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वाकई जो इश्क होता! | मेरी ग़ज़लें मेरे गीत
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Laquo; य द क य द ल ऊ त म ह . व कई ज इश क ह त! अप र ल 11, 2010 र ज व भर ल. इन च हत प द ल क ,अगर इख़ त य र ह त ,. 8216;र ज व’ भ लगत ह , ब क र घ मत ह ,. ग ज ल कह व कहत , अगर र ज़ग र ह त . ट ग क गई ग़ज़ल. 19 ट प पण य. On अप र ल 11, 2010 at 11:05 अपर ह न. अच छ प रस त त बध ई ब ल गजगत म स व गत. On अप र ल 12, 2010 at 12:17 प र व ह न. धन यव द मन ज ज . On अप र ल 12, 2010 at 1:56 प र व ह न. Bhai ji,itna lamba parichaya leejiyega to saare bhaag jayenge.Sunder blog aur rachna dono.swagat aapka. धन यव द श भ त. 8230;…...
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बेटा |
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स ध प रस रण. 124; Comments RSS. 14,001 प ठक. बचपन क द न. ध वन च त र (व ड य ). स ध प रस रण. ज न 2010 (10). ई-म ल सब सक र प शन. अपन ईम ल पत दर ज कर और ईम ल द व र नए प स ट क स चन ए प र प त कर. Join 13 other followers. च ट ठ जगत अध क त कड. By सन जय व य स. अर थ क अर थ बदल द त जब,. त तल कर व ग त ब ट. आध ऊपर आध म ह म ,. Filed under: कव त य. Laquo; यह म ल सभ ह स न व ल …. On 06/06/2010 at 10:09 अपर ह न. छ ट बच च क मन व ज ञ न बह त ख बस रत स ल ख ह. On 06/06/2010 at 10:15 अपर ह न. स दर वन द! बह त अच छ लग पढ कर,.
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अष्टावक्र: दवे जी और जन्नत की 72 हूरें (अप्सरायें)
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अष्टावक्र. Thursday, November 3, 2011. दवे जी और जन्नत की 72 हूरें (अप्सरायें). Posted by Arunesh c dave. तस्लीमा नसरीन. November 3, 2011 at 3:03 AM. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण). November 3, 2011 at 7:14 AM. कहीं भील से फेसबुक की महिलाओं को ही जन्नत की हूर तो नहीं समझ बैठे हो! बढ़िया व्यंग्य है ज़नाब! November 3, 2011 at 7:56 AM. लाज़वाब! बहुत रोचक और सटीक . November 3, 2011 at 10:04 AM. November 3, 2011 at 10:10 AM. November 3, 2011 at 11:08 AM. अरुणेश जी! कब आ गए जन्नत घूम कर? रग रग पहचा...
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क्रिएटिव कोना: Apr 26, 2015
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पुस्तक समीक्षा. मुख्य-पृष्ठ. पुस्तक समीक्षा. पोस्ट्स फीड. टिप्पणी फीड. यह ब्लॉग खोजें. लोड हो रहा है. . . भजन(4)सबरी प्रसंग. रविवार, 26 अप्रैल 2015. धन्य धन्य प्रभु दरसन दीन्हो. निज सेवक के भाग्य जगायो।. हे करुणानिधि आसन बइठो. धो लूं चरन मोरी कुटिया आयो।।. अचरज भरी दृष्टि से हे प्रभु अइसे ठाढ़े नाहीं निहारो. बाट जोहत मोरे नयना थकि गये अब तो नाथ उबारो. धन्य धन्य प्रभु दरसन दीन्हो. निज सेवक के भाग्य जगायो।।. धन्य धन्य प्रभु दरसन दीन्हो. धन्य धन्य प्रभु दरसन दीन्हो. राजेश्वर मधुकर. आरोह स्वर. इनकी प&#...
