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ज़िन्दग़ी के आकाश में

ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. Wednesday, September 3, 2014. विगत एक वर्ष में लिखी गई क्षणिकाओं में कुछ ये भी हैं-. नागफनी के जंगल में. उगा है. क्या इतना काफी नहीं है. इसे समझने के लिए? नागफनी के जंगल में. जरूर उगा है. पर इसने अपने हाथों से. उगाये हैं. कुछ गुलाब. कुछ सूरजमुखी! पहचान का क्या. और अर्थ का भी. क्या करुंगा! शब्द होना ही. मेरे लिए. समुन्दर होना है! जीवन पुस्तक. समर्पित की मैंने. एक प्रश्न को-. 8216;क्या तुम मुझे. सचमुच प्रेम करते हो! Tuesday, December 31, 2013.

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ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. Wednesday, September 3, 2014. विगत एक वर्ष में लिखी गई क्षणिकाओं में कुछ ये भी हैं-. नागफनी के जंगल में. उगा है. क्या इतना काफी नहीं है. इसे समझने के लिए? नागफनी के जंगल में. जरूर उगा है. पर इसने अपने हाथों से. उगाये हैं. कुछ गुलाब. कुछ सूरजमुखी! पहचान का क्या. और अर्थ का भी. क्या करुंगा! शब्द होना ही. मेरे लिए. समुन्दर होना है! जीवन पुस्तक. समर्पित की मैंने. एक प्रश्न को-. 8216;क्या तुम मुझे. सचमुच प्रेम करते हो! Tuesday, December 31, 2013.
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ज़िन्दग़ी के आकाश में | jindagikeaakashmen.blogspot.com Reviews

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ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. Wednesday, September 3, 2014. विगत एक वर्ष में लिखी गई क्षणिकाओं में कुछ ये भी हैं-. नागफनी के जंगल में. उगा है. क्या इतना काफी नहीं है. इसे समझने के लिए? नागफनी के जंगल में. जरूर उगा है. पर इसने अपने हाथों से. उगाये हैं. कुछ गुलाब. कुछ सूरजमुखी! पहचान का क्या. और अर्थ का भी. क्या करुंगा! शब्द होना ही. मेरे लिए. समुन्दर होना है! जीवन पुस्तक. समर्पित की मैंने. एक प्रश्न को-. 8216;क्या तुम मुझे. सचमुच प्रेम करते हो! Tuesday, December 31, 2013.

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ज़िन्दग़ी के आकाश में: January 2011

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ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. Friday, January 21, 2011. उम्मीदों. कंदीलें. कल्पनाओं. फुलझड़ियाँ. त्यौहार. मनायेंगे. जायेंगे. सोचूं. पुरानी. उम्मीदों. उठूँगा. होंगी. किरणें. आँखें. मूदूंगा. मुस्कराऊंगा. जाऊँगा. चिड़ियों. आँखों. अन्टार्कटिका. सांसों. चिड़िया. प्रस्तुतकर्ता. उमेश महादोषी. लेबल: क्षणिकाएं. Subscribe to: Posts (Atom). अविराम/समग्र साहित्य का त्रैमासिक संकलन. कथायात्रा/बलराम अग्रवाल का लघुकथा लेखन. छंद प्रसंग. बिन कहे रहा न जाये. View my complete profile.

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ज़िन्दग़ी के आकाश में: July 2010

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ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. Friday, July 30, 2010. विस्फोट. विस्फोट. देवताओं. प्रार्थना. मंथनों. प्रार्थना. प्रस्तुतकर्ता. उमेश महादोषी. लेबल: क्षणिकाएं. Thursday, July 22, 2010. रेखाओं. तुम्हारी. तुम्हारी. तुम्हारी. खुशबुओं. तुम्हारी. दोनों. तुममें. प्रस्तुतकर्ता. उमेश महादोषी. लेबल: क्षणिकाएं. Thursday, July 15, 2010. तूलिका. प्रस्तुतकर्ता. उमेश महादोषी. लेबल: क्षणिकाएं. खुदा रे! तेरी खुदाई. तू ही जाने. मुझे तो /बस. इतना बता दे. बन्दे की. समझा दे. तेरी ख&#...

