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असुविधा....हिन्दी कविता
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हिन्दी कविता
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हिन्दी कविता
असुविधा....: शुभम श्री की कविता - बुखार, ब्रेक अप, आइ लव यू
http://asuvidha.blogspot.com/2012/09/blog-post_27.html
असुविधा. समकालीन कविता की देहरी. अभी हाल में. विजेट आपके ब्लॉग पर. गुरुवार, 27 सितंबर 2012. शुभम श्री की कविता - बुखार, ब्रेक अप, आइ लव यू. शुभम श्री. बुखार, ब्रेक अप, आइ लव यू. 104 डिग्री. अब पुलिस मुझे आइपीसी लगाकर गिरफ़्तार कर ले. तो भी नहीं कहूंगी कि मैंने तुमसे प्रेम. किया है. नहीं किया यार. के लायक लिटरेचर नहीं पढ़ा. देखो, बात बस ये है कि. कि तुम्हारे बिना रहा नहीं जा सकता ।. कहो तो स्टांप पेपर पे लिख के दे दूं. नहीं. नहीं.नहीं. हां किया है. तो लड़ लो. तुम भी तंग कर लो. 102 डिग्री. हजारो...
असुविधा....: देवेन्द्र आर्य की ग़ज़लें
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असुविधा. समकालीन कविता की देहरी. अभी हाल में. विजेट आपके ब्लॉग पर. बुधवार, 1 अप्रैल 2015. देवेन्द्र आर्य की ग़ज़लें. प्रतिष्ठित गीतकार, कवि और ग़ज़लगो देवेन्द्र जी. किसी परिचय के मुहताज नहीं . धूप सिर चढ़ने लगी, सुबह भीगी रेत पर, ख़िलाफ़ ज़ुल्म के जै. से गीत संग्रहों और किताब के बाहर, ख़्वाब ख़्वाब ख़ामोशी, आग बीनती औरतें और उमस जैसे. लगा के सीने से. दिल की किताब भूल गया. वो खुद ही ढाल के पीना शराब भूल गया . फलक के तारों में कुछ इस तरह से उलझा वह. हरे हरे हैं अभी सुर्ख. के पत्ते. भूल गया . नफ़स नफ़स था. अकीद...
असुविधा....: महाभूत चन्दन राय की प्रेम कविताएँ
http://asuvidha.blogspot.com/2015/05/blog-post.html
असुविधा. समकालीन कविता की देहरी. अभी हाल में. विजेट आपके ब्लॉग पर. बुधवार, 13 मई 2015. महाभूत चन्दन राय की प्रेम कविताएँ. असुविधा पर उनकी अन्य कविताएँ पाठक यहाँ पढ़. सकते हैं. तुम जरा सा साथ दे देना. तुम जरा सा कहोगी. और मै तुम्हारे शब्दों के स्नान में. गंगा सा पवित्र हो जाऊँगा. तुम जरा सा हंसोगे. और चाँद से गिर रही इस मीठी ठंडी हंसी से. मै कुबेर धनी हो जाऊँगा. तुम्हारा घूँघट जरा सा ढलेगा. और तुम्हारे रूप के टपकते नूर से. मै मोतियों सा धुल जाऊँगा. मै सच कहता हूँ. ऩऱम ऩऱम मख़मल सी मुलायम. तुम्ह&...इन्...
असुविधा....: रुखसत हुआ तो आँख मिलाकर नहीं गया- शहजाद अहमद को एक श्रद्धांजलि
http://asuvidha.blogspot.com/2012/08/blog-post_5.html
असुविधा. समकालीन कविता की देहरी. अभी हाल में. विजेट आपके ब्लॉग पर. रविवार, 5 अगस्त 2012. रुखसत हुआ तो आँख मिलाकर नहीं गया- शहजाद अहमद को एक श्रद्धांजलि. चला गया वो सितारे खैरात करने वाला अदब का अज़ीम खिदमतगार. कुलदीप अंजुम. रुखसत हुआ तो आँख मिलाकर नहीं गया. वो क्यूँ गया है ये भी बताकर नहीं गया. यूँ लग रहा है जैसे अभी लौट आयेगा. जाते हुए चिराग बुझाकर नहीं गया. बस इक लकीर खेंच गया दरमियान में. दीवार रास्ते में बनाकर नहीं गया. गुजरने ही न दी वो रात मैंने. फलक कशकोल लेके आ गया था. ग़ज़ल की ख...वो मí...
