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ज़िन्दग़ी के आकाश में: September 2014
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ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. Wednesday, September 3, 2014. विगत एक वर्ष में लिखी गई क्षणिकाओं में कुछ ये भी हैं-. नागफनी के जंगल में. उगा है. क्या इतना काफी नहीं है. इसे समझने के लिए? नागफनी के जंगल में. जरूर उगा है. पर इसने अपने हाथों से. उगाये हैं. कुछ गुलाब. कुछ सूरजमुखी! पहचान का क्या. और अर्थ का भी. क्या करुंगा! शब्द होना ही. मेरे लिए. समुन्दर होना है! जीवन पुस्तक. समर्पित की मैंने. एक प्रश्न को-. 8216;क्या तुम मुझे. सचमुच प्रेम करते हो! Subscribe to: Posts (Atom).
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ज़िन्दग़ी के आकाश में: March 2011
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ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. No posts. Show all posts. No posts. Show all posts. Subscribe to: Posts (Atom). अविराम/समग्र साहित्य का त्रैमासिक संकलन. कथायात्रा/बलराम अग्रवाल का लघुकथा लेखन. काव्य-कलश/नारायण सिंह निर्दोष का ब्लाग. छंद प्रसंग. जनगाथा/बलराम अग्रवाल संचालित विविध लघुकथाकारों की लघुकथाओं का ब्लाग. बिन कहे रहा न जाये. बोतल खाली नहीं है/उमेश महादोषी की कविताएँ. कुछ और क्षणिकाएँ. मेरे बारे में. उमेश महादोषी. View my complete profile.
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ज़िन्दग़ी के आकाश में: November 2010
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ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. Monday, November 8, 2010. पेंतीस. अस्तित्व. ढूँढ़ती. तुम्हारी. तुम्हारी. सेंतीस. ढूंढे. ढूंढें. रेगिस्तान. विश्वास. प्रस्तुतकर्ता. उमेश महादोषी. लेबल: क्षणिकाएं. Subscribe to: Posts (Atom). अविराम/समग्र साहित्य का त्रैमासिक संकलन. कथायात्रा/बलराम अग्रवाल का लघुकथा लेखन. काव्य-कलश/नारायण सिंह निर्दोष का ब्लाग. छंद प्रसंग. बिन कहे रहा न जाये. मेरे बारे में. उमेश महादोषी. View my complete profile.
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ज़िन्दग़ी के आकाश में: March 2010
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ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. Friday, March 5, 2010. क्षणिकाएं / उमेश महादोषी. जब कभी/ मैंने. किसी पत्ते पर बैठकर. कोई नदी पार की है. मेरा वजन बढ गया है. और पत्ता/ मेरे लिए. बहती नदी को. पानी भी. आकाश नज़र आया. वह/ उठा और चला गया. नदी किनारे/ फिर. सरसों उगी. और मस्तक में. कोल्हू चला. पर/ लटकाकर उल्टा. उसके भाग्य को छत से. तेल सारा. राजा भोज पी गया. सेंजना. डूबती है गाय. कोई न बचाय. तू भी देख ले. ओ बे नियंता! तेरी हाय हाय हाय! प्रस्तुतकर्ता. Subscribe to: Posts (Atom).
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ज़िन्दग़ी के आकाश में: June 2012
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ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. No posts. Show all posts. No posts. Show all posts. Subscribe to: Posts (Atom). अविराम/समग्र साहित्य का त्रैमासिक संकलन. कथायात्रा/बलराम अग्रवाल का लघुकथा लेखन. काव्य-कलश/नारायण सिंह निर्दोष का ब्लाग. छंद प्रसंग. जनगाथा/बलराम अग्रवाल संचालित विविध लघुकथाकारों की लघुकथाओं का ब्लाग. बिन कहे रहा न जाये. बोतल खाली नहीं है/उमेश महादोषी की कविताएँ. कुछ और क्षणिकाएँ. मेरे बारे में. उमेश महादोषी. View my complete profile.
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ज़िन्दग़ी के आकाश में: May 2010
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ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. Thursday, May 27, 2010. क्षणिकाएं / डॉ0 उमेश महादोषी. प्यारे. सूंघो. अक्षरों. राख हो. जायेंगे. तुम्हारी. तारीखों. लड़ेगा. बाजियों. दलालियों में. प्रस्तुतकर्ता. उमेश महादोषी. लेबल: क्षणिकाएं. Sunday, May 16, 2010. क्षणिकाएं. महादोषी. तुम्हारे. सम्हालो. रेंगता. बालों. बालों. हड्डियाँ. क्रांति. प्रस्तुतकर्ता. उमेश महादोषी. Wednesday, May 5, 2010. क्षणिकाएं/ डॉ० उमेश महादोषी. लगने लगा है. मत आया कर / अब. तू मेरे घर. मेरा मन! और मैं. लघुकथ&#...
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ज़िन्दग़ी के आकाश में: छः और क्षणिकाएँ
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ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. Tuesday, December 31, 2013. छः और क्षणिकाएँ. कल जब मिलूंगा आपसे. जानता हूँ- आप क्या कहेंगे. और आप भी. मेरा जवाब जानते हैं. फिर भी/फांदते हुए. तमाम घटनाओं-दुर्घटनाओं को. हम चले आते हैं. चले जाते हैं. एक शब्द पर सवार. घूमता है. पहिए सा. किन्तु फिर भी. खींचता है. एक सीधी रेख. यही व्याकरण है. इतिहास का! खुश हुए कुछ भौंरे. फूलों की पंखुड़ियों से. निकलने लगीं लपटें. झुलसने लगे पेड़. गुलेलें तनी थीं. बगुलों की ओर. हो गईं. बांट ली गई. सूचनì...
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ज़िन्दग़ी के आकाश में: August 2010
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ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. Saturday, August 7, 2010. बढ़ाता. दोनों. वालों. रिश्ता. आँखें. प्रस्तुतकर्ता. उमेश महादोषी. लेबल: क्षणिकाएं. Subscribe to: Posts (Atom). अविराम/समग्र साहित्य का त्रैमासिक संकलन. कथायात्रा/बलराम अग्रवाल का लघुकथा लेखन. काव्य-कलश/नारायण सिंह निर्दोष का ब्लाग. छंद प्रसंग. बिन कहे रहा न जाये. बोतल खाली नहीं है/उमेश महादोषी की कविताएँ. यदा-कदा लेखन/उमेश महादोषी का काव्येतर लेखन. मेरे बारे में. उमेश महादोषी. View my complete profile.
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ज़िन्दग़ी के आकाश में: September 2013
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ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. Wednesday, September 11, 2013. चार और क्षणिकाएँ. चिड़िया. खेत चुंगकर जा चुकी है. और रखवाली को. राजा ने. गिद्ध भेजे हैं. इन्सानो! सुन सको तो. मेरा आवाज सुन लो! इन्द्र ने. हारने की बजाय. हेल्मेट पहनकर. कन्धे पर बैठा लिया है. भस्मासुर को. देवता और मनुष्यो! राज किसका है. पहचान लो! कहते हैं. गुलेलों से. कौए उड़ा रहे हैं. और तोपों के. खुले मुँह. हँसे जा रहे हैं. चिड़ियों का. करके कत्ल. गिद्ध भोजन कर रहे हैं. गरुण देव. Subscribe to: Posts (Atom).