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सोमवार, 11 मई 2015. सुपरमैन वैभव. आजकल के बच्चे इतने इंटेलिजेंट होते हैं कि अगर उन्हें सही ’िाक्षा दी जाए तो वह अपनी इच्छानुसार अपने क्षेऋ में सुपरमैन बन सकता है. वैभव टीवी देख रहा था! वह हमे’ाा टीवी ही देखा करता था! कभी डोरे माWम तो कभी कार्टून चैनल देखता रहता था! वैभव के इस व्यवहार से घर के सभी लोग काफी परे’ाान रहा करते थे! कहानी भी इसी के इर्द गिर्द घूमती रहती थी! टीवी में भी यही सब देखने को मिलता था! वह दिन भी कुछ और थे! इतनी असुविधा के बावजूद हमलोग...वे कहते हैं कि ...दादा जी अ...उनके प...

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सोमवार, 11 मई 2015. सुपरमैन वैभव. आजकल के बच्चे इतने इंटेलिजेंट होते हैं कि अगर उन्हें सही ’िाक्षा दी जाए तो वह अपनी इच्छानुसार अपने क्षेऋ में सुपरमैन बन सकता है. वैभव टीवी देख रहा था! वह हमे’ाा टीवी ही देखा करता था! कभी डोरे माWम तो कभी कार्टून चैनल देखता रहता था! वैभव के इस व्यवहार से घर के सभी लोग काफी परे’ाान रहा करते थे! कहानी भी इसी के इर्द गिर्द घूमती रहती थी! टीवी में भी यही सब देखने को मिलता था! वह दिन भी कुछ और थे! इतनी असुविधा के बावजूद हमलोग&#23...वे कहते हैं कि ...दादा जी अ...उनके प&#2...
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सोमवार, 11 मई 2015. सुपरमैन वैभव. आजकल के बच्चे इतने इंटेलिजेंट होते हैं कि अगर उन्हें सही ’िाक्षा दी जाए तो वह अपनी इच्छानुसार अपने क्षेऋ में सुपरमैन बन सकता है. वैभव टीवी देख रहा था! वह हमे’ाा टीवी ही देखा करता था! कभी डोरे माWम तो कभी कार्टून चैनल देखता रहता था! वैभव के इस व्यवहार से घर के सभी लोग काफी परे’ाान रहा करते थे! कहानी भी इसी के इर्द गिर्द घूमती रहती थी! टीवी में भी यही सब देखने को मिलता था! वह दिन भी कुछ और थे! इतनी असुविधा के बावजूद हमलोग&#23...वे कहते हैं कि ...दादा जी अ...उनके प&#2...

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vaibhav: March 2013

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शनिवार, 30 मार्च 2013. हमने जिंदगी गुजारी है किराये के मकानों में।'. परिंदे भी नहीं रहते पराये आशियानों में. हमने जिंदगी गुजारी है किराये के मकानों में।. जीना भी एक बहुत बडा जुर्म है आखिर. शायद इसी लिये हर शख्स को स़जाए मौत मिलती है. ना तुझको ख़बर हुई ना ज़माना समझ सका. हम तुझ पर चुपके चुपके कई बार मर गये! हमने तेरे बाद न रखी किसी से मोहब्बत की आस. एक शक्स ही बहुत था जो सब कुछ सिखा गया! तकदीरें बदल जाती है ,. जब ज़िन्दगी का कोई मकसद हो. मुझको थकने नहीं देता. 1 टिप्पणी:. प्यार और पराजय. जब कंपन&#236...