असुविधा....: नेहा नरुका की कवितायें
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असुविधा. समकालीन कविता की देहरी. अभी हाल में. विजेट आपके ब्लॉग पर. शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013. नेहा नरुका की कवितायें. नेहा नरुका. बावरी लड़की. एक लड़की बावरी हो गयी है. बैठी-बैठी ललराती है. नाखूनों से. बालों से. भिड़ती रहती है. भीतर ही भीतर. किसी प्रेत से. चाकू की उलटी-तिरछी रेखाएं हैं. उसके माथे पर. वक्ष और जंघाओं पर. उभरे हैं पतली रस्सी के निशान. होंठों से चूती हैं. कैरोसीन की बूंदें. फटे वस्त्रों से. झाँकते हैं. आदमखोर हिंसा के शिलालेख. सब कहते जा रहे हैं. बाबरी लड़की. तभी तो. सो लड़का. बच्चí...
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काव्य-प्रसंग: July 2011
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रविवार, जुलाई 24, 2011. राजेश रेड्डी की ग़ज़लें. शाम को जिस वक्त खाली हाथ घर जाता हूँ मैं. मुस्कुरा देते हैं बच्चे और मर जाता हूँ मैं. जानता हूँ रेत पर वो चिलचिलाती धूप है. जाने किस उम्मीद में फिर भी उधर जाता हूँ मैं. सारी दुनिया से अकेले जूझ लेता हूँ कभी. और कभी अपने ही साये से भी डर जाता हूँ मैं. ज़िन्दगी जब मुझसे मजबूती की रखती है उमीद. फैसले की उस घड़ी में क्यूँ बिखर जाता हूँ मैं. होना है मेरा क़त्ल ये मालूम है मुझे. मेरी ज़िंदगी के मआनी बदल दे. खु़दा! प्रस्तुतकर्ता. 1 टिप्पणी:. दृश्य: एक. जो क...
ख़लिश: January 2013
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शनिवार, 5 जनवरी 2013. ज़रूरत शिक्षा की: ताकि दामिनी खुलकर चमके. रजनीश ‘साहिल’. 3 जनवरी 2013 को दैनिक जनवाणी, मेरठ में प्रकाशित अंश). 16 दिसंबर. क्या इन घटनाओं पर सिर्फ कानून को सख्त बनाकर काबू पाया जा सकता है? यहीं यह सवाल भी खड़ा होता है कि कोई कानून किस हद तक कारगर हो सकता है? प्रस्तुतकर्ता. रजनीश 'साहिल. 1 टिप्पणी:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: अभिव्यक्ति. कुछ अखबारी कतरनें. मानसिकता. नई पोस्ट. तस्...
मौन के खाली घर में... ओम आर्य: July 2011
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मौन के खाली घर में. ओम आर्य. यही करता रहा है. Friday, July 1, 2011. देश सबके लिए आजाद हो. सवाल छोटे हों. और संक्षेप में दिए जा सकें उनके जबाब. या फिर वस्तुनिष्ट हों तो और भी अच्छे. नाम आसानी से बदले जा सकें. जैसे बदल दिए जाते हैं कपडे. नाम के लिए ना लिखी जाएँ कवितायें. बस्तों में इतनी खाली जगह हो. कि उसमें रखे जा सकें तितलियाँ, कागज़ के नाव. और पतंग भी. जिनके पास पैसा हो. जीने का अधिकार सिर्फ संविधान में न हो. अस्पताल में दवाइयां मिल जाएँ. और स्कूल में शिक्षा. Friday, July 01, 2011. उड़न तश्तरी . काह...
