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जाते-जाते...: October 2009
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जाते-जाते. कुछ लिखने को दिल करता है. Thursday, October 8, 2009. एक दुनिया ये भी. दुनिया से परे भी एक दुनिया है ऐसी. बहुत सुनी-बहुत देखी, फिर भी है अनदेखी सी. सोचो तो है आम ये दुनिया, लेकिन है कुछ खास वो दुनिया. सोचो तो बेगानी सी और सोचो तो है अपनी सी. बचपन बढता इसके सहारे, फिर इसमें जवानी ढलती है. बुढ़ापे में भी साथ निभाए, कुदरत की ये देन है ऐसी. छोड़ दे चाहे ज़माना सारा, पर ये साथ निभाती है. अंधकार को दूर करती, इसकी दिव्य ज्योति है. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). दुविधा. जयपुर म&#...
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जाते-जाते...: एक तलाश: तुझमें अपनी
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जाते-जाते. कुछ लिखने को दिल करता है. Thursday, April 1, 2010. एक तलाश: तुझमें अपनी. शुरू होने से. मंज़िल पर पहुंचने तक. खुद को अकेला ही पाता हूं. बीच राहों में. अकेले चलते, तन्हा भटकते. तेरे निशां पाता हूं. जाने क्यूं मैं सदा. अपने अस्तित्व को. तुझमें तलाशता हूं. जाने क्यूं तुझमें. अपना ही अक्स. मैं अक्सर ढूंढा करता हूं. पाता भी हूं. पाता भी हूं. खुद को. तुझ में. पाकर भी. तुझमें खुद को. मैं नहीं खुद को तुझमें पाता हूं. April 1, 2010 at 4:24 AM. Vikas ye photo rajnish ka hai kya. April 1, 2010 at 4:27 AM.
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जाते-जाते...: January 2010
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जाते-जाते. कुछ लिखने को दिल करता है. Wednesday, January 20, 2010. चक्र सुदर्शन डोल रहा.करता नए प्रयोग. चक्र सुदर्शन चाहे अपनी निजी ज़िंदगी में उन्हीं के चक्कर लगाता हो लेकिन कम से कम ऐसे प्रतिष्ठित मंच पर तो खुद पर काबू रखना चाहिए था। पर. कर्ज का बोझ है, ढ़ोया नहीं जाता. उतार फेंक दूं इसे, मेरा है क्या जाता. मेरा है क्या जाता, चाहे जैसे चुकाउं. करूं चाहे जिसका प्रयोग, चाहे हो जो भी योग. चक्र सुदर्शन डोल रहा, करता नए प्रयोग. करता नए प्रयोग. Links to this post. Links to this post. Tuesday, January 19, 2010.
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जाते-जाते...
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जाते-जाते. कुछ लिखने को दिल करता है. Friday, August 22, 2014. तसलीमा का निर्वासन. निर्वासन तसलीमा नसरीन की आत्मकथा का सातवां हिस्सा है. लेकिन यह तीसरे हिस्से द्विखंडितो से जुड़ा हुआ है। निर्वासन शुरू ही ‘. द्विखंडित पथ’. से होता है. जिस पर लेखक का. मत निषिद्ध. न तसलीमा खंड. खंड होतीं और न ही उन्हें अपने ही देश में. तसलीमा बांग्लादेश के बाद भारत को ही अपना देश कहती. मानती आई हैं. और फिर विदेशों में भटकते हुए पल. जो लिखा उसे हटाने को मजबूर करना पल. द्विखंडितो जहां ...वहीं निर्वì...घंटे प...तो ...
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जाते-जाते...
