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अल्लम्...गल्लम्....बैठ निठ्ठ्लम्...

अल्लम्.गल्लम्.बैठ निठ्ठ्लम्. रविवार, 22 मार्च 2015. लघु कथा :शान्ति भंग. उस मकान वाले को इस मुहल्ले से निकालो। एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर रही है । मकान में अवैध धन्धा चलवा रहा है’- - बूढ़े व्यक्ति ने चिल्ला चिल्ला कर कहा. किसी ने अपनी खिड़कियाँ नहीं खोली. थाने में रिपोर्ट लिखाने गया-रिपोर्ट नहीं लिखी गई. कुछ दिनो बाद. उसे गिरफ़्तार कर लिया गया -शान्ति-भंग के जुर्म में. कि वह बूढ़ा आदमी मुहल्ले का शान्ति भंग कर रहा था. आनन्द.पाठक. प्रस्तुतकर्ता आनन्द पाठक. 0 टिप्पणियाँ. नन्हें! बार =भार]. पिता...पूर...

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अल्लम्.गल्लम्.बैठ निठ्ठ्लम्. रविवार, 22 मार्च 2015. लघु कथा :शान्ति भंग. उस मकान वाले को इस मुहल्ले से निकालो। एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर रही है । मकान में अवैध धन्धा चलवा रहा है’- - बूढ़े व्यक्ति ने चिल्ला चिल्ला कर कहा. किसी ने अपनी खिड़कियाँ नहीं खोली. थाने में रिपोर्ट लिखाने गया-रिपोर्ट नहीं लिखी गई. कुछ दिनो बाद. उसे गिरफ़्तार कर लिया गया -शान्ति-भंग के जुर्म में. कि वह बूढ़ा आदमी मुहल्ले का शान्ति भंग कर रहा था. आनन्द.पाठक. प्रस्तुतकर्ता आनन्द पाठक. 0 टिप्पणियाँ. नन्हें! बार =भार]. पिता...पूर...
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अल्लम्.गल्लम्.बैठ निठ्ठ्लम्. रविवार, 22 मार्च 2015. लघु कथा :शान्ति भंग. उस मकान वाले को इस मुहल्ले से निकालो। एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर रही है । मकान में अवैध धन्धा चलवा रहा है’- - बूढ़े व्यक्ति ने चिल्ला चिल्ला कर कहा. किसी ने अपनी खिड़कियाँ नहीं खोली. थाने में रिपोर्ट लिखाने गया-रिपोर्ट नहीं लिखी गई. कुछ दिनो बाद. उसे गिरफ़्तार कर लिया गया -शान्ति-भंग के जुर्म में. कि वह बूढ़ा आदमी मुहल्ले का शान्ति भंग कर रहा था. आनन्द.पाठक. प्रस्तुतकर्ता आनन्द पाठक. 0 टिप्पणियाँ. नन्हें! बार =भार]. पिता...पूर...

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अल्लम्...गल्लम्....बैठ निठ्ठ्लम्...: August 2009

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अल्लम्.गल्लम्.बैठ निठ्ठ्लम्. शुक्रवार, 7 अगस्त 2009. एक व्यंग्य: समर्पित है . एक व्यंग्य : समर्पित है. कन्या रूचि वदन नहीं तो सजना क्या! अन्यथा ,कहानी लेखन में क्या है? क्या अभिनव प्रयोग है! हिंदी कहानी में ’रूपान्तरवाद"-नकलवाद? सामयिक साहित्यकार क्या कहते! कृशन चन्दर के गधे! कस्तूरी कुण्डल बसे मृग ढूढे बन माहि। अरे भद्र पुरूष! कुछ तो मौलिक कर ,समर्पण तो मौलिक लिख।. समर्पित है. अपनी "उसको". जिसकी प्रेरणा से. यह संग्रह निर्विघ्न निकालना. सम्भव हुआ ". मगर हतभाग्य! कम से कम ऊपरी आमदनी त&#2...कुछ त&#23...

