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शब्दों की मुस्कुराहट : Jun 20, 2014
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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 20 जून 2014. दिन में फैली ख़ामोशी :). चित्र - ( गूगल से साभार ). जब कोई इस दुनिया से. चला जाता है. वह दिन उस इलाके के लिए. बहुत अजीब हो जाता है. चारों दिशओं में जैसे. एक ख़ामोशी सी छा जाती है. दिन में फैली ख़ामोशी. वहां के लोगो को सुन्न कर देती है. क्योंकि कोई शक्श. इस दुनिया से. रुखसत हो चुका होता है! C) संजय भास्कर. प्रस्तुतकर्ता. संजय भास्कर. नई पोस्ट. आसमान...
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शब्दों की मुस्कुराहट : Nov 20, 2014
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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 20 नवंबर 2014. दूर दूर तक अपनी दृष्टि दौड़ाती सुनहरी धुप - आशालता सक्सेना :). इसी के साथ बहुत सी यादें भी जुडी हुई है! आशा जी कि कलम से :-. कुछ तो ऐसा है तुम में. य़ुम्हारी हर बात निराली है. कोई भावना जाग्रत होती है. एक कविता बन जाती है! लिखते लिखते कलम नहीं थकती. हर रचना कुछ कहती है. हर किताब को सहेज कर रखूँगा! कवयित्री (. आशा सक्सेना. C ) संजय भास्कर. भास्...शब्...
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शब्दों की मुस्कुराहट : Sep 8, 2014
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शब्दों की मुस्कुराहट. जिन्दगी के कुछ रंगों को समेटकर टूटे-फूटे शब्दों में सहेजता हूँ वही लिखता हूँ शब्दों के सहारे मुस्कुराने की कोशिश :). 08 सितंबर 2014. बारिश की वह बूँद :). बारिश की वह बूँद. जो मेरे कमरे की खिड़की के. शीशे पर. फिसल रही थी. जिसे मैं घंटो से निहार रहा था. उसे देख बस मन में. एक ही ख्याल आ रहा था. जो बूँद इस. शीशे को भीगा. रही है. वैसे ही काश. भीग जाए मेरा मन ! C) संजय भास्कर. प्रस्तुतकर्ता. संजय भास्कर. 50 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. My site is worth.
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MEGHnet: Ramarajya - रामराज्य
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दो शब्द. Megh: Myth and history. गोत्र (gotra) प्रथा. वीडियो. अछूतपन मुक्ति संघर्ष. Ramarajya - रामराज्य. सीता की अग्निपरीक्षा के बावजूद राम द्वारा सीता को घर से निकालने के कारण भारतीय महिलाओं को. रामराज्य. याद रहता है. इसका व्यंगात्मक अर्थ भी है. जिस ऑफिस में रिश्वत देनी पड़े या बिलकुल भी अनुशासन न हो उसके बारे में कहा जाता है कि. वहाँ तो रामराज्य है. कल मैंने एबीपी न्यूज़ पर वह कार्यक्रम देखा. रिश्वत के मामले नहीं हैं. पब्लिक लाइफ में अनुशासन है. हमारे गोला. देश हैं जहाँ. मैंने. हाँ भई. इस साइट प...
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Madhushaalaa: The Nectar House: November 2011
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Madhushaalaa: The Nectar House. Coz love is all there is! श्रृंगार. हास्य-व्यंग्य. Monday, November 21, 2011. एक छोटी-सी Love Story. एक बार एक बिल्ली-. बड़ी प्यारी-सी, दुलारी-सी बिल्ली,. एक चूहे पे मर मिटी. चूहा बिचारा,छोटा, नादान,. बिल्ली को पीछा करता देख,. हो गया परेशान. जब भी बिल्ली approach मारती,. चूहा फटाक से भाग खड़ा होता. करता भी क्या, क्या जान अपनी खोता? बिल्ली अनबुझ-सी सोचती रहती. कि कैसे बताऊँ. Darling मैं जान लेना नहीं,. देना चाहती हूँ. प्रेम-पथ भी कितना. असमंजस भरा है! कहा i love you ,. हर ब&...
