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सिताब दियारा : November 2013
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सिताब दियारा. शुक्रवार, 29 नवंबर 2013. अनुराग सिंह 'ऋषि' की गजलें. अनुराग सिंह 'ऋषि'. लेखन के क्षेत्र में युवा अनुराग सिंह ‘ऋषि’ के ये आरंभिक कदम हैं ऐसे प्रत्येक संभावनाशील आरंभिक कदम का सिताब दियारा ब्लॉग स्वागत करता है . प्रस्तुत है युवा रचनाकार अनुराग सिंह ‘ऋषि’ की गजलें. एक गलतियाँ. इंसान को इंसान बनाती हैं गलतियाँ. अनुभव के साथ ज्ञान भी लाती हैं गलतियाँ. आखिर कमी कहाँ थी क्या बात रह गई. हर राह पे चलने के कुछ अपने कायदे हैं. 8220; ऋषि. दो . ज़िक्र. उसकी तारीफ़ मे. गजल क्या लिखे. पर सभी के ...कमतरì...
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सोची-समझी: December 2011
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सोची-समझी. Friday, 30 December 2011. जाना एक साल का : फ़ेसबुक पर मेरे पहले साल को जैसा मैंने देखा-समझा. कल एक और साल अतीत से जुड़ जाएगा. कई अर्थों में अच्छा व अन्य कई अर्थों में बहुत बुरा साल रहा है यह. निजी तौर पर यह मिला-जुला-सा रहा है. मुझे फेसबुक से जुड़े भी कल एक साल पूरा हो जाएगा. कैसा रहा? मोहन श्रोत्रिय. Wednesday, 28 December 2011. ताकि सनद रहे और बखत-ज़रूरत काम आए. बुद्धिजीवियों के नाम. एक-एक पंक्ति के संदेशनुमा. स्टेटसों की. वन-लाइनर्ज़ की बन आई है. समझ नहीं आता. लगभग वैसे ही. इस मध्य वर...
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सिताब दियारा : April 2015
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सिताब दियारा. गुरुवार, 30 अप्रैल 2015. कविता में कला जरुरी है, लेकिन कंटेंट के बाद ही - संतोष चतुर्वेदी. संतोष चतुर्वेदी. सिताब दियारा ब्लॉग पर आज प्रस्तुत है. जाने-माने कवि और अनहद पत्रिका के सम्पादक. संतोष चतुर्वेदी. युवा कवि. नित्यानन्द गायेन. की बातचीत . प्रश्न -1. कवि संतोष चतुर्वेदी की रचना प्रक्रिया क्या है? प्रश्न -2. आपके लिए ‘लोक’ क्या है? क्या यह लोकधर्मिता से भिन्न है? और क्या ‘लोक’ और ‘जन’ में कोई फर्क है? जब आप लिख रहे होते हैं तो आप. जब भी हम लिखने के लिए ब...साहित्य&#...युवा...
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June 2015 | स्पर्श
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औरों को हँसते देखो मनु हँसो और सुख पाओ, अपने सुख को विस्तृत कर लो, सबको सुखी बनाओ! कामायनी. Tuesday, 30 June 2015. कथाकार शिवमूर्ति से सुशील सिद्धार्थ की बातचीत. स्त्री. जुड़ा. शिवमूर्ति. सिद्धार्थ. संस्मरणात्मक. शुरूआती. जि़न्दगी. है।अभाव. असुरक्षा. स्थानीय. सामन्ती. स्वाभाविक. है। .फिर. उबरें।. उद्देश्य. कठिनाइयों. जीवनगुजारने. लोगों. इन्हीं. परिस्थितियों. नहींआती. हैं।. परिस्थितियों. मैंने. दर्जीगीरी. तरीकाअपनाया. लोगों. होंगे।. परिस्थितियों. सेतुलना. जिन्दगी. मैंने. व्यक्तिगत. क्यों. स्त्...
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सिताब दियारा : January 2015
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सिताब दियारा. बुधवार, 28 जनवरी 2015. सोनी पाण्डेय की कहानी - परिवर्तन. आज सिताब दियारा ब्लॉग पर सोनी पाण्डेय की कहानी. आसमान काले मेघोँ से पट गया था. बारिश किसी भी वक्त शुरु हो सकती थी ।. मैँ तेजी से कदम बढाते हुए किसी तरह मुख्य मार्ग तक पहुँचना चाहती थी. अचानक किसी ने पीछे से आवाज दी. मैडम जी. मैँने पीछे मुड कर देखा तो लक्ष्मीना भागी आ रही थी. हल्की फुहारे पडने. झट से छाते के नीचे आते हुए मेरा हाथ जोर से पकड लिया. भरभराऐ हुए गले. से कहा. क्या हुआ. बुढिया कुछ करती. के कोर से बार. खेत हाथ. कलजुग म&#...
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सिताब दियारा : May 2014
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सिताब दियारा. बुधवार, 28 मई 2014. उपासना' की दो कवितायें. आईये पढ़ते हैं, सिताब दियारा ब्लॉग पर युवा साहित्यकार. 8216;उपासना’ की दो कवितायें. माफ़ीनामा. सुनो न सौरभ,. हर रात जब मैं,. सुबह उठने के लिए,. सोने जाती हूँ,. तब याद आती है मुझे,. तुम्हारी पानी सी मुस्कुराहट! तुम्हारी टेढ़ी-तिरछी लिखावट,. तुम्हारे उल्टे-पुल्टे क.ख.ग. तुम्हारी चार लाइन की पटरी से,. उतरी हुई ए.बी.सी. और इन सबसे ज्यादा,. याद आती है,. सटाक से जमाई थी छड़ी,. तुम रोये नहीं थे जरा भी,. अम्मा कहती हैं कि-. लेकिन अब,. इसलिए कि. आज मुझ&#...
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October 2014 | स्पर्श
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औरों को हँसते देखो मनु हँसो और सुख पाओ, अपने सुख को विस्तृत कर लो, सबको सुखी बनाओ! कामायनी. Sunday, 26 October 2014. तीन कवि : तीन कवितायेँ - 10. पर तीन कवि : तीन कविताओं की श्रृंखला के 10वें अंक में. इस हफ्ते प्रस्तुत हैं. अनामिका. संध्या सिंह. शैलजा पाठक. की कवितायेँ :. अयाचित /. अनामिका. मेरे भंडार में. एक बोरा. पिछला जनम. सात कार्टन. रख गई थी मेरी माँ।. चूहे बहुत चटोरे थे. घुनों को पता ही नहीं था. कुनबा सीमित रखने का नुस्खा. सबों ने मिल-बाँटकर. और अतीत आधा. बाक़ी जो बचा. मसलन कि आग. कान से...
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सिताब दियारा : श्याम गोपाल की कवितायें
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सिताब दियारा. शनिवार, 16 मई 2015. श्याम गोपाल की कवितायें. आज सिताब दियारा ब्लॉग पर श्यामगोपाल की कवितायें. सर्दी के दिनों में. दिन ढलते ही. जल जाता है. आग सेंकने के साथ. लोग साझा करते है. एक- दुसरे का दुःख -दर्द. करते हैं सलाह -मशविरा. किस्सों -कहानियों से. बच्चों में डाला जाता है संस्कार. शिष्टाचार. आग के मद्धिम पड़ने के बावजूद भी. देर रात तक करते हैं. चौकीदारी. सुबह फैली राख. प्रमाणित कराती है. द्वार के सामाजिक विस्तार को. यह खतरनाक समय है. यह खतरनाक समय है. यह खतरनाक समय है . जब विश्वì...आस्...