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अल्लम्...गल्लम्....बैठ निठ्ठ्लम्...: July 2009

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अल्लम्.गल्लम्.बैठ निठ्ठ्लम्. शनिवार, 25 जुलाई 2009. एक व्यंग्य : सखेद सधन्यवाद ,. वैसे रचनाएं लौटती तो बहुतों की हैं ,मगर प्रत्यक्ष प्रगट नहीं करते ।यदि किसी ने पूछ लिया तो कहते हैं -’भईए! यह पत्रिकावाले मानते ही नहीं थे,बहुत आग्रह किया तो देना ही पड़ा।. फ़िर रचना की छ्पी प्रतियां बन्दरिया की तरह सीने से लगाए गोष्ठी-गोष्टी घूमते रहते हैं. मिश्रा! क्या फिर कोई ’अमर’ रचना वापस लौट आई है? 8217;-मिश्रा ने पूछा. तुम्हे कैसे मालूम? मैनें आश्चर्यचकित होकर पूछा. भारतेन्दु काल से...मिश्रा जी...8217;और इलाह&#2...

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अल्लम्...गल्लम्....बैठ निठ्ठ्लम्...: एक लघु व्यंग्य कथा-06

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अल्लम्.गल्लम्.बैठ निठ्ठ्लम्. बुधवार, 11 फ़रवरी 2015. एक लघु व्यंग्य कथा-06. एक लघु व्यंग्य कथा- 06. नेता जी ने तालाब का उद्घाटन कर दिया। तालियां बजने लगीं।किनारे पर बैठा मेढक, मारे डर के छपाक से पानी में कूद गया. तालाब में मेढक के साथियों ने पूछा- क्या हुआ? घबराए हुए क्यों हो? मेढक - मैने एक नेता देखा. अन्य मेढक ने पूछा - नेता कैसा होता है? अन्य मेढक ने पूछा- खादी कैसा होता? मेढक -सफ़ेद होता है. अन्य मेढक - तोंद कैसी होती है? आनन्द पाठक-. प्रस्तुतकर्ता आनन्द पाठक. नई पोस्ट. गीत ग़ज़ल संग्रह. व्य&#2306...

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अल्लम्...गल्लम्....बैठ निठ्ठ्लम्...: लघु व्यंग्य कथा 12 : अस्मिन असार संसारे.....

http://www.akpathak317.blogspot.com/2015/03/12.html

अल्लम्.गल्लम्.बैठ निठ्ठ्लम्. मंगलवार, 10 मार्च 2015. लघु व्यंग्य कथा 12 : अस्मिन असार संसारे. 8217;तीये’ की बैठक चल रही है । पंडित जी प्रवचन कर रहे हैं -"अस्मिन असार संसारे! इस असार संसार में .जगत मिथ्या है .ईश्वर अंश .जीव अविनाशी. अन्त में .अब हम सब मिल कर प्रार्थना करें कि भगवान मॄतक की आत्मा को शान्ति प्रदान करें और और परिवार को दुख...पैसा हाथ का मैल है . आनन्द.पाठक. प्रस्तुतकर्ता आनन्द पाठक. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. गीत ग़ज़ल संग्रह. यह कैसे? मै&#23...

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अल्लम्...गल्लम्....बैठ निठ्ठ्लम्...: छपवाना एक हिन्दी पुस्तक का...[आखिरी क़िस्त-2] व्यंग्य

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अल्लम्.गल्लम्.बैठ निठ्ठ्लम्. शनिवार, 20 दिसंबर 2014. छपवाना एक हिन्दी पुस्तक का.[आखिरी क़िस्त-2] व्यंग्य. आशा बलवती राजन! अच्छा तो आप ही हैं जिसने "चलते चलते ." व्यंग्य में हम प्रकाशकों की खिल्ली उड़ाई थी? माफ़ करना बाबा ,हम चालू-चलन्त.लेखकों की कृतियाँ नहीं छापते।. इस प्रकाशक को थोड़ी से सदबुद्धि भी दे ।मैं बाहर निकल आया. किसी साहब ने बज़ा फ़र्माया है. मैं इसे शोहरत कहूँ या अपनी रुस्वाई कहूँ. मुझ से पहले उस गली में मेरे अफ़साने गए. Xxx xxxx xxxx - - -. एक सप्ताह बाद. आओ बेटा! एक भी बिकी? आगे चलो न ...बिह...