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vaibhav: January 2012

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मंगलवार, 31 जनवरी 2012. नां भूले अपने मां बाप को. प्रस्तुतकर्ता विजय कुमार झा. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. शनिवार, 14 जनवरी 2012. दादी ने बताई मकर संक्रान्‍त‍ि का महत्‍व. प्रस्तुतकर्ता विजय कुमार झा. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. मां ने अपनी ही बेटी के साथ रेप किया. सवाल ये नहीं क‍ि शीशा टूटा कि बच गया, सवाल यह है कि पत्‍थर आया किधर से।. प्रस्तुतकर्ता विजय कुमार झा. कोई टिप्पणी नहीं:. इस संदेश के लिए लिंक. मंगलवार, 3 जनवरी 2012. अगर पत्‍थर बन जाता तो. नई पोस्ट.

3

vaibhav: February 2012

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सोमवार, 27 फ़रवरी 2012. गरुड़जी के सात प्रश्न तथा काकभुशुण्डि के उत्तर. चौपाई :. पुनि सप्रेम बोलेउ खगराऊ। जौं कृपाल मोहि ऊपर भाऊ॥।. नाथ मोहि निज सेवक जानी। सप्त प्रस्न मम कहहु बखानी॥1॥. भावार्थ:-पक्षीराज गरुड़जी फिर प्रेम सहित बोले- हे कृपालु! यदि मुझ पर आपका प्रेम है, तो हे नाथ! मुझे अपना सेवक जानकर मेरे सात प्रश्नों के उत्तर बखान कर कहिए॥1॥. प्रथमहिं कहहु नाथ मतिधीरा। सब ते दुर्लभ कवन सरीरा॥. भावार्थ:-हे नाथ! हे धीर बुद्धि! भावार्थ:-जगत्‌ में दरिद्र...संत सहहिं दुख पर हित ...भूर्ज तरू...खल बिन&#2...

4

vaibhav: January 2013

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बुधवार, 9 जनवरी 2013. आचार्य चाणक्य. सिंहादेकं वकादेकं शिक्षेच्चत्वारि कुक्कुटात्. वायसात्पञ्च शेक्षेच्च षट् शुनस्वीणि गर्दभात्।।. 8216;‘मनुष्य को शेर से एक, बगुले से एक तथा मुर्गे से चार, कौऐ से पांच, कुत्ते से छह और गधे से तीन गुण ग्रहण करना चाहिए।’. प्रभूतं कार्यमल्पं चन्नर, कर्तुमिच्छति।. सर्वारम्भेण तत्कार्य सिंहादेकं प्रचक्षते. इंद्रियाणि च संयम्य वकवत् पण्डितो नरः।. गूढमैथनचरित्वं च काले काले च संग्रहम।. 8216;‘छिपकर प्रेमालाप करना, ढीठता द&#236...8216;‘बहुत थक जाने पर भ&#23...नई पोस्ट.

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vaibhav: April 2013

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शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013. ऐ दिल मांग ले तू भी मुराद कोई. टूटे हुए तारे को देख कर मैं ने कहा. ऐ दिल मांग ले तू भी मुराद कोई. फिर दिल से आवाज़ आई की. जो खुद टूट रहा हो. कैसे पूरी करेगा वोह फरयाद कोई. उसे पता था मुझे दर्द मे मुस्कुराने की आदत है. इस लिए वो रोज नया गम देता है मेरी खुशी. के लिए. इक खाब सुहाना टूट गया. एक ज़ख्म अभी तक बाकी है. जो अरमा थे सब ख़ाक हुए. बस राख अभी तक बाकी है. फूलो का हश्र वो समझ न सका " फराज ". ना जाया करो कही भी कश्ती लेकर. ग़ालिब :. फैज़ :. नज़र को बदलो नज&#23...कश्त&#236...

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आप कहिए: July 2008

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रविवार, 27 जुलाई 2008. कैसे भूलें वह मंजर. प्रस्तुतकर्ता. सुजीत कुमार. 3 टिप्‍पणियां:. सोमवार, 7 जुलाई 2008. अब मां-बाप की भी आउटसोर्सिंग. इस मौके पर तो मुझे निदा फाजली की कुछ लाइनें याद आ रही हैं जो उन्होंने ` मां. नामक कविता में लिखी थी -. बीवी, बेटी, बहन, पड़ोसन,. थोड़ी-थोड़ी सी सब में,. दिन भर एक रस्सी के ऊपर,. चलती नटनी जैसी मां।. बांट के अपना चेहरा माथा,. आंखें जाने कहां गई,. फटे-पुराने एक एलबम में,. चंचल लड़की जैसी मां।. प्रस्तुतकर्ता. सुजीत कुमार. शनिवार, 5 जुलाई 2008. 1 टिप्पणी:. हमेश&#236...

