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अर्थात: भूमण्डलीय गांव में भूख का सवाल
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विकास के दावों के बीच हक़ीक़त की तलाश. शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010. भूमण्डलीय गांव में भूख का सवाल. एक आर्थिक सर्वसत्ता वाद गोलियों से नहीं वरन अकालों से हत्या करता है।. मिशेल चोसडुवस्की , ग्लोबलाईजेशन आफ़ पावर्टी में. दूसरे शब्दों में एक बड़ी आबादी दो जून के भोजन से भी वंचित रही।). ऐसे में एशिया और अफ्रीका के हालात कोई भी समझ सकता है।. हिये। ( देखें फ्रंटलाईन, 23 अप्रैल,2010, पेज़ 11). प्रस्तुतकर्ता. लेबल: गरीबी. रिपोर्ट. 5 टिप्पणियां:. अजित वडनेरकर. ने कहा…. महत्वपूर्ण आलेख।. शरद कोकास. नई पोस्ट. ब्ल...
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अपने गिरेबां में: October 2010
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अपने गिरेबां में. ग़ालिब-ए-खस्ता के बगैर, कौन से काम बंद हैं . रोइए ज़ार ज़ार क्या, कीजिये हाय हाय क्यों . इन्हें भी देखें . व्यंग्यश्री - 2014. हिंदी व्यंग्य. कुछ यादें, बेतरतीब सी . लघुकथाएं. कार्टून्स. शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2010. जिन्दगी ३६५० दिन! क्या किया अब तक. पूंजी सा समय खर्च दिया. पाया क्या. देखते देखते दिन कपूर हुए. कहां गए! न गिनना समय से नजरें चुराना नहीं है क्या. दिन खिसक गए । दस साल में. दिनों में सिमट जाती है । इसमें आ...दिन खर्च होने के बाद बचे. दिन और हासिल हुई न&...रही केवल. सुबह&...
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अपने गिरेबां में: आँख वालों में अंधा राजा !! / LEADER WITHOUT EYES.
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अपने गिरेबां में. ग़ालिब-ए-खस्ता के बगैर, कौन से काम बंद हैं . रोइए ज़ार ज़ार क्या, कीजिये हाय हाय क्यों . इन्हें भी देखें . व्यंग्यश्री - 2014. हिंदी व्यंग्य. कुछ यादें, बेतरतीब सी . लघुकथाएं. कार्टून्स. सोमवार, 13 सितंबर 2010. आँख वालों में अंधा राजा! आजादी की लड़ाई में वे देश का नेतृत्व कर रहे थे. वहीं स्त्री शिक्षा. बाल विवाह. बाल विवाह रोकना है तो सरकार रोके. कानून काम करे. पुलिस देखे । हम तो जनभावना और परंपरा के खिलाफ नह&...यदि वर्तमान युग में भी हमार...प्रस्तुतकर्ता. जवाहर चौधरी. हिंद&...एक बì...
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SECOND OPINION: गलती वहीं हुई थी
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गुरुवार, दिसंबर 3. गलती वहीं हुई थी. तुम्हारे अंधेरे मेरी ताक में हैं. और मेरे हिस्से के उजाले. तुम्हारी गिरफ्त में. हाँ , ग़लती वहीं हुई थी. जब मैंने कहा था. तुम मुझको चाँद लाके दो. और मेरे चाँद पर मालिकाना तुम्हारा हो गया. Posted by sandhya navodita for. संध्या नवोदिता. गुरुवार, दिसंबर 03, 2009. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. Labels: कविता. संध्या नवोदिता. 14 टिप्पणियां:. दिसंबर 05, 2009. Is kavita ke lie aapko badhaaiiiiiiiiiii.
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अपने गिरेबां में: January 2011
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अपने गिरेबां में. ग़ालिब-ए-खस्ता के बगैर, कौन से काम बंद हैं . रोइए ज़ार ज़ार क्या, कीजिये हाय हाय क्यों . इन्हें भी देखें . व्यंग्यश्री - 2014. हिंदी व्यंग्य. कुछ यादें, बेतरतीब सी . लघुकथाएं. कार्टून्स. शुक्रवार, 21 जनवरी 2011. सोने का सुख! 3 अब अगर आप दूसरी बार तुड़वा कर नई डिजाइन का जेवर बनवाते हैं तो फिर चार ग्राम का घपला होगा ।. अगली बार जब सोने का सुख उठाना चाहें तो जरा सोच समझ कर . प्रस्तुतकर्ता. जवाहर चौधरी. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. शनिवार, 1 जनवरी 2011. एक बंद...
