sadalikhna.blogspot.com
SADA: November 2014
http://sadalikhna.blogspot.com/2014_11_01_archive.html
शनिवार, 15 नवंबर 2014. यादों के धागे! तुम्हारी यादों के रास्ते. चलते-चलते मैं जब भी. अतीत के घर पहुँचती. तुम रख देते. एक संदूक मेरे सामने. मैं तुम्हें महसूस करती. कुछ स्मृतियों की. धूल झाड़ती. कुछ को धूप दिखाती. ये सीली-सीली यादें. कितना कुछ कहती बिना कुछ कहे! तुम कहा करते थे न कि. खुशियों के बीज़ बोने पड़ते हैं. दर्द की कँटीली बाडि़याँ. उग आती हैं खुद-ब-खुद. मैं हँसती थी औ’ कहती थी. नाहक़ ही तिज़ारत में आ गये. तुम मुँह फ़ेर कहते. अब कुछ नहीं कहूँगा! नहीं माँगा था. पर ये खुद-ब-खुद. बसन्त . हर सव...
sadalikhna.blogspot.com
SADA: December 2013
http://sadalikhna.blogspot.com/2013_12_01_archive.html
शुक्रवार, 20 दिसंबर 2013. प्रेम एक प्रार्थना है. जिसके पीछे सब हैं कतार में. कोई शब्दों से व्यक्त करता है. तो कोई मौन रहकर. बंसी के बजने में हो जाता है. धुन मीठी. तो कई बार हो जाता है प्रेम. विष के प्याले में अमृत. प्रेम एक आहट है. जो बिना किसी पद़चाप के. शामिल हो जाता है जिंदगी में. धड़कनों का अहसास बनकर. प्रेम विश्वास है. जब भी साथ होता है. पूरा अस्तित्व. प्रेममय हो जाता है. प्रेम जागता है जब. नष्ट हो जाते हैं सारे विकार. अहंकार दुबक जाता है. किसी कोने में. मन की ओखल में. हर हाथ की. मन को ...
sadalikhna.blogspot.com
SADA: March 2015
http://sadalikhna.blogspot.com/2015_03_01_archive.html
रविवार, 29 मार्च 2015. किसी और की खुशी में! खुशियों को जब भी देखा मैने. नये परिधान में. सोचा ज़रूर ये आज. किसी की हो जाने के लिये. तैयार हुई हैं! बस उनके आग़त का. स्वागत करेगा जो. ये वहीं ठहर जाएंगी. पर कहाँ. इन्हें तो पल भर बाद. फिर आगे बढ़ जाना था. हिम्म़त कर पूछा. इतनी जल्दी चल दीं. थोड़ी देर तो और मेरा. साथ निभाया होता! वो मुस्करा के बोल उठीं. हम तो रहती हैं. यूँ ही गतिमान. नहीं है निश्चित. हमारा कोई परिधान. जब चाहा. एक लम्हा लिया रब से. हम लम्हों के संग. होली मुबारक! जब गुलाल. मन को छ&#...
sadalikhna.blogspot.com
SADA: April 2014
http://sadalikhna.blogspot.com/2014_04_01_archive.html
बुधवार, 23 अप्रैल 2014. दूर करते हैं उदासियां! मेरी डायरी में. कुछ पन्ने हैं उदासियों के. सच कहूँ. तुम और तुम्हारा जि़क्र. ज़हां नहीं होता. वहाँ उदासियां. बिन बुलाये आ जाती हैं. इन उदासियों को. जब भी हटाना होता है. ज़रूरत होती है. मुझे तुम्हारे साथ की! तुम जब भी साझा करते हो. एक मुस्कान :). ये उदास पन्ने. मुस्कराने लगते हैं :) :) :). तो फिर आओ साझा करते हैं. एक मुस्कान. और दूर करते हैं. उदासियां इन पन्नों की! 24 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. बसन्त . अपनी तो...
sadalikhna.blogspot.com
SADA: April 2015
http://sadalikhna.blogspot.com/2015_04_01_archive.html
गुरुवार, 30 अप्रैल 2015. मंजिलों के रास्ते! कर्तव्य की कोई भी राह लो. उस पर चलते जाने की शपथ. तुम्हें स्वयं लेनी होगी. राहें सुनसान भी होंगी. कोशिशें नाक़ाम भी होंगी. पर मंजिलें कई बार. करती हैं प्रतीक्षा. ऐसे राही की. जो सिर्फ उस तक. पहुँचने के लिए. घर से चला था. मंजिलों तक जाने के लिए. हमेशा अकेले ही. तय करने होते हैं रास्तें. अकेले ही चलना होता है. और पूछना होता है. पता भी मुश्किलों से. मुझे कितनी दूर. यूँ ही. तुम्हारे साथ. तय करने हैं. 8 टिप्पणियां:. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. बसन्त . मैæ...
