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औघट घाट: Jun 30, 2009
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कहीं छूट न जाए पकड़ वक्त से या फ़िर सही अंत जीवन का. Tuesday, June 30, 2009. एक दिन शाम को. तालाब का किनारा. धुँए सी सफ़ेद. कतारों में हरिकेन. सुलग रहे है. रोटी की महक. और मेरे सिगरेट के कश. वक्त को जिंदगी में बदल दिया है. में जिंदगी की सबसे हसींन साँस ले रहा हूँ. मानो वक्त को उँगलियों पर लपेट लिया हो मैने. गाँव की लड़कियां अब औरते हो गई है. कुछ अभी भी मेरी आंखों में पिघल रही है. मेरा दोस्त मुर्गा सेक रहा है. और में जिंदगी चख रहा हूँ. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. Subscribe to: Posts (Atom). कित...
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मन का पाखी: September 2011
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मन का पाखी. Sunday, September 25, 2011. दो वर्ष पूरा होने की ख़ुशी ज्यादा या गम. और मैने ". हाथों की लकीरों सी उलझी जिंदगी. लिख डाली. मैने समीर जी. से वादा भी किया था.कि डा. समीर. सब जैसे मेरे जाने-पहचाने हैं. प्रसंगवश ये भी बता दूँ कि ये 'नाव्या'. नाम मैने कहाँ से लिया था? मैने कहीं ये पढ़ा और ये नाव्या नाम तभी भा गया. नाम ऐसे ही चुना था :). हाथों की लकीरों सी उलझी जिंदगी. एक पोस्ट. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile. उड़न तश्तरी . Dr Smt. Ajit Gupta.
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विकल्प: June 2013
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सामाजिक सांस्कृतिक चेतना और संवाद का मंच. Thursday, June 27, 2013. व्लादिमीर मायकोवस्की की कविता- तुम. तुम, जो व्याभिचार के कीचड़ में लगातार लोट रहे हो,. गरम गुसलखाने और आरामदायक शौचालय के मालिक! तुम्हारी मजाल कि अपनी चुन्धियायी आँखों से पढ़ो. अखबार में छपी सेंट जोर्ज पदक दिये जाने जैसी खबर! तुमको परवाह भी है, उन बेशुमार मामूली लोगों की. कि शायद अभी-अभी लेफ्टिनेंट पेत्रोव की दोनों टांगें. उड़ गयीं हैं बम के धमाके से? अनुवाद- दिगम्बर). Links to this post. Labels: कविता. मायकोवस्की. Friday, June 21, 2013.
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विकल्प: November 2012
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सामाजिक सांस्कृतिक चेतना और संवाद का मंच. Tuesday, November 27, 2012. दुनिया का ‘सबसे गरीब’ राष्ट्रपति : जोसे मुजिका. जोसे मुजिका का खेत में बना मकान, उनकी पत्नी और कुत्ता (फोटो- बीबीसी). व्लादिमीर हर्नान्डेज. राष्ट्रपति और उनकी पत्नी जमीन पर खुद खेती करते हुए, फूल उगाते हैं. 8220;मेरे पास जो कुछ है, उससे मैं अच्छी तरह जी सकता हूँ.”. 8220;लेकिन हम क्या सोच रहे हैं? तब हमारे पास कितनी आक्सीजन शेष बचेगी? 8220;क्या इस ग्रह के पास इतने पर्याप्त संस&...वह भांग के उपभोग को क़...8220;भांग क...183; प...
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पढ़ते-पढ़ते: September 2012
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Friday, September 28, 2012. डान पगिस : बातचीत. इजरायली कवि डान पगिस की एक और कविता. बातचीत : डान पगिस. अनुवाद : मनोज पटेल). Posted by मनोज पटेल. Labels: डान पगिस. Wednesday, September 26, 2012. अफ़ज़ाल अहमद सैयद : कौन क्या देखना चाहता है. रोकोको और दूसरी दुनियाएं' संग्रह से अफ़ज़ाल अहमद सैयद की एक और कविता. कौन क्या देखना चाहता है : अफ़ज़ाल अहमद सैयद. लिप्यंतरण : मनोज पटेल). वेंडी डी. हशरात के खिलाफ हमारी जंग. उनकी खुशकिस्मती से. इस बार गर्मियों में. जाने का मंसूबा. तर्क कर चली हैं. आरिज़...मुस...