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उर्दू से हिंदी: July 2013

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उर्दू से हिंदी. मंगलवार, 2 जुलाई 2013. जनाब "सरवर" की एक ग़ज़ल : हम हुए गर्दिश-ए-दौरां. हम हुए गर्दिश-ए-दौरां से परेशां क्या क्या! क्या था अफ़्साना-ए-जां और थे उन्वां क्या क्या! हर नफ़स इक नया अफ़्साना सुना कर गुज़रा. दिल पे फिर बीत गयी शाम-ए-ग़रीबां क्या क्या! तेरे आवारा कहाँ जायें किसे अपना कहें? तुझ से उम्मीद थी ऐ शहर-ए-निगारां क्या क्या! बन्दगी हुस्न की जब से हुई मेराज-ए-इश्क़. फ़ासिले और बढ़े मंज़िल-ए- गुमकर्दा के. धूप और छाँव का वो खेल! अयाज़न बिल्लाह. हैफ़ "सरवर"! आनन्द पाठक. नई पोस्ट. जनाब ...

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उर्दू से हिंदी: चन्द माहिया : क़िस्त 21

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उर्दू से हिंदी. रविवार, 31 मई 2015. चन्द माहिया : क़िस्त 21. दिल हो जाता है गुम. जब चल देती हो. ज़ुल्फ़ें बिखरा कर तुम. जब तुम ही नहीं होगे. फिर कैसी मंज़िल. फिर किसका पता दोगे? पर्दा वो उठा लेंगे. उस दिन हम अपनी. हस्ती को मिटा देंगे. चादर न धुली होगी. जाने से पहले. मुठ्ठी भी खुली होगी. तोते सी नज़र पलटी. ये भी हुनर उनका. एहसान फ़रामोशी. आनन्द.पाठक. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द पाठक. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. गीत ग़ज़ल संग्रह. ब्लाग वार्ता. Download a free hit counter.

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उर्दू से हिंदी: May 2014

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उर्दू से हिंदी. गुरुवार, 22 मई 2014. जनाब सरवर की एक ग़ज़ल : लरज़ रहा है दिल. लरज़ रहा है दिल-ए-सौगवार आँखों में. खटक रही है शब-ए-इन्तिज़ार आँखों में! ज़रा न फ़र्क़ ख़ुदी और बेख़ुदी में रहा. न जाने क्या था तिरी मयगुसार आँखों में. यह दर्द-ए-दिल नहीं,है बाज़गस्त-ए-महरुमी. ये अश्क-ए-ग़म नहीं, है ज़िक्र-ए-यार आँखों में. सुरूर-ए-ज़ीस्त से खाली नहीं ख़िज़ां हर्गिज़. मगर है शर्त रची हो बहार आँखों में. ज़रा ज़रा से मिरे राज़ खोल देता है. मक़ाम-ए-शौक़ की सरमस्तियां, अरे तौबा! लरज़ रहा है. काँप रहा है. सरमस्तियां. आनन्द पाठक. वफ़ा ...

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गीत ग़ज़ल औ गीतिका: October 2014

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गीत ग़ज़ल औ गीतिका. रविवार, 26 अक्तूबर 2014. चन्द माहिया : क़िस्त 10. रंगोली आँगन की. देख रही रस्ता. गोरी के साजन की. धोखा ही सही ,माना. अच्छा लगता है. तुम से धोखा खाना. औरों से रज़ामन्दी. तेरी महफ़िल में. मेरी ही जुबांबन्दी. माटी से बनाते हो. क्या मिलता है जब. माटी में मिलाते हो? गो नज़र न आता है. दिल में है कोई. जो राह दिखाता है. आनन्द.पाठक-. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द पाठक. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. बुधवार, 22 अक्तूबर 2014. आप सबको दिवाली की शुभकामना. आनन्द.पाठक-. आनन्द पाठक. हमारे द&...5 ट&#2367...

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गीत ग़ज़ल औ गीतिका: January 2015

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गीत ग़ज़ल औ गीतिका. शनिवार, 24 जनवरी 2015. चन्द माहिया : क़िस्त 14. कहने को याराना. वक़्त ज़रूरत पर. हो जाते हैं बेगाना. तुम से ही लगी है लौ. आना चाहो तो. आने की राहें सौ. रह-ए-इश्क़ में हूँ गाफ़िल. दुनिया कहतीहै. मंज़िल है ला-हासिल. तेरी जो तजल्ली है. अब भी है क़ायम. इस दिल को तसल्ली है. जुल्फ़ों को सुलझा लो. या तो इन्हें बाँधो. या मुझको उलझा लो. तजल्ली =ज्योति.नूर-ए-हक़]. आनन्द.पाठक. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द पाठक. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. बुधवार, 14 जनवरी 2015. इक अक्स उतर आया. आनन्द पाठक. उसन&#2375...

