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शब्द और अर्थ: September 2012
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शब्द और अर्थ. 14 सितंबर 2012. सरकारी हिन्दी की दूकान. आपके अंदर सरकारी बाबू , सरकारी अफसर , सरकारी खबरनवीस , सरकारी कवि, सरकारी साहित्यकार एक न एक अदद छुपा है . पर हिन्दी का क्या होगा? क्या होना है? जो राशन का चावल नहीं पचा सकते भूखे तो नहीं मर रहे . बाजार से खरीद कर खा रहे हैं न? अगर पैसे होंगे तो खरीदेगा , खायेगा , जिंदा रहेगा . नहीं? नकली माल कौन देता था? ज्यादा छपे भाव पर कौन देता था? पुराना माल कौन देता था? 4 टीका-टिपण्णी. लेबल: विचार. हिन्दी. इसे ईमेल करें. कानों में. लेबल: मुक्तक. Pinterest पर स&#...
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शब्द और अर्थ: April 2011
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शब्द और अर्थ. 20 अप्रैल 2011. जमीन की चक्कलस. ऐ खुदा तुने मुझे कब्र से कम दी है जमीं. पाँव फैलाऊँ तो दीवार से सर लगता है ( बशीर बद्र ). ज़र , ज़ोरु , ज़मीन के झगड़े सारे मुहावरा काफी पढ़ा और गुना पर लगता है मुहावरा कुछ गलत बन पड़ा है. 4 टीका-टिपण्णी. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. अपने टाईप का. शब्दों का संचारण. भावों का उच्चारण. वाक्यों का विन्यास. तनिक संकुचन. और तनिक तराश. स्फुरण सहज. नहीं आख्यान. न उस्ताद. अर्थ विरल. खुले...
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शब्द और अर्थ: July 2011
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शब्द और अर्थ. 29 जुलाई 2011. मृत्यु पर्व. भोपाल की भीषण त्रासदी के बाद. विश्व कविता समारोह के आयोजन पर्व पर. गूंजा विख्यात कवि का स्वर. 8220;मरे हुए लोगों के साथ मरा नहीं जा सकता “. मनुष्य कहाँ मरता है? मरती है संवेदना. भोग नहीं मरता. इच्छायें नहीं मरतीं. कामना नहीं मरती! कौवा , कुत्ता , गाय , ब्राह्मण. दसवाँ, बारहवाँ, तेरहवीं. मुंडन ,स्नान , पगड़ी. पिण्डदान, हांडी , अस्थिफूल. सब संगम के कूल. संस्कार है मृत्यु! मणिकर्णिका , गया , गंगासागर. जिसको जो अनुकूल. गौदान , सीधा , भोज. अर्पण , तर्पण. बहुत ब&...
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शब्द और अर्थ: June 2011
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शब्द और अर्थ. 29 जून 2011. कोटा' का बंकर. कत्लेआम मचाया नादिरशाह ने दिल्ली में. प्यास अभी तक है बाकी खंजर क्या करे? अंकतालिका है या घी का विज्ञापन कोई? इस देश में कैसे -कैसे मंजर क्या करे . चक्रव्यूह में चला अभिमन्यु प्रवेश को. पता उसका 'कोटा' का बंकर क्या करे? ऋषी मुनियों की तपोभूमि का हश्र है ,. सब भूमी गोपाल की बंजर क्या करे . है वक्त की पहचान शत नंबर क्या करे. यही फर्क आदमी औ' बंदर क्या करे . मर्तबान को तल तक चाट गए बिलाव. 3 टीका-टिपण्णी. लेबल: कविता. इसे ईमेल करें. 23 जून 2011. 22 जून 2011. कभी...
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शब्द और अर्थ: April 2012
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शब्द और अर्थ. 3 अप्रैल 2012. संभवामि युगे-युगे! संभवामि -संभवामि. संभावनाएं हैं. समय की यही विडम्बनाएं हैं. युगे-युगे. हर युग में. किसी से नहीं मिला. क्यों नहीं मिले? मिलना चाहिए! शब्दों को अर्थ. देना चाहिए. अर्थ के बिना. परसाई जी नहीं रहे. शब्द व्यर्थ रहे! पाला-पोसा. बड़ा किया. काम नहीं आए. संभावनाएं! गर्भ का शिशु अभागा. ही डिड-नॉट न्यू! अभिमन्यु! किस काल में आ रहा है! घबरा रहा है. भविष्य अर्थगर्भित है. परिपूर्ण है. वायदा-कारोबार. वायदे-का-कारोबार. सूचकांक. सूचना का युग. बदलो -बदलो. आईना बदलो. हम अपन...
