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मेरी कलम मेरे जज़्बात: तल्खियाँ ( gazal)
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मुख्य पृष्ठ. मेरा ब्लॉग परिचय. मेरी रचनाएँ. मेरी नज्में. ब्लोगर पर. गूगल प्लस पर. फेसबुक पेज. Wednesday, 3 June 2015. तल्खियाँ ( gazal). हालात अक्सर ज़ुबानों पर, तल्खियाँ रख देते हैं,. रेशमी से अहसास पर ये, चिंगारियां रख देते हैं . मुश्किल नहीं इस कदर यूँ तो, ये बयाँ जज़्बात का. ये लफ्ज़ आ बीच में क्यों, दुश्वारियाँ रख देते हैं. मासूमियत छीन कर ज़ालिम, दाँव ये ज़माने के. इक बार फिर जी लें जी भर, बचपन का वो भोलापना. सुशील कुमार जोशी. 3 June 2015 at 17:57. खुद्दारियाँ. बहुत सुंदर! 4 June 2015 at 00:41. दि...
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उम्मीद तो हरी है .........: 06/30/15
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उम्मीद तो हरी है . दौर पतझड़ का सही, उम्मीद तो हरी है. मंगलवार, जून 30, 2015. स्त्रियां जानती हैं. स्त्री को. बचा पाने की. जुगत में जुटे. पुरुषों की बहस. स्त्री की देह से प्रारंभ होकर. स्त्री की देह में ही. हो जाती है समाप्त - -. स्त्रियां. पुरषों को बचा पाने की जुगत में भी. रखती हैं घर को व्यवस्थित. सजती संवरती भी हैं - -. स्त्रियां जानती हैं. पुरुषों के ह्रदय. स्त्रियों की धड़कनों से. धड़कते हैं - -. पुरुषों की आँखें. नहीं देख पाती. स्त्रियों की आँखें. देखती हैं. ज्योति खरे". द्वारा. नई पोस्ट. सुबह ...
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उम्मीद तो हरी है .........: 10/08/15
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उम्मीद तो हरी है . दौर पतझड़ का सही, उम्मीद तो हरी है. गुरुवार, अक्तूबर 08, 2015. चुप्पियों की उम्र क्या है - - -. अपराधियों की दादागिरी. साजिशों का दरबार. वक़्त थमता तो बताते. जुर्म की रफ़्तार - -. गुनाह का नमूना. ढूंढ कर हम क्या करेंगें. सत्य की गर्दन कटी है. झूठ के हाँथों तलवार- -. न्याय के चौखट तुम्हारे. फ़रियाद सहमी सी खड़ी है. सिसकियाँ सच बोलती हैं. कोतवाली सब बेकार - -. आ गये थे यह सोचकर. पेट भर भोजन करेंगे. छेद वाली पत्तलों का. दुष्ट जैसा व्यवहार - -. मरने लगी इंसानियत. आग धीमी जल रही. बिटि...
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उम्मीद तो हरी है .........: 06/18/15
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उम्मीद तो हरी है . दौर पतझड़ का सही, उम्मीद तो हरी है. गुरुवार, जून 18, 2015. होना तो कुछ चाहिए. कविता संग्रह का विमोचन. वरिष्ठ कवि ज्योति खरे के पहले कविता संग्रह "होना तो कुछ चाहिए" का विमोचन समारोह. 24 मई को हिंदी भवन,दिल्ली में आयोजित किया गया.समारोह की अध्यक्षता. भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक और सुप्रसिद्ध कवि श्री लीलाधर मंडलोई जी ने की,. साहित्यकार और कला समीक्षक डॉ राजीव श्रीवास्तव ने अपने उद्बो...संग्रह की सभी कवितायें नये दौर की ब...सातवें और आठवें दशक की, स&#...नवनीत जैसी पत&#...कार्...
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उम्मीद तो हरी है .........: 02/26/15
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उम्मीद तो हरी है . दौर पतझड़ का सही, उम्मीद तो हरी है. गुरुवार, फ़रवरी 26, 2015. आज भी रिस रहा है - - -. तराशा होगा. पहाड़ को. दर्दनाक चीख. आसमान तक तो. पहुंची होगी- -. आसमान तो आसमान है. वह तो केवल. अपनी सुनाता है. दूसरों की कहां सुनता है- -. कांपती सिसकती. पहाड़ की सासें. ना जाने कितने बरस. अपने बचे रहने के लिए. गिड़गिड़ाती रहीं- -. पहाड़ की कराह. को अनसुना कर. उसे नया शिल्प देने. इतिहास रचने. करते रहे. प्रहार पर प्रहार- -. अब जब कभी. कोई इनके करीब आता है. छू कर महसूसता है. इनका दर्द. द्वारा. गम अगरबत्...
