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अपनी अपनी बातें..........: September 2011
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अपनी अपनी बातें. जीवन संस्कार,प्रेरणास्पद लेख,संस्मरण, सूक्तियों,कहावतों, का सांझा मंच द्वार सब के लिए खुले हैं,आएँ उध्रत करें या लिख कर योगदान दें . Thursday, September 15, 2011. व्यक्तित्व के सृजन में जीवन लग जाता. व्यक्तित्व के. सृजन में. जीवन लग जाता. क्रोध का. ग्रहण लगते ही. पल में नाश होता. दंभ विचारों को. भयावह बनाता. अहम् मनुष्य को. रसातल पहुंचाता. निरंतर हँसते को. रुलाता. जीवन नारकीय. हो जाता. चैन भाग्य से. रूठ जाता. व्यक्तित्व. Wednesday, September 14, 2011. मूल मन्त्र. नाश करता. जिस पर वश.
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अपनी अपनी बातें..........: August 2012
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अपनी अपनी बातें. जीवन संस्कार,प्रेरणास्पद लेख,संस्मरण, सूक्तियों,कहावतों, का सांझा मंच द्वार सब के लिए खुले हैं,आएँ उध्रत करें या लिख कर योगदान दें . Wednesday, August 22, 2012. चिंतन.निरंतर का.: ना तुम्हारी जीत ज़रूरी ,ना मेरी हार ज़रूरी. चिंतन.निरंतर का.: ना तुम्हारी जीत ज़रूरी ,ना मेरी हार ज़रूरी. चिंतन.निरंतर का.: पवित्र रिश्ते को केवल धागे से मत जोड़ो. चिंतन.निरंतर का.: चिंतन ,मनन के बाद! चिंतन.निरंतर का.: चिंतन ,मनन के बाद! ज़िन्दगी को समझने के लिए ख&...जीवन की भट्टी मे...जीवन का. Labels: अहम&...
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निरंतर कह रहा .......: October 2012
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निरंतर कह रहा . निरंतर की कलम से .www.nirantarajmer.com. निरंतर की कलम से . Sunday, October 28, 2012. राजा है या फ़कीर. सड़क पर चलने वाला. राजा है या फ़कीर. पेड़ को फर्क नहीं पड़ता. जो भी बैठता उसके नीचे. उसे ही छाया दे देता. ना घमंड ना अहंकार उसे. हवा में लहराता रहता. पक्षी छोटा हो या बड़ा. उसे अंतर नहीं पड़ता. जो भी बनाता घोंसला. ड़ाल पर. उसे ही बसेरा बसाने देता. इंसान देखता भी सब है. समझता भी सब है. अहम् उसे इंसान. बनाए नहीं रखता. सदियों से लुटता रहा है. अहम् में. छोड़ता. हैवान बनना. छा गयी. कार...
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निरंतर कह रहा .......: December 2012
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निरंतर कह रहा . निरंतर की कलम से .www.nirantarajmer.com. निरंतर की कलम से . Sunday, December 30, 2012. कोई रात अंधेरी नहीं होती. कोई रात. अंधेरी नहीं होती. कोई दिन. उजला नहीं होता. केवल रोशनी की कमी. या अधिकता होती. मन संतुष्ट. ह्रदय प्रसन्न हो तो. काली रात उजली. उजले दिन में भी. अन्धेरा लगता. मन,ह्रदय,संतुष्ट,संतुष्टि. संतुष्ट. संतुष्टि. जब तक बदलेंगे नहीं पुरुष. कुचली जायेंगी. नौची जायेंगी. जलाई जाती रहेंगी. नारियां. मोमबत्तियां जलाई. जायंगी. मोमबत्तियां बुझ. भी जायेंगी. तस्वीर पर फूल. पथ से भटक&...
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Nirantar's.......: January 2014
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Going on and on and on. Enter your email address:. Friday, January 31, 2014. Without any fault of. Make them work more. That I lack patience. People close to me. Most important of all. I lose my peace. Which is not good for. Wanting to have a. Anger,angry,life,tension,. Thursday, January 30, 2014. Is not in built. In the human mind. On a hot summer. Dr,Rajendra Tela,Nirantar. Wednesday, January 29, 2014. It all happened at the air port lounge. At the air port lounge. I saw sheets of paper. We have not met.
