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शब्दों की मुस्कुराहट : Jun 20, 2014
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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 20 जून 2014. दिन में फैली ख़ामोशी :). चित्र - ( गूगल से साभार ). जब कोई इस दुनिया से. चला जाता है. वह दिन उस इलाके के लिए. बहुत अजीब हो जाता है. चारों दिशओं में जैसे. एक ख़ामोशी सी छा जाती है. दिन में फैली ख़ामोशी. वहां के लोगो को सुन्न कर देती है. क्योंकि कोई शक्श. इस दुनिया से. रुखसत हो चुका होता है! C) संजय भास्कर. प्रस्तुतकर्ता. संजय भास्कर. नई पोस्ट. आसमान...
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शब्दों की मुस्कुराहट : May 3, 2014
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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). वक्त के साथ चलने की कोशिश - वन्दना अवस्थी दुबे :). ब्लॉगजगत में वन्दना अवस्थी दुबे. एक जाना पहचाना नाम है (अपनी बात - वक्त के साथ चलने की लगातार कोशिश है वंदना जी की ) से प्रभावित है! की कुछ पंक्तिया साँझा कर रह हूँ! मुट्ठी भर दिन. चुटकी भर रातें,. गगन सी चिंताएँ,. किसको बताएं? जागती सी रातें,. दिन हुए उनींदे,. समय का विलोम. कैसे सुलझाएं? नई पोस्ट. भास्कर ...शब्...
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शब्दों की मुस्कुराहट : Nov 20, 2014
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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 20 नवंबर 2014. दूर दूर तक अपनी दृष्टि दौड़ाती सुनहरी धुप - आशालता सक्सेना :). इसी के साथ बहुत सी यादें भी जुडी हुई है! आशा जी कि कलम से :-. कुछ तो ऐसा है तुम में. य़ुम्हारी हर बात निराली है. कोई भावना जाग्रत होती है. एक कविता बन जाती है! लिखते लिखते कलम नहीं थकती. हर रचना कुछ कहती है. हर किताब को सहेज कर रखूँगा! कवयित्री (. आशा सक्सेना. C ) संजय भास्कर. भास्...शब्...
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शब्दों की मुस्कुराहट : Aug 25, 2014
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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 25 अगस्त 2014. वो जब लिखती हैं कागज पर अपना दिल निकाल कर रख देती है - अनुलता राज नायर :). वो जब लिखती है तो बस कागज़ पर अपना अपना दिल निकाल कर रख देती है ऐसी ही है लेखिका अनुलता राज नायर. कुछ लाइन पेश है :). एक शोख़ नज़्म. फिसल कर मेरी कलम से. बिखर गयी. धूसर आकाश में! भीग गया हर लफ्ज़. बादलों के हल्के स्पर्श से. और वो बन गयी. एक सीली उदास नज़्म! तभी मैंन&...पुरा...
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शब्दों की मुस्कुराहट : Feb 6, 2015
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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 06 फ़रवरी 2015. मेरी नजर से चला बिहारी ब्लॉगर बनने - संजय भास्कर. सलिल वर्मा. जी नाम तो आप सभी जानते ही हो अरे भईया वही चला बिहारी ब्लॉगर बनने. पर लिखे या एकलव्य. दर्द कुछ देर ही रहता है बहुत देर नहीं. जिस तरह शाख से तोड़े हुए इक पत्ते का रंग. माँद पड़ जाता है कुछ रोज़ अलग शाख़ से रहकर. ख़त्म हो जाएगी जब इसकी रसद. C ) संजय भास्कर. प्रस्तुतकर्ता. नई पोस्ट. भास्क...भास...
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शब्दों की मुस्कुराहट : Sep 8, 2014
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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 08 सितंबर 2014. बारिश की वह बूँद :). बारिश की वह बूँद. जो मेरे कमरे की खिड़की के. शीशे पर. फिसल रही थी. जिसे मैं घंटो से निहार रहा था. उसे देख बस मन में. एक ही ख्याल आ रहा था. जो बूँद इस. शीशे को भीगा. रही है. वैसे ही काश. भीग जाए मेरा मन ! C) संजय भास्कर. प्रस्तुतकर्ता. संजय भास्कर. 50 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. My site is worth.
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शब्दों की मुस्कुराहट : Sep 28, 2014
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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 28 सितंबर 2014. उनकी ख्वाहिश थी उन्हें माँ कहने वाले ढेर सारे होते - विभारानी श्रीवास्तव. विभारानी श्रीवास्तव ब्लॉगजगत में एक जाना हुआ नाम है ( विभारानी श्रीवास्तव. कुछ दिन एहले विभा ताई जी की एक पोस्ट पढ़ी. मेरी ख्वाहिश थी. मुझे माँ कहने वाले ढेर सारे होते. मेरी हर बात धैर्य से सुनते. मुझे समझते. मेरी ख्वाहिश थी. मुझे समझते. जब किसी ने कहा. बड़ी माँ. भास्कर...भास...
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शब्दों की मुस्कुराहट : Jan 15, 2015
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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 15 जनवरी 2015. लेखन तो जिन्हे विरासत में मिला है ऐसी बहुमुखी प्रतिभा की धनी है - साधना वैध. साधना वैद ब्लॉगजगत में एक जाना हुआ नाम है और आशालता सक्सेना मासी. और माँ. खुशकिस्मत हूँ. सुधिनामा ब्लॉग की मालकिन. की छोटी बहन. जी से विरासत में मिला है! इसीलिए साधना जी के शब्द चयन बहुत ही सरल और सुंदर है! बाँधो न कायदों की बंद&#...हर साँस तुम्हार...तुम ख़्वाब...नीं...गज़ले...
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शब्दों की मुस्कुराहट : Aug 1, 2015
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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 01 अगस्त 2015. बड़े लोग - संजय भास्कर :). चित्र - गूगल से साभार ). आधी रात को अचानक. किसी के चीखने की आवाज़. चौंक कर. सीधे छत पर भागा. देखा सामने वाले घर में. कुछ चोर घुस गये थे. वो चोरी के इरादे में थे. हथियार बंद लोग. जिसे देख मैं भी डर गया. चिल्लाने से. पर कुछ देर चुप रहने के. मैं जोर से चिल्लाया. पर कोई असर न हुआ. घोड़े बेचकर अक्सर. नई पोस्ट. My site is worth.
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