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मैं:सहज और सरल : 2013-03-17
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मैं:सहज और सरल. शनिवार, 23 मार्च 2013. प्रेमचंद के निधन पर प्रकाशित दुर्लभ कविता:लेखक श्री गौरीशंकर मिश्र "द्विजेन्द्र". प्रेमचंद. प्रेमचंद तुम छिपे! किन्तु यह नहीं समझा था. प्रेमसूर्य का अभी कहाँ हुआ उदय था. उपन्यास और कथा जगत तमपूर्ण निरुत्तर. दीप्यमान था अभी तुम्हारा ही कर पाकर. अस्त हुए रूम. वृत यहाँ छा गया अँधेरा. लिया आंधी ने डाल तिमर में आन डेरा. उपन्यास है सिसकता रहा. रो रही कहानी. देख रहे यह वदन मोड़ कैसे तुममानी. आपस कर चिर बैर-भाव को मार भगाया. रोती हिंदी इधर. आज नहीं तुम! इसी अंक ...Pinterest...
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मैं:सहज और सरल : भारतीय दर्शन और चिंतन:समझने का एक प्रयास
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मैं:सहज और सरल. रविवार, 9 दिसंबर 2012. भारतीय दर्शन और चिंतन:समझने का एक प्रयास. संस्कृत का. भारतीय दर्शन मुख्यतः दो धाराओं. में बटा हुआ माना जा सकता हैं . वैदिक. या आस्तिक दर्शन और. नास्तिक या. वैदिक दर्शन. वैदिक दर्शन जिसे षडदर्शन. Group of 6 Philosophies). वैदिक दर्शन की धारायें:- न्याय,वैशेषिक,सांख्य,योग,मीमांसा और वेदांत हैं. न्याय दर्शन:. इस दर्शन का प्रवर्तक महर्षि गौतम. करना न्याय दर्शन का मुख्य प्रयोजन हैं. में बौद्ध विद्वानों. न्याय दर्शन को मिल. रही इस तगड़ी चुनौत...द्वारा. किया गय...ने ...
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मैं:सहज और सरल : 2013-01-06
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मैं:सहज और सरल. बुधवार, 9 जनवरी 2013. गंगा की सफाई और प्रयाग कुम्भ २०१३. जन्म के समय. दूधमुहें बालक जैसा. शुद्ध होता है हर प्राणी. अंडे की कैद को तोड़ने वाला रोयेंदार चूज़ा. माँ के थन पर हुमकता गाय का बच्चा. या नंग धडंग नवजात शिशु. जिसे थप्पड़ मरकरलय जाता हैं ,चेतना के आदि क्षणों में. मगर कालप्रवाह के साथ बहते बहते. आत्मा में उतरने लगती है कलुषता. और पानी को गंदला कर देती है. रूढियां और धर्म सिद्धांत. राख और अस्थियां. मृतको के मुरझाये पुष्पगुच्छ. और भरी दोपहर. रिसता पसीना. लेबल: लेख. नई पोस्ट. मेर&...
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मैं:सहज और सरल : पाकिस्तान के वज़ीर-ऐ-खारजा से इक हिन्दुस्तानी की इल्तजा
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मैं:सहज और सरल. शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012. पाकिस्तान के वज़ीर-ऐ-खारजा से इक हिन्दुस्तानी की इल्तजा. जनाब मलिक साहब. २६/११ के मुल्जिमान को कानून के जद में लाकर उन्हें सज़ा दिलवाइए. ताल ठोंक कर कहिये कि दहशतगर्दों के केम्पो का हिंदुस्तान और पाकिस्तान मिलकर सफाया करेंगे. प्रस्तुतकर्ता. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: पाकिस्तान. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. ब्लॉग आर्काइव. 3 माह पहले. Dard-I-Is...
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मैं:सहज और सरल : 2012-12-09
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मैं:सहज और सरल. शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012. पाकिस्तान के वज़ीर-ऐ-खारजा से इक हिन्दुस्तानी की इल्तजा. जनाब मलिक साहब. २६/११ के मुल्जिमान को कानून के जद में लाकर उन्हें सज़ा दिलवाइए. ताल ठोंक कर कहिये कि दहशतगर्दों के केम्पो का हिंदुस्तान और पाकिस्तान मिलकर सफाया करेंगे. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: पाकिस्तान. रविवार, 9 दिसंबर 2012. संस्कृत का. या आस्तिक दर्शन और. नास्तिक या. Group of 6 Philosophies).