3

ज़िन्दग़ी के आकाश में: September 2010

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ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. Sunday, September 26, 2010. उन्होंने. तोड़ती. तोड़ती. माँगा. चुल्लू. प्याला. पिलाया. देखें. कबूतरों. चोंतीस. आँखों. कानों. जुबानों. प्रस्तुतकर्ता. उमेश महादोषी. लेबल: क्षणिकाएं. Subscribe to: Posts (Atom). अविराम/समग्र साहित्य का त्रैमासिक संकलन. कथायात्रा/बलराम अग्रवाल का लघुकथा लेखन. काव्य-कलश/नारायण सिंह निर्दोष का ब्लाग. छंद प्रसंग. बिन कहे रहा न जाये. मेरे बारे में. उमेश महादोषी. View my complete profile.

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ज़िन्दग़ी के आकाश में: September 2014

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ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. Wednesday, September 3, 2014. विगत एक वर्ष में लिखी गई क्षणिकाओं में कुछ ये भी हैं-. नागफनी के जंगल में. उगा है. क्या इतना काफी नहीं है. इसे समझने के लिए? नागफनी के जंगल में. जरूर उगा है. पर इसने अपने हाथों से. उगाये हैं. कुछ गुलाब. कुछ सूरजमुखी! पहचान का क्या. और अर्थ का भी. क्या करुंगा! शब्द होना ही. मेरे लिए. समुन्दर होना है! जीवन पुस्तक. समर्पित की मैंने. एक प्रश्न को-. 8216;क्या तुम मुझे. सचमुच प्रेम करते हो! Subscribe to: Posts (Atom).

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ज़िन्दग़ी के आकाश में: March 2011

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ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. No posts. Show all posts. No posts. Show all posts. Subscribe to: Posts (Atom). अविराम/समग्र साहित्य का त्रैमासिक संकलन. कथायात्रा/बलराम अग्रवाल का लघुकथा लेखन. काव्य-कलश/नारायण सिंह निर्दोष का ब्लाग. छंद प्रसंग. जनगाथा/बलराम अग्रवाल संचालित विविध लघुकथाकारों की लघुकथाओं का ब्लाग. बिन कहे रहा न जाये. बोतल खाली नहीं है/उमेश महादोषी की कविताएँ. कुछ और क्षणिकाएँ. मेरे बारे में. उमेश महादोषी. View my complete profile.

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अविराम: 03/04/15

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समग्र साहित्य का मासिक संकलन (इस ब्लॉग पर प्रकाशित सामग्री मुद्रित प्रारूप में प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका "अविराम साहित्यिकी" से अलग है।). आपका परिचय. बुधवार, 4 मार्च 2015. ब्लॉग का मुखप्रष्ठ. अविराम ब्लॉग संकलन :. वर्ष : 4, अंक. जनवरी-फ़रवरी 2015. प्रधान संपादिका :. मध्यमा गुप्ता. संपादक :. डॉ. उमेश महादोषी. मोबाइल: 09458929004). संपादन परामर्श :. डॉ. सुरेश सपन. ई मेल :. लेवल/खंड में दी गयी है।. छाया चित्र : श्रद्धा पाण्डेय. 2404;।सामग्री।।. सम्पादकीय पृष्ठ. सम्पादकीय पृष्ठ. कविता अनवरत. महेश प&#23...

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बोतल खाली नहीं है: दो कविताएँ

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Monday, March 18, 2013. दो कविताएँ. झूठी कविता. परिस्थितियाँ. माँ से बड़ी हो गयीं हैं. और सुबह-शाम. दोनों समय की मिलाकर. उनकी कुल दो रोटियाँ भी. हम पर भारी पड़ गयीं हैं. ठीक ही है शायद. माँ की परवरिश में. कोई कमी रही होगी. छाया चित्र : उमेश महादोषी. जो हमें वो शक्ति नहीं दे पायी. कि हम ‘परिस्थितियों’ से लड़ पाते. और पूरे चौबीस घंटों के दिवस में. दो समय पर. उसे दो रोटियाँ दे पाते. सिवाय इसके कि किसी अज्ञात से. पता नहीं. समझ नहीं आता है. आँखों स...आँस&#2369...

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बोतल खाली नहीं है: June 2011

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Thursday, June 30, 2011. एक व्यक्ति का होना. महत्वपूर्ण. व्यक्ति. दोनों. महत्वपूर्ण. कुर्सी. व्यक्ति. पॉलीथीन. व्यक्ति. दिनों. महत्वपूर्ण. जायेगा. व्यक्ति. उद्देश्य. पहुँचता. उद्देश्य. व्यक्तियों. क्यों. व्यक्ति. उद्देश्य. व्यक्ति. उमेश महादोषी. Labels: २००९ के बाद की कवितायें. Subscribe to: Posts (Atom). १९९२ तक की कवितायेँ. २००९ के बाद की कवितायें. २००९ के बाद की कवितायेँ ( हाइकु). एक व्यक्ति का होना. उमेश महादोषी. View my complete profile.

