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पढ़ते-पढ़ते: September 2012
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Friday, September 28, 2012. डान पगिस : बातचीत. इजरायली कवि डान पगिस की एक और कविता. बातचीत : डान पगिस. अनुवाद : मनोज पटेल). Posted by मनोज पटेल. Labels: डान पगिस. Wednesday, September 26, 2012. अफ़ज़ाल अहमद सैयद : कौन क्या देखना चाहता है. रोकोको और दूसरी दुनियाएं' संग्रह से अफ़ज़ाल अहमद सैयद की एक और कविता. कौन क्या देखना चाहता है : अफ़ज़ाल अहमद सैयद. लिप्यंतरण : मनोज पटेल). वेंडी डी. हशरात के खिलाफ हमारी जंग. उनकी खुशकिस्मती से. इस बार गर्मियों में. जाने का मंसूबा. तर्क कर चली हैं. आरिज़...मुस...
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असुविधा....: सुजाता की नौ कविताएँ
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असुविधा. समकालीन कविता की देहरी. अभी हाल में. विजेट आपके ब्लॉग पर. शुक्रवार, 5 दिसंबर 2014. सुजाता की नौ कविताएँ. दिल्ली विश्विद्यालय के श्यामलाल कालेज में पढ़ा रही सुजाता ब्लॉग जगत में अपने चोखेरबाली. तुम्हे चाहिए एक औसत औरत. न कम न ज़्यादा. नमक की तरह ।. उसके ज़बान हो. उसके दिल भी हो. उसके सपने भी हो. उसके मत भी हों. मतभेद भी. उसके दिमाग हो ।. उसके भावनाएँ भी हों. और आँसू भी ।. ताकि वह पढे तुम्हे और सराहे. वह बहस कर सके तुमसे और. तुम शह-मात कर दो. ताकि समझा सको उसे. ताकि वह रो सके. मैं थी. अब भी गढ&...
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आवारा: January 2017
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27 जनवरी 2017. यायावर #2. ऐसे ही सतायेगी? वह अपनी आँखें भींच लेता है, उसकी मुठ्ठीयां कस जाती हैं और वह पसीने से तर बतर हो जाता है।. Yayawar #मुंबईडायरी. 1 टिप्पणी:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. Labels: मुंबईडायरी. 25 जनवरी 2017. यायावर #1. दस रुपये means ten rupees? और बुढ़िया ने दस रुपये निकालकर उसे पकड़ा दिये।. There's nothing wrong, what the hell is the problem with you? This is not the first time that I am touching you.". उसनí...
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आवारा: January 2013
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30 जनवरी 2013. गुमशुदा तलाश. हर बार हो जाती हो तुम गुमशुदा,. कभी प्रेम के बनाये सामंती पन्नों में,. तो कभी संदेह की उग आई नागफनी में,. और मैं ढूंढता ही रहता हूँ तुम्हे,. गुम गयी गलियों में,. धूल उड़ाती सड़कों पर,. कभी कभी पूछ आता हूँ तुम्हारा पता,. सपने में आने वाली उस परी से भी,. जो बिलकुल तुम्हारी ही तरह दिखती है,. खंगालता आता हूँ डायरी के तुम्हारे पन्ने,. जो अब पीले पड़ गए हैं,. तुम्हारी याद में,. और तुम्हारी सांसे फिर,. ताज़ा होकर महकने लगती हैं,. करता गुमशुदा तलाश।. 1 टिप्पणी:. 29 जनवरी 2013. बैठत...
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आवारा: February 2016
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19 फ़रवरी 2016. तिरंगा. म्हारा मरना बेकार गया दोस्त,. मुझे आज फिर अफ़सोस है,. कल भी था, आगे भी रहेगा,. कि तुम्हारी अंतिम इक्षा के अनुरूप,. मैं कुछ भी ना कर सका,. ना ही दे सका अपनी जान,. और ना ले सका,. मैं भी तुम्हारे साथ वहीं,. उन खंडहरों के बीच,. काली रात मे,. गोलियों के बीच,. मर गया था,. अपने उस दोस्त की आँखों में देखते हुए,. जिसने मेरे मूह को दबा रखा था,. की मेरी वजह से और जानें ना जायें,. उसकी आँखों के आँसू,. लेकिन उन्हे भी मैं,. मुझे माफ़ कर देना,. आज भी माँ,. उसके पास,. और तिरंगा,. या फि...
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रचना डायरी: संस्मरण - "ककउआ होटल" अर्थात् दर्द एक कस्बे की कविता का
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रचना डायरी. पद्मनाभ गौतम का रचनाकर्म. मंगलवार, 25 सितंबर 2012. संस्मरण - "ककउआ होटल" अर्थात् दर्द एक कस्बे की कविता का. अमीरों की हवस सोने की दूकानों में फिरती है,. ग़रीबी कान छिदवाती है, तिनके डाल लेती है।. पत्थर को तोड़ के शीशा बना दिया. लोगों ने उस को तोड़ के भाला बना दिया. सोच देखिये शायर की! यह बात बोलने पर तो सारा कुनबा ही हमारे ही उपर आ गया! पद्मनाभ गौतम. अलांग, अरूणाचल प्रदेश. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. उत्तर...
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पुरवाई: August 2014
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बुधवार, 27 अगस्त 2014. उमा शंकर मिश्र की कहानी : खुला आसमान. खुला आसमान. परिन्दें. आशियाना. परिन्दे. 2404; उड़ान. मंजिले. सुक्खु. था ।. कर्त्तव्यों. प्रत्येक. व्यक्ति. अधिकारों. राष्ट्र. चिन्ता. राष्ट्र. प्रत्येक. व्यक्ति. राजनीतिक. भाषणों. वक्तव्यों. चिन्ता. पंचायतों. है।गाँव. पंचायते. हैं ।लेकिन. राष्ट्र. है।पंचायती. हैं।. सदस्यों. द्वारा. दुरूपयोग. विधायकी. गांवो. थे।सुक्खु. थे। उन्हें. जायेगा।और. पड़ेगा।दिन. मुखिया. प्रचारकों. जाए।शासन. बलियों. हाथों. दिखाने. पार्टियां. है।देखिए. मैंने. याद कर...
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