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क्रिएटिव कोना: May 8, 2015
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पुस्तक समीक्षा. मुख्य-पृष्ठ. पुस्तक समीक्षा. पोस्ट्स फीड. टिप्पणी फीड. यह ब्लॉग खोजें. लोड हो रहा है. . . भजन-(8)-वाल्मीकि आश्रम प्रकरण. शुक्रवार, 8 मई 2015. नाथ सदा तुम साथ मेरे बस बिनती यही है हमें ना बिसरइहो।. तुम बिन सिय आधार कहां. निज सिय को चरन सदा बइठइहो।।. छोड़ अवधपुर निर्जन वन में दरसन को यह मन है रोता. कैसे होगे मम रघुराई बस हर पल हिय में यही है होता. नाथ सदा तुम साथ मेरे. बस बिनती यही है हमें ना बिसरइहो।।. नाथ सदा तुम साथ मेरे. नाथ सदा तुम साथ मेरे. राजेश्वर मधुकर. आरोह स्वर. इनकी पî...
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क्रिएटिव कोना: Jul 20, 2015
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पुस्तक समीक्षा. मुख्य-पृष्ठ. पुस्तक समीक्षा. पोस्ट्स फीड. टिप्पणी फीड. यह ब्लॉग खोजें. लोड हो रहा है. . . पुस्तक समीक्षा- पत्रकारिता-प्रदीप प्रताप :एक स्मरणीय अनुष्ठान. सोमवार, 20 जुलाई 2015. पुस्तक-समीक्षा. पत्रकारिता-प्रदीप प्रताप(मूल्यांकन). प्रधान संपादक-विष्णु. त्रिपाठी. शिवाला रोड. मूल्य -. स्वरुप आज दिखाई पड़ रहा है. उसकी सशक्त बुनियाद में यदि सबसे महत्वपूर्ण. द्वारा स्थापित और सम्पादित समाचार पत्र. 2404;दूसरे शब्दों में इसे. हिंदी पत्रकारिता. लिए एक मानक. तक अनवरत जारी. कानपुर शहर क...रोश...
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छोटी छोटी बातें Choti Choti Baate: September 2009
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छोटी छोटी बातें Choti Choti Baate. वक़्त आने पर बता देंगे तुझे ए आसमाँ हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है. नन्है मुन्है . मुझे शिकायत है. पराया देश. Enter your email address:. आर्डर.आर्डर.आर्डर. राज भाटिय़ा. ताऊ एक बार बहुत गहरी सोच मै बेठा हुआ था, ना ब्लांगिंग ना, फ़ोन. ताई आज ताऊ को परेशान देख कर बोली? आज आप किस सोच मै बेठे है जी? ताऊ हां आज मै बहुत परेशान हूं! ताई लेकिन क्यो? मालिक अबे तु जगा देना समय मै खुद देख लुगां. जज साहब आदालत मै. ताऊ तो लिख. एक पिज्जा. ओर एक सालाद. शट अप नही. एक बार...
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क्रिएटिव कोना: भजन-(8)-वाल्मीकि आश्रम प्रकरण
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पुस्तक समीक्षा. मुख्य-पृष्ठ. पुस्तक समीक्षा. पोस्ट्स फीड. टिप्पणी फीड. यह ब्लॉग खोजें. लोड हो रहा है. . . भजन-(8)-वाल्मीकि आश्रम प्रकरण. शुक्रवार, 8 मई 2015. नाथ सदा तुम साथ मेरे बस बिनती यही है हमें ना बिसरइहो।. तुम बिन सिय आधार कहां. निज सिय को चरन सदा बइठइहो।।. छोड़ अवधपुर निर्जन वन में दरसन को यह मन है रोता. कैसे होगे मम रघुराई बस हर पल हिय में यही है होता. नाथ सदा तुम साथ मेरे. बस बिनती यही है हमें ना बिसरइहो।।. नाथ सदा तुम साथ मेरे. नाथ सदा तुम साथ मेरे. राजेश्वर मधुकर. आरोह स्वर. इनकी पî...