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*ब्लॉग पहेली-चलो हल करते हैं *: April 2012
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ब्लॉग पहेली-चलो हल करते हैं *. शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012. ब्लॉग पहेली -२३ का परिणाम. ब्लॉग पहेली -२३ का परिणाम. ब्लॉग पहेली २३ में पूछे गए प्रश्नों के सही जवाब इस प्रकार हैं -. १- धूप मेरे हाथ से जब से फिसल गई जिंदगी से रौशनी उस दिन निकल गई नाव साहिल तक वही लौटी है. Noreply@blogger.com (दिगम्बर नासवा) द्वारा. स्वप्न मेरे. जिंदगी से रौशनी उस दिन निकल गई . भुलाता है ये राधे की महिमा न्यारी है .[. वन्दना द्वारा. ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र. ख़र्च आता.[. Dr Ayaz Ahmad द्वारा. बातें. मित्रों! कर रहा .[. पहेल&...
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साहित्य - 'नारी दस्तख़त': वयोलेता पारा
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साहित्य - 'नारी दस्तख़त'. मुखपृष्ठ. रीना मौर्य. सबा युनुस. अंकिता पंवार. क्षितिजा. विनीता जोशी. डॉ. दिव्या श्रीवास्तव. Friday, 1 June 2012. वयोलेता पारा. खुदा की लानत इस खाली आसमान पर. और रात के सितारों पर. खुदा की लानत इस रास्ता चलती. और कलकल करती नदी पर. खुदा की लानत इन पत्थरों पर. जो राहों की धूल में लिपटे हुए. खुदा की लानत इस चूल्हे की आग पर. की मेरा दिल कच्चा गोस्त हे. खुदा की लानत वक़्त के कानूनों पर. जो हमारे दर्द को. जाते हें. 4 October 1917 – 5 February १९६७. संजय भास्कर. 11 June 2012 at 08:13.
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साहित्य - 'नारी दस्तख़त': विनीता जोशी
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साहित्य - 'नारी दस्तख़त'. मुखपृष्ठ. रीना मौर्य. सबा युनुस. अंकिता पंवार. क्षितिजा. विनीता जोशी. डॉ. दिव्या श्रीवास्तव. विनीता जोशी. वो लड़की. चिड़िया. बन जाना चाहती हे. वो लड़की. इसलिए की. इन खिडकियों से. उडकर छु सके. जहां हे. इन्द्रधनुष. चुगना चाहती हे वो. उसका एक एक रंग. और सजा देना चाहती हे. अपना घोसला. चिड़िया बन जाना चाहती हे. वो लड़की. इसलिए की. चिड़िया. ठुकराई नहीं जाती. विनीता जोशी की दस कविताएँ. माँ जब तक रहेगी. जब तक रहेगी. छोटी-छोटी. धनिया/पुदीना. खिलेंगे. आँगन में. देहरी पर. पाली ...रिश...
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साहित्य - 'नारी दस्तख़त': अमृता प्रीतम
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साहित्य - 'नारी दस्तख़त'. मुखपृष्ठ. रीना मौर्य. सबा युनुस. अंकिता पंवार. क्षितिजा. विनीता जोशी. डॉ. दिव्या श्रीवास्तव. Saturday, 26 May 2012. अमृता प्रीतम. धरती ने गहरी सांस ली, आसमान ने सिसकी भरी. फूलों का एक काफिला था, आज वह रेगिस्तान से गुज़रा. मेरे इश्क के ज़ख्म तेरी याद ने सीए थे. आज मैंने टाँके खोलकर, वह धागा तुझे लौटा दिया. मेरी रात जाग रही है, तेरा ख्याल सो गया. Subscribe to: Post Comments (Atom). अमृता प्रीतम. अमृता प्रीतम. परवीन शाकिर. THE HOUSE OF EMPTY EYES. अलका निगम. View my complete profile.
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साहित्य - 'नारी दस्तख़त': May 2012
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साहित्य - 'नारी दस्तख़त'. मुखपृष्ठ. रीना मौर्य. सबा युनुस. अंकिता पंवार. क्षितिजा. विनीता जोशी. डॉ. दिव्या श्रीवास्तव. Saturday, 26 May 2012. अमृता प्रीतम. धरती ने गहरी सांस ली, आसमान ने सिसकी भरी. फूलों का एक काफिला था, आज वह रेगिस्तान से गुज़रा. मेरे इश्क के ज़ख्म तेरी याद ने सीए थे. आज मैंने टाँके खोलकर, वह धागा तुझे लौटा दिया. मेरी रात जाग रही है, तेरा ख्याल सो गया. Saturday, 19 May 2012. अमृता प्रीतम. हम ने आज ये दुनिया बेचीं,. और एक दीं खरीद के लाये,. बदल का इक जाम उठा कर. Wednesday, 9 May 2012.
