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थोड़ा सा इंसान...: मेरी नींद तो लौटाता जा, कम्बख्त!
http://sunaapne.blogspot.com/2009/10/blog-post_14.html
थोड़ा सा इंसान. ज्यादातर मर चुका है.थोड़ा सा बचा है.अंदर कहीं किसी खामोश अंधेरे कोने में.वही कुलबुलाता है. Wednesday 14 October 2009. मेरी नींद तो लौटाता जा, कम्बख्त! 3 बज रहे हैं. अंधेरा बस समेटने ही वाला है. रातभर की कमाई।. बांध लेगा अपनी पोटली में. घबराहट से टूटे. खिड़कियों पर टंगे सपने।. परदों से झांककर चुराई. मोहब्बत में भीगी चादरें।. उनीदें सीनों पर. औंधी सोई पड़ी किताबें।. रजाई के अंदर जारी. मोबाइल फोन्स की खुसर-फुसर।. दरवाजों के बाहर रखे. देर तक बजे ठहाके।. Labels: कविता. बहुत खूब. बहुत बढ&...
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थोड़ा सा इंसान...: प्लीज, 'जेल' के सीन सेंसर न करो
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थोड़ा सा इंसान. ज्यादातर मर चुका है.थोड़ा सा बचा है.अंदर कहीं किसी खामोश अंधेरे कोने में.वही कुलबुलाता है. Saturday 24 October 2009. प्लीज, 'जेल' के सीन सेंसर न करो. एक फिल्म आनेवाली है.जेल.सुना है मधुर भंडारकर की इस फिल्म पर सेंसर ने बेरहमी से कैंची चलाई है. जेल की जिंदगी का सच बहुत भयानक होता है – नील नितिन मुकेश. क्यों? बस, जेल में सर्वाइव करने के लिए कुछ टोटके करने होते हैं।. जेल में? जी.वहीं से आ रहा हूं।. आपको जेल की सबसे खराब बात क्या लगी? नील नितिन मुकेश. मधुर भंडारकर. सिनेमा. क्यो...प्ल...
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थोड़ा सा इंसान...: तस्वीरों में सैर संडे बुक बाजार की
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थोड़ा सा इंसान. ज्यादातर मर चुका है.थोड़ा सा बचा है.अंदर कहीं किसी खामोश अंधेरे कोने में.वही कुलबुलाता है. Sunday 1 November 2009. तस्वीरों में सैर संडे बुक बाजार की. ऐसी ही कुछ मुलाकातें और हैं.अगर आपको ये पसंद आईं, तो उनसे भी मिलवाऊंगा।. बिना अनुमति तस्वीरों का प्रयोग वर्जित है।). Labels: तस्वीरें. दरियागंज. दिल्ली. संडे बुक बाजार. अजय कुमार झा. 2 November 2009 at 11:20 PM. 3 November 2009 at 3:23 AM. 3 November 2009 at 4:21 AM. उपस्थित।. 7 November 2009 at 2:54 PM. 11 December 2009 at 2:51 PM.
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थोड़ा सा इंसान...: June 2009
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थोड़ा सा इंसान. ज्यादातर मर चुका है.थोड़ा सा बचा है.अंदर कहीं किसी खामोश अंधेरे कोने में.वही कुलबुलाता है. Tuesday 30 June 2009. सोमा की टिप्पणी पढ़ने लायक है. अपनी पिछली पोस्ट हिंदू बच्चे का मुस्लिम नाम.हाय राम. में मैंने एक दुआ मांगी थी। आप सभी साथियों ने उस दुआ के लिए हाथ उठाए थे.लेकिन सोमा वैद्य. सोमा वैद्य स्टार न्यूज, मुंबई में असोसिएट प्रड्यूसर हैं।). Thursday 25 June 2009. हिंदू बच्चे का मुस्लिम नाम.हाय राम! Tuesday 16 June 2009. एक चुराई हुई कविता. जीता रहता है. यकीन मानिए. Thursday 11 June 2009.
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थोड़ा सा इंसान...: क्यों रहें हम भारत के साथ!
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थोड़ा सा इंसान. ज्यादातर मर चुका है.थोड़ा सा बचा है.अंदर कहीं किसी खामोश अंधेरे कोने में.वही कुलबुलाता है. Thursday 29 October 2009. क्यों रहें हम भारत के साथ! श्रीनगर…शाम का वक्त.हसीन गुदगुदाती सी ठंड.डल लेक का किनारा.और मोहब्बत? सही सीक्वेंस तो यही बनता है.लेकिन ऐसा था नहीं. आप मानते हैं सभी भारतीयों को सिर्फ भारतीय? आपका मुल्क.आपका मुल्क.चुभता रहता है.कौंधता रहता है. Labels: आतंकवाद. पाकिस्तान. इसलिए बेहतर है की सतत संवाद जारी रहे! आखिर हम इन्सान हैं! 29 October 2009 at 4:41 PM. दिलचस्प पह...आपने...
