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पुरवाई: October 2014
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शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2014. हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएं-. पाण्डे. 31 अक्टूबर. राष्ट्रीय. अंकों. 100 वीं. पगडंडियों. पाण्डे. कविताओं. प्रकाशित. उत्तराखण्ड. पाण्डे. की कविताएं-. सभ्यताएँ. मिलतीं. सभ्यताओं. ढूँढऩे. बिल्कुल. गाँधी. लोगों. जोड़े. छातियों. जोड़ियों. मिलें. भागतीं. स्त्रियों. भागतीं. पुकारों. संग्रहालय. मिलेगा. मिलेगा. मुड़ते. बर्बरों. फाँसी. मंशाओं. फाँसी. मंशाओं. भूमिका. 2-सहेलियाँ. सहेलियाँ. चीज़ें. पहुँचती. बंगलुरु. विश्वविद्यालय. दिव्या. शिल्पी. उन्हें. आँखें. दरवाज़ा. कलेण्डर...पाण...
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पुरवाई: September 2014
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रविवार, 28 सितंबर 2014. प्रभात की आयी है बहार : डॉ.सुनील जाधव. डॉ.सुनील जाधव. बिराजते. बगुलों. पंक्ति. तालियाँ. निलगिरी. उल्हासते. गुनगुनाते. पंच्छी. जोड़ियों. सिद्धी. शुद्धता. घंटियाँ. मुस्कुरा. पक्षियों. प्रकृति. खुशियों. हाथों. व्यक्ति. स्वीकार. देखों. नांदेड. प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. 3 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: डॉ.सुनील जाधव. रविवार, 14 सितंबर 2014. आरसी चौहान. लगन,निष्...इस सæ...
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जीवन पुष्प * * * *. मुखपृष्ठ *. टैली इनर्जी *. रोमन-हिन्दी *. महाशब्दकोश *. हिन्दी पैड *. संपर्क *. जीवन पुष्प में आप सभी का हार्दिक स्वागत है ". 19 January, 2012. पाँवों में घुँघरू बँधे है. समाँ बँधा है ताली से. पत्ता-पत्ता टूट रहा है. मेरे जीवन की डाली से! मासूमियत उजड़ रही है. सूरत भोली-भाली से. चमक सब खो गई है. मेरे होठों की लाली से! हमें बेचकर बचपन में सब. मालामाल हुए दलाली से. मैं भी किसी की बेटी थी. आज ज़िन्दगी भरी है गाली से! धन-वर्षा होती रही. Posted by मनीष कुमार. January 19, 2012 at 2:27 PM.
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कवि की नायिका तू अति सुन्दर | Bhairawi's Blog
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Laquo; ज ह नव ह ………. Check out my Slide Show! कव क न य क त अत स न दर. Posted February 9, 2011 by bhairawi in KAVITA. अधर स न दर. वदन स न दर. नयन स न दर. ह रदय स न दर. गमन स न दर. अत स न दर. वचन स न दर. चर त स न दर. वसन स न दर. करवट स न दर. चलन स न दर. भ रमण स न दर. अत स न दर. भ जन स न दर. शयन स न दर. त लक स न दर. अत स न दर. ग जन स न दर. क टक स न दर. अ जल स न दर. य पग स न दर. अत स न दर. 8 responses to this post. Posted by ज ञ नच द मर मज ञ. On September 2, 2011 at 6:03 pm. Posted by Ghalib at Work. आपक एव ...
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पुरवाई: November 2014
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शनिवार, 29 नवंबर 2014. पहाड़ में खुलती एक खिड़की: अकुलाए हुए निकलते शब्द. आरसी चौहान. आज हिन्दी साहित्य उस चौराहे पर खड़ा है जहां से सड़कें चकाचौंध कर देने वाली बहुरा ष्ट्रीय. स्तर की तमाम पत्र-पत्रिकाओं ने एक बड़ा मंच प्रदान किया है।. हिन्दी साहित्य विशेषांक. हिन्दी साहित्य विशेषांक”. लिखा जाएगा जब भी. जूता का इतिहास. उसमें शामिल होगा. और कीचड़ में सना पांव. बता पाना मुश्किल होगा. हो सकता किसी ने. रखा हो कीचड़ में पांव. और कीचड़ सूख कर. बन गया हो जूता सा. बनाया जा सकता है. उसकी चौकस आवाज. और अब ये कि. संप...