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अपने गिरेबां में: मीडिया मांगे मोर - HindiLok.com
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अपने गिरेबां में. ग़ालिब-ए-खस्ता के बगैर, कौन से काम बंद हैं . रोइए ज़ार ज़ार क्या, कीजिये हाय हाय क्यों . इन्हें भी देखें . व्यंग्यश्री - 2014. हिंदी व्यंग्य. कुछ यादें, बेतरतीब सी . लघुकथाएं. कार्टून्स. शुक्रवार, 4 जून 2010. मीडिया मांगे मोर - HindiLok.com. मीडिया मांगे मोर - HindiLok.com. प्रस्तुतकर्ता. जवाहर चौधरी. प्रतिक्रियाएँ:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. गांधीज&...160; ...
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SECOND OPINION: मैं हूँ मानवी
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मंगलवार, जनवरी 5. मैं हूँ मानवी. मैं हूँ. समर्पण है ,समझौते हैं ,. और तुम हो बहुत करीब. मैं हूँ. हँसी है ,खुशी है. और तुम हो नजदीक ही. मैं हूँ. दर्द है ,आंसू है ,. तुम कहीं नहीं. मैं हूँ मानवी. ओ सभ्य पुरुष! संध्या नवोदिता. Posted by sandhya navodita for. संध्या नवोदिता. मंगलवार, जनवरी 05, 2010. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. Labels: कविता. संध्या नवोदिता. 30 टिप्पणियां:. जनवरी 06, 2010. उत्तर दें. परमजीत बाली. जनवरी 06, 2010. मा...
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SECOND OPINION: May 2011
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बुधवार, मई 11. क्या हिंसा ही एकमात्र विकल्प है? अपनी सरकार. की ये कारस्तानी देख रहा है. ग्रेटर नोएडा के करीब बन रहे यमुना एक्सप्रेस वे से प्रभावित किसानों के आंदोलन से आखिर क्या सबक मिलता है? क्या अनशन, धरना, सुनवाई तभी होगी जब खुद अन्ना हजारे बैठेंगे. इन बुनियादी सवालों पर. इनकी बोलती क्यों बंद है? ये बातें रोज की हैं. न्याय खुद ही अन्याय से बड़ा नजर आने लगे. ऐसे में क्या कहा जाए? क्या सांत्वना दी जाए? असहमति की आवाज़ सुनने का साहस सत्ता में...क्या कोई सुनवाई का , ...Posted by sandhya navodita for.
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SECOND OPINION: December 2009
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शुक्रवार, दिसंबर 25. तुम्हारी तरह मैं प्यार करता हूँ. तुम्हारी तरह. मैं प्यार करता हूँ. प्यार को,. ज़िंदगी को,. चीजों की मीठी खुशबुओं को,. जनवरी माह के आसमानी नज़ारे को. प्यार करता हूँ. मेरा लहू उबलता है. मेरी आँखें हंसती हैं. कि मैं आंसुओं की कलियाँ जानता हूँ. मुझे भरोसा है कि दुनिया खूबसूरत है. और कविता रोटी की तरह. सबकी ज़रूरत है. कि मेरी शिराएँ मुझमें ही ख़त्म नहीं होतीं. बल्कि ये लहू एक है. जो लड़ रहे हैं ज़िंदगी के लिए,. प्यार के लिए,. और सबकी कविता के लिए. . सत्ताईस बरस. सच में. एक है -. जो स...
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SECOND OPINION
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मंगलवार, मई 3. अमेरिका की रक्षा करने वालों को सलाम. ओबामा कहते हैं . हमें तो यह कहना पड़ता है कि जो अमेरिका से दुनिया की रक्षा करे उसे सलाम! यह कहना कि आई. एस. आई. को ओसामा के छिपने की जगह पता थी और पाकिस्तान ने उसे अमेरिका से छिपाए रखा. सी.आई.ए. के सामने आई.एस.आई. और अमेरिका के सामने पाकिस्तान की क्या औकात है? अमेरिका ने ही तालिबान को खड़ा किया. दूसरी बात. दाउद मर गया तो बालीवुड की कालिख का पता कौन बताएगा? Posted by sandhya navodita for. संध्या नवोदिता. मंगलवार, मई 03, 2011. बेनामी. मई 03, 2011. डा&...