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जाते-जाते. कुछ लिखने को दिल करता है. Monday, August 18, 2014. सहारनपुर दंगों की रिपोर्ट और मीडिया. सहारनपुर दंगों पर यूपी के मंत्री शिवपाल यादव की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी की रिपोर्ट और मीडिया में उसके प्रसारण-प्रकाशन से उपजे कुछ यक्ष प्रश्न. किसी भी जांच समिति की रिपोर्ट के तथ्यों को क्या कहा जाता है? क्या वह उस कमेटी की फाइडिंग्स नहीं होती हैं? जांच समिति के निष्कर्ष आरोप कैसे हो सकते हैं? Subscribe to: Post Comments (Atom). ताना बाना. दुविधा. तीसरा रास्ता. बेदखल की डायरी. जयपुर मेट्...Awaz Do Hum Ko.
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जाते-जाते...: ऐसा था फैसले का दिन
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जाते-जाते. कुछ लिखने को दिल करता है. Wednesday, June 16, 2010. ऐसा था फैसले का दिन. भोपाल गैस त्रासदी. बहरहाल आज की बात. दरअसल फैसले की सुबह. यूनियन कार्बाइड कारखाने के. ताश खेलते लोगों. वह कितना खौफनाक मंजर था। तभी तीसरा लड़का बताने लगा, अरे वह बबली याद है? यूनियन कार्बाइड कारखाने में. कैंची छोला में अपनी. रिसालदार कॉलोनी पहुंचते पहुंचते. June 16, 2010 at 3:37 AM. भावुक रचना. March 31, 2013 at 3:14 AM. May 23, 2014 at 6:17 AM. Subscribe to: Post Comments (Atom). ताना बाना. दुविधा. जयपुर मेट&...पत्...
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जिरह: August 2009
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जिरह पढ़ें, आप अपनी लिपि में (Read JIRAH in your own script). Enter your search terms. जिरह करने की कोई उम्र नहीं होती। पर यह सच है कि जिरह करने से पैदा हुई बातों की उम्र बेहद लंबी होती है। इसलिए इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है। आइए,शुरू करें जिरह।. Friday, August 28, 2009. अब विवेक की कविता उड़ा ली गई. 2404; उसके ब्लॉग 'थोड़ा सा इंसान'. कैसे बदले यह स्थिति, कैसे बदले उसका मर्दवादी सोच? पेशकश : अनुराग अन्वेषी. 6 प्रतिक्रियाएं. Subscribe to: Posts (Atom). Enter your search terms. अपनी बात. ऊब और दूब. माम...
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जाते-जाते...: April 2010
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जाते-जाते. कुछ लिखने को दिल करता है. Thursday, April 1, 2010. एक तलाश: तुझमें अपनी. शुरू होने से. मंज़िल पर पहुंचने तक. खुद को अकेला ही पाता हूं. बीच राहों में. अकेले चलते, तन्हा भटकते. तेरे निशां पाता हूं. जाने क्यूं मैं सदा. अपने अस्तित्व को. तुझमें तलाशता हूं. जाने क्यूं तुझमें. अपना ही अक्स. मैं अक्सर ढूंढा करता हूं. पाता भी हूं. पाता भी हूं. खुद को. तुझ में. पाकर भी. तुझमें खुद को. मैं नहीं खुद को तुझमें पाता हूं. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). ताना बाना. दुविधा. Awaz Do Hum Ko.
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जाते-जाते...: November 2009
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जाते-जाते. कुछ लिखने को दिल करता है. Friday, November 27, 2009. अख़बारों को क्या हो गया है. कुछ अखबारों की लीड की तरफ ध्यान चाहूंगा. KISAN JAM – TIMES OF INDIA. BITTER HARVEST, THEY PROTESTED, DRANK, VANDALISED AND PEED – HINDUSTAN TIMES. हिंसा की खेती – नवभारत टाइम्स. Links to this post. Wednesday, November 11, 2009. नहीं रहे कागद मसि के मसीहा! Links to this post. Wednesday, November 4, 2009. प्यार में ऐसा होता है. रग़ रग़ में प्यार भर जाता है. और जीवन संवर जाता है. हर सुबह लगे नई सी. Links to this post.