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शब्द और अर्थ: July 2013
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शब्द और अर्थ. 28 जुलाई 2013. चौबीस घन्टे. कितने दिनों बाद. बिना किसी डायरी के. बिना शायरी के. बिताया ज़िंदगी का एक दिन! खोला नहीं घर का मुख्य द्वार. नहीं लिया आज का अखबार. ना ही सुबह से चलाया टी वी. सिर्फ एक अदद फ़ोन, वह भी. घर से बीवी. नहीं , यह भी सिर्फ मेरा ख्याल था. स्वयं से जूझता अदद सवाल था. बिना किसी दैनंदिनी के. बिना किसी कामकाज़ के. बिना मूल या ब्याज़ के. कैसे खर्च डाला एक दिन! सुबह हुई , शाम हुई. बहुत से जन्म हुए. बहुत सी जिंदगियां तमाम हुई. बहुत से बिछड़े. कोई कैसे. किसी तरह. Take it easy....
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शब्द और अर्थ: September 2011
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शब्द और अर्थ. 30 सितंबर 2011. घड़ी के कमान सी. चल रही है जिन्दगी. वक्त कट रहा है. वक्त में सी रहा है. खुद को आदमी . आँखों के आंसुओं से. उभरी दो लकीरें. और जिन्दगी का रुख. नहीं बदला ;. टूट टूट कर बालों ने. समय के पहले. बूढा किया और गर्द. चेहरों पर सिमटी. और इन सिमटी लकीरों में. यादों सा पी रहा है. अपना लहू आदमी . समस्याओं के घेरे में घूमता पंखे सा. और हो उठा है ठण्ड की चाहत में गर्म. आदमी ; अंतरिक्ष में घूमता. कैद हो गया कमरे में . 4 टीका-टिपण्णी. लेबल: कविता. क्षणिकाएं. लेबल: कविता. वर्ना रहन&...रोज...
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शब्द और अर्थ: May 2012
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शब्द और अर्थ. मुखौटा. आदमी के चेहरे पर. लिखा होता है? कौन है? क्या करता है? हर चेहरा मुखौटा. लगता है. हँसी , उदासी. मासूमियत. कुटिलता ,. लाचारी. इश्कबाज़ी. के अनेक रंगों से सजा. रोता-गाता. चीखता-चिल्लाता. डराता-धमकाता. गरियाता-रिरियाता. भिखारी की दयनीय सूरत. साधुता की पवित्र मूरत. षड्यंत्र की कुटिल मुस्कराहट. सुन्दरी की मंद-स्मित. भावपूर्ण भंगिमा. नेता की कृत्रिम गर्मजोशी. या उत्तेजक सम्बन्धों की ठंडक लिए. आपका अपना रिश्ता , पड़ोसी. और उग्र हो गया. सत्य के रस से. हो गया है. लेबल: मुक्तक. कूदता...
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शब्द और अर्थ: November 2011
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शब्द और अर्थ. 14 नवंबर 2011. कौन हूँ मैं. कौन हूँ मैं? हाड़ माँस का पुतला. जैसे शेर, शेर. और पीपल ,पीपल. या कोई और है मसला? कौन हूँ मैं? नदी की तरह बहता हुआ. पहाड़ से समुन्दरों की ओर. या फिर नभ में विचरता. पंक्षी उड़ता. कौन हूँ मैं? किसी देश की मिट्टी में कैद. एक शरीर -. जिसने पहन रक्खा है एक नंबर. जिसकी सीमाओं के चारों ओर है. तैनात सिपाही. जिनकी बाज़ सी आँखों को छला नहीं जाता. कोई नहीं जो , लांघ के जा सकता. सीमा के उस ओर. और फिर कहते हो. हम आजाद हैं . कौन हूँ मैं? इस दंश से उबारो. नई पोस्ट. चीन य&...
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शब्द और अर्थ: March 2012
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शब्द और अर्थ. 22 मार्च 2012. एकांत में बैठ. मैं तुम्हारे वक्ष से गुज़रती धडकनें देखूँ. तुम मेरी आती-जाती सांसें गिनो. सुनो और बताओ. इस जुगलबंदी से. कोई नया राग उपजा है क्या? एक पुरानी किताब में. एक खत मिला है. लिखा है -. तुम मुझे प्राणों से प्रिय हो. तुम्हारा प्रेम मेरे रोम-रोम में बसा है. तुम्हे याद न किया हो ,. ऐसा शायद ही कोई पल गुजरा है. क्या तुम्हे पता है? किसकी कहानी है यह? क्या वो अब भी जिंदा है? क्या ये प्यार जिंदा है? किसको पता है? अपने में घुल-मिल मगन. याद करता हूँ -. काश, मेरी...हिन...
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