मौन के खाली घर में... ओम आर्य: May 2011
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मौन के खाली घर में. ओम आर्य. यही करता रहा है. Saturday, May 14, 2011. मेरे किनारे मेकोंग नदी लेटी है. मेरे किनारे पे मेकोंग नदी लेटती है. यहाँ सूरज को. सिर्फ दो कदम चलकर डूबना होता है. रात भर सूरज डूबा रह कर. भले हीँ लौटता हो ठंढा होकर सुबह-सुबह. नदी सूखती जाती है थोड़ी-थोड़ी रोज. मेरे किनारे मेकोंग नदी लेटी है. मैं देर तक बैठता हूँ उसके किनारे. क्या पता कल वो हो न हो. Saturday, May 14, 2011. Wednesday, May 11, 2011. एक दिन अचानक. हमें दूर होना था. और खाली हो गए. कितना वक़्त. हाथ रख कर. मेरे क&...मेर...
गुलमोहर: October 2012
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राजेश उत्साही. गुल्लक. यायावरी. सोमवार, 1 अक्तूबर 2012. गांधी का रास्ता. राजेश उत्साही. पहले हमने गांधी को पढ़ा. फिर हमने गांधी को गढ़ा. पहले हमने गांधी को मार दिया. फिर हमने गांधी को याद किया. गांधी जी कहते थे. तुम दुनिया में जैसा बदलाव देखना चाहते हो,. पहले वैसा बदलाव स्वयं में लाओ।. हम सब वही कर रहे हैं,जैसी दुनिया बनाना चाहते हैं. वैसे ही अपने को बदल रहे हैं।. हम गांधी के बताए रास्ते पर ही तो चल रहे हैं।. 0राजेश उत्साही. प्रस्तुतकर्ता. राजेश उत्साही. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. मन , एक बदमा...
गुलमोहर: December 2013
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राजेश उत्साही. गुल्लक. यायावरी. गुरुवार, 12 दिसंबर 2013. परिचित-अपरिचित. जगहों में. लोग अपरिचितों की तरह बरतते हैं. टकराते हैं. जगहों पर. तो परिचितों की तरह मिलते हैं।. 0 राजेश उत्साही. प्रस्तुतकर्ता. राजेश उत्साही. 3 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: परिचित-अपरिचित. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). गुलमोहर के बहाने. मेरा पहला कविता संग्रह. थोड़ा-बहुत. यायावरी'. गुल्लक'. डॉ उर...
सिताब दियारा : November 2013
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सिताब दियारा. शुक्रवार, 29 नवंबर 2013. अनुराग सिंह 'ऋषि' की गजलें. अनुराग सिंह 'ऋषि'. लेखन के क्षेत्र में युवा अनुराग सिंह ‘ऋषि’ के ये आरंभिक कदम हैं ऐसे प्रत्येक संभावनाशील आरंभिक कदम का सिताब दियारा ब्लॉग स्वागत करता है . प्रस्तुत है युवा रचनाकार अनुराग सिंह ‘ऋषि’ की गजलें. एक गलतियाँ. इंसान को इंसान बनाती हैं गलतियाँ. अनुभव के साथ ज्ञान भी लाती हैं गलतियाँ. आखिर कमी कहाँ थी क्या बात रह गई. हर राह पे चलने के कुछ अपने कायदे हैं. 8220; ऋषि. दो . ज़िक्र. उसकी तारीफ़ मे. गजल क्या लिखे. पर सभी के ...कमतरì...
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Keep it Local
Emsp; · Facebook. Emsp; · email. Sign up to get the latest updates. About the 'Keep it Local' campaign. Local government jobs and services are under attack from the Andrews Government Rate Capping proposal. Some Councils have already commenced restructuring and making jobs redundant. Join us in our campaign to fight any attempt by any government to interfere with local government’s capacity to respond to the needs of their communities, with the aim of protecting local government jobs and services in ...