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मन का पाखी: August 2010
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मन का पाखी. Tuesday, August 31, 2010. आँखों का अनकहा सच. दिया है ). यह सवाल खुद से भी कई बार पूछ चुकी पर जबाब कोई नही मिलता. वो चुप रही. हू इज शालिनी? फिर से अंग्रेजी पर आ गए ). इस बार मानस ने हँसते हुए कहा.'सर वो जो बेंच पर खड़ी रो रही है,ना.वही है शालिनी". सिट डाउन. सिट डाउन.ले जाओ अपनी कॉपी.गुड़, यू हैभ डन बेल ". बोले."ले जाओ अपनी कॉपी". वो भी हठी की तरह खड़ी रही. इस बार मानस उठ कर बोला."सर मैं दे आऊं? और हंस पड़ा. क्यूँ.". तुम्हार क्या नाम है? उसे बस आश्चर्य इस बात का ह&...फ़ेयरवेल ...अब वह उसकी...
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मन का पाखी: December 2010
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मन का पाखी. Monday, December 27, 2010. कच्चे बखिए से रिश्ते (समापन किस्त ). गतांक से आगे. अब रोज भला कैसी होउंगी मैं.अच्छी मुसीबत, गले डाल दी है तुमने ". कृष्णा के यहाँ से? वो कुछ समझी नहीं. अच्छा.हाँ,मामाजी की बात तो आपने बतायी थी.कृष्णा के यहाँ की नही.". बस पांच-दस मिनट तो बैठता हूँ.क्या बताना इसमें.". वो तुम्हारे घर भी जाते हैं? अरे.कभी कभार.वो भी दस- पंद्रह मिनट के लिए.". पर तुमने कभी बताया नहीं.". इसमें बताने जैसा क्या.था.". मन खिन्न हो आया. आजकल वीरेंद&...क्यूंकि वीर&#...नहीं तो&#...हम्म....अब इसम&...
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May 2009 | IMAGE PHOTOGRAPHY
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A Photo-Blog of Dhiraj shah. इक सामान्य फूल की असामान्य कहानी. Posted on Thursday, May 28, 2009 in फ्लावर. इक सामान्य फूल की असामान्य कहानी।. यदि यह किसी सर पर विराजे तो ताज है।. यदि यह किसी के गले में हो तो हार।. यदि यह किसी मूर्ति पर अर्पित करे तो श्रधा ।. यदि यह किसी शव पर डाले तो श्रधांजलि ।. फूल के अनेको रूप है अलग अलग . झंडा 123. Posted on Wednesday, May 27, 2009 in flag. मेरा विद्यालय एक छोटे कस्बे में है ,. एक आप के सामने - - -. Sham ka Alasaya Suraj. Posted on Sunday, May 24, 2009 in DUSK. उत...
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विकल्प: September 2012
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सामाजिक सांस्कृतिक चेतना और संवाद का मंच. Thursday, September 27, 2012. नौजवान भारत सभा का गठन. उसी घोषणा-पत्र में भगत सिंह और भगवती चरण वोहरा मानव द्वारा मानव के तथा राष्ट्र द्वारा राष्ट्र के शोषण को घोर अन्याय घोषित करते हुए लिखते हैं-. नौजवान भारत सभा, लाहौर के घोषणा-पत्र में ही वे फिर लिखते हैं-. शहीद भगत सिंह : लक्ष्य और विचारधारा,'. Links to this post. Labels: नौजवान भारत सभा. भगत सिंह. Subscribe to: Posts (Atom). यहाँ आये. ब्लॉग-सम्पादक. View my complete profile. सोजे वतन, यान...अमन की ख&...
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विकल्प: May 2013
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सामाजिक सांस्कृतिक चेतना और संवाद का मंच. Tuesday, May 14, 2013. रसूल हमजातोव की कविता. मेरी मातृभाषा. हमारी नींदों में आते हैं. अजीबोगरीब ख़यालात-. कल रात मैंने ख्वाब में देखा. कि मरा पड़ा हूँ. एक गहरे खड्ड के किनारे. सीने में धंसी है एक गोली. हहराती-शोर मचाती. बह रही है कोई नदी पास में. मदद के लिये कर रहा हूँ. वेवजह इंतजार. पड़ा हुआ हूँ धुल भरी धरती पर. धूल में मिलनेवाला हूँ शायद. किसी को क्या पता. कि मैं मर रहा हूँ यहाँ पड़े-पड़े. कोई हमदर्द नहीं आसपास. बेखबर और गुमनाम. सिर्फ तर्ज...क्या...