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वंदे मातरम्

वंदे मातरम्. वंदे मातरम्.वंदे मातरम्.वंदे मातरम्. शनिवार, 15 अगस्त 2015. मेरा यार है मेरा वतन.मेरा प्यार है मेरा वतन! सारे रिश्ते नाते छोड़कर. सारे कसमें वादे तोड़कर,. हम सरहदों को चल दिए. सर पे कफ़न एक ओढ़कर,. अब अलविदा! ऐ बेख़बर. किस बात का तुमको है डर? मेरा यार है मेरा वतन! मेरा प्यार है मेरा वतन! बर्फीली राहों की डगर. माना कि है मुश्किल सफ़र,. तेरे इश्क़ का ऐसा असर. अब मौत से लगता न डर,. धुंधली हुई है ज़िन्दगी. पर दुश्मनों पे है नज़र,. मेरा यार है मेरा वतन! वंदे मातरम्! याद आया मनभा...सावन लग ग...

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वंदे मातरम्. वंदे मातरम्.वंदे मातरम्.वंदे मातरम्. शनिवार, 15 अगस्त 2015. मेरा यार है मेरा वतन.मेरा प्यार है मेरा वतन! सारे रिश्ते नाते छोड़कर. सारे कसमें वादे तोड़कर,. हम सरहदों को चल दिए. सर पे कफ़न एक ओढ़कर,. अब अलविदा! ऐ बेख़बर. किस बात का तुमको है डर? मेरा यार है मेरा वतन! मेरा प्यार है मेरा वतन! बर्फीली राहों की डगर. माना कि है मुश्किल सफ़र,. तेरे इश्क़ का ऐसा असर. अब मौत से लगता न डर,. धुंधली हुई है ज़िन्दगी. पर दुश्मनों पे है नज़र,. मेरा यार है मेरा वतन! वंदे मातरम्! याद आया मनभा...सावन लग ग...
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2 शान ए वतन
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वंदे मातरम्. वंदे मातरम्.वंदे मातरम्.वंदे मातरम्. शनिवार, 15 अगस्त 2015. मेरा यार है मेरा वतन.मेरा प्यार है मेरा वतन! सारे रिश्ते नाते छोड़कर. सारे कसमें वादे तोड़कर,. हम सरहदों को चल दिए. सर पे कफ़न एक ओढ़कर,. अब अलविदा! ऐ बेख़बर. किस बात का तुमको है डर? मेरा यार है मेरा वतन! मेरा प्यार है मेरा वतन! बर्फीली राहों की डगर. माना कि है मुश्किल सफ़र,. तेरे इश्क़ का ऐसा असर. अब मौत से लगता न डर,. धुंधली हुई है ज़िन्दगी. पर दुश्मनों पे है नज़र,. मेरा यार है मेरा वतन! वंदे मातरम्! याद आया मनभा...सावन लग ग...

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वंदे मातरम्: September 2014

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वंदे मातरम्. वंदे मातरम्.वंदे मातरम्.वंदे मातरम्. रविवार, 28 सितंबर 2014. पुरस्कार. प्रस्तुतकर्ता. 1 टिप्पणी:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. गुरुवार, 18 सितंबर 2014. सुरक्षित भारत की असुरक्षित महिलायें. ऐसा कौन सा कारण है जिससे अपने ही जने बेटे से माँ को डर लगता है? प्रस्तुतकर्ता. 13 टिप्‍पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. प्रस्तुतकर्ता. याद नहीं क...माथ&#2375...

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वंदे मातरम्: June 2015

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वंदे मातरम्. वंदे मातरम्.वंदे मातरम्.वंदे मातरम्. सोमवार, 1 जून 2015. मंहगाई के अच्छे दिन. हर कदम पे टैक्स, हर उत्पाद पर मंहगाई से आमना- सामना तो आम आदमी का होता है,बड़े लोगों के जेब पे तो मंहगाई का कोई असर पड़ता ही नहीं।. अच्छे दिनों की उम्मीद में मोदी सरकार बनी पर अच्छे दिन जाने कहाँ गुम हो गए हैं।. क्या फूटपाथ पे मारना ही इनका भविष्य है? लग तो यही रहा है।. प्रस्तुतकर्ता. 7 टिप्‍पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. नई पोस्ट. Promote your Page too.

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वंदे मातरम्: November 2014

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वंदे मातरम्. वंदे मातरम्.वंदे मातरम्.वंदे मातरम्. शुक्रवार, 28 नवंबर 2014. एक ख़त तुम्हारे नाम. कुछ कहना चाहता हूँ तुमसे, कुछ सुनाना चाहता हूँ तुम्हे शायद मेरा बोझ हल्का हो जाए तुम्हे कुछ सुनाकर।. ख़ुशी है क़ि तुम्हारी मसरूफियत बढ़ रही है साथ ही साथ मुझसे अजनबियत भी।. खैर ग़लतफ़हमी की कुछ तो सजा मिलनी चाहिए।. हम मदद उसी से मांगते हैं जिसे खुद से बेहतर पाते हैं तुम्हे बेहतर मानना म...शुक्रिया! इस दौर से कभी तुम भी गुजरे हो, हज़ारों जख़्म त&#2...विनम्रता"।. जो विनम्र नहीं उसकी स...शायद तुम मुझ&#2...तुम म&#23...

