविवार, 31 मई 2015. चन्द माहिया : क़िस्त 21. दिल हो जाता है गुम. जब चल देती हो. ज़ुल्फ़ें बिखरा कर तुम. जब तुम ही नहीं होगे. फिर कैसी मंज़िल. फिर किसका पता दोगे? पर्दा वो उठा लेंगे. उस दिन हम अपनी. हस्ती को मिटा देंगे. चादर न धुली होगी. जाने से पहले. मुठ्ठी भी खुली होगी. तोते सी नज़र पलटी. ये भी हुनर उनका. एहसान फ़रामोशी. आनन्द.पाठक. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द पाठक. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. रविवार, 24 मई 2015. एक ग़ज़ल : जादू है तो उतरेगा ही. आनन्द.पाठक-. शब्दार्थ. मुजरि...पैस...

5

गीत ग़ज़ल औ गीतिका: January 2015

http://www.akpathak3107.blogspot.com/2015_01_01_archive.html

गीत ग़ज़ल औ गीतिका. शनिवार, 24 जनवरी 2015. चन्द माहिया : क़िस्त 14. कहने को याराना. वक़्त ज़रूरत पर. हो जाते हैं बेगाना. तुम से ही लगी है लौ. आना चाहो तो. आने की राहें सौ. रह-ए-इश्क़ में हूँ गाफ़िल. दुनिया कहतीहै. मंज़िल है ला-हासिल. तेरी जो तजल्ली है. अब भी है क़ायम. इस दिल को तसल्ली है. जुल्फ़ों को सुलझा लो. या तो इन्हें बाँधो. या मुझको उलझा लो. तजल्ली =ज्योति.नूर-ए-हक़]. आनन्द.पाठक. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द पाठक. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. बुधवार, 14 जनवरी 2015. इक अक्स उतर आया. आनन्द पाठक. उसन&#2375...

UPGRADE TO PREMIUM TO VIEW 14 MORE

TOTAL PAGES IN THIS WEBSITE

19

LINKS TO THIS WEBSITE

urdu-se-hindi.blogspot.com urdu-se-hindi.blogspot.com

उर्दू से हिंदी: June 2014

http://urdu-se-hindi.blogspot.com/2014_06_01_archive.html

उर्दू से हिंदी. सोमवार, 23 जून 2014. जनाब सरवर की एक ग़ज़ल :इक रिवायत के सिवा कुछ न था. इक रिवायत के सिवा कुछ न था तक़्दीर के पास. क़िब्ला-रू हो गये हम यूँ बुत-ए-तदबीर के पास! क्या हदीस-ए-ग़म-ए-दिल,कौन सा क़ुरान-ए-वफ़ा? एक तावील नहीं साहेब-ए-तफ़्सीर के पास! दिल के आईने में क्या जाने नज़र क्या आया? मुद्दतों बैठे रहे हम तिरी तस्वीर के पास! अश्क-ए-नौउमीदी-ओ-हसरत ही मुक़द्दर ठहरा. एक तोहफ़ा था यही हर्फ़-ए-गुलूगीर के पास! गोशा-ए-सब्र-ओ-सुकूं? न दीवार न दर! तू ने ऐ जान-ए-ग़ज़ल! क़िब्ला-रू. ग़म की नई बात. आनन्द पाठक. सदस&#2381...

urdu-se-hindi.blogspot.com urdu-se-hindi.blogspot.com

उर्दू से हिंदी: July 2013

http://urdu-se-hindi.blogspot.com/2013_07_01_archive.html

उर्दू से हिंदी. मंगलवार, 2 जुलाई 2013. जनाब "सरवर" की एक ग़ज़ल : हम हुए गर्दिश-ए-दौरां. हम हुए गर्दिश-ए-दौरां से परेशां क्या क्या! क्या था अफ़्साना-ए-जां और थे उन्वां क्या क्या! हर नफ़स इक नया अफ़्साना सुना कर गुज़रा. दिल पे फिर बीत गयी शाम-ए-ग़रीबां क्या क्या! तेरे आवारा कहाँ जायें किसे अपना कहें? तुझ से उम्मीद थी ऐ शहर-ए-निगारां क्या क्या! बन्दगी हुस्न की जब से हुई मेराज-ए-इश्क़. फ़ासिले और बढ़े मंज़िल-ए- गुमकर्दा के. धूप और छाँव का वो खेल! अयाज़न बिल्लाह. हैफ़ "सरवर"! आनन्द पाठक. नई पोस्ट. जनाब ...

