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निरंतर कह रहा .......: January 2012
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निरंतर कह रहा . निरंतर की कलम से .www.nirantarajmer.com. निरंतर की कलम से . Tuesday, January 31, 2012. रंग बिरंगी चिड़िया एक दिन बोली मुझसे. रंग बिरंगी चिड़िया. एक दिन बोली मुझसे. निरंतर खूब लिखते हो मुझ पर. कभी मुझसे भी तो पूछ लो. क्या लिखना है मुझ पर. क्या सहती हूँ. कैसे जीती हूँ. कैसे उडती आकाश में. आज मैं ही सुनाती हूँ. मेरी कहानी. पहले ध्यान से सुन लो. फिर जो मन में आये लिख लो. पेड़ पर टंगे कमज़ोर से नीड़ में. माँ ने अंडे को सेया. तो मेरा जन्म हुआ. जीवन लेने को आतुर. जब तक खुद को. काम करता. मेर&#...
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निरंतर कह रहा .......: February 2012
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निरंतर कह रहा . निरंतर की कलम से .www.nirantarajmer.com. निरंतर की कलम से . Wednesday, February 29, 2012. हास्य कविता-पता थोड़े ही था जूते एक नंबर छोटे निकलेंगे. हँसमुखजी. पत्नी के साथ. मंदिर से निकले. पत्नी से बोले. चलने में दिक्कत हो. रही है. जूते काट रहे हैं. पत्नी बोली. बाज़ार से चप्पल. खरीद लो. हँसमुखजी बोले. सूट के साथ चप्पल. अच्छी नहीं लगेगी. पत्नी ने जवाब दिया. तो फिर सैंडल खरीद लो. सैंडल मुझे पसंद नहीं है. पत्नी झल्लायी. मंदिर आये तब तो ठीक थे. अचानक क्या हो गया. छोड़ दिए. Labels: कविता. मै&...
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निरंतर कह रहा .......: October 2012
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निरंतर कह रहा . निरंतर की कलम से .www.nirantarajmer.com. निरंतर की कलम से . Sunday, October 28, 2012. राजा है या फ़कीर. सड़क पर चलने वाला. राजा है या फ़कीर. पेड़ को फर्क नहीं पड़ता. जो भी बैठता उसके नीचे. उसे ही छाया दे देता. ना घमंड ना अहंकार उसे. हवा में लहराता रहता. पक्षी छोटा हो या बड़ा. उसे अंतर नहीं पड़ता. जो भी बनाता घोंसला. ड़ाल पर. उसे ही बसेरा बसाने देता. इंसान देखता भी सब है. समझता भी सब है. अहम् उसे इंसान. बनाए नहीं रखता. सदियों से लुटता रहा है. अहम् में. छोड़ता. हैवान बनना. छा गयी. कार...
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निरंतर कह रहा .......: December 2012
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निरंतर कह रहा . निरंतर की कलम से .www.nirantarajmer.com. निरंतर की कलम से . Sunday, December 30, 2012. कोई रात अंधेरी नहीं होती. कोई रात. अंधेरी नहीं होती. कोई दिन. उजला नहीं होता. केवल रोशनी की कमी. या अधिकता होती. मन संतुष्ट. ह्रदय प्रसन्न हो तो. काली रात उजली. उजले दिन में भी. अन्धेरा लगता. मन,ह्रदय,संतुष्ट,संतुष्टि. संतुष्ट. संतुष्टि. जब तक बदलेंगे नहीं पुरुष. कुचली जायेंगी. नौची जायेंगी. जलाई जाती रहेंगी. नारियां. मोमबत्तियां जलाई. जायंगी. मोमबत्तियां बुझ. भी जायेंगी. तस्वीर पर फूल. पथ से भटक&...
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निरंतर कह रहा .......: September 2012
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निरंतर कह रहा . निरंतर की कलम से .www.nirantarajmer.com. निरंतर की कलम से . Thursday, September 27, 2012. छोटा सा काँटा. चलते चलते. ध्यान रखते रखते भी. पैर में चुभ गया. छोटा सा काँटा. चलना रुका नहीं. पर दर्द से हाल बेहाल. करने लगा. छोटा सा काँटा. बैठ गया पेड़ तले. किसी तरह निकल जाए. छोटा सा काँटा. पैर लहुलुहान हो गया. निकलने का नाम ना लिया. जिद पर अड़ गया. छोटा सा काँटा. थक हार कर लंगडाते हुए. फिर चल पडा सफ़र पर. समझ गया ध्यान. कितना भी रख लो. चुभ सकता है. छोटा सा काँटा. कब चुभेगा. बता गया. गम अब इस कदर.