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वंदे मातरम्: July 2014

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वंदे मातरम्. वंदे मातरम्.वंदे मातरम्.वंदे मातरम्. मंगलवार, 29 जुलाई 2014. यादें. तुम्हारी आँख लगती है. तो आँखे बंद होती है,. तुम्हारी नींद खुलती है. तो साँसे मंद होती है,. अजब है हाल -ए-दिल मेरा. जुड़ा हूँ जब से मैं तुमसे,. मेरे अपने ही धड़कन से. मेरी ही जंग होती है. प्रस्तुतकर्ता. 8 टिप्‍पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. बुधवार, 23 जुलाई 2014. कुछ मुझसे हो जाती है,. A snap with my dadi amma). Facebook पर स&#...

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वंदे मातरम्: July 2015

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वंदे मातरम्. वंदे मातरम्.वंदे मातरम्.वंदे मातरम्. शुक्रवार, 31 जुलाई 2015. झुलस रहा है देश. पूजा की अलग-अलग पद्धतियां जब दिलों को बाँटने लगें तो समझ लेना कि तुम्हारे अन्दर की इंसानियत ख़त्म हो रही है।. पर मैं तथाकथित सेक्युलर कहलाना नहीं पसंद करूँगा।. अमानवीय है? मानवाधिकार तो मानवों के लिए हैं न पिशाचों को भी ये अधिकार देना समझ से परे है।. प्रस्तुतकर्ता. 5 टिप्‍पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. 1 टिप्पणी:. मौत के द&#237...राह...

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शब्दों की मुस्कुराहट : Jun 20, 2014

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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 20 जून 2014. दिन में फैली ख़ामोशी :). चित्र - ( गूगल से साभार ). जब कोई इस दुनिया से. चला जाता है. वह दिन उस इलाके के लिए. बहुत अजीब हो जाता है. चारों दिशओं में जैसे. एक ख़ामोशी सी छा जाती है. दिन में फैली ख़ामोशी. वहां के लोगो को सुन्न कर देती है. क्योंकि कोई शक्श. इस दुनिया से. रुखसत हो चुका होता है! C) संजय भास्कर. प्रस्तुतकर्ता. संजय भास्‍कर. नई पोस्ट. आसमान...

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शब्दों की मुस्कुराहट : May 3, 2014

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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). वक्त के साथ चलने की कोशिश - वन्दना अवस्थी दुबे :). ब्लॉगजगत में वन्दना अवस्थी दुबे. एक जाना पहचाना नाम है (अपनी बात - वक्त के साथ चलने की लगातार कोशिश है वंदना जी की ) से प्रभावित है! की कुछ पंक्तिया साँझा कर रह हूँ! मुट्ठी भर दिन. चुटकी भर रातें,. गगन सी चिंताएँ,. किसको बताएं? जागती सी रातें,. दिन हुए उनींदे,. समय का विलोम. कैसे सुलझाएं? नई पोस्ट. भास्कर ...शब्...

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शब्दों की मुस्कुराहट : Nov 20, 2014

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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 20 नवंबर 2014. दूर दूर तक अपनी दृष्टि दौड़ाती सुनहरी धुप - आशालता सक्सेना :). इसी के साथ बहुत सी यादें भी जुडी हुई है! आशा जी कि कलम से :-. कुछ तो ऐसा है तुम में. य़ुम्हारी हर बात निराली है. कोई भावना जाग्रत होती है. एक कविता बन जाती है! लिखते लिखते कलम नहीं थकती. हर रचना कुछ कहती है. हर किताब को सहेज कर रखूँगा! कवयित्री (. आशा सक्सेना. C ) संजय भास्कर. भास्...शब्...

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शब्दों की मुस्कुराहट : Aug 25, 2014

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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 25 अगस्त 2014. वो जब लिखती हैं कागज पर अपना दिल निकाल कर रख देती है - अनुलता राज नायर :). वो जब लिखती है तो बस कागज़ पर अपना अपना दिल निकाल कर रख देती है ऐसी ही है लेखिका अनुलता राज नायर. कुछ लाइन पेश है :). एक शोख़ नज़्म. फिसल कर मेरी कलम से. बिखर गयी. धूसर आकाश में! भीग गया हर लफ्ज़. बादलों के हल्के स्पर्श से. और वो बन गयी. एक सीली उदास नज़्म! तभी मैंन&...पुर&#2366...

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शब्दों की मुस्कुराहट : Feb 6, 2015

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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 06 फ़रवरी 2015. मेरी नजर से चला बिहारी ब्लॉगर बनने - संजय भास्कर. सलिल वर्मा. जी नाम तो आप सभी जानते ही हो अरे भईया वही चला बिहारी ब्लॉगर बनने. पर लिखे या एकलव्य. दर्द कुछ देर ही रहता है बहुत देर नहीं. जिस तरह शाख से तोड़े हुए इक पत्ते का रंग. माँद पड़ जाता है कुछ रोज़ अलग शाख़ से रहकर. ख़त्म हो जाएगी जब इसकी रसद. C ) संजय भास्कर. प्रस्तुतकर्ता. नई पोस्ट. भास्क...भास...