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उर्दू से हिंदी: February 2013

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उर्दू से हिंदी. सोमवार, 4 फ़रवरी 2013. उर्दू बह्र पर एक बातचीत -7 बह्र-ए-कामिल. उर्दू बह्र पर एक बातचीत -7. बह्र-ए-कामिल [1 1 2 1 2]. Disclaimer clause : -वही -[भाग -1 का]. बक़ौल डा0 कुँअर बेचैन ."’. न तुझे मिले ,न मुझे मिले. किसी याद के नए क़ाफ़िले. अब इसकी तक़्तीअ कर के भी देख लेते हैं. न तुझे मिले ,न मुझे मिले. किसी याद के नए क़ाफ़िले. हालांकि डा0 साहब ने इस की तक़्तीअ यूँ की है. 1 12 12 / 1 12 12. न तुझे मिले /,न मुझे मिले. एक बात और. को’ ’ मु तफ़ा इलुन. पिछले अक़्सात (क...हिन्दी म&...वो 2-हर&#...

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उर्दू से हिंदी: August 2014

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उर्दू से हिंदी. शनिवार, 30 अगस्त 2014. उर्दू बहर पर एक बातचीत : क़िस्त 09. Disclaimer clause - वही जो मज़मून क़िस्त 1- में था]. पिछले क़िस्त -8 में मैने उर्दू शायरी में मुस्तमिल [इस्तेमाल में] 19- बहूर [ ब0ब0 बह्र] का ज़िक़्र किया था और उनके नाम और वज़न पर बातचीत की थी ।. पर देख सकते हैं. 1- फ़ ऊ लुन =. 1 2 2 = बह्र मुतक़ारिब की बुनियादी और सालिम रुक्न है. 2-फ़ा इ लुन. 2 1 2 = बह्र मुतदारिक की बुनियादी और सालिम रुक्न है. 3-मफ़ा ई लुन. 4- फ़ा इला तुन= 2 1 2 2. तो फिर? देखिये कैसे? हिन्दी छन्द ...क्लास&#23...बहर बज़&#2...

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उर्दू से हिंदी: April 2015

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उर्दू से हिंदी. शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015. एक ग़ज़ल ; हुस्न उनका जल्वागर था. हुस्न उनका जल्वागर था, नूर था. मैं कहाँ था ,बस वही थे, तूर था. होश में आया न आया ,क्या पता. बाद उसके उम्र भर , मख़्मूर था. एक परदा रोशनी का सामने. पास आकर भी मैं कितना दूर था. एक लम्हे की सज़ा एक उम्र थी. वो तुम्हारा कौन सा दस्तूर था. अहल-ए-दुनिया का तमाशा देखने. क्या यही मेरे लिए मंज़ूर था? खाक में मिलना था वक़्त-ए-आखिरी. किस लिए इन्सां यहाँ मग़रूर था? राह-ए-उल्फ़त में हज़ारों मिट गये. शब्दार्थ. आनन्द.पाठक-. आनन्द पाठक. जहाँ ...ब्ल...

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उर्दू से हिंदी: February 2015

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उर्दू से हिंदी. शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015. चन्द माहिया : क़िस्त 16. किस बात का हंगामा. ज़ेर-ए-नज़र तेरी. मेरा है अमलनामा. जो चाहे सज़ा दे दो. उफ़ न करेंगे हम. पर अपना पता दे दो. वो जितनी जफ़ा करते. क्या जाने हैं वो. हम उतनी वफ़ा करते. क़तरा-ए-समन्दर हूँ. जितना हूँ बाहर. उतना ही अन्दर हूँ. इज़हार-ए-मुहब्बत है. रुसवा क्या होना. बस एक अक़ीदत है. शब्दार्थ ज़ेर-ए-नज़र = नज़रों के सामने. अमलनामा =कर्मों का हिसाब-किताब. आनन्द.पाठक. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द पाठक. 4 टिप्‍पणियां:. बुधवार, 11 फ़रवरी 2015. इस बार मेढक प&#...तभी...