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थोड़ा सा इंसान...: November 2009
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थोड़ा सा इंसान. ज्यादातर मर चुका है.थोड़ा सा बचा है.अंदर कहीं किसी खामोश अंधेरे कोने में.वही कुलबुलाता है. Sunday 1 November 2009. तस्वीरों में सैर संडे बुक बाजार की. ऐसी ही कुछ मुलाकातें और हैं.अगर आपको ये पसंद आईं, तो उनसे भी मिलवाऊंगा।. बिना अनुमति तस्वीरों का प्रयोग वर्जित है।). Labels: तस्वीरें. दरियागंज. दिल्ली. संडे बुक बाजार. Subscribe to: Posts (Atom). जरा बताते जाइए, हुज़ूर. दिल की बात. 8230;क्योंकि इस डर के आगे जिंदगी है. जो जारी है. चंदौसी एक्सप्रेस. चिट्ठाजगत. View my complete profile.
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थोड़ा सा इंसान...: April 2009
http://sunaapne.blogspot.com/2009_04_01_archive.html
थोड़ा सा इंसान. ज्यादातर मर चुका है.थोड़ा सा बचा है.अंदर कहीं किसी खामोश अंधेरे कोने में.वही कुलबुलाता है. Monday 20 April 2009. अंडरवेयरवाले क्यों चिल्ला रहे हैं, वोट दो.वोट दो. वही ना, जिन्होंने अब तक लोकतंत्र की जड़ें खोदीं. तो फर्क क्या पड़ने वाला है? जरा सोचिए. Labels: लोकतंत्र. Subscribe to: Posts (Atom). जरा बताते जाइए, हुज़ूर. दिल की बात. 8230;क्योंकि इस डर के आगे जिंदगी है. जो जारी है. महमूद दरवेश: अगर ऎसी सड़क से गुजरो. चंदौसी एक्सप्रेस. Whom to choose - First Love or Wife By Prabhat.
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थोड़ा सा इंसान...: August 2009
http://sunaapne.blogspot.com/2009_08_01_archive.html
थोड़ा सा इंसान. ज्यादातर मर चुका है.थोड़ा सा बचा है.अंदर कहीं किसी खामोश अंधेरे कोने में.वही कुलबुलाता है. Friday 21 August 2009. बीजेपी लोकशाही पर चले या भौंकशाही पर, बुक पर बैन नहीं चलेगा. बीजेपी के भीतर किताब पर जो भी हल्ला मचे, आप आम आदमी को किताब पढ़ने से कैसे रोक सकते हैं? नरेंद्र मोदी के इस कदम का सख्त विरोध होना चाहिए। मैं इसका विरोध करता हूं।. Labels: किताब बैन. नरेंद्र मोदी. बीजेपी. Tuesday 18 August 2009. सूनी अंधेरी गली में. रात को भौंकते कुत्ते. आपको लगता होगा. आया ही हो. क्या आप...2 जू...
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थोड़ा सा इंसान...: तुमने राम को अपनाकर सही नहीं किया गांधी
http://sunaapne.blogspot.com/2009/10/blog-post_02.html
थोड़ा सा इंसान. ज्यादातर मर चुका है.थोड़ा सा बचा है.अंदर कहीं किसी खामोश अंधेरे कोने में.वही कुलबुलाता है. Friday 2 October 2009. तुमने राम को अपनाकर सही नहीं किया गांधी. हे गांधी बाबा. तुम जिस ‘राम-राज्य’ का सपना देखते-देखते विदा हुए, क्या एक पल के लिए भी यह राज्य उस ओर बढ़ पाया? हे गांधी बाबा, तुमने आत्मबल को नहीं, रामबल को ही मजबूत किया।. Labels: 2 अक्टूबर. गांधी. हिंदू. 2 October 2009 at 4:18 PM. संजय बेंगाणी. 2 October 2009 at 5:10 PM. यह परिलक्षित हो रहा है क...3 October 2009 at 1:04 AM. तì...
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थोड़ा सा इंसान...: September 2009
http://sunaapne.blogspot.com/2009_09_01_archive.html
थोड़ा सा इंसान. ज्यादातर मर चुका है.थोड़ा सा बचा है.अंदर कहीं किसी खामोश अंधेरे कोने में.वही कुलबुलाता है. Friday 25 September 2009. काजल की करारी टिप्पणी, क्षमा का समर्थन और मेरा जवाब. मैंने लिखा था – पुलिस अफसरों का महान सुझाव, हमें खराब हथियार दो।. काजल जी कहते हैं. उसे शौच की मूलभूत सुविधाएं भी हैं क्या? बहुत आसान है हास्यास्पद बताना।. क्षमा जी कहती हैं. यह काम गृह मंत्रालय के तहत आता है.और मंत्रालय में IAS के अध&...गर reforms हों तो police कुछ अन्य तरीके अपन...मेरा कहना है. आपकी बात ब...क्य...