apnesebahar.blogspot.com
अपने से बाहर: एक लेखकाना शाम
http://apnesebahar.blogspot.com/2008/11/blog-post.html
अपने से बाहर. अपने से बाहर निकल देख, है खड़ा विश्व बाँहें पसार.तू एकाकी तो गुनहगार. Thursday, 13 November 2008. एक लेखकाना शाम. मगर इस वेग के बीच एक जगह कुछ ठहरा हुआ दिखाई दे रहा है, भीड़ आगे जाकर थोड़ा दाएँ-बाएँ ख़िसक रही है, फिर वेगवान हो जा रही है।. भीड़ भी पढ़ रही है, मैं भी पढ़ रहा हूँ - पर पता नहीं क्यों आज उस लेखकाना शाम को लिखे जाने...अपने से बाहर. Labels: apne se bahar. अपने से बाहर. 13 November 2008 at 16:55. 13 November 2008 at 18:03. 17 November 2008 at 09:33. ऐसा कुछ नहì...पर्...
apnesebahar.blogspot.com
अपने से बाहर: June 2013
http://apnesebahar.blogspot.com/2013_06_01_archive.html
अपने से बाहर. अपने से बाहर निकल देख, है खड़ा विश्व बाँहें पसार.तू एकाकी तो गुनहगार. Sunday, 30 June 2013. आम आदमी के नाम पर. योगेन दा प्रणाम. मैं कौन हूँ ये बताने का कोई प्रयोजन नहीं. क्योंकि मैं आम ही नहीं अनाम भी हूँ जिसे - मैं - बोलने से संकोच होता है।. अभी-अभी लंदन में आपकी सभा से लौटा - आम आदमी पार्टी, यूके - की सभा।. केवल सुना. केवल देखा, तौला, परखा।. एक छवि थी मन में. जिसकी शुरूआत. अमर सिंह भी शायद उसी चुनाव से टीवी पर छाए. और फिर राजनीति में आए थे।. एक भक्त की तरह।. रामविलास. कुछ उद्द...उसके...
apnesebahar.blogspot.com
अपने से बाहर: समाचार – सदा सीरियस ही क्यों, सरस क्यों नहीं
http://apnesebahar.blogspot.com/2009/07/blog-post.html
अपने से बाहर. अपने से बाहर निकल देख, है खड़ा विश्व बाँहें पसार.तू एकाकी तो गुनहगार. Tuesday, 21 July 2009. समाचार – सदा सीरियस ही क्यों, सरस क्यों नहीं. लंदन में हाल के समय में ऐसी तीन घटनाएँ हुईं जिन्हें बनना तो चाहिए था सीरियस लेकिन वो बन बैठे सरस।. पहली घटना –. और अलग टाइप के बोरिस साहब के साथ अलग ही तरह की कुछ घटनाएँ भी होती रहती हैं।. महापौर की महाडुबकी का वीडियो देखें). दूसरी घटना -. कमिश्नर साहब ने कुर्सी संभाली, कोई दो-तì...तो उन्होंने तैयारी क&...कमिश्नर साहब ने कह...इस आयोजन कì...
apnesebahar.blogspot.com
अपने से बाहर: November 2007
http://apnesebahar.blogspot.com/2007_11_01_archive.html
अपने से बाहर. अपने से बाहर निकल देख, है खड़ा विश्व बाँहें पसार.तू एकाकी तो गुनहगार. Sunday, 25 November 2007. अपने से बाहर. ऐसा तो है नहीं कि हम स्कूल-कॉलेज से निकले और ऐसा एक भी यार-दोस्त ना रहा, जिसके पास हमारे पते ना रहे हों? जिसे दोस्ती निभानी थी, वो तब भी निभाता था, आज भी निभाता है , बुढ़ापे तक निभाएगा।. और इससे सस्ता क्या होगा - बिल्कुल फ़्री की चीज़ है।. तू अपने में ही हुआ लीन,. बस इसीलिए तू दृष्टिहीन,. इससे ही एकाकी-मलीन,. इससे ही जीवन-ज्योति क्षीण,. अपने से बाहर. Links to this post.