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साहित्य - 'नारी दस्तख़त': परवीन शाकिर
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साहित्य - 'नारी दस्तख़त'. मुखपृष्ठ. रीना मौर्य. सबा युनुस. अंकिता पंवार. क्षितिजा. विनीता जोशी. डॉ. दिव्या श्रीवास्तव. Wednesday, 9 May 2012. परवीन शाकिर. अजीब तर्ज़ -ऐ -मुलाक़ात अब की बार रही. तुम्हीं थे बदले हुए या मेरी निगाहें थीं. तुम्हारी नज़रों से लगता था जैसे मेरइ बजाये. तुम्हारे घर मैं कोई और शख्स आया है. तुम्हारे ओहद की देनें तुम्हें मुबारक. सो तुम ने मेरा स्वागत उसी तरह से किया. जो अफसरान -ऐ -हुकूमत क ऐताकाद मैं है. अदब पर भी कोई दो चार तबसरे फरमाए. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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साहित्य - 'नारी दस्तख़त': ये क्या किया आपा...
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साहित्य - 'नारी दस्तख़त'. मुखपृष्ठ. रीना मौर्य. सबा युनुस. अंकिता पंवार. क्षितिजा. विनीता जोशी. डॉ. दिव्या श्रीवास्तव. Tuesday, 26 June 2012. ये क्या किया आपा. मैं मेरी बड़ी बहन जो M.A. कर रही थी और मेरी प्यारी माँ और अब्बू , हम सब बुहत ही खुशमिजाजी से रह. एक रोज़ हमेशा की तरह मैं स्कूल निकल गयी और अब्बू आप को छोरने कॉलेज चले गये , माँ हमेशा. कहाँ आप? मैं अब नहीं आउंगी , मुझे माफ़ कर दें ” इससे पहले मैं ...है , उन्होंने फ़ौरन मेरा हाथ पकड़...अब नहीं आयेगी .” मा...मुझे कुछ जवाब...थी , मै&#...बित...
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साहित्य - 'नारी दस्तख़त': अलका निगम
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साहित्य - 'नारी दस्तख़त'. मुखपृष्ठ. रीना मौर्य. सबा युनुस. अंकिता पंवार. क्षितिजा. विनीता जोशी. डॉ. दिव्या श्रीवास्तव. Sunday, 6 May 2012. अलका निगम. माँ का गर्भ. नाम था दूसरा. प्रश्रय अपरिमित का. किन्तु विडंबना. नारी के भाग्य की. अजन्मी वह छोटी-सी अवधी. भी टिक न पाई सुरचित. छोटा- सा वह घरोंदा. ठन्डे लोहयंत्रो की चपेट में. पुत्री ने उस अन्धकार में. अजन्मे ही. प्रस्र्य्दाता की ठंडी आँखों में. आँखे दाल दी. और पुचा. अब तुम भी. और यहाँ भी. औरत जात की चाप लिए. हाय, अब तो. सुन्दरपुर रोड. 10 May 2012 at 18:17.
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साहित्य - 'नारी दस्तख़त': June 2012
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साहित्य - 'नारी दस्तख़त'. मुखपृष्ठ. रीना मौर्य. सबा युनुस. अंकिता पंवार. क्षितिजा. विनीता जोशी. डॉ. दिव्या श्रीवास्तव. Tuesday, 26 June 2012. ये क्या किया आपा. मैं मेरी बड़ी बहन जो M.A. कर रही थी और मेरी प्यारी माँ और अब्बू , हम सब बुहत ही खुशमिजाजी से रह. एक रोज़ हमेशा की तरह मैं स्कूल निकल गयी और अब्बू आप को छोरने कॉलेज चले गये , माँ हमेशा. कहाँ आप? मैं अब नहीं आउंगी , मुझे माफ़ कर दें ” इससे पहले मैं ...है , उन्होंने फ़ौरन मेरा हाथ पकड़...अब नहीं आयेगी .” मा...मुझे कुछ जवाब...थी , मै&#...बित...
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