ASU Victorian Private Sector Branch
Sign up to recieve regular updates and news regarding ASU and ASU Victoria Private Sector Branch. This iframe contains the logic required to handle Ajax powered Gravity Forms. Welcome to the ASU, Victorian Private Sector Branch. We represent clerical, administrative, customer service, call centre workers and airline ground staff in Victoria's private and not-for-profit sector. The ASU campaigns to have your voice heard. Take action on the issues that matter to you in your workplace. Plan for working women.
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ASU Victoria & Tasmania - Home
Who's who at the ASU. Join the movement for change. Australian Unions have launched a massive campaign to Change the Rules and with big business lobbyists out in the media attacking us for it - so we . The ASU Branch Executive recently finalised an independent external Review of governance issues after concerns were raised about officials' complian. The ASU are saddened to hear that lifelong equal pay activist Zelda D'Aprano passed away in February. From the 1960s Zelda fought to ensure that wome. Recent...
ASUVIDA
Buscar en el sitio. Buscar en el sitio. Av Bolivar Norte. Urb. San Jose.Casa RIO 180. Estado Carabobo. Republica Bolivariana de Venezuela. 97;suvida@hotmail.com. Bienvenidos a nuestro website. La Junta Directiva de "ASUVIDA te da Bienvenida a su pagina web en donde encontraras articulos de interes relacionados al tema del VIH/SIDA. Te animamos a que te introduzcas en nuestro mundo y visites todo el sitio. Campaña Publicitaria: VIH / SIDA, Mitos y Verdades. VIH / SIDA, Mitos y Verdades. Según los ancestro...
असुविधा....
सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं. यह ब्लॉग खोजें. असुविधा. समकालीन कविता की देहरी. स्मिता सिन्हा की कविताएँ. लिंक प्राप्त करें. दूसरे ऐप. फ़रवरी 27, 2018. असुविधा के स्त्री कविता माह. में हम उनका स्वागत करते हैं।. अनामंत्रित. 2 टिप्पणियां. और पढ़ें. अधिक पोस्ट. Blogger द्वारा संचालित. के थीम चित्र. कापीलेफ्ट! संग्रहित करें. अधिक दिखाएं. कम दिखाएं. अंजू शर्मा. अकथ कहानी प्रेम की. अच्युतानंद मिश्र. अनारकली ऑफ़ आरा. अनीता भारती. अनुराधा सिंह. अनूप सेठी. अपर्णा मनोज. अमित उपमन्यु. अमिय बिंदु. अरुण देव. ग़ुल...
असुविधा | समकालीन कविता का ब्लॉग
समक ल न कव त क ब ल ग. द न श क शव ह क लम ब कव त. उज ल म आज न ब ह. बड प पन क ओछ पन स भ लत बड ब ल. अपन म ह स न कल हर ब त क ल ए. अपन आप क श ब श द त ह. ज स द न य क स र मह नत ए. उनक ट ग क न च स न कल ह. क नब क क य -कल प म लग बड ब ल. व श व कल य ण स छ ट ब त नह ब लत. अपन शर त पर. अपन पस द क न यक क घ षण. अपन व ज ञ प त कस ट क त ल स म स. रचत ह अपन स म त य और. वर तम न क न न द करत ह ए प र ण. ल ग स नत ह उन ह. अचरज और अचम भ स म हब ए. हम श अपन ह प ठ ब र-ब र ठ कन स. व आज न ब ह ह गय. उन ह न ह कह थ त लस द स स. ज सस ल ग क भल ह.
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ADARSH SHRAMIK UCHCH VIDYALAYA
Adarsh Sharmik Uchch Vidyalaya, Golukdih. Affiliation No. 3430084. School Details as per CBSE Requirement. Stress is laid on communicative skills and project work, value based education, life skill have their own important in the aims. Co curricular activities parallel the, main stream of the teaching process. Games and sports and music form an integral part of the school education. Leadership quality, team work and competitive spirit are fostered through House System namely Pawan, Pani, dharti and Akash.
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