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संग्रह और संकलन: सदी को सुन रहा हूँ मैं- जयकृष्ण राय तुषार
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संग्रह और संकलन. प्रकाशित नवगीत संग्रहों और नवगीत संकलनों से परिचय. नवगीत की चौपाल. नवगीत की पाठशाला. शनिवार, 18 अप्रैल 2015. सदी को सुन रहा हूँ मैं- जयकृष्ण राय तुषार. नए साल में नयी सुबह ले. ओ मेरे दिनमान निकलना. संगम पर आने से पहले. मेलजोल की धारा पढना. छेनी लेकर. अकबर पन्त निराला गढ़ना. सबकी किस्मत रहे दही गुड. नहीं किसी की खोटी लाना. बस्ती गाँव. शहर के सारे. मजलूमों को रोटी लाना. फिर फिर राहू ग्रहण लायेगा. साथ लिए किरपान निकलना. अब की शाखों पर बसंत तुम. अपना मकरंद पिलाना. यह जरा सी बì...रेश...
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संग्रह और संकलन: हम जंगल के अमलतास - आचार्य भगवत दुबे
http://sangrahaursankalan.blogspot.com/2015/06/blog-post_28.html
संग्रह और संकलन. प्रकाशित नवगीत संग्रहों और नवगीत संकलनों से परिचय. नवगीत की चौपाल. नवगीत की पाठशाला. रविवार, 28 जून 2015. हम जंगल के अमलतास - आचार्य भगवत दुबे. नव प्रतीक, नव ताल, छंद नव लाये हैं. जन-जीवन के सारे चित्र बनाये हैं. की सरगम तैयार नये संगीत की. कसे उक्ति वैचित्र्य, चमत्कृत करते हैं. छोटी सी गागर में सागर भरते हैं. जहाँ मछलियाँ विचरण करें प्रतीत की. जो विरूपतायें समाज में दिखती हैं. लीक छोड़ दी पारंपरिक अतीत की. अब फहराने लगी ध्वजा नवगीत की. कभी वसंत सुहाना. नई पोस्ट. २००७ में प...२००८ म...
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संग्रह और संकलन: चोंच में आकाश- पूर्णिमा वर्मन
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संग्रह और संकलन. प्रकाशित नवगीत संग्रहों और नवगीत संकलनों से परिचय. नवगीत की चौपाल. नवगीत की पाठशाला. रविवार, 5 अप्रैल 2015. चोंच में आकाश- पूर्णिमा वर्मन. मौसम आये मौसम बीते. हम नहिं चेते. अपने छूटे देश बिराना. सपने रीते. सपनें की आवाजों में. रेलों और जहाजों में. जाने कैसी दौड़ थी जिसमें. अपना मन ही नहीं सुना . पृ॰३६. हाथ ऊपर को उठाये. माँगते सौगात. ताड़ों की क्या बात. गहन ध्यान में लीन. हवा में. धीरे-धीरे हिलते. लंबे-लंबे रेशे बिलकुल. जटा जूट से खिलते. संत पुरातन कोई गहने. शिक्षा और. अवसर कम थे. क्...
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संग्रह और संकलन: मन बंजारा- डॉ. अजय पाठक
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संग्रह और संकलन. प्रकाशित नवगीत संग्रहों और नवगीत संकलनों से परिचय. नवगीत की चौपाल. नवगीत की पाठशाला. शनिवार, 1 अगस्त 2015. मन बंजारा- डॉ. अजय पाठक. मनोयोग से वहाँ गये थे. क्या कुछ लेकर आये. पाये या फिर भिक्षाटन के. तांदुल भी दे आये. ठगे हुये से क्यों लगते हो? दिखते जैसे तैसे हो तुम।. कहो सुदामा! कैसे हो तुम? दुखिखारों के दुख के आँसू. पोंछ कभी आओगे. सच कहता हॅूं उसी ठौर पर. ईश्वर को पाओगे।". हलचलें होने लगीं शमशान में. और दानव चल पड़े अभियान में. जो अब तक ढुल-मुल है. समीकरण साहित्य. यदि हा...२००५ म...