urdu-se-hindi.blogspot.com urdu-se-hindi.blogspot.com

उर्दू से हिंदी: चन्द माहिया : क़िस्त 21

http://urdu-se-hindi.blogspot.com/2015/05/21.html

उर्दू से हिंदी. रविवार, 31 मई 2015. चन्द माहिया : क़िस्त 21. दिल हो जाता है गुम. जब चल देती हो. ज़ुल्फ़ें बिखरा कर तुम. जब तुम ही नहीं होगे. फिर कैसी मंज़िल. फिर किसका पता दोगे? पर्दा वो उठा लेंगे. उस दिन हम अपनी. हस्ती को मिटा देंगे. चादर न धुली होगी. जाने से पहले. मुठ्ठी भी खुली होगी. तोते सी नज़र पलटी. ये भी हुनर उनका. एहसान फ़रामोशी. आनन्द.पाठक. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द पाठक. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. गीत ग़ज़ल संग्रह. ब्लाग वार्ता. Download a free hit counter.

urdu-se-hindi.blogspot.com urdu-se-hindi.blogspot.com

उर्दू से हिंदी: May 2014

http://urdu-se-hindi.blogspot.com/2014_05_01_archive.html

उर्दू से हिंदी. गुरुवार, 22 मई 2014. जनाब सरवर की एक ग़ज़ल : लरज़ रहा है दिल. लरज़ रहा है दिल-ए-सौगवार आँखों में. खटक रही है शब-ए-इन्तिज़ार आँखों में! ज़रा न फ़र्क़ ख़ुदी और बेख़ुदी में रहा. न जाने क्या था तिरी मयगुसार आँखों में. यह दर्द-ए-दिल नहीं,है बाज़गस्त-ए-महरुमी. ये अश्क-ए-ग़म नहीं, है ज़िक्र-ए-यार आँखों में. सुरूर-ए-ज़ीस्त से खाली नहीं ख़िज़ां हर्गिज़. मगर है शर्त रची हो बहार आँखों में. ज़रा ज़रा से मिरे राज़ खोल देता है. मक़ाम-ए-शौक़ की सरमस्तियां, अरे तौबा! लरज़ रहा है. काँप रहा है. सरमस्तियां. आनन्द पाठक. वफ़ा ...

akpathak317.blogspot.com akpathak317.blogspot.com

अल्लम्...गल्लम्....बैठ निठ्ठ्लम्...: लघु कथा 13 : मान-सम्मान

http://akpathak317.blogspot.com/2015/03/13.html

अल्लम्.गल्लम्.बैठ निठ्ठ्लम्. बुधवार, 18 मार्च 2015. लघु कथा 13 : मान-सम्मान. नन्हें! नन्हें ने छॊटे भाई से बात की- " छोटू! पिता जी को अगर दो महीने के लिए अपने पास रख.लेता तो.". बात पूरी होने से पहले ही छोटू बोल उठा-" भईया! इस जीने से तो मर जाना बेहतर- -भईया! थक हार कर नन्हे एम्बुलेन्स’ खोजने निकल गया कि कोई उधारी में एम्बुलेन्स मिल जाता तो. तमाम उम्र इसी एहतियात में गुज़री. कि आशियाँ किसी शाख-ए-चमन पे बार न हो. बार =भार]. नन्हें ने सबको खबर कर दिया . नन्हें! पूरे शहर में कितन...जो ’मर ’ ...लघु कथ&#2...