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Madhushaalaa: The Nectar House: September 2011
http://madhushaalaa-sumit.blogspot.com/2011_09_01_archive.html
Madhushaalaa: The Nectar House. Coz love is all there is! श्रृंगार. हास्य-व्यंग्य. Saturday, September 24, 2011. यही तो है! वक़्त के आईने में अपना ही चेहरा तब्दील हो जाता है. और हम पीछे मुड़कर देखते हैं उन लम्हों को - इसी आईने में. तो वही प्यारा बचपन खिलखिलाता नज़र आता है. अपनी आज की तस्वीर से अक्सर ये पूछा करते हैं -. कहाँ है वो बचपन? क्या दूर कहीं है? या यहीं कहीं है, छिपा हुआ-सा, अपने अन्दर ही! फूलों में बिखरे रंगों में,. या चंचल जल-तरंगों में,. जो नेह भरा, यही तो है! ये सरसराहट! ये सरसराहट! मुर&#...
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Madhushaalaa: The Nectar House: May 2009
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Madhushaalaa: The Nectar House. Coz love is all there is! श्रृंगार. हास्य-व्यंग्य. Monday, May 4, 2009. हँसता है. मुस्कुराता है. चीखता है. चिल्लाता है. रूठता है. मनाता है. लेकिन कभी. शांत नही रहता. चुप नही बैठता. क्यूंकि समय. हमें यही तो समझाता है. कि उससे आगे निकलने के लिए. ये गुण भी होने चाहिए! Picture Courtsey: http:/ zacharybrown.files.wordpress.com/2008/10/harvest-time.jpg. Labels: आत्म-मंथन. Saturday, May 2, 2009. सप्तपर्णा से चार पत्ते. जीवन असमंजस का प्याला,. Labels: आत्म-मंथन. Kashish - My Poetry.
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तथागत: April 2012
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Thursday, April 26, 2012. राजेश सिंह. पूजा-अर्चना. Saturday, April 21, 2012. पुनर्नवा. उन्हीं क्षणों को. जिन्हें जिया. होकर अस्थिर. आकृति नई है. पर व्यक्ति परिचित. व्यक्ति वही. आकृति परिवर्तित. पर समय न ही. प्रतीक्षा करता. न ही लौटता. उन्हीं बिन्दुओं पर. राजेश सिंह. Labels: कविता. Thursday, April 5, 2012. कनुप्रिया के लिए. मेरे घर आई एक प्यारी परी,. सोचते हैं लोग क्यूं आती है मुझसे मिलने. क्यूं याद करता हूं और बातें करता हूं. सोचता हूं अक्सर, शायद. मैं जानता हूं. अब भी वक्त है. Subscribe to: Posts (Atom).
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तथागत: August 2013
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Saturday, August 24, 2013. राजेश सिंह. राजेश सिंह. Subscribe to: Posts (Atom). राजेश सिंह. BILASPUR, Chhattisgarh, INDIA Mob.: 919229158700 email: rajeshakaltara@gmail.com अपनों के साथ देखे सपनों के सेतु पर चल कर जाना है उस पार. View my complete profile. 15 अगस्त को एक अखबार में जूदेव के निधन से शोक क. लिखिए अपनी भाषा में. सारे परीक्षार्थी जेल में. उड़न तश्तरी . चुनाव के बाद. प्रमोटी पर अंतर्द्वंद्व. लम्हों का सफ़र. 539 रेगिस्तान. हिंदीज़ेन. शतरंज और दोस्ती. देशनामा. An Indian in Pittsburgh. टिन...
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तथागत: June 2012
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Sunday, June 17, 2012. छत्तीसगढ़ के रायगढ़-बिलासपुर अंचल के निवासी ' सबरिया' वस्तुतः कौन है? यह बोलती होती।. राजेश सिंह. Labels: छत्तीसगढ़. Tuesday, June 12, 2012. मौत – 1. चूहों के लिए. बिल्ले की तरह आती है. गुर्राती है. डराती है. खिलाती है/खिझाती है. और थक जाने पर. चट कर जाती है. लोग यूं ही गपशप. कर लिया करते हैं. सुना तुमने. अच्छा! बुरा हुआ! मौत – 2. इन्सान के लिए. काली और चमकदार. बिल्ली की तरह. आती है और. मौका देख कर. मैं, तुम. झपट कर एक-दूसरे को. जानते हो. घुटी-घुटी. कैसे हुआ? खोलिय...अपने...