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निरंतर कह रहा .......: April 2012
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निरंतर कह रहा . निरंतर की कलम से .www.nirantarajmer.com. निरंतर की कलम से . Monday, April 30, 2012. पिंजरा. मैं खुद के बनाए. पिंजरे में बंद. पंछी सा हूँ. जो पिंजरे की. जालियों के पार. देख तो सकता है. पिंजरे के. नियम कायदों से. मन में छटपटाहट. भी होती है. कई बार खुद को बेबस. महसूस करता हूँ. स्वछन्द उड़ना चाहता हूँ. पर पिंजरे से. इतना मोह हो गया. कोई दरवाज़ा खोल भी दे. तो चाह कर भी. उड़ नहीं. पाऊंगा. Labels: पिंजरा. आज वो नज़र आ गए. यादों के बाँध के. दरवाज़े खुल गए. कल कल करता. नहीं सके. भूल जाओ. जी क&...
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निरंतर कह रहा .......: November 2012
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निरंतर कह रहा . निरंतर की कलम से .www.nirantarajmer.com. निरंतर की कलम से . Thursday, November 29, 2012. माँ तुम माँ हो कोई बराबरी नहीं हो सकती तुम्हारी. माँ तुम महक हो. उस फूल की. जिसे रिश्ता कहते हैं. माँ तुम फूल हो. उस पौधे की. जिसे परिवार कहते हैं. तुम छाया हो उस. वट वृक्ष की. जिसके नीचे परिवार. पलता है. तुम डोर हो त्याग की. जो परिवार को. बाँध कर रखती है. माँ तुम प्रतीक हो. कर्तव्य और निष्ठा की. जो मुझे जीना सिखाती है. माँ तुम. तुम रोशनी हो उस. दीपक की. जीवन पथ से. सहनशीलता की. Labels: माँ. पवि...
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"निरंतर" की कलम से.....: 9/21/14 - 9/28/14
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निरंतर" की कलम से. Register To Recieve Latest Poems On Your Email or Mobile. Enter your email address:. Click Here To Subscribe On Mobile. बुधवार, 24 सितंबर 2014. मुझे निश्चिंत नहीं. चौकन्ना रखती है. नए सपने देखने की. चाह जगाती हैं. नयी ऊंचाइयां छूने को. प्रेरित करती है. त्रुटियों को सुधारने का. का अवसर देती हैं. नयी संभावनाएं. ढूंढने को बाध्य करती हैं. अनुभव परखने का. मार्ग प्रशस्त करती हैं. मेरा विश्वास बढ़ाती हैं. लक्ष्य प्राप्त करने में. सहायता करती है. बुधवार, सितंबर 24, 2014. Links to this post.
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"निरंतर" की कलम से.....: 10/19/14 - 10/26/14
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निरंतर" की कलम से. Register To Recieve Latest Poems On Your Email or Mobile. Enter your email address:. Click Here To Subscribe On Mobile. शनिवार, 25 अक्तूबर 2014. पैमाने. पैमाने. क्यों. हम किसी को. संदेह का. लाभ नहीं देते. एक वाक्य. एक घटना को. एक हरकत को. किसी के. व्यक्तित्व का. पैमाना बना लेते हैं. अपने सोच से. उसे अच्छा बुरा. समझने लगते हैं. त्रुटि हर. मनुष्य से होती है. हर मुंह से निकलती है. जानते हुए भी. खुद संदेह का. लाभ चाहते हैं. खुद के लिए. अलग पैमाने. दूसरों के लिए. 1 टिप्पणी:. 169; डा&#...
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"निरंतर" की कलम से.....: 5/3/15 - 5/10/15
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निरंतर" की कलम से. Register To Recieve Latest Poems On Your Email or Mobile. Enter your email address:. Click Here To Subscribe On Mobile. शनिवार, 9 मई 2015. आत्म मंथन. आत्म मंथन. ठहरे जल को. गंदगी दूषित कर. सड़ने लगती. बहती नदी में गंदगी. मंझधार से हट कर. किनारों पर चली जाती. जल को दूषित होने से. निरंतर आत्म मंथन से. मन की गंदगी भी. किनारे पर चली जाती. सोच को स्वच्छ. आचार व्यवहार को. मधुर बनाती. डा.राजेंद्र तेला,निरंतर. सोच,आत्ममंथन,जीवन, आचार व्यवहार. शनिवार, मई 09, 2015. Links to this post. Facebook पर...