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बोतल खाली नहीं है: September 2010

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Sunday, September 26, 2010. कुछ हाइकु. टालना छोड़ो. होने दो एक बार. होना है जो भी! अलविदा, हे! शब्दों का यह गुच्छा. तुम्हारे लिए. फिर मिलेंगे. जो नहीं निभ सका. निभाने उसे. मैं देखूं बस. मछली की सूरत. इस झील में. उमेश महादोषी. Labels: २००९ के बाद की कवितायेँ ( हाइकु). Subscribe to: Posts (Atom). १९९२ तक की कवितायेँ. २००९ के बाद की कवितायें. २००९ के बाद की कवितायेँ ( हाइकु). 2009 के बाद की कवितायें(हाइकु). कुछ हाइकु. उमेश महादोषी. View my complete profile.

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बोतल खाली नहीं है: September 2013

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Wednesday, September 11, 2013. एक कविता. छाया चित्र : उमेश महादोषी. ओढ़ी हुई चादर. स्वप्न में. मैं उत्तराखण्ड के. सी एम की कुर्सी पर था. और नींद के साथ. मेरा चैन भी गायब था. कानों में. मृत्यु से भी भयंकर तबाही झेलते. लोगों का कृन्दन. और आँखों में. किसी बूढ़े-सठियाए हाईकमान का चेहरा. पसीने से तर-बतर किए था. राम जाने! मैं कितना बेवश था. अचानक मेरी नींद टूटी. मैंने ओढ़ी हुई चादर को. उतारकर फेंक दिया. अपनी आँखें बन्द कीं. और कानों को. Subscribe to: Posts (Atom).

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बोतल खाली नहीं है: December 2012

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Monday, December 31, 2012. एक और कविता. मित्रो! आज जो कविता आपके समक्ष रख रहा हूँ, पता नहीं वह क्या प्रभाव छोड़ेगी। पर आज जिन हालातों के बीच हम खड़े हैं, वहां ऐसी कल्पना को हवा में नहीं उड़ाया. जा सकता। हमें संभावनाओं के हर कोने की पड़ताल करनी ही होगी! ऐसे हथियार तैयार करो. आओ वैज्ञानिक! मुझ कवि के साथ मिलकर. काम करो. मैं दूंगा तुम्हें कुछ विचार/कुछ कल्पनाएं. तुम हथियार तैयार करो. बारूद और मारक रसायनों में. पहचान सकें. सही को, गलत को. Friday, December 7, 2012.

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बोतल खाली नहीं है: July 2010

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Thursday, July 22, 2010. विध्वंस तुम्हारे वश में नहीं है. तुम्हारे. थोड़े. दिलोदिमांग. थोड़े. निर्दोष. जानों. क्रूरता. बोरों. मौतों. तिजौरी. शिक्षा. तुम्हारी. प्रक्रिया. स्थिति. व्यापारिक. तुम्हें. क्यों. क्रूरता. पहुंचते. ब्रह्मा. अनुयायी. तुम्हारे. गहराइयों. ध्यानस्थ. उन्होंने. तुम्हारे. विद्यमान. तुम्हारी. प्रकिया. तुम्हें. तुम्हारे. कर्मों. अपेक्षित. व्यापारिक. विश्राम. ब्रह्मा. तुम्हारे. क्योंकि. दैत्यों. दोनों. चिन्हों. साक्षी. वास्तविक. फिर भी. सूख...

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बोतल खाली नहीं है: कुछ हाइकु

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Tuesday, December 31, 2013. कुछ हाइकु. समिधा बने. वक्ष पे खड़े वृक्ष. यज्ञ में जले. उड़ता धुआं. पहन लेगा टोपी. किसे था पता! फुनगी पर. हाथी चढ़ बैठा है. क्या होगा अब! अलाव जला. लपटें उठी खूब. वर्फ में सनी. पेड़ पे चढ़ा. तरेरता बिलाव. आँख पे आँख! लौ धधकती. ओस के ईंधन से. दूब जलती. सूखी थी क्यारी. टोंटी खोल नल की. भूल गये वे! चिटकी कली. गेहूँ की बाली पर. बिजली गिरी. नीम की छांव. आम और बबूल. दोनों के गांव! घूमता शीत. कांपती धूप! रोई है रात-भर. आज की भोर!