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आप कहिए: डार्विन का सवाल, सबका मालिक एक कैसे?

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शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2009. डार्विन का सवाल, सबका मालिक एक कैसे? जी हां, चाल्र्स डारविन ने सबका मालिक एक है पर सवाल उठाते हुए अपनी किताब ‘ओरिजीन ऑफ स्पीसीज’(Origin Of the Speceis). में सवाल उठाते हुए `विकासवाद का सिद्धांत' (Theory Of Evolution). प्रस्तुतकर्ता. सुजीत कुमार. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). इस गैज़ेट में एक त्रुटि थी. लोकप्रिय पोस्ट. हमेशा से ही इंसान की खोजी द&#...आज दिल्ली हाईकोर&#238...पत्रकारित...जैस&#2366...

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आप कहिए: December 2014

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सोमवार, 22 दिसंबर 2014. PDS is OK but what about PTS? और जानिएं. प्रस्तुतकर्ता. सुजीत कुमार. कोई टिप्पणी नहीं:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). इस गैज़ेट में एक त्रुटि थी. लोकप्रिय पोस्ट. रानी को नहीं पता कहां है राजघाट. डार्विन का सवाल, सबका मालिक एक कैसे? समलैंगिकता को महिमामंडित न करें. आज दिल्ली हाईकोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर निकाल द&#...आ ही गया मैं. पत्रकारिता में आने के बाद अपना ब्ल&#2...वाह री मीडिया. जैसा कि आप देख रहे...भारत जैसे...विश&#2381...

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आप कहिए: `दिल्ली को भी चाहिए एक राज ठाकरे'

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शनिवार, 5 दिसंबर 2009. दिल्ली को भी चाहिए एक राज ठाकरे'. अब आप सोच रहे होंगे कि मैं ये आपको क्यों बता रहा हूं। तो जनाब, मैं ये आपको इसलिए बताना चाहता हूं कि जरा इसके पीछे कारण क्या थे वो भी जानिए।. मैंने भी सीधे उन महानुभव से कहा, ' क्यों भाई साहब क्या ये अपना सामान बाहर ही फेंक कर आए क्या? कुछ नहीं दिखता था अंधेरे में मगर, आंखें तो थीं,. ये कैसी रोशनी आई कि सब अंधे हो गए।।. जरा सोचिए.और मेरी उद्विगनता भी दूर कीजिए।. प्रस्तुतकर्ता. सुजीत कुमार. 5 टिप्‍पणियां:. ने कहा…. ने कहा…. What does it mean? त&#2379...

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आप कहिए: चटकती स्टिक के साथ कैसे डटे रहें हॉकी खिलाड़ी

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सोमवार, 11 जनवरी 2010. चटकती स्टिक के साथ कैसे डटे रहें हॉकी खिलाड़ी. प्रस्तुतकर्ता. सुजीत कुमार. 1 टिप्पणी:. विजय कुमार झा. ने कहा…. कब से बढिय़ा लिखने लगे भाई। बढिय़ा विश्लेषण है। दिल को छू गया यह लेख।. 13 जनवरी 2010 को 4:39 am. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). इस गैज़ेट में एक त्रुटि थी. लोकप्रिय पोस्ट. रानी को नहीं पता कहां है राजघाट. डार्विन का सवाल, सबका मालिक एक कैसे? आज दिल्ली हाईकोर्ट ने समलै&...आ ही गया मैं. पत्रकारित&#23...जैस&#2366...