akpathak317.blogspot.com akpathak317.blogspot.com

अल्लम्...गल्लम्....बैठ निठ्ठ्लम्...: October 2009

http://akpathak317.blogspot.com/2009_10_01_archive.html

अल्लम्.गल्लम्.बैठ निठ्ठ्लम्. रविवार, 4 अक्तूबर 2009. एक व्यंग्य: अनावरण एक(गांधी) मूर्ति का. जो पहनते नहीं वो तो ’कैबिनेट ’ में घुसे हैं और हम हैं कि सीधी करते-करते सड़क पर आ गए।’. यही दर्द ,यही टीस लिए मंच पर बैठे हुए नेता जी भाषण हेतु उठे। माइक के सामने आए।ठक-ठक कर टेस्ट किया ।आवाज़ बरोबर निकलेगी तो? धोखा तो नही देगी? देवियों और सज्जनों! मनोगत इस सभा के बाद गारंटी नहीं). तो भाईयो और बहनो! ज़िन्दाबाद! नथुआ-हत्या काण्ड किसने कराया? बोलिए भारतमाता की जय! भीड़ ने पुन: जयघोष क&...तुरन्त दि...ससुर&#236...

akpathak317.blogspot.com akpathak317.blogspot.com

अल्लम्...गल्लम्....बैठ निठ्ठ्लम्...: छ्पाना एक हिन्दी पुस्तक का.....क़िस्त 1

http://akpathak317.blogspot.com/2014/12/1.html

अल्लम्.गल्लम्.बैठ निठ्ठ्लम्. मंगलवार, 16 दिसंबर 2014. छ्पाना एक हिन्दी पुस्तक का.क़िस्त 1. 2404; हालाँकि कुछ लेखक बड़े घाँघ होते हैं। दिन के उजाले में कहते हैं -"अरे मैं! अभी धन्धे का टैम है". मैं भिखारी नहीं ,लेखक हूं"- मैने अपना परिचय दिया. हिन्दी में लिखते हो? व्यंग्य लिखते हो-तो एक ही बात है". आगे बढ़ो नी बाबा". आत्माराम एन्ड सन्स" अगली गली में रहते हैं- वहीं जाओ न बाबा! ज़रा इन भाई साहब को ! अयं। तेरा जोड़ीदार किधर है रे? क्या सोच कर लिखा था कि सरदार [प&#23...अरे वो कालिया! और यह 100-200 किता...मै ...

urdu-se-hindi.blogspot.com urdu-se-hindi.blogspot.com

उर्दू से हिंदी: February 2013

http://urdu-se-hindi.blogspot.com/2013_02_01_archive.html

उर्दू से हिंदी. सोमवार, 4 फ़रवरी 2013. उर्दू बह्र पर एक बातचीत -7 बह्र-ए-कामिल. उर्दू बह्र पर एक बातचीत -7. बह्र-ए-कामिल [1 1 2 1 2]. Disclaimer clause : -वही -[भाग -1 का]. बक़ौल डा0 कुँअर बेचैन ."’. न तुझे मिले ,न मुझे मिले. किसी याद के नए क़ाफ़िले. अब इसकी तक़्तीअ कर के भी देख लेते हैं. न तुझे मिले ,न मुझे मिले. किसी याद के नए क़ाफ़िले. हालांकि डा0 साहब ने इस की तक़्तीअ यूँ की है. 1 12 12 / 1 12 12. न तुझे मिले /,न मुझे मिले. एक बात और. को’ ’ मु तफ़ा इलुन. पिछले अक़्सात (क...हिन्दी म&...वो 2-हर&#...

urdu-se-hindi.blogspot.com urdu-se-hindi.blogspot.com

उर्दू से हिंदी: August 2014

http://urdu-se-hindi.blogspot.com/2014_08_01_archive.html

उर्दू से हिंदी. शनिवार, 30 अगस्त 2014. उर्दू बहर पर एक बातचीत : क़िस्त 09. Disclaimer clause - वही जो मज़मून क़िस्त 1- में था]. पिछले क़िस्त -8 में मैने उर्दू शायरी में मुस्तमिल [इस्तेमाल में] 19- बहूर [ ब0ब0 बह्र] का ज़िक़्र किया था और उनके नाम और वज़न पर बातचीत की थी ।. पर देख सकते हैं. 1- फ़ ऊ लुन =. 1 2 2 = बह्र मुतक़ारिब की बुनियादी और सालिम रुक्न है. 2-फ़ा इ लुन. 2 1 2 = बह्र मुतदारिक की बुनियादी और सालिम रुक्न है. 3-मफ़ा ई लुन. 4- फ़ा इला तुन= 2 1 2 2. तो फिर? देखिये कैसे? हिन्दी छन्द ...क्लास&#23...बहर बज़&#2...