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उर्दू से हिंदी: October 2013

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उर्दू से हिंदी. शनिवार, 19 अक्तूबर 2013. उर्दू बहर पर एक बातचीत - क़िस्त 8. Disclaimer clause : -वही भाग 1 का ]. प्राक् कथन- इस मज़मून [आलेख] के भाग-7 तक इस मंच पर तथा अपने Blog. Wwwurdu-se-hindi.blogspot.in पर लगा चुका हूँ ,पाठकगण यदि देखना चाहें तो वहाँ देख सकते हैं. जैसे किसी काव्य के दो-पहलू होते है ,वैसे ही उर्दू शायरी में भी दो-पहलू हैं. सालिम बहूर. 1 बह्र-ए-मुतक़ारिब. फ़ ऊ लुन्. 2 बह्र-ए-मुत्दारिक़. फ़ा इ लुन्. 3 बह्र-ए-हज़ज. मफ़ा ई लुन्. फ़ा इला तुन्. 5 बह्र-ए-रजज़. 2 2 2 1 मफ़ ऊ लात. 2 1 2 2 2 2...

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Patent ve Faydalı Model. Globalleşen dünyada en iyi organize olmuş sektörler arasında bulunan Marka Tescili, Türkiye'nin de birçok uluslararası. Marka izleme marka başvurusundan veya sonra yapılan bir işlemdir. T. C. Türk Patent Enstitüsüne başvurulan markalar. Patent, buluş sahibinin buluş konusu ürünü belirli bir süre üretme, kullanma, satma veya ithal etme hakkıdır. Bir Endüstriyel Tasarımın tescil edilmesi o Tasarımın tam olarak korunduğu anlamına gelmemektedir. Günümüzde tanınmış.

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गीत ग़ज़ल औ गीतिका

गीत ग़ज़ल औ गीतिका. रविवार, 19 जुलाई 2015. एक ग़ज़ल : रास्ता इक और . रास्ता इक और आयेगा निकल. हौसले से दो क़दम आगे तो चल. लोग कहते हैं भले ,कहते रहें. तू इरादों मे न कर रद्द-ओ-बदल. यूँ हज़ारो लोग मिलते हैं यहाँ. 8217;आदमी’ मिलता कहाँ है आजकल. इन्क़लाबी सोच है उसकी ,मगर. क्यूँ बदल जाता है वो वक़्त-ए-अमल. इक मुहब्बत की अजब तासीर से. लोग जो पत्थर से हैं ,जाएं पिघल. इक ग़म-ए-जानाँ ही क्यूँ हर्फ़-ए-सुखन. कुछ ग़म-ए-दौराँ भी कर ,हुस्न-ए-ग़ज़ल. इस लिए ’आनन’ न तू ज़्यादा उछल. आनन्द.पाठक-. शब्दार्थ. आनन्द पाठक. तेर&#237...

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अल्लम्.गल्लम्.बैठ निठ्ठ्लम्. रविवार, 22 मार्च 2015. लघु कथा :शान्ति भंग. उस मकान वाले को इस मुहल्ले से निकालो। एक मछली सारे तालाब को गन्दा कर रही है । मकान में अवैध धन्धा चलवा रहा है’- - बूढ़े व्यक्ति ने चिल्ला चिल्ला कर कहा. किसी ने अपनी खिड़कियाँ नहीं खोली. थाने में रिपोर्ट लिखाने गया-रिपोर्ट नहीं लिखी गई. कुछ दिनो बाद. उसे गिरफ़्तार कर लिया गया -शान्ति-भंग के जुर्म में. कि वह बूढ़ा आदमी मुहल्ले का शान्ति भंग कर रहा था. आनन्द.पाठक. प्रस्तुतकर्ता आनन्द पाठक. 0 टिप्पणियाँ. नन्हें! बार =भार]. पिता...पूर...

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Bestyrelsens beretning for året 2014 v. formand Preben Mandrup. Er du i blodfortyndende behandling med Marevan eller Marcoumar, så kom til foredrag om emnet på Vejle Sygehus den 3. november 2014. Se opslaget under nyheder. Velkommen til Blodprop- og AK-Patientforeningens hjemmeside. Vi er en forening for patienter, der er i blodpropforebyggende behandling. Det koster 120 kr. om året for en enkelt person og 200 kr. om året for en familie. Klik på "Meld dig ind" øverst til højre på denne side. Har du spørg...

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An assortment of the interesting, intriguing, and insipid. Saturday, February 16, 2008. The part where I lose something. In the unlikely (but hopeful) event that you, the person who found my bag, had the incredible insight to Google [Akshay Patil] and found this blog post, please know that you can contact me at akshay. Sunday, February 10, 2008. Don't have anything much more to say at the moment. I've been keeping notes and maybe I'll write up some posts whilst we're driving (or maybe I'll actually l...

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