apnesebahar.blogspot.com
अपने से बाहर: अपने से बाहर
http://apnesebahar.blogspot.com/2007/11/blog-post.html
अपने से बाहर. अपने से बाहर निकल देख, है खड़ा विश्व बाँहें पसार.तू एकाकी तो गुनहगार. Sunday, 25 November 2007. अपने से बाहर. ऐसा तो है नहीं कि हम स्कूल-कॉलेज से निकले और ऐसा एक भी यार-दोस्त ना रहा, जिसके पास हमारे पते ना रहे हों? जिसे दोस्ती निभानी थी, वो तब भी निभाता था, आज भी निभाता है , बुढ़ापे तक निभाएगा।. और इससे सस्ता क्या होगा - बिल्कुल फ़्री की चीज़ है।. तू अपने में ही हुआ लीन,. बस इसीलिए तू दृष्टिहीन,. इससे ही एकाकी-मलीन,. इससे ही जीवन-ज्योति क्षीण,. अपने से बाहर. 21 December 2007 at 18:58. You c...
apnesebahar.blogspot.com
अपने से बाहर: दिख रही है बदलाव की बयार
http://apnesebahar.blogspot.com/2008/11/blog-post_25.html
अपने से बाहर. अपने से बाहर निकल देख, है खड़ा विश्व बाँहें पसार.तू एकाकी तो गुनहगार. Tuesday, 25 November 2008. दिख रही है बदलाव की बयार. लेकिन ऐसे देसी युवक-युवतियाँ-भद्रजन जिनके साथ बतिया रहे हैं, या लटपटा रहे हैं, उस किरदार का रंग गोरा ना होकर काला हो तो ये बात थोड़&...दूसरी तरफ़ मार-धाड़-ख़ून-ख़राबे की घटनाओं के साथ काले लोगों की छवि वैसे ही जì...और भारतीयों को तेल में सीझे और सने खाने की दूकानो&#...अपने से बाहर. Labels: apne se bahar. अपने से बाहर. अच्छा विश्लेषण. 25 November 2008 at 14:03. ऐस...
apnesebahar.blogspot.com
अपने से बाहर: August 2008
http://apnesebahar.blogspot.com/2008_08_01_archive.html
अपने से बाहर. अपने से बाहर निकल देख, है खड़ा विश्व बाँहें पसार.तू एकाकी तो गुनहगार. Saturday, 23 August 2008. अभिनव बिन्द्रा - एक समझदार अमीर? Wealth is the slave of a wise man. The master of a fool.". सेनेका- रोमन कवि, दार्शनिक, राजनीतिज्ञ). और जीता भी तो ऐसे खेल में जो, बकौल श्रद्धेय अफ़लातून जी के, राजा टाइप लोगों का खेल है।. कि अभिनव को अगर अपने घर के कुत्तों की याद आती है, तो क्या श्वानो...कि अभिनव ने अगर विदेश में रहकर पैसे फूँककर ट&...कि अभिनव ने अगर इंटरव्यू द&...सेलिब्रिट...ये सवाल ह...अभि...
apnesebahar.blogspot.com
अपने से बाहर: September 2008
http://apnesebahar.blogspot.com/2008_09_01_archive.html
अपने से बाहर. अपने से बाहर निकल देख, है खड़ा विश्व बाँहें पसार.तू एकाकी तो गुनहगार. Thursday, 25 September 2008. अर्धसत्य के चप्पू चलाते हिंदू-मुसलमान. और जो पुलिसवाला मारा गया? और साहब बम तो हिंदू भी फोड़ रहे हैं, बदनाम केवल हमें किया जाता है। आप ही सोचिए, मालेगाँव और हैदराबाद में मस्जिद के ...ऐसे में ऐसे संदेहों को क्या समझा जाए? या - अर्धसत्य? पैसे और तलवार के दम पर हुआ सारा धर्म परिवर्तन।". या - अर्धसत्य? अपने से बाहर. Links to this post. अपने से बाहर. धर्मनिरपेक्षता. Wednesday, 3 September 2008.
apnesebahar.blogspot.com
अपने से बाहर: March 2008
http://apnesebahar.blogspot.com/2008_03_01_archive.html
अपने से बाहर. अपने से बाहर निकल देख, है खड़ा विश्व बाँहें पसार.तू एकाकी तो गुनहगार. Wednesday, 12 March 2008. हॉकी का हाहाकार और हुआँ-हुआँ. मगर बोलेंगे तो कौन सी नई बात बोलेंगे? करिश्माई क्रिकेट और हताश हॉकी के बीच का भेद-भाव? खेल बनाम राजनीतिक दखलंदाज़ी? यही सब बातें उठेंगी ना? हुआँकारों से बस एक ही सवाल है - जो हुआ उसका अंदेशा क्या पहले से नहीं था? जब साल भर पहले ओलंपियन विनीत कुमार ने कैंसर से लड़ते हुए दम तí...जिस दिन ये पढ़ा अख़बार में, क...और हाँ, ये "एक क्रिक&...शायद राग कî...मुझ...