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शब्दों की मुस्कुराहट : Sep 8, 2014

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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 08 सितंबर 2014. बारिश की वह बूँद :). बारिश की वह बूँद. जो मेरे कमरे की खिड़की के. शीशे पर. फिसल रही थी. जिसे मैं घंटो से निहार रहा था. उसे देख बस मन में. एक ही ख्याल आ रहा था. जो बूँद इस. शीशे को भीगा. रही है. वैसे ही काश. भीग जाए मेरा मन ! C) संजय भास्कर. प्रस्तुतकर्ता. संजय भास्‍कर. 50 टिप्‍पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. My site is worth.

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शब्दों की मुस्कुराहट : Sep 28, 2014

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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 28 सितंबर 2014. उनकी ख्वाहिश थी उन्हें माँ कहने वाले ढेर सारे होते - विभारानी श्रीवास्तव. विभारानी श्रीवास्तव ब्लॉगजगत में एक जाना हुआ नाम है ( विभारानी श्रीवास्तव. कुछ दिन एहले विभा ताई जी की एक पोस्ट पढ़ी. मेरी ख्वाहिश थी. मुझे माँ कहने वाले ढेर सारे होते. मेरी हर बात धैर्य से सुनते. मुझे समझते. मेरी ख्वाहिश थी. मुझे समझते. जब किसी ने कहा. बड़ी माँ. भास्कर...भास...

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शब्दों की मुस्कुराहट : Jan 15, 2015

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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 15 जनवरी 2015. लेखन तो जिन्हे विरासत में मिला है ऐसी बहुमुखी प्रतिभा की धनी है - साधना वैध. साधना वैद ब्लॉगजगत में एक जाना हुआ नाम है और आशालता सक्सेना मासी. और माँ. खुशकिस्मत हूँ. सुधिनामा ब्लॉग की मालकिन. की छोटी बहन. जी से विरासत में मिला है! इसीलिए साधना जी के शब्द चयन बहुत ही सरल और सुंदर है! बाँधो न कायदों की बंद&#...हर साँस तुम्हार...तुम ख़्वाब...नीं...गज़ल&#2375...

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शब्दों की मुस्कुराहट : Aug 1, 2015

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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 01 अगस्त 2015. बड़े लोग - संजय भास्कर :). चित्र - गूगल से साभार ). आधी रात को अचानक. किसी के चीखने की आवाज़. चौंक कर. सीधे छत पर भागा. देखा सामने वाले घर में. कुछ चोर घुस गये थे. वो चोरी के इरादे में थे. हथियार बंद लोग. जिसे देख मैं भी डर गया. चिल्लाने से. पर कुछ देर चुप रहने के. मैं जोर से चिल्लाया. पर कोई असर न हुआ. घोड़े बेचकर अक्सर. नई पोस्ट. My site is worth.

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वंदे मातरम्

वंदे मातरम्. वंदे मातरम्.वंदे मातरम्.वंदे मातरम्. शनिवार, 15 अगस्त 2015. मेरा यार है मेरा वतन.मेरा प्यार है मेरा वतन! सारे रिश्ते नाते छोड़कर. सारे कसमें वादे तोड़कर,. हम सरहदों को चल दिए. सर पे कफ़न एक ओढ़कर,. अब अलविदा! ऐ बेख़बर. किस बात का तुमको है डर? मेरा यार है मेरा वतन! मेरा प्यार है मेरा वतन! बर्फीली राहों की डगर. माना कि है मुश्किल सफ़र,. तेरे इश्क़ का ऐसा असर. अब मौत से लगता न डर,. धुंधली हुई है ज़िन्दगी. पर दुश्मनों पे है नज़र,. मेरा यार है मेरा वतन! वंदे मातरम्! याद आया मनभा...सावन लग ग...

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Om Jai Jagdish Hare Aarti Songs Free Download. ॐ जय जगदीश हरे,. स्वामी जय जगदीश हरे. भक्त जनों के संकट,. दास जनों के संकट,. क्षण में दूर करे. ॐ जय जगदीश हरे. Om Jai Jagadiish Hare. Swaami Jai Jagadiish Hare. Bhakta Jano Ke Sankatt,. Daas Janon Ke Sankatt,. Kssann Me Duur Kare. Om Jai Jagadiish Hare. जो ध्यावे फल पावे,. दुःखबिन से मन का,. स्वामी दुःखबिन से मन का. सुख सम्पति घर आवे,. सुख सम्पति घर आवे,. कष्ट मिटे तन का. ॐ जय जगदीश हरे. Jo Dhyaave Phal Paave,. Duhkh-Bin Se Man Kaa,. Sukh Sampati Ghar Aave,.

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