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नवगीत की चौपाल: अभिव्यक्ति - २०१२ नवगीत परिसंवाद का सफल आयोजन
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नवगीत की चौपाल. नवगीत से संबंधित सूचनाएँ और समाचार. संग्रह और संकलन. नवगीत की पाठशाला. 1 दिसंबर 2012. अभिव्यक्ति - २०१२ नवगीत परिसंवाद का सफल आयोजन. प्रस्तुतकर्ता. नवगीत की पाठशाला. लेबल: परिसंवाद. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). सहयोगी चिट्ठे. संग्रह और संकलन. संवत बदले - गणेश गंभीर. 6 दिन पहले. नवगीत की पाठशाला. ९ बिन शाखाओं के - गीता पंडित. 2 वर्ष पहले. मेरी ब्लॉग सूची. लोकप्रिय समाचार. लखनऊ में नवगीत क...लखनऊ, २६-२७ नव&...
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नवगीत की चौपाल: अभिव्यक्ति-२०११, नवगीत परिसंवाद का सारांश - आनंद गौरव
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नवगीत की चौपाल. नवगीत से संबंधित सूचनाएँ और समाचार. संग्रह और संकलन. नवगीत की पाठशाला. 17 जनवरी 2012. अभिव्यक्ति-२०११, नवगीत परिसंवाद का सारांश - आनंद गौरव. मुरादाबाद से आनंद गौरव द्वारा. प्रस्तुतकर्ता. नवगीत की पाठशाला. लेबल: सारांश. 4 टिप्पणियां:. भारतेंदु मिश्र. ने कहा…. आपकी यह संगोष्ठी बहुत महत्त्वपूर्ण बन गयी है ऐसा चित्रो और रपट को देखकर लगता है। आपको बधाई. 16 फ़रवरी 2012 को 7:35 pm. पूर्णिमा वर्मन. ने कहा…. 28 फ़रवरी 2012 को 11:07 pm. ने कहा…. 1 जून 2012 को 8:18 am. ने कहा…. नई पोस्ट. बिन ...
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नवगीत की चौपाल: अभिव्यक्ति-२०११ नवगीत परिसंवाद का सफल आयोजन
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नवगीत की चौपाल. नवगीत से संबंधित सूचनाएँ और समाचार. संग्रह और संकलन. नवगीत की पाठशाला. 10 जनवरी 2012. अभिव्यक्ति-२०११ नवगीत परिसंवाद का सफल आयोजन. प्रस्तुतकर्ता. नवगीत की पाठशाला. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). सहयोगी चिट्ठे. संग्रह और संकलन. संवत बदले - गणेश गंभीर. 6 दिन पहले. नवगीत की पाठशाला. ९ बिन शाखाओं के - गीता पंडित. 2 वर्ष पहले. मेरी ब्लॉग सूची. लोकप्रिय समाचार. लखनऊ में नवगीत को केन्द्र म&...लखनऊ, २६-२७ नवंबर, कालì...लखनऊ २६ ए...
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नवगीत की चौपाल: नवगीत महोत्सव - २०१४
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नवगीत की चौपाल. नवगीत से संबंधित सूचनाएँ और समाचार. संग्रह और संकलन. नवगीत की पाठशाला. 25 नवंबर 2014. नवगीत महोत्सव - २०१४. प्रस्तुतकर्ता. नवगीत की पाठशाला. लेबल: परिसंवाद. सांस्कृतिक संध्या. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). सहयोगी चिट्ठे. संग्रह और संकलन. संवत बदले - गणेश गंभीर. 4 दिन पहले. नवगीत की पाठशाला. ९ बिन शाखाओं के - गीता पंडित. 2 वर्ष पहले. मेरी ब्लॉग सूची. लोकप्रिय समाचार. लखनऊ में नवगीत को क&...लखनऊ, २६-२७ नवं...
