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रचना रूप: April 2009
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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Saturday, April 18, 2009. कहानी वर्ष २००८ में लिखी गई और ’दि सण्डे पोस्ट के कहानी विशेषांक’. में प्रकाशित होने के साथ ही वेब पत्रिका ’साहित्य शिल्पी’. ने इसे अपने १७।०४।२००९ के अंक में प्रकाशित किया). रूपसिंह चन्देल. अरे, चाच्चा - - आप- -? किर्र की आवाज के साथ लाल रंग की होंडा सिटी उनके बगल में रुकी तो वह चौंक उठे. कब से- - -! उन्होंने बीच में ही टोका, "कोई खास बात? खास बात हो तभी आदमी अपनों को खोजता है? क्या आपको एकांत मिला? रचनाकार परिचय:-. पांच मिन...जनारî...
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रचना रूप: कहानी-३१
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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Saturday, January 16, 2010. रूपसिंह चन्देल. उसकी कोई चाल हो सकती है ।'. मेरे बटाईदार गणपत ने गांव में घुसते ही उसके विषय में जो कुछ बताया था , वह थर्रा देने वाला था ।. पेशेवर है? न भइया .भले घर का भला लड़का . लेकिन.।'. लेकिन क्यों? गणपत चुप रहा तो मैंने टोका , 'चुप क्यों हो गए! मैंने स्वीकृति में सिर हिलाया ।. संभल के जायो भइया.।'. क्यों मुझे उससे क्या खतरा! वह तो मुझे जानता भी नहीं.फिर? सभी ने एक स्वर में कहा ।. हुजूर उसकी साल भर की पढ़...मैंने ज&#...उसी र...
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रचना रूप: March 2010
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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Friday, March 12, 2010. रूपसिंह चन्देल. कैसे पहुंचा अस्पताल! मिस जॉन- -जल्दी- - इंजेक्शन - - अच्छा- -तुम इधरी रहना- -मैं अभी आयी- - । " दो महिला स्वर - - शायद नर्सें हैं। उसने अनुभव किया।. मैं यहां क्यों हूं, नमिता? Links to this post. Labels: कहानी. Subscribe to: Posts (Atom). दिनांक 18 जून 2008 से अतिथियों का लेखा-जोखा. इन्हें भी देखें. तहलका.कॉम. नयेकदम नयेस्वर. विविधा. शब्द सृजन. साहित्य सृजन. सेतु साहित्य. हिन्दी लेखक. View my complete profile.
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रचना रूप: कहानी-२९
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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Monday, January 4, 2010. वह चेहरा. रूपसिंह चन्देल. वही हैं .लेकिन यहां क्यों? शरीर में स्थूलता भी है .अपने को देखो तपिश . तुम क्या उतने ही स्लिम-ट्रिम हो . बढ़ती उम्र में सभी के आकार-प्रकार - चेहरे बदलते ही हैं .'. दरवाजे पर दस्तक हुई . कम इन ' वह तेजी से पलटे और कुर्सी की ओर ऐसे बढ़े मानो चोरी करते हुए पकड़े जाने का भय था . यस प्रवीण . इज एवरीथिंग फाइन! और हेड साहब.डॉ0 सच्चिदानंद पाण्डे? सर मैंने पहले ही उन्हें आपके...सर , निकिता सिं...उन्होंन&#...हुं...क्ष...
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रचना रूप: कहानी-३४
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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Sunday, March 20, 2011. रूपसिंह चन्देल. हमारे कुछ पूछने से पहले उन्होंने यथावत गंभीरता बरकरार रखते हुए पूछा,‘‘ कुछ लोगे? ना में सिर हिलाने के बाद वह बोले, ‘‘आप पत्रकार लोग ठंडा-गर्म कहां लेते हैं! हमने उनके व्यंग्य को समझा और बोले,‘‘सर पहले हम अपने परिचय- - ।’’. 8216;‘अब वह बात नहीं है। लोग कम ही एक-दूसरे से मिलते हैं।’’. 8216;‘क्यो? आपको जानना चाहिए। साहित्य में राजनीति प्रवí...8216;‘संभव है, जैसाकि आप कह रहे हैæ...8216;‘यह लोगों कì...8216;‘नही...8216;R...
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रचना रूप: May 2009
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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Tuesday, May 12, 2009. यह तो वही है. रूपसिंह चन्देल. कुछ देर तक मंद मुस्कराने के बाद वे बोले थे - "शिव के साथ आपके विवाह का रहस्य आज- - " लेकिन कुछ सोच वे चुप रह गये थे. मैं नहीं समझ पायी थी कि वह किससे परिचय करवाने की बात कह रही थी. उसके बाद की कहानी रवि बाबू जानते थे. यही तुम्हारी प्रगतिशीलता है? यह सब क्या हो रहा है शिव? सुलोचना ने शिवमान मोहन से पूछा था. उनका प्रारब्ध! तुम कर क्या सकती हो! Links to this post. Labels: कहानी. Subscribe to: Posts (Atom). दॉस...
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रचना रूप: कहानी-३२
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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Friday, March 12, 2010. रूपसिंह चन्देल. कैसे पहुंचा अस्पताल! मिस जॉन- -जल्दी- - इंजेक्शन - - अच्छा- -तुम इधरी रहना- -मैं अभी आयी- - । " दो महिला स्वर - - शायद नर्सें हैं। उसने अनुभव किया।. मैं यहां क्यों हूं, नमिता? Labels: कहानी. Subscribe to: Post Comments (Atom). दिनांक 18 जून 2008 से अतिथियों का लेखा-जोखा. इन्हें भी देखें. तहलका.कॉम. नयेकदम नयेस्वर. विविधा. शब्द सृजन. साहित्य सृजन. सेतु साहित्य. हिन्दी लेखक. View my complete profile.
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रचना रूप: कहानी-३०
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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Friday, January 15, 2010. वह चुप हैं. रूपसिंह चन्देल. वह चुप हैं . बिल्कुल ही चुप . शालिनी जी ,' युवक बोला , ' वह स्वयं न बोलें , बस मुझे सुन लें . उनके लिए एक आवश्यक सूचना है .'. शालिनी ने उस अपरिचित युवक को घूरकर देखा ,' आप मुझे बता दें . मैं उन्हें बता दूंगी .'. आप कहना क्या चाहते हैं? शालिनी ने युवक को नजरें तरेरते हुए टोका . और उसको वही करना पड़ा जैसा शुशांत राय ने कहा . शालिन&#...एक दिन राजीव प्रसाद नामके उस युवक क&#...सर- - - मैं- - - .'. सर' राजीव कस...तुम...
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रचना रूप: September 2009
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रचना रूप. रूपसिंह चन्देल की रचनाएं. Friday, September 25, 2009. कहानी - २५. भेड़िये. रूपसिंह चन्देल. 8221; भीखू ने उसके गाल थपथपाते हुए कहा था. 8220;भूल भी जा अब पुरानी बातों को, सोनकी. अब कोई चिंता की बात नईं. मैं पुलिस-थाने को सब बता दूंगा. तू काहे को फिकर करती? 8220;तू यहां किसलिए—-ऎं! 8220;हुजूर, मैं थानेदार साब को—- कुछ बतावन खातिर—-” कांपती हुई वह खड़ी हो गई।. 8220;क्या बताना है? दो साल वह उसके पास रही थी। इन्हीं दो वर्षो&#...और दो वर्षों बाद— एक दिन शि...प्यार से आंसू उ...शायद भीखू...वह उसके प...