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पुरवाई: February 2015
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बुधवार, 25 फ़रवरी 2015. डॉ उमेश चमोला की कविताएं-. उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग में. 1973 को कौशलपुर. बसुकेदार. में जन्में डॉ उमेश चमोला ने सामाजिक एवं साहित्यिक क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं । इनके कार्यों को देखते हुए उत्तराखण्ड. उत्तरप्रदेश. मध्यप्रदेश. दिल्ली. सम्प्रति - राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद्. उत्तराखण्ड देहरादून में शिक्षक-प्रशिक्षक के रूप में कार्यरत।. वर्तमान में अराजकता. हैवानियत. लाल मेरा खो गया है. होंठ पर मेरे हंसी थी. खो गया है. बो गया है. भूल था वह. मुझ...
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पुरवाई: March 2015
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मंगलवार, 24 मार्च 2015. ज्ञान प्रकाश चौबे की कविताएं-. प्रस्तुत है इनकी कुछ कविताएं-. नींद अन्धेरे में. नींद होती सुबह में. सुनता हूं. खिसकती हुई दुनिया की आहटें. नींद के आँगन में. झांक कर देखता हूं. पगुराते समय को. नींद के सिवान में. भटकाता हूं. रेहड़ से गुम हुई भेड़ों की तलाश में. नींद की परछाईयों में. चटख रंग भरते हुए. खींचता हूं. एक पूरे दिन का भरापूरा चेहरा. और समय को. बांधने की लापरवाह कोशिश करता हूं. नींद अंधेरे में. लगाता हूं. जागते रहे की टेर. जंगल कथा. सूरज लाल है. लाल सलाम. नहीं ह...और नì...
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पुरवाई: April 2014
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सोमवार, 28 अप्रैल 2014. जिंदगी ख़ूबसूरत है : उमेश चन्द्र पन्त. उमेश चन्द्र पन्त. इनकी रूचियां -फोटोग्राफी. कवितां. सिक्का.संग्रह. तबला वादन एवं संगीत में।. उमेश चन्द्र पन्त की दो कविताएं. जिंदगी ख़ूबसूरत है. जिंदगी ख़ूबसूरत है. बहुत खूबसूरत. तितली के पंखों -सी. कभी फूलों -सी. पूनम की रात- सी. खूबसूरत है. तुम्हारी कही किसी बात -सी. जिंदगी खूबसूरत है. शिशु की मुस्कान की तरह. खूबसूरत है जिंदगी. उस समीर की तरह. शाम को मंद-मंद बहते हुए. जो माहौल में. जिंदगी खूबसूरत है. हर तरह से. कुछ न कुछ. कुछ नया. चिन...
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पुरवाई: August 2015
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सोमवार, 31 अगस्त 2015. लव-जिहाद जैसा कुछ नहीं. अनवर सुहैल. अनवर सुहैल का समकालीन रचनाकारों में महत्वपूर्ण स्थान है। इनकी लेखनी को कविता. रूखसाना से इस तरह मुलाकात होगी. खाला सामने बैठी हुई थीं.खाला ने मुझे इस तरह देखा तो बताने लगीं-. 8216; अच्छा तो तुम इसे जानते हो.ये रुखसाना है. मैंने उन्हें बताया. दूसरी का नाम शबाना था और सबसे छोटी रुखसाना.शबाना स्थानीय गर्ल्स कालेज म&...मैं गणित में काफी कमज़ोर था. 8216; अब्बू. पढने वाले आ गए! ईद के मौके पर मुझे भी सेवईया...क्यूंकि उन कतलि...सिर्फ देख...अब्बí...
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पुरवाई: December 2014
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सोमवार, 22 दिसंबर 2014. और कितने टुकड़े :विक्रम सिंह. विक्रम सिंह 1. जमशेदपुर झारखण्ड. में जन्में. समकालीन रचनाकारों में तेजी से अपनी पहचान बनाते जा रहे पेशे से मैकेनिक इंजीनियर. युवा लेखक विक्रम सिंह की कहानियां राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं यथा. किस्सा. साहित्य. साहित्य परिक्रमा. जाहन्वी. परिंदे इत्यादि पत्र-पत्रिकाओ में प्रका. हो चुकी हैं।यहां पहली बार किसी ब्लाग में इनकी. कहानी- और कितने टुकड़े. कहानी संग्रह. सम्प्रति-. और कितने टुकड़े. लोगों. हान जी. एक हल्की चादर. जवान ने. जीना ...वैख...
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