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आप कहिए: समलैंगिकता को महिमामंडित न करें

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गुरुवार, 2 जुलाई 2009. समलैंगिकता को महिमामंडित न करें. ढोल, गंवार, शूद्र, पशु, नारी,. ये सब है तारण के अधिकारी।।. प्रस्तुतकर्ता. सुजीत कुमार. 7 टिप्‍पणियां:. पुनीत भारद्वाज. ने कहा…. 2 जुलाई 2009 को 9:34 pm. ने कहा…. 3 जुलाई 2009 को 12:44 am. ने कहा…. 3 जुलाई 2009 को 10:23 am. ने कहा…. A really nice article.i loved the thing u wrote about goal ghar and choouras ghar. :). Its OK upto an extent but then people should understand what they want from life and how to be sensible. ने कहा…. नई पोस्ट. हमेश...

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आप कहिए: June 2008

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शनिवार, 28 जून 2008. हंगामा है क्यों बरपा. प्रस्तुतकर्ता. सुजीत कुमार. 1 टिप्पणी:. शनिवार, 21 जून 2008. फर्क तो पड़ता है. प्रस्तुतकर्ता. सुजीत कुमार. 5 टिप्‍पणियां:. बुधवार, 18 जून 2008. आईपीएल के सीजन में फुटबॉल. इस वक्त मुझे कुछ लाइनें याद आ रही हैं जो मेरे कॉलेज की एक लड़की ने लिखा था -. रख तू राह पर दो-चार ही कदम मगर जरा तबीयत से,. कि मंजिल खुद-ब-खुद तेरे पास चलकर आएगी।. ऐ हालात का रोना रोने वालों,. प्रस्तुतकर्ता. सुजीत कुमार. 4 टिप्‍पणियां:. सोमवार, 16 जून 2008. सुजीत कुमार. अंग्रे...हाय र&#23...

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आप कहिए: सरकार आपकी, अदालतें आपकी और मीडिया भी आपका

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शुक्रवार, 15 नवंबर 2013. सरकार आपकी, अदालतें आपकी और मीडिया भी आपका. यह मीडिया उस वक्त कहां थी जब मुंबई में ही सैकड़ों झुग्गी झोपड़ियों को गिरा दिया गया था? या फिर यह मान लिया जाए कि हमारी सरकार और मीडिया को इस मजबूर तबके के सपनों से कुछ लेना देना ही नहीं है।. आपके पास कोई उत्तर हो तो जरूर बताईएगा।. प्रस्तुतकर्ता. सुजीत कुमार. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). लोकप्रिय पोस्ट. आज दिल्ली हाईकोर्ट...पत्रकारित&#2366...जैस&#2366...

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आप कहिए: April 2008

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बुधवार, 23 अप्रैल 2008. आ ही गया मैं. प्रस्तुतकर्ता. सुजीत कुमार. कोई टिप्पणी नहीं:. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). इस गैज़ेट में एक त्रुटि थी. लोकप्रिय पोस्ट. रानी को नहीं पता कहां है राजघाट. डार्विन का सवाल, सबका मालिक एक कैसे? समलैंगिकता को महिमामंडित न करें. आज दिल्ली हाईकोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर निकाल दिया और इसे जायज कर&...आ ही गया मैं. पत्रकारिता में आने के बाद अपना ब्लॉग रखना एक फ&#2...वाह री मीडिया. जैसा कि आप देख रहे है&#2...भारत जैसे द&#23...विश&#2381...

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Saturday, January 16, 2010. Is it all so very blah blah only. I had to spk to Ved ma, had to ask her re the forth comimg weddings of realtives, what shd be my life saver in all this. I am really not needed in any of these so why even think on these lines, why tread a path which has neither value or purpose. Yes I will go and do what Jitti sir prefers. I owe it to him and to our only son. When daddy wrote why did folks admire his words, even abide by them? What a wow feel this is! Friday, December 18, 2009.

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