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कविता-समय: September 2010
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मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. मंगलवार, 7 सितंबर 2010. मैं एक शिक्षक (कविता ). मैं एक शिक्षक. एक मध्यम वर्ग का संकुचित,. कुंठित आदमी।. बाहर की दुनिया में हुई तब्दीली से. चंद सपने- अपने, बच्चों के, परिवार के. बहुत अधिक अपेक्षाएं दुनिया की, समाज की. सपनों और अपेक्षाओं की प्रत्यंचा से. धनुष की तरह तना मैं. एक शिक्षक. न तो ढंग से किसी बाप का फर्ज निभाया. न बेटे , भाई या पति का. उपहारों में पाए ज्ञान का बोझ. पीठ पर लादे. लद्दू घोड़े की तरह. सिखाते हुए. नई पोस्ट.
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कविता-समय: June 2010
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मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. बुधवार, 30 जून 2010. पुलिसवालों की ड्यूटी. अब आप कहेंगे कि वे तो जाँच करते हैं हमें उनका सहयोग करना चाहिए क्यंकि मुद्दा नागरिक सुरक्षा का है।. देखिये, वे कुछ इस तरह नागरिक को परेशान करते है,. आपको हाथ देकर रुकवा लेंगे।. फिर आपका ड्राइविंग लाइसेंस मांगकर रख लेंगे।. कोई कम निकला तो चालान करेंगे।. आप शरीफ दीखते है तो गहराई से काटेंगे।. नहीं।. प्रस्तुतकर्ता. रवीन्द्र दास. 1 टिप्पणी:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! नई पोस्ट. आना आपका.
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कविता-समय: April 2015
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मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. शनिवार, 25 अप्रैल 2015. आदित्य शुक्ला की कविताएँ. रवीन्द्र के दास. आदित्य शुक्ल, गुडगाँव. एक्स्चेंगिंग टेक्नोलोजी में डाटा एनालिस्ट के रूप में कार्यरत. ब्लॉग और फेसबुक पर सक्रिय रूप से लेखन. हिंदी और विश्व साहित्य में रूचि. ऊबकर कहता हूं मैं. पियोगे क्या चाय. सहमति में अपना जरा सा सिर हिला देते हो तुम. चाय बनाना. किचन में आग न लगा देना. कहते हो तुम चिढ़कर. मन ही मन गालियां देते हो. कहते हो. ईश्वर का. कहते हो. एक लकीर रह गई. आलमारी...
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कविता-समय: May 2010
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मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. शुक्रवार, 28 मई 2010. जात हटाना है तो संविधान से हटाओ, है हैसियत? नहीं।. संविधान जाति के आधार विशेषाधिकार देने को तैयार है तो जनगणना में जाति का स्पष्टीकरण आ ही जाएगा तो क्या फर्क पर जाएगा? हाँ , कुछ लोगो को जाति बताने में दिक्कत आ सकती है। जैसे कांग्रेस के एक महासचिव को।. जब तक बाप का नाम पूछा जाता रहेगा, जाति बनी रहेगी।. प्रस्तुतकर्ता. रवीन्द्र दास. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! रविवार, 16 मई 2010. हमारा भ&...या ...
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कविता-समय: October 2010
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मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. बुधवार, 20 अक्तूबर 2010. करवा चौथ : परंपरा के नाम पर फैशनपरस्ती. मेरे अनुभव में यह एक फ़िल्मी-प्रभाव लिए फैशन प्रधान व्रत है जिसपर धर्म का मुलम्मा भर है।. वैसे यह स्वर भी , विद्रोही तेवर के साथ, सुनाई पड़ता रहता है कि औरत ही मर्द के लिए व्रत-उपवास क्यों रखे? और बाज़ार ऐसे मौकों पर अपना हाथ सेंकता है।. प्रस्तुतकर्ता. रवीन्द्र दास. 2 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. नई पोस्ट. हिन...
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कविता-समय: July 2011
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मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. गुरुवार, 14 जुलाई 2011. प्रतिस्पर्धा का चक्रव्यूह. प्रस्तुतकर्ता. रवीन्द्र दास. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). मेरे बारे में. रवीन्द्र दास. दार्शनिक, कवि एवं मनुष्यता का प्रेमी. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. कभी इन्हें भी देखें. भारतीय दर्शन. साहित्यालोचन. बालवृंद. चश्म-ए-बद्दूर.
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कविता-समय: January 2011
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मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. सोमवार, 31 जनवरी 2011. कालबोध और जीवन. स्थिति. कालातीत. किन्तु. सापेक्ष. अनिवार्यतः. प्रतीयमान. समाप्ति. ज्ञानात्मक. सत्तात्मक. किन्तु. असत्तात्मक. वस्तुतः. संबोध्य. अनिवार्यतः. वास्तु. पूर्वग्रह. व्यक्ति. तात्पर्य. ज्ञानवान. अनुभूति. तिरोहित. साक्षात्कार. तिरोभाव. परिचालित. निष्कर्ष. प्रस्तुतकर्ता. रवीन्द्र दास. 2 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. कविता की बात. कई बार,. जैसí...
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कविता-समय: April 2011
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मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011. कविता पढना . कविता लिखने से ज्यादा मुश्किल है! लिख दी - यह बात काबिले-गौर है. दीगर बात है कि यह बात सब पर लागू नहीं होती . प्रस्तुतकर्ता. रवीन्द्र दास. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. गुरुवार, 14 अप्रैल 2011. भाषा सुधार के रास्ते. आपने उसे लिखने को कहा? जब बन पाया था संगठन में प्रवेश. नया सम्बन्ध है. 1 टिप्पणी:. दार्श...साह...
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कविता-समय: March 2015
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मंथन हमारी भाषा आपकी. ગુજરાતી. বাংগ্লা. ਗੁਰਮੁਖੀ. తెలుగు. हिन्दी. सोमवार, 16 मार्च 2015. अशोक कुमार की कुछ कविताएँ. और जानिएं. प्रस्तुतकर्ता. रवीन्द्र दास. 2 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. शनिवार, 14 मार्च 2015. यह कविता समय. पता है. प्रस्तुतकर्ता. रवीन्द्र दास. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. आना आपका.