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कुछ लम्हे दिल के...: 11/2013
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कुछ लम्हे दिल के. एक बार वक़्त से लम्हा गिरा कहीं, वहाँ दास्ताँ मिली लम्हा कहीं नहीं.गुलज़ार. रविवार, 10 नवंबर 2013. चल पड़े हैं राह पर मंज़िल तो आ ही जायेगी. धूप है तो क्या घटा इक रोज़ छा ही जायेगी. चल पड़े हैं राह पर मंज़िल तो आ ही जायेगी. आज पतझर, फूल, पत्ती, डालियों को रौंद ले. जब बहार आएगी गुलशन को सजा ही जायेगी. इस हवस पर आप खुश हैं एक दिन होगा यही. आपकी औकात पलभर में घटा ही जायेगी. जाति, भाषा, धर्म, बोली की सियासत आग है. इस नगर से उस नगर तक बस तबाही जायेगी. प्रस्तुतकर्ता. नई पोस्ट.
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कुछ लम्हे दिल के...: 06/2009
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कुछ लम्हे दिल के. एक बार वक़्त से लम्हा गिरा कहीं, वहाँ दास्ताँ मिली लम्हा कहीं नहीं.गुलज़ार. रविवार, 28 जून 2009. सावन की वो घड़ियाँ. फुहारों. लड़ियाँ. घड़ियाँ. मिलेंगे. मैंने. तुम्हारी. आंखों. फिजाएं. सड़कों. ढूंढ़ना. दरख्तों. हाथों. राहों. छुपाना. दुनिया. नज़रों. दोबारा. चित्र गूगल सर्च साभार. प्रस्तुतकर्ता. अर्चना तिवारी. 11 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: कविता. यादें. गुरुवार, 18 जून 2009. दिल गमगीन क्यूँ है? जवां तमन्नाओं की रौ में. दिल परेशान क्यूँ है. लेबल: अवसाद. नई पोस्ट. सदस्यत...
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कुछ लम्हे दिल के...: 12/2009
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कुछ लम्हे दिल के. एक बार वक़्त से लम्हा गिरा कहीं, वहाँ दास्ताँ मिली लम्हा कहीं नहीं.गुलज़ार. सोमवार, 21 दिसंबर 2009. रक़ीबों. दरमियां. दुनिया. दूरदराज़. जुबां. अल्फ़ाज़. ज़िन्दगी. ठोकरों. अफराज़ न. दुनिया. के ज़ुल्मों. जांबाज़. शमशान में पड़ी है इंसानियत इस कदर. कि जिंदा करने का कोई इलाज़ न मिला. चित्र गूगल सर्च से साभार ). प्रस्तुतकर्ता. अर्चना तिवारी. 27 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). मेरे बारे में. तस्वीर (लघुकथा). 45 मिनट पहले.
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कुछ लम्हे दिल के...: फ़न से किस का रिश्ता है
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कुछ लम्हे दिल के. एक बार वक़्त से लम्हा गिरा कहीं, वहाँ दास्ताँ मिली लम्हा कहीं नहीं.गुलज़ार. बुधवार, 25 अगस्त 2010. फ़न से किस का रिश्ता है. कौन यहाँ अब पूछे फ़न को,आज कहाँ यह दिखता है. नाम बिके हैं महफ़िल-महफ़िल, फ़न से किस का रिश्ता है. जोंक बनें हैं आज चिकित्सक ,खून सभी का चूसे हैं. उनके दवाखानों में भी नित, मौत का तांडव होता है. खेल, खिलाड़ी, अभिनेता को, लोग बिठाते सर-माथे. चावल, गेहूँ, सब्जी, दालें, गायब हो गए थाली से. चित्र गूगल सर्च से साभार ). प्रस्तुतकर्ता. अर्चना तिवारी. उत्तर दें. नाम बì...
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कुछ लम्हे दिल के...
