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नेपाली मनहरू nepalimanharu.com (शिव प्रकाश ): November 2012
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असल हुनलाई केही गर्नु पर्दैन खराब नगरे पुग्छ ।. कथा / कविता / गीत/ गजल. Friday, November 30, 2012. शिव प्रकाश. चिन्नु थियो- चिन्यौ. चिन्नु थियो- चिने. हिजोसम्म. एउटा यात्रा. बढाउनै परेन. बढिरह्यो. अन्जानमा/जानाजानमा. नचिनेरै चिने जस्तो. नि नचिने जस्तो. कस्तो प्रेमपूर्ण. बिराला र मुसाको खेल जस्तै! चिन्नु थियो. चिनियो. अब छुट्टिन. पुग्नु पर्दैन दोबाटो. मूलबाटो नै चिर्न सकिन्छ. एकाघरका भाइले धूरी चिरे जस्तै! सायद यस्तै हुन्छ. मान्छे. मान्छे. को पहिचान. थहा छैन. मलाई र तिमीलाई. नोभेम्बर ३०. Links to this post.
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शब्द-गुंजन: September 2009
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शब्द-गुंजन. कुछ शब्दों के बहाने, चले हैं हम भी अपना हाल-ऐ-दिल सुनाने। अब बस इतनी सी है ख्वाहिश- हम रहे या न रहे, ये शब्द यूँ ही गुंजित रहे - रोहित. मुखपृष्ठ. ब्लॉग के बारे में. सोमवार, 14 सितंबर 2009. वो रात. वो रात यूँ गुजरी की,कुछ पता न चला,. क्यों दो दिलो के बीच,आ गया. था फासला ।. तन्हाइयों ने मुझे ,इस कदर घेर लिया था ,. भीड़ में भी ये मन ,अकेला था हो चला ।. न चाहत थी शोहरत की , न जन्नत माँगी थी,. अब न खुदा से,मैं कुछ और मांगता हूँ ,. मेरे मित्र ' अरुल. श्रीवास्तव. लेबल: कविता. नई पोस्ट. कुछ म...
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शेष है अवशेष: शैलप्रिया की निगाह में स्त्री संघर्ष
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शेष है अवशेष. शेष है अवशेष' आपकी लिपि में (SHESH HAI AVSHESH in your script). शेष है अवशेष' पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।. Tuesday, May 12, 2009. शैलप्रिया की निगाह में स्त्री संघर्ष. य वर्मा. अनुराग अन्वेषी. उसे पुरुषों जैसा अधिकार क्यों नहीं मिल पाया है? वह बार-बार अपनी लड़ाई हार क्यों जाती है? मॉडरेटर : अनुराग अन्वेषी. लेबल यादें. लेखिका. शैलप्रिया. स्मृति. May 13, 2009 at 9:48 PM. May 13, 2009 at 9:50 PM. ऊब और दूब. ग...
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शेष है अवशेष: सार्थक एक लम्हा
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शेष है अवशेष. शेष है अवशेष' आपकी लिपि में (SHESH HAI AVSHESH in your script). शेष है अवशेष' पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।. Sunday, March 29, 2009. सार्थक एक लम्हा. जीना बहुत कठिन है।. लड़ना भी मुश्किल अपने-आप से।. इच्छाएं छलनी हो जाती हैं. और तनाव के ताबूत में बंद।. वैसे,. इस पसरते शहर में. कैक्टस के ढेर सारे पौधे. उग आए हैं. जंगल-झाड़ की तरह।. इन वक्रताओं से घिरी मैं. उग जाता है. शैलप्रिया. लेबल कविता. ऊब और दूब. जो अन...
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शेष है अवशेष: मेरे आस-पास बहती है एक सुलगती नदी
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शेष है अवशेष. शेष है अवशेष' आपकी लिपि में (SHESH HAI AVSHESH in your script). शेष है अवशेष' पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।. Tuesday, September 01, 2009. मेरे आस-पास बहती है एक सुलगती नदी. लेखक परिचय. सुलगती हुई नदी पर अभी इतना ही। शेष फिर . मॉडरेटर : अनुराग अन्वेषी. लेबल यादें. लेखिका. शैलप्रिया. स्मृति. September 2, 2009 at 7:37 AM. बेहतरीन आलेख! December 2, 2009 at 6:26 AM. March 19, 2011 at 11:29 AM. ऊब और दूब. चोख...