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अनुभूति : April 2016
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शनिवार, 30 अप्रैल 2016. मजदूर दिवस! मजदूर दिवस! कालीपद ‘प्रसाद’. कालीपद "प्रसाद". 2 टिप्पणियां:. Links to this post. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). राष्ट्र -गौरव ,राष्ट्र ध्वज. प्रकाशित मेरी कविता संग्रह. कालीपद प्रसाद मण्डल. Followers इस समूह में शामिल हों. मेरे बारे में. कालीपद "प्रसाद". मेरी ब्लॉग सूची. VICHAR mere ,aapke,sabke. 4 वर्ष पहले. अनुभूति. 4 माह पहले. संध...
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मैंने पढ़ी है: गुरु को नमन
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मैंने पढ़ी है. वन्देमातरम जय हिन्द. शुक्रवार, 15 जुलाई 2011. गुरु को नमन. गुरु ब्रह्म गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः. गुरु साक्षात् पर ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः. गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।. बलिहारी गुरु आपकी, गोविंद दियो बताए।।. बंदउ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि।. महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर।।. बंदउ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा।।. जथा सुअंजन अंजि दृग साधक सिद्ध सुजान।. राम भक्ति जहँ सुरसरि धारा। सरसइ ब्र...बिधि निषेधमय कलि मल हरन...हरि हर कथा ब...बटु...
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FACEBOOK पर फेक अकाउंट | वेब मीडिया:Web Mediya
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वेब मीडिया:Web Mediya. सूची पत्र. भूली बिसरी यादें. स्वस्थ जीवन. हिन्दी काव्य संकलन. ब्लॉग कलश. मजेदार तथ्य. चर्चा मंच. ब्लॉग-प्रसारण. शनिवार, 12 अक्तूबर 2013. FACEBOOK पर फेक अकाउंट. प्रस्तुतकर्ता. राजेंद्र कुमार. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: जानकारियां. 13 टिप्पणियां:. 12 अक्तूबर 2013 को 8:57 pm. उत्तर दें. 12 अक्तूबर 2013 को 9:22 pm. सूचनार्थ।. उत्तर दें. राजीव कुमार झा. 13 अक्तूबर 2013 को 9:21 am. उत्तर दें. बहुत स...
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बातें...: सलीब...
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बातें. Saturday, May 7, 2011. अपनी सलीब अपने कांधों पे लिए होते हैं. ऐसे कुछ साज़-ओ-सामां रिहाई के होते हैं. तनहाइयों के सेहरा फांकते रहे कब से. सराबों ने खून और जलाया मेरा. सराबों = मृगतृष्णा ]. साजिशों भरे बेरहम मंज़र. कब क़ैफ़-ओ-क़रार के होते हैं. ओ-क़रार = ख़ुशी और संतुष्टि ]. गुनेह्गारों की मानिंद खड़े हैं हम. इन रवायतों के कठ्घरों में. दुनियावाले क्या समझेंगे इन्हें. कुछ फैसले खुदा के होते हैं. तेरे नज़रिए से खुद को तराशते गए. सोज़ = जलना, प्रेम ]. Posted by xitija parmar Singh. स्वास&#...इस कव...
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मेरी कलम मेरे जज़्बात: July 2014
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मुख्य पृष्ठ. मेरा ब्लॉग परिचय. मेरी रचनाएँ. मेरी नज्में. ब्लोगर पर. गूगल प्लस पर. फेसबुक पेज. Sunday, 20 July 2014. चाहे न दो प्रत्युत्तर तुम,. चाहे न दो प्रत्युत्तर तुम,. मन में मेरे संतोष यही,. विनती अपने आकुल हिय की,. तुम तक मैंने पहुँचाई सही. कुछ पीड़ा कुछ संताप लिखे,. कुछ प्रीत भरे उदगार लिखे. हर अक्षर में जिसके मैं थी,. पाती तुम तक पहुँचाई वही. संदेश नहीं, न संकेत कोई ,. न आस मिलन की लेश कोई ,. सुन एक पुकार आओगे तुम,. मन में प्रतिपल विशवास यही. न, विरहन न कहना मुझको ,. मानव प्रभु स...सजा स...
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