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उर्दू से हिंदी: July 2013
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उर्दू से हिंदी. मंगलवार, 2 जुलाई 2013. जनाब "सरवर" की एक ग़ज़ल : हम हुए गर्दिश-ए-दौरां. हम हुए गर्दिश-ए-दौरां से परेशां क्या क्या! क्या था अफ़्साना-ए-जां और थे उन्वां क्या क्या! हर नफ़स इक नया अफ़्साना सुना कर गुज़रा. दिल पे फिर बीत गयी शाम-ए-ग़रीबां क्या क्या! तेरे आवारा कहाँ जायें किसे अपना कहें? तुझ से उम्मीद थी ऐ शहर-ए-निगारां क्या क्या! बन्दगी हुस्न की जब से हुई मेराज-ए-इश्क़. फ़ासिले और बढ़े मंज़िल-ए- गुमकर्दा के. धूप और छाँव का वो खेल! अयाज़न बिल्लाह. हैफ़ "सरवर"! आनन्द पाठक. नई पोस्ट. जनाब ...
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उर्दू से हिंदी: चन्द माहिया : क़िस्त 21
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उर्दू से हिंदी. रविवार, 31 मई 2015. चन्द माहिया : क़िस्त 21. दिल हो जाता है गुम. जब चल देती हो. ज़ुल्फ़ें बिखरा कर तुम. जब तुम ही नहीं होगे. फिर कैसी मंज़िल. फिर किसका पता दोगे? पर्दा वो उठा लेंगे. उस दिन हम अपनी. हस्ती को मिटा देंगे. चादर न धुली होगी. जाने से पहले. मुठ्ठी भी खुली होगी. तोते सी नज़र पलटी. ये भी हुनर उनका. एहसान फ़रामोशी. आनन्द.पाठक. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द पाठक. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. गीत ग़ज़ल संग्रह. ब्लाग वार्ता. Download a free hit counter.
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उर्दू से हिंदी: May 2014
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उर्दू से हिंदी. गुरुवार, 22 मई 2014. जनाब सरवर की एक ग़ज़ल : लरज़ रहा है दिल. लरज़ रहा है दिल-ए-सौगवार आँखों में. खटक रही है शब-ए-इन्तिज़ार आँखों में! ज़रा न फ़र्क़ ख़ुदी और बेख़ुदी में रहा. न जाने क्या था तिरी मयगुसार आँखों में. यह दर्द-ए-दिल नहीं,है बाज़गस्त-ए-महरुमी. ये अश्क-ए-ग़म नहीं, है ज़िक्र-ए-यार आँखों में. सुरूर-ए-ज़ीस्त से खाली नहीं ख़िज़ां हर्गिज़. मगर है शर्त रची हो बहार आँखों में. ज़रा ज़रा से मिरे राज़ खोल देता है. मक़ाम-ए-शौक़ की सरमस्तियां, अरे तौबा! लरज़ रहा है. काँप रहा है. सरमस्तियां. आनन्द पाठक. वफ़ा ...
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गीत ग़ज़ल औ गीतिका: October 2014
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गीत ग़ज़ल औ गीतिका. रविवार, 26 अक्तूबर 2014. चन्द माहिया : क़िस्त 10. रंगोली आँगन की. देख रही रस्ता. गोरी के साजन की. धोखा ही सही ,माना. अच्छा लगता है. तुम से धोखा खाना. औरों से रज़ामन्दी. तेरी महफ़िल में. मेरी ही जुबांबन्दी. माटी से बनाते हो. क्या मिलता है जब. माटी में मिलाते हो? गो नज़र न आता है. दिल में है कोई. जो राह दिखाता है. आनन्द.पाठक-. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द पाठक. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. बुधवार, 22 अक्तूबर 2014. आप सबको दिवाली की शुभकामना. आनन्द.पाठक-. आनन्द पाठक. हमारे द&...5 टि...
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गीत ग़ज़ल औ गीतिका: January 2015
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गीत ग़ज़ल औ गीतिका. शनिवार, 24 जनवरी 2015. चन्द माहिया : क़िस्त 14. कहने को याराना. वक़्त ज़रूरत पर. हो जाते हैं बेगाना. तुम से ही लगी है लौ. आना चाहो तो. आने की राहें सौ. रह-ए-इश्क़ में हूँ गाफ़िल. दुनिया कहतीहै. मंज़िल है ला-हासिल. तेरी जो तजल्ली है. अब भी है क़ायम. इस दिल को तसल्ली है. जुल्फ़ों को सुलझा लो. या तो इन्हें बाँधो. या मुझको उलझा लो. तजल्ली =ज्योति.नूर-ए-हक़]. आनन्द.पाठक. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द पाठक. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. बुधवार, 14 जनवरी 2015. इक अक्स उतर आया. आनन्द पाठक. उसने...