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नेपाली मनहरू nepalimanharu.com (शिव प्रकाश ): June 2012
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असल हुनलाई केही गर्नु पर्दैन खराब नगरे पुग्छ ।. कथा / कविता / गीत/ गजल. Sunday, June 17, 2012. शिव प्रकाश. त्यो दिन पनि दिन नियमितरुपले ढल्दै थियो ।. कुनै पहाडले छेकेको छैन त्यो विरानो आकाशलाई । हुन त यहाँ न पहाड नै छन,् न पहाड जस्ता मान्छे नै– न धैर्य र स्थिर! न ठूलो मन भएका, न विचार भएका! म मेरै एक गजलको एक शेर सम्झन्छु –. वशमा छैन वासना फूलको के दोष? मनमा छैन तीर्सना मूलको के दोष? 8216;समर’ सुरु भएको छ । जुलाईको हल्का गर्मी! हुन त देखेर पनि के गर्ने? एकदमै हतारमा! सिमेटरीमा अन&...फेरि सम&#...शार...
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शेष है अवशेष: एक सुलगती नदी
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शेष है अवशेष. शेष है अवशेष' आपकी लिपि में (SHESH HAI AVSHESH in your script). शेष है अवशेष' पर कमेंट करने के लिए यहां रोमन में लिखें अपनी बात। स्पेसबार दबाते ही वह देवनागरी लिपि में तब्दील होती दिखेगी।. Sunday, April 19, 2009. एक सुलगती नदी. मैं नहीं जानती,. बह गई एक नदी. सुलगती नदी. गर्म रेत अब भी. आंखों के सामने है. इनमें इंद्रधनुष का. कोई रंग नहीं. मेरे अंदर एक नदी. इंद्रधनुष. ताड़ के झाड़ में. उलझ कर रह गया. मेरा मैं उद्विग्न हो कर. दिनचर्या में खो गया. एक सुलगती नदी बह गई. 11 फरवरी'95,. एक और अनम...
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स्व प्न रं जि ता: April 2015
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शनिवार, 18 अप्रैल 2015. तुम सुंदर हो ।. तुम सुंदर, तुमसे. जग सुंदर. इस जग की सब बातें सुंदर. नदिया, पर्वत, बादल सुंदर. पशु, पक्षी और जंगल सुंदर. सागर, बालू, सीपी सुंदर. लहरातीं फसलें सुंदर. इस धरती की गोदी सुंदर. और आसमान की छत सुंदर. चंदा, तारे, बादल सुंदर. सूरज की किरणें सुंदर. बारिश की बूंदे सुंदर. पवन के झकोरे सुंदर. बिजली की चमकारें सुंदर. बादल की गड गड सुंदर. शांत रूप सुंदर. रौद्र रूप भी तो सुंदर. मै भी सुंदर, वह भी सुंदरं. तेरा प्रकाश सबके अंदर. हरलो मानव मन की कालिख. Links to this post.
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उम्र बढ़ती गई अनुभवों के ख्बाव सजते रहे :चच्चा टिप्पू सिंह | टिप्पणी-चर्चा
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उम्र बढ़ती गई अनुभवों के ख्बाव सजते रहे :चच्चा टिप्पू सिंह. बच्चा लोग .कैसन हैं आप लोग? आज हम आपको थोडी सी यानि कि मुठ्ठी भर टिप टिप करके ई टिप्पणी चर्चा सुनवा रहे हैं…तो सुनो अऊर बताय्व कि कैसन लगी ई चर्चा. पहेली का निष्कर्ष : स्त्री/पुरुष विमर्श. ने कहा…. उदासी मिटाना,. और सबको हँसाना. निवेदन मैं सबसे किये जा रहा हूँ. मैं ४ लेकर तीन उसे दे दूंगा और वह उसमें से भी १ मुझे दे देगी! 12/14/2009 03:27:00 अपराह्न. सुनीता शानू. ने कहा…. और सुनाईये कैसे हैं आप? 12/14/2009 07:32:00 अपराह्न. अफ़ज़ल ग&...इस घटन...
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