urdu-se-hindi.blogspot.com urdu-se-hindi.blogspot.com

उर्दू से हिंदी: April 2015

http://urdu-se-hindi.blogspot.com/2015_04_01_archive.html

उर्दू से हिंदी. शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015. एक ग़ज़ल ; हुस्न उनका जल्वागर था. हुस्न उनका जल्वागर था, नूर था. मैं कहाँ था ,बस वही थे, तूर था. होश में आया न आया ,क्या पता. बाद उसके उम्र भर , मख़्मूर था. एक परदा रोशनी का सामने. पास आकर भी मैं कितना दूर था. एक लम्हे की सज़ा एक उम्र थी. वो तुम्हारा कौन सा दस्तूर था. अहल-ए-दुनिया का तमाशा देखने. क्या यही मेरे लिए मंज़ूर था? खाक में मिलना था वक़्त-ए-आखिरी. किस लिए इन्सां यहाँ मग़रूर था? राह-ए-उल्फ़त में हज़ारों मिट गये. शब्दार्थ. आनन्द.पाठक-. आनन्द पाठक. जहाँ ...ब्ल...

UPGRADE TO PREMIUM TO VIEW 30 MORE

TOTAL LINKS TO THIS WEBSITE

40

SOCIAL ENGAGEMENT



OTHER SITES

akpatchauthor.com akpatchauthor.com

AK Patch Author | Passage at Delphi - A Novel - Book One of the Apollo Series

TO WATCH THE OFFICIAL TRAILER. Buy Passage at Delphi! Passage at Delphi provides an unusual blend of history and adventure. Thriller that juxtaposes past and present worlds and connects three very. Different places and times in one story. Midwest Book Review Diane Donovan. Feb 7th and Feb 23rd the Passage at Delphi Book Tour Heads to the Hellenic Society and to Vista in San Diego, CA! Welcome to the Official Website of Allan Patch. Author Entrepreneur Ancient History Expert. Learn More About The Author.

akpatches.com akpatches.com

/Alaska Police Patch Source

Welcome to the Alaska Police Patch Source. Alaska Police and Fire Patches available to collectors. See if we have that hard to get Alaska patch you want. Welcome to Anchorage Alaska! This page was developed to help other Alaska Police patch collectors. Those that collect Alaska know patches are very hard to obtain, so I started this with the idea to help other collectors get Alaskan items. I will trade patches from my list for other Alaskan patches I need, I only collect Alaska however.

akpatent.com akpatent.com

Ak Patent

Patent ve Faydalı Model. Globalleşen dünyada en iyi organize olmuş sektörler arasında bulunan Marka Tescili, Türkiye'nin de birçok uluslararası. Marka izleme marka başvurusundan veya sonra yapılan bir işlemdir. T. C. Türk Patent Enstitüsüne başvurulan markalar. Patent, buluş sahibinin buluş konusu ürünü belirli bir süre üretme, kullanma, satma veya ithal etme hakkıdır. Bir Endüstriyel Tasarımın tescil edilmesi o Tasarımın tam olarak korunduğu anlamına gelmemektedir. Günümüzde tanınmış.

akpatent.info akpatent.info

akpatent.info

Uzantısı sadece 56.99 TL. Bu web sayfası TURKTICARET.Net. Tarafından ücretsiz park edildi. İletişime Geç - akpatent.info. Satılık Domain Alan Adı. Türkçe Domain Alan Adı. Mobil Ödeme ile Domain. Alan Adı Tahsis Formu. TR Domain İçin Gerekli Belgeler. Tek Sayfa Web Sitesi. Marka Tescili Nasıl Yapılır? Marka Tescil için Gerekli Evraklar. Online Marka Tescili Sorgulama. Yurt Dışı Marka Tescili. Bilg Prog. ve Veritabanı Tescili. Marka Tescil Belgesi Nasıl Alınır? Telif Hakkı Nasıl Alınır? Web Sitesi Satın AL.