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नवगीत की पाठशाला: ९. बिन शाखाओं के - गीता पंडित
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नवगीत की पाठशाला. नवगीत की पाठशाला में आप सबका हार्दिक स्वागत है! नवगीत की चौपाल. संग्रह और संकलन. 7 सितंबर 2014. ९ बिन शाखाओं के - गीता पंडित. बिन शाखाओं. के देखो तो. बूढ़ा पीपल फफक रहा है. नहीं वृक्ष ने कुछ चाहा वो. जीवन देते आये हैं. काट उन्हें करते अपंग हम. कैसे अपने साये हैं. ठूँठ हुए हैं. बरगद पंछी कहाँ बनाएं बसेरे अब. चींचीं कर जो. मन बहलाते हमने खोये सवेरे अब. चली आरियां. इतनी देखो. खून डाल से टपक रहा है. भारी पाँव प्रदूषण के हैं. केवल अब गम होते हैं. हरियाली बौनी. पथिक पसीने. मन बहलाते...
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नवगीत की पाठशाला: ८. काट रहे सब डाल - कृष्णनंदन मौर्य
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नवगीत की पाठशाला. नवगीत की पाठशाला में आप सबका हार्दिक स्वागत है! नवगीत की चौपाल. संग्रह और संकलन. 6 सितंबर 2014. ८ काट रहे सब डाल - कृष्णनंदन मौर्य. काट रहे सब, डाल वही. हैं बैठे जिसको थाम।. बूढ़ा बरगद सोच रहा. दिन कैसे आये राम।. बाग, फूल, तितली. बसंत से रंग हुआ गायब. झूठे बादल. लेकर आता है अषाढ़ भी अब. बाढ़, अकाल, भुखमरी का. ॠतुयें लातीं पैगाम।. भूमि, भाव की सूखी. उड़ती है स्वारथ की रेत. प्रगतिवाद के सांड़. खा गये नैतिकता के खेत. उगे अर्थ के 'हट'. पर्वत नंगा हुआ. महुआ, जामुन, आम।. नई पोस्ट. डॉ...
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सान्निध्य: 2- मेरी लघु कथाएँ
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सान्निध्य. दोस्त फ़रिश्ते होते हैं. बाक़ी सब रिश्ते होते हैं. 2- मेरी लघु कथाएँ. कोई अन्याय नहीं किया. जिसे देखो वह हमारा शिकार करने पर तुला रहता है। पकड़ कर पिंजरे में कैद कर लेता है। आकाश में रहने को जगह होती तो मैं पृथ्वी पर कभी नहीं आता।". 8220;किन्तु् ॠषिवर, कबूतर तो बहुत ही निरीह प्राणी है। क्या उसके साथ अन्याय हुआ है? 8221; शिष्य ने पूछा।. 2- अब राम राज्य आएगा. 3- एक करोड़ का सवाल. कैसा लग रहा है आपको।' बिग बी ने पूछा।. 4- मृत्यु का भय. 5- जनता जागरूक नहीं है? वेताल ने अटî...2404; विक...
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नवगीत की पाठशाला: ७. जंगलों में - कल्पना रामानी
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नवगीत की पाठशाला. नवगीत की पाठशाला में आप सबका हार्दिक स्वागत है! नवगीत की चौपाल. संग्रह और संकलन. 6 सितंबर 2014. ७ जंगलों में - कल्पना रामानी. सोच में डूबा हुआ मन. जब उतरता जंगलों में।. वे हरे जीवन भरे दिन. याद करता जंगलों में।. कल जहाँ तरुवर खड़े थे. ठूँठ दिखते उस जगह।. रात रहती है वहाँ केवल. नहीं होती सुबह।. और कोई एक दीपक. भी न धरता जंगलों में।. घर से ले जातीं मुझे थीं. जो वहाँ पगडंडियाँ।. अब चुरातीं हैं नज़र. कैसे करें हालत बयाँ. है पता मुझको मगर. पेड़ लहराते हुए।. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. डॉ....