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उर्दू से हिंदी: February 2013
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उर्दू से हिंदी. सोमवार, 4 फ़रवरी 2013. उर्दू बह्र पर एक बातचीत -7 बह्र-ए-कामिल. उर्दू बह्र पर एक बातचीत -7. बह्र-ए-कामिल [1 1 2 1 2]. Disclaimer clause : -वही -[भाग -1 का]. बक़ौल डा0 कुँअर बेचैन ."’. न तुझे मिले ,न मुझे मिले. किसी याद के नए क़ाफ़िले. अब इसकी तक़्तीअ कर के भी देख लेते हैं. न तुझे मिले ,न मुझे मिले. किसी याद के नए क़ाफ़िले. हालांकि डा0 साहब ने इस की तक़्तीअ यूँ की है. 1 12 12 / 1 12 12. न तुझे मिले /,न मुझे मिले. एक बात और. को’ ’ मु तफ़ा इलुन. पिछले अक़्सात (क...हिन्दी म&...वो 2-हर&#...
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उर्दू से हिंदी: August 2014
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उर्दू से हिंदी. शनिवार, 30 अगस्त 2014. उर्दू बहर पर एक बातचीत : क़िस्त 09. Disclaimer clause - वही जो मज़मून क़िस्त 1- में था]. पिछले क़िस्त -8 में मैने उर्दू शायरी में मुस्तमिल [इस्तेमाल में] 19- बहूर [ ब0ब0 बह्र] का ज़िक़्र किया था और उनके नाम और वज़न पर बातचीत की थी ।. पर देख सकते हैं. 1- फ़ ऊ लुन =. 1 2 2 = बह्र मुतक़ारिब की बुनियादी और सालिम रुक्न है. 2-फ़ा इ लुन. 2 1 2 = बह्र मुतदारिक की बुनियादी और सालिम रुक्न है. 3-मफ़ा ई लुन. 4- फ़ा इला तुन= 2 1 2 2. तो फिर? देखिये कैसे? हिन्दी छन्द ...क्लास...बहर बज़...
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उर्दू से हिंदी: April 2015
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उर्दू से हिंदी. शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015. एक ग़ज़ल ; हुस्न उनका जल्वागर था. हुस्न उनका जल्वागर था, नूर था. मैं कहाँ था ,बस वही थे, तूर था. होश में आया न आया ,क्या पता. बाद उसके उम्र भर , मख़्मूर था. एक परदा रोशनी का सामने. पास आकर भी मैं कितना दूर था. एक लम्हे की सज़ा एक उम्र थी. वो तुम्हारा कौन सा दस्तूर था. अहल-ए-दुनिया का तमाशा देखने. क्या यही मेरे लिए मंज़ूर था? खाक में मिलना था वक़्त-ए-आखिरी. किस लिए इन्सां यहाँ मग़रूर था? राह-ए-उल्फ़त में हज़ारों मिट गये. शब्दार्थ. आनन्द.पाठक-. आनन्द पाठक. जहाँ ...ब्ल...
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उर्दू से हिंदी: February 2015
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उर्दू से हिंदी. शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015. चन्द माहिया : क़िस्त 16. किस बात का हंगामा. ज़ेर-ए-नज़र तेरी. मेरा है अमलनामा. जो चाहे सज़ा दे दो. उफ़ न करेंगे हम. पर अपना पता दे दो. वो जितनी जफ़ा करते. क्या जाने हैं वो. हम उतनी वफ़ा करते. क़तरा-ए-समन्दर हूँ. जितना हूँ बाहर. उतना ही अन्दर हूँ. इज़हार-ए-मुहब्बत है. रुसवा क्या होना. बस एक अक़ीदत है. शब्दार्थ ज़ेर-ए-नज़र = नज़रों के सामने. अमलनामा =कर्मों का हिसाब-किताब. आनन्द.पाठक. प्रस्तुतकर्ता. आनन्द पाठक. 4 टिप्पणियां:. बुधवार, 11 फ़रवरी 2015. इस बार मेढक प&#...तभी...
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उर्दू से हिंदी: October 2013
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उर्दू से हिंदी. शनिवार, 19 अक्तूबर 2013. उर्दू बहर पर एक बातचीत - क़िस्त 8. Disclaimer clause : -वही भाग 1 का ]. प्राक् कथन- इस मज़मून [आलेख] के भाग-7 तक इस मंच पर तथा अपने Blog. Wwwurdu-se-hindi.blogspot.in पर लगा चुका हूँ ,पाठकगण यदि देखना चाहें तो वहाँ देख सकते हैं. जैसे किसी काव्य के दो-पहलू होते है ,वैसे ही उर्दू शायरी में भी दो-पहलू हैं. सालिम बहूर. 1 बह्र-ए-मुतक़ारिब. फ़ ऊ लुन्. 2 बह्र-ए-मुत्दारिक़. फ़ा इ लुन्. 3 बह्र-ए-हज़ज. मफ़ा ई लुन्. फ़ा इला तुन्. 5 बह्र-ए-रजज़. 2 2 2 1 मफ़ ऊ लात. 2 1 2 2 2 2...