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mushaira: March 2009
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सोमवार, 30 मार्च 2009. ज़रा सी देर में दिलकश नज़ारा. सी देर में दिलकश नज़ारा डूब जायेगा. ये सूरज देखना सारे का सारा डूब जायेगा. नजाने फिर भी क्यों साहिल पे तेरा नाम लिखते हैं. हमें मालूम है इक दिन किनारा डूब जायेगा. सफ़ीना हो के हो पत्थर हैं हम अंज़ाम से वाकिफ़. तुम्हारा तैर जायेगा हमारा डूब जायेगा. समन्दर के सफ़र में किस्मतें पहलु बदलती हैं. अगर तिनके का होगा तो सहारा डूब जायेगा. मिसालें दे रहे थे लोग जिसकी कल तलक हमको. प्रस्तुतकर्ता. 15 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. तशनगी - प्यास. जिस की ब&...14 टì...
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mushaira: July 2009
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सोमवार, 20 जुलाई 2009. हम अपने दिल को समझाते रहते हैं. हम अपने दिल को समझाते रहते हैं. सावन-भादो आते जाते रहते हैं. प्यार के पंछी कब रुकते हैं उड़ने से. दुनिया वाले शौर मचाते रहते हैं. महफिल-महफिल हंसते हैं मुस्काते हैं. तन्हाई में अश्क़ बहाते रहते हैं. चाँद, हवा, फूल, किताबें, जुगनू, तितली. मिल कर मेरा जी बहलाते रहते हैं. बादल, चिड़िया, तोता, दरिया और 'परवाज़'. अपना-अपना दर्द सुनते रहते हैं. प्रस्तुतकर्ता. 3 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. रविवार, 5 जुलाई 2009. नई पोस्ट. Read in your own script.
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mushaira: हम अपने दिल को समझाते रहते हैं
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सोमवार, 20 जुलाई 2009. हम अपने दिल को समझाते रहते हैं. हम अपने दिल को समझाते रहते हैं. सावन-भादो आते जाते रहते हैं. प्यार के पंछी कब रुकते हैं उड़ने से. दुनिया वाले शौर मचाते रहते हैं. महफिल-महफिल हंसते हैं मुस्काते हैं. तन्हाई में अश्क़ बहाते रहते हैं. चाँद, हवा, फूल, किताबें, जुगनू, तितली. मिल कर मेरा जी बहलाते रहते हैं. बादल, चिड़िया, तोता, दरिया और 'परवाज़'. अपना-अपना दर्द सुनते रहते हैं. प्रस्तुतकर्ता. 3 टिप्पणियां:. 20 जुलाई 2009 को 2:41 am. Bahut hi badhiya.khubsurat rachana.
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QALAM E SHAIR .................. جتندر پرواز: दिल मचल रहे हैं
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QALAM E SHAIR . جتندر پرواز. दिल्ली सुखनवरों का है मरकज़ मगर मियां, उर्दू के कुछ चिराग़ तो पंजाब में भी हैं - जतिन्दर परवाज़. बुधवार, अक्तूबर 28, 2009. दिल मचल रहे हैं. दिल मचल रहे हैं. ख़्वाब पल रहे हैं. आप की गली के. लोग जल रहे हैं. शाम ढल चुकी है. और चल रहे हैं. धूप चुभ रही है. दिन बदल रहे हैं. बदलो कहाँ हो. खेत जल रहे हैं. प्रस्तुतकर्ता. 5 टिप्पणियां:. ने कहा…. 28 अक्तूबर 2009 को 3:03 am. ने कहा…. 28 अक्तूबर 2009 को 3:19 am. ने कहा…. दिल मचल रहे हैं. आप की गली के. ने कहा…. ने कहा….
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QALAM E SHAIR .................. جتندر پرواز: सूरज-चन्दा जैसे रौशन
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QALAM E SHAIR . جتندر پرواز. दिल्ली सुखनवरों का है मरकज़ मगर मियां, उर्दू के कुछ चिराग़ तो पंजाब में भी हैं - जतिन्दर परवाज़. मंगलवार, अक्तूबर 06, 2009. सूरज-चन्दा जैसे रौशन. सूरज-चन्दा जैसे रौशन. हो जाएँ दिल सब के रौशन. आप जो मेरे साथ चलेंगे. हो जाएँगे रस्ते रौशन. दिल को रौशन करने वाले. मेरा घर भी कर दे रौशन. खिड़की से कुछ जुगनू आकर. कर जाते हैं कमरे रौशन. इक दीपक के जल जाने से. दीवारो-दर सारे रौशन. चाँद सा चेहरा कब आएगा. मेरे घर को करने रौशन. प्रस्तुतकर्ता. संजीव गौतम. ने कहा…. ने कहा….