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संग्रह और संकलन: जहाँ दरक कर गिरा समय भी - राघवेन्द्र तिवारी
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संग्रह और संकलन. प्रकाशित नवगीत संग्रहों और नवगीत संकलनों से परिचय. नवगीत की चौपाल. नवगीत की पाठशाला. रविवार, 19 जुलाई 2015. जहाँ दरक कर गिरा समय भी - राघवेन्द्र तिवारी. खेत से लौटी नहीं अम्मा. कर्ज में दोहरी हुई दालान से. पिता चिन्तित. एक टूटी हुई औरत खोजते हैं । पृ०- १७. शब्द बौने हैं. झरोखे में कहीं भी. मुड़ी मेहराबें. हवा रुकती नहीं भी. गैल में अविवेक. मौसम में तपेदिक. इस शहर में हम. कहाँ से आ गये पृ०-२०. अधिक तो देते नहीं कुछ. कम कभी करते नहीं. कौन से स्कूल में. आखिर पढ़े हो. खेत की. अच्छा...खा&...
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संग्रह और संकलन: अनुभव की सीढ़ी- भारतेन्दु मिश्र
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संग्रह और संकलन. प्रकाशित नवगीत संग्रहों और नवगीत संकलनों से परिचय. नवगीत की चौपाल. नवगीत की पाठशाला. रविवार, 16 अगस्त 2015. अनुभव की सीढ़ी- भारतेन्दु मिश्र. अनुभव की सीढ़ी". मात्र काव्यकृति ही नहीं, डा. भारतेन्दु. १ बाँसुरी की देह (राग विराग एवं गृहरति के गीत/नवगीत). २ बाकी सब ठीक है (नगर बोध/विसंगतियाँ और आस्था के गीत/नवगीत). ४ जुगलबन्दी (राजनीति-धर्म-दर्शन और बाजारवादी समय के गीत/नवगीत). एक और भ्रम जी ले भाई. धूप सुनहरी है. रात अमावस की अँधियारी. नदिया गहरी है. तट पर डेरा डाले. साँसो...जीवन त...
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संग्रह और संकलन: चीखती टिटहरी हाँफता अलाव- डॉ. रामसनेहीलाल शर्मा 'यायावर'
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संग्रह और संकलन. प्रकाशित नवगीत संग्रहों और नवगीत संकलनों से परिचय. नवगीत की चौपाल. नवगीत की पाठशाला. शनिवार, 8 अगस्त 2015. चीखती टिटहरी हाँफता अलाव- डॉ. रामसनेहीलाल शर्मा 'यायावर'. झूठ ही झूठ है. पूर्ण वातावरण. खो गया है कहीं. आज सत्याचरण. बाँटते विष सभी. आप, वे और मैं. बंधु-बाँधव सखा. भ्रातरम् भ्रातरम्'. तथा 'हो चतुर्दिक. तेरे हंस की धवलिमा. जाय मिट हर दिशा की. गहन कालिमा. बाँसुरी में नये स्वर. बजें प्रीति के. शांति, संतोष, सुख. मंगलम् मंगलम्'. भ्रम ही भ्रम. लिखती रही उमर. विसंगति-. यहाँ पर. चा&#...
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संग्रह और संकलन: नवगीत २०१३ - संपादक- डॉ. जगदीश व्योम, पूर्णिमा वर्मन
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संग्रह और संकलन. प्रकाशित नवगीत संग्रहों और नवगीत संकलनों से परिचय. नवगीत की चौपाल. नवगीत की पाठशाला. मंगलवार, 28 अप्रैल 2015. नवगीत २०१३ - संपादक- डॉ. जगदीश व्योम, पूर्णिमा वर्मन. प्रस्तुतकर्ता नवगीत की पाठशाला. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: २०१३ में प्रकाशित. सं. डॉ. जगदीश व्योम. सं. पूर्णिमा वर्मन. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. क्या आपने यह पुस्तक पढ़ी है? नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. कृष्ण शलभ. ब्रजे...भाव...
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संग्रह और संकलन: पीली धुंध नीली बस्तियों पर- योगेन्द्र दत्त शर्मा
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संग्रह और संकलन. प्रकाशित नवगीत संग्रहों और नवगीत संकलनों से परिचय. नवगीत की चौपाल. नवगीत की पाठशाला. रविवार, 26 जुलाई 2015. पीली धुंध नीली बस्तियों पर- योगेन्द्र दत्त शर्मा. और फिर सवाल करते हैं, ' क्या यही है हमारी नियति? क्या ऐसे ही रंगोत्सव का सपना संजोया था हमने? फिर दृढ़ता से कहते हैं, नहीं! एकदम नहीं! 8230;…… घाट पर ठहरा हुआ मन /रिक्तताओं का कलुष धोने लगा! फिर हमारी चेतना का /हिम शिखर गलने लगा! एक कस्तूरी हिरन-सा फिर समय/चलने लगा! दिन लदे संवेदना के /शील, स...विस्मित, चकित स...डूबा द...खुल...