sadalikhna.blogspot.com
SADA: July 2014
http://sadalikhna.blogspot.com/2014_07_01_archive.html
मंगलवार, 29 जुलाई 2014. इश्क़ की किताबों में! किसी सफ़े पे थी. खिलखिलाती याद उसकी. किसी सफ़े पे था. उसकी मुस्कराहटों का पहरा. इश्क़ की किताबों में. करवटें बदलती रूहों का जागना. उंगलियों के पोरों की छुँअन से. फिर कहना उनका हौले-हौले से. मुहब्बत के नर्म एहसासों का होता. पलकें कई बार. झपकना भूल ही जाती थीं. कई बार लगता. निकलकर इनमें से कुछ एहसासों ने. घेरा बना लिया है. मेरे इर्द-गिर्द औ’ कहा था. अपने हिस्से का सच तो. जाना था मैने उन्हें. कुछ यूँ भी . सच मुहब्बत कभी. ताउम्र अपनी. सीलन भी. कुछ म&...
sameekshaamerikalamse.blogspot.com
शख्स - मेरी कलम से: July 2011
http://sameekshaamerikalamse.blogspot.com/2011_07_01_archive.html
शख्स - मेरी कलम से. शनिवार, 30 जुलाई 2011. एक गहरा वजूद - असीमा भट्ट. ब्लॉग की दुनिया बहुत बड़ी है . हर बार घूमते हुए यह गीत होठों पर काँपता है , ' इतना बड़ा है ये दुनिया का मेला , कोई कहीं पे ज़रूर है तेरा. शब्दों का रिश्ता बनाने के लिए मानस के रश्मि ज्वलित जल से. कुछ ऐसा ही एक आधार हैं असीमा भट्ट. सबसे पहले धन्यवाद मुझ नाचीज को इतनी इज्ज़त देने के लिए .तो सुनिए . जिंदगी मेरे लिए एक इम्तहान है . मैं रोज़ एक प्रशî...बहुत कुछ खोया है . बहुत कुछ पाय&#...आखिर में इतना ही कह...नोट - अस्वस...चलि...
sadalikhna.blogspot.com
SADA: March 2014
http://sadalikhna.blogspot.com/2014_03_01_archive.html
शुक्रवार, 14 मार्च 2014. कुछ रंग उम्मीद की हथेलियों पर! रंग आतिशी हो गए हैं सारे. गुलाल भंग के नशे में है. तभी तो हवाओं में. उड़ रहा है. चाहता है होली के दिन. ढोलक की थाप पर. हर चेहरा गुलाबी हो जाए. सूखे हुये रंग. भीगना चाहते हैं. भीगते-भीगते. वो रंगना चाहते हैं. आत्मीयता का लिबास. होली की उमंग में! उमंग के इन्हीं लम्हों में. रंगों की जबान बस. स्नेह की बोली जानते हुए. कहाँ परहेज़ करती है. अपने और पराये का. तभी तो रंग जाता. तन के साथ मन! कुछ रंग. फिर नहीं चढ़ता. कोई रंग दूजा. नई पोस्ट. सदस्यत&#...
sadalikhna.blogspot.com
SADA: June 2015
http://sadalikhna.blogspot.com/2015_06_01_archive.html
शनिवार, 20 जून 2015. पापा की हथेलियों में . पापा की हथेलियों में. होते मेरे दोनो बाजू और मैं. होती हवा में. तो बिल्कुल तितली हो जाती. खिलखिलाकर कहती. पापा और ऊपर. हँसते पापा ये कहते हुये. मेरी बहादुर बेटी! पापा की हथेलियों में. जब भी मेरी तर्जनी कैद होती. मुझे जीवन मेले से लगता. मैं खुद को पाती. वही घेरदार फ्रॉक के साथ. उनके लम्बे कदमों संग. दौड़ लगाती हुई! पापा की हथेलियां. थपकी स्नेह की जब भी. कभी कदम डगमगाये. हौसले से उनके. आने वाला पल मुस्कराये! 14 टिप्पणियां:. नई पोस्ट. बसन्त . मैं...अपनी...