akpathak.com akpathak.com

Welcome! Coaching for Physics XI, XII , IIT, PMT Gomti Nagar , Lucknow

Study Material for learning. Ask Question any query. I'm currently available for freelancer work. I love creating beautiful, simple and effective designs. Welcome to EDU-CRAFTERS ACADEMY. Ajay Kumar Pathak's Physics Classes. Was started in the year 1996 in Gomti Nagar, Lucknow under the banner of TUITION POINT for the students of classes XI and XII. Over the years the institute produced the best results and winners in academic field. Classes for IX and are conducted at 1/711, VISHAL KHAND, GOMTI NAGAR.

akpathak3107.blogspot.com akpathak3107.blogspot.com

गीत ग़ज़ल औ गीतिका

गीत ग़ज़ल औ गीतिका. रविवार, 19 जुलाई 2015. एक ग़ज़ल : रास्ता इक और . रास्ता इक और आयेगा निकल. हौसले से दो क़दम आगे तो चल. लोग कहते हैं भले ,कहते रहें. तू इरादों मे न कर रद्द-ओ-बदल. यूँ हज़ारो लोग मिलते हैं यहाँ. 8217;आदमी’ मिलता कहाँ है आजकल. इन्क़लाबी सोच है उसकी ,मगर. क्यूँ बदल जाता है वो वक़्त-ए-अमल. इक मुहब्बत की अजब तासीर से. लोग जो पत्थर से हैं ,जाएं पिघल. इक ग़म-ए-जानाँ ही क्यूँ हर्फ़-ए-सुखन. कुछ ग़म-ए-दौराँ भी कर ,हुस्न-ए-ग़ज़ल. इस लिए ’आनन’ न तू ज़्यादा उछल. आनन्द.पाठक-. शब्दार्थ. आनन्द पाठक. तेर&#237...

akpathak317.blogspot.com akpathak317.blogspot.com

अल्लम्...गल्लम्....बैठ निठ्ठ्लम्...

अल्लम्.गल्लम्.बैठ निठ्ठ्लम्. रविवार, 22 मार्च 2015. लघु कथा :शान्ति भंग. उस मकान वाले को इस मुहल्ले से निकालो। एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर रही है । मकान में अवैध धन्धा चलवा रहा है’- - बूढ़े व्यक्ति ने चिल्ला चिल्ला कर कहा. किसी ने अपनी खिड़कियाँ नहीं खोली. थाने में रिपोर्ट लिखाने गया-रिपोर्ट नहीं लिखी गई. कुछ दिनो बाद. उसे गिरफ़्तार कर लिया गया -शान्ति-भंग के जुर्म में. कि वह बूढ़ा आदमी मुहल्ले का शान्ति भंग कर रहा था. आनन्द.पाठक. प्रस्तुतकर्ता आनन्द पाठक. 0 टिप्पणियाँ. नन्हें! बार =भार]. पिता...पूर...

akpatient.dk akpatient.dk

Blodprop- og AK-patientforeningen

Bestyrelsens beretning for året 2014 v. formand Preben Mandrup. Er du i blodfortyndende behandling med Marevan eller Marcoumar, så kom til foredrag om emnet på Vejle Sygehus den 3. november 2014. Se opslaget under nyheder. Velkommen til Blodprop- og AK-Patientforeningens hjemmeside. Vi er en forening for patienter, der er i blodpropforebyggende behandling. Det koster 120 kr. om året for en enkelt person og 200 kr. om året for en familie. Klik på "Meld dig ind" øverst til højre på denne side. Har du spørg...

akpatil.blogspot.com akpatil.blogspot.com

( ! )

An assortment of the interesting, intriguing, and insipid. Saturday, February 16, 2008. The part where I lose something. In the unlikely (but hopeful) event that you, the person who found my bag, had the incredible insight to Google [Akshay Patil] and found this blog post, please know that you can contact me at akshay. Sunday, February 10, 2008. Don't have anything much more to say at the moment. I've been keeping notes and maybe I'll write up some posts whilst we're driving (or maybe I'll actually l...

akpatina.com akpatina.com

Site Unavailable

This site is currently unavailable.