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बोतल खाली नहीं है: एक कविता

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Wednesday, September 11, 2013. एक कविता. छाया चित्र : उमेश महादोषी. ओढ़ी हुई चादर. स्वप्न में. मैं उत्तराखण्ड के. सी एम की कुर्सी पर था. और नींद के साथ. मेरा चैन भी गायब था. कानों में. मृत्यु से भी भयंकर तबाही झेलते. लोगों का कृन्दन. और आँखों में. किसी बूढ़े-सठियाए हाईकमान का चेहरा. पसीने से तर-बतर किए था. राम जाने! मैं कितना बेवश था. अचानक मेरी नींद टूटी. मैंने ओढ़ी हुई चादर को. उतारकर फेंक दिया. अपनी आँखें बन्द कीं. और कानों को. एक कविता.

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बोतल खाली नहीं है: August 2011

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Monday, August 15, 2011. कुछ हाइकु. हो न हो आज. कागज की नाव भी. होगी ही पार! कौन से दिन. रौशनी दिखायेगी. चाँदनी बन! आंगन मेरे. दाना-दाना ढूँढ़ती. गौरैया डोले. माप ले सारे. श्याम को थे भेजे जो. तन्दुल न्यारे. दाल गली ना. मल्टी के पाउच में. खारा पानी था! उमेश महादोषी. Labels: 2009 के बाद की कवितायें(हाइकु). Wednesday, August 3, 2011. हाँ यहीं. इस कस्बे की इन्ही गलियों में. मेरा भरा-भरा बचपन बीता है. कहां गया वो,. मुझे याद आता है-. उसके नंगे बदन पर. शरीर पर म...

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जिंदगी बस यही है | रोजमर्रा की जिंदगी में जो अनुभव में आया उसी को इस स्थल पर प्रस्तुत किया गया है लघुकथाओं के रूप में ।

ज दग बस यह ह. अप र ल 9, 2015 · 10:33 अपर ह न. आदम ज त चल ज त ह , आख र क य? 8211; एक प रश न. क य कभ यह नह स चत क क फ ह च क ह , अब म झ इस धरत क अपन स स धन क स थ द सर क ल ए छ ड़ द न ह म त य क हम भय वह, घ ण स पद, सर वथ त य ज य इत य द नक र त मक व श षण स क य ज ड़त ह? हम कभ ह सत ह ए ल क न प र ण ग भ रत क स थ अपन न कटस थ य यह क य नह कह प त ह , क य भई कब तक हमस ज त रहन क कह ग? इतन कम ह क य? बत ओ, एक द न हमन यह इच छ नह व यक त करन च ह ए क अब चलन च ह ए, ठ क व स ह ज स क क ई म ल क त कह अब चलन च ह ए, क फ द र ह च क ह.

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ज़िन्दग़ी के आकाश में

ज़िन्दग़ी के आकाश में. उमेश महादोषी की क्षणिकाओं की प्रस्तुति. Wednesday, September 3, 2014. विगत एक वर्ष में लिखी गई क्षणिकाओं में कुछ ये भी हैं-. नागफनी के जंगल में. उगा है. क्या इतना काफी नहीं है. इसे समझने के लिए? नागफनी के जंगल में. जरूर उगा है. पर इसने अपने हाथों से. उगाये हैं. कुछ गुलाब. कुछ सूरजमुखी! पहचान का क्या. और अर्थ का भी. क्या करुंगा! शब्द होना ही. मेरे लिए. समुन्दर होना है! जीवन पुस्तक. समर्पित की मैंने. एक प्रश्न को-. 8216;क्या तुम मुझे. सचमुच प्रेम करते हो! Tuesday, December 31, 2013.

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जिंदगी की राहें

Monday, March 12, 2018. गोल गोल घूमते. लगातार छल्लों पर छल्ला. अजीब सी कशमकश का धुंआ. बाहर आकर दूर तक जाता हुआ. जब पहली बार खींचा था अन्दर तक कश. होंठ से लगा था, गोल्ड फ्लेक वाली. फ़िल्टर वाला सिगरेट! हुई थी आँखे लाल. डबडबाई थी पलकें. था अन्दर से एक अनजाना सा डर भी. फिर, कुछ पलों तक. जलती अंतड़ियों के साथ. स्टाइल से खांसा था उसने. क्योंकि नहीं बताना था. पहली बार पी गयी थी सिगरेट! आखिर कॉलेज के. नए रंगरूटों के बीच. था जतानी खुद की अहमियत. कहते थे लड़के, तुम लगोगे बॉस! बॉस यानी डर! देना यार,. कर्क-मकर र...

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जिन्दगी के रंग

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