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कुछ लम्हे दिल के. एक बार वक़्त से लम्हा गिरा कहीं, वहाँ दास्ताँ मिली लम्हा कहीं नहीं.गुलज़ार. शनिवार, 24 सितंबर 2011. पहचान लेगा कोई जौहरी तुझको भी. अपनी चमक को न तू धुंधली पड़ने दे. प्रस्तुतकर्ता. अर्चना तिवारी. लेबल: शेर. 6 टिप्पणियां:. संगीता स्वरुप ( गीत ). 24 सितंबर 2011 को 7:24 pm. बहुत खूब . उत्तर दें. 24 सितंबर 2011 को 8:30 pm. बरबस ही एक शेर याद आ गया. अपनी कीमत सुनकर क्यूँ हो उदास. क्या इस शहर में एक ही बाज़ार है. उत्तर दें. मनोज कुमार. 24 सितंबर 2011 को 10:45 pm. उत्तर दें. नई पोस्ट.
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कुछ लम्हे दिल के...: 10/2011
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कुछ लम्हे दिल के. एक बार वक़्त से लम्हा गिरा कहीं, वहाँ दास्ताँ मिली लम्हा कहीं नहीं.गुलज़ार. रविवार, 9 अक्तूबर 2011. ऐसा भी! नकली बाम / ऊँचे दाम. त्रस्त अवाम / मूक निजाम. भ्रष्टाचार / होता आम. शहरी रोड / ट्रेफिक जाम. कुर्सी आज/ चारों धाम. ख़ूनी हाँथ / मुख में राम. उजड़े खेत/ हल नीलाम. कन्या दान/ मुश्किल काम. राहत कोष/ माघी घाम. बनते माल/ मिटते ग्राम. अफ़सर राज/ फ़ाइल झाम. आँगन धूप/ ढलती शाम. झूठी शान / नकली नाम. अब श्रमदान/ पैसा थाम. रावण राज /कब आराम. प्रस्तुतकर्ता. लेबल: ग़ज़ल. नई पोस्ट. सुं...यह सì...
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कुछ लम्हे दिल के...: 09/2011
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कुछ लम्हे दिल के. एक बार वक़्त से लम्हा गिरा कहीं, वहाँ दास्ताँ मिली लम्हा कहीं नहीं.गुलज़ार. शनिवार, 24 सितंबर 2011. पहचान लेगा कोई जौहरी तुझको भी. अपनी चमक को न तू धुंधली पड़ने दे. प्रस्तुतकर्ता. अर्चना तिवारी. 6 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: शेर. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). मेरे बारे में. अर्चना तिवारी. लखनऊ, उत्तर प्रदेश, India. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. मेरा अन्य ब्लॉग भी देखें. पंखुड़ियाँ. तस्वीर (लघुकथा). 45 मिनट पहले.
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कुछ लम्हे दिल के...: 02/2010
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कुछ लम्हे दिल के. एक बार वक़्त से लम्हा गिरा कहीं, वहाँ दास्ताँ मिली लम्हा कहीं नहीं.गुलज़ार. सोमवार, 15 फ़रवरी 2010. ज़ुल्मो. पाएँगे. दुनिया. जांबाज़. अल्फाज़. इंसानों. चित्र गूगल सर्च से साभार). प्रस्तुतकर्ता. अर्चना तिवारी. 26 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. सोमवार, 1 फ़रवरी 2010. न समझो कि खुद से जुदा कर रहे हैं. दुआ कर रहे हैं, विदा कर रहे हैं. न समझो कि खुद से जुदा कर रहे हैं. सफल जिंदगानी जियो तुम हमेशा. खुदा से यही इल्तिजा कर रहे हैं. अधूरी तमन्ना कोई रह न जाए. नई पोस्ट. 47 मिनट पहले.
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कुछ लम्हे दिल के...: 08/2010
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कुछ लम्हे दिल के. एक बार वक़्त से लम्हा गिरा कहीं, वहाँ दास्ताँ मिली लम्हा कहीं नहीं.गुलज़ार. बुधवार, 25 अगस्त 2010. फ़न से किस का रिश्ता है. कौन यहाँ अब पूछे फ़न को,आज कहाँ यह दिखता है. नाम बिके हैं महफ़िल-महफ़िल, फ़न से किस का रिश्ता है. जोंक बनें हैं आज चिकित्सक ,खून सभी का चूसे हैं. उनके दवाखानों में भी नित, मौत का तांडव होता है. खेल, खिलाड़ी, अभिनेता को, लोग बिठाते सर-माथे. चावल, गेहूँ, सब्जी, दालें, गायब हो गए थाली से. चित्र गूगल सर्च से साभार ). प्रस्तुतकर्ता. अर्चना तिवारी. पड़े जो ब...हसीन र...