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निरंतर कह रहा .......: January 2012
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निरंतर कह रहा . निरंतर की कलम से .www.nirantarajmer.com. निरंतर की कलम से . Tuesday, January 31, 2012. रंग बिरंगी चिड़िया एक दिन बोली मुझसे. रंग बिरंगी चिड़िया. एक दिन बोली मुझसे. निरंतर खूब लिखते हो मुझ पर. कभी मुझसे भी तो पूछ लो. क्या लिखना है मुझ पर. क्या सहती हूँ. कैसे जीती हूँ. कैसे उडती आकाश में. आज मैं ही सुनाती हूँ. मेरी कहानी. पहले ध्यान से सुन लो. फिर जो मन में आये लिख लो. पेड़ पर टंगे कमज़ोर से नीड़ में. माँ ने अंडे को सेया. तो मेरा जन्म हुआ. जीवन लेने को आतुर. जब तक खुद को. काम करता. मेर&#...
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पल | पदचिंह....Footprints of Past and Future
https://reacharcs.wordpress.com/2011/09/21/पल
पदच ह….Footprints of Past and Future. A mirror of my feelings……. पन न अत त स. September 21, 2011. क छ पल, हर पल रह ह म र. ह रदय क स प दन, आ ख क अश र. य द क ठ ठकत गल य म. ब खर पल, ख डहर बन ज न क. म जब ब ठ त म स क छ कहन. य द आत ह व ह पल,ज नह थ म र. उस पल क झ झकत भ ष ,. व ह पल म न पहच न गय. और हर पल ज स ठहर गय. व ह ब द अधर, नह ख ल उस पल. जब व ह म तभ ष स थ थ म र. य द आत ह व ह पल,ज नह थ म र. इस म और पल क द र म. क तन पल ह बदल गए. व ह कहत ह त म ह बदल. हम कहत ह , त म ह बदल गए. पल पल बदलत , व ह पल,. Thanks Seema&...
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निरंतर कह रहा .......: September 2012
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निरंतर कह रहा . निरंतर की कलम से .www.nirantarajmer.com. निरंतर की कलम से . Thursday, September 27, 2012. छोटा सा काँटा. चलते चलते. ध्यान रखते रखते भी. पैर में चुभ गया. छोटा सा काँटा. चलना रुका नहीं. पर दर्द से हाल बेहाल. करने लगा. छोटा सा काँटा. बैठ गया पेड़ तले. किसी तरह निकल जाए. छोटा सा काँटा. पैर लहुलुहान हो गया. निकलने का नाम ना लिया. जिद पर अड़ गया. छोटा सा काँटा. थक हार कर लंगडाते हुए. फिर चल पडा सफ़र पर. समझ गया ध्यान. कितना भी रख लो. चुभ सकता है. छोटा सा काँटा. कब चुभेगा. बता गया. गम अब इस कदर.
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निरंतर कह रहा .......: April 2012
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निरंतर कह रहा . निरंतर की कलम से .www.nirantarajmer.com. निरंतर की कलम से . Monday, April 30, 2012. पिंजरा. मैं खुद के बनाए. पिंजरे में बंद. पंछी सा हूँ. जो पिंजरे की. जालियों के पार. देख तो सकता है. पिंजरे के. नियम कायदों से. मन में छटपटाहट. भी होती है. कई बार खुद को बेबस. महसूस करता हूँ. स्वछन्द उड़ना चाहता हूँ. पर पिंजरे से. इतना मोह हो गया. कोई दरवाज़ा खोल भी दे. तो चाह कर भी. उड़ नहीं. पाऊंगा. Labels: पिंजरा. आज वो नज़र आ गए. यादों के बाँध के. दरवाज़े खुल गए. कल कल करता. नहीं सके. भूल जाओ. जी क&...
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निरंतर कह रहा .......: November 2012
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निरंतर कह रहा . निरंतर की कलम से .www.nirantarajmer.com. निरंतर की कलम से . Thursday, November 29, 2012. माँ तुम माँ हो कोई बराबरी नहीं हो सकती तुम्हारी. माँ तुम महक हो. उस फूल की. जिसे रिश्ता कहते हैं. माँ तुम फूल हो. उस पौधे की. जिसे परिवार कहते हैं. तुम छाया हो उस. वट वृक्ष की. जिसके नीचे परिवार. पलता है. तुम डोर हो त्याग की. जो परिवार को. बाँध कर रखती है. माँ तुम प्रतीक हो. कर्तव्य और निष्ठा की. जो मुझे जीना सिखाती है. माँ तुम. तुम रोशनी हो उस. दीपक की. जीवन पथ से. सहनशीलता की. Labels: माँ. पवि...