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आत्म-चिंतन: September 2012
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शुक्रवार, 28 सितंबर 2012. चिंतन . जब हम सच कहते हैं तो यह क्यूँ कहते हैं कि. मेरा नाम ना आए' या बेनामी बनकर उतरते हैं -. नकाब हो तो सच कैसा! रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. 6 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: सर्वाधिकार सुरक्षित. बुधवार, 26 सितंबर 2012. चिंतन . जीवन में जो होता है , उससे व्यक्ति नाखुश रहता है. जो नहीं होता उसके लिए बडबडाता रहता है . रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. इसे ईमेल करें. चिंतन . चिंतन . Facebook पर स...
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आत्म-चिंतन: October 2013
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गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013. चिंतन . सहनशील होना ज़रूरी है. पर सहनशीलता इतनी भी अच्छी नहीं. कि कोई आपके सर पर पूरा आकाश रख दे. और आप उफ़ तक ना करें . अति सहनशीलता सामनेवाले को हिंसक बनाता है।. रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. 3 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: सर्वाधिकार सुरक्षित. शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013. चिंतन . सच है,लक्ष्मी के संग रहकर न कोई धनवान होता है. न विष्णु. रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. 1 टिप्पणी:. पर उसके शर&#...
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आत्म-चिंतन: June 2013
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शनिवार, 22 जून 2013. चिंतन . सहनशीलता,विनम्रता,दानवीरता,हर परिस्थिति में खुश रहने की कला भी एक कर्म है,जिसका फल अन्याय के रूप में मिलता है = क्यूँ? क्योंकि अन्याय करनेवाला इस विशिष्टता को खत्म करने के हर हथकंडे अपनाता है . प्रकृति के साथ खिलवाड़ प्रकृति का कर्म नहीं, प्रकृति मौन भुगतती है . रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. 4 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: सर्वाधिकार सुरक्षित. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. 2 दिन पहले. इस दृष&...
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आत्म-चिंतन: September 2014
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बुधवार, 10 सितंबर 2014. चिंतन . तुम अगर खुले मन से किसी की प्रशंसा नहीं कर सकते,. तो कोई तुम्हारी कितनी भी प्रशंसा कर ले - तुम उस योग्य नहीं. रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. 1 टिप्पणी:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: सर्वाधिकार सुरक्षित. शुक्रवार, 5 सितंबर 2014. चिंतन . जब हम समय पर काम नहीं करते. तो झूठ या बहाना उचित लगता है. रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! चिंतन . नई पोस्ट. समय - न...
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आत्म-चिंतन: January 2013
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बुधवार, 23 जनवरी 2013. चिंतन . जो झूठ बोलते हैं वे कसम . अपने बच्चों की कसम बहुत जल्दी खाते हैं. जो सच बोलते हैं,उनको अपने सच पर भरोसा होता है. किसी भी यकीन के लिए वे बच्चों को बीच में नहीं लाते! कोर्ट में भी अत्यधिक भक्तिभाव से गीता की कसम वही दुहराते हैं. जो हत्यारे होते हैं. जिनके घर में अनहोनी घटती है. वे बस गीता को मूक भाव से देखते हैं! रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. 4 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. चिंतन . सदस्यत&...
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आत्म-चिंतन: February 2013
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शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013. चिंतन . वो तलवार लेकर निकले हैं खुद को ताकतवर समझ के. और हम हैरां हैं उनकी जंग खाई तलवार को देख के! रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. 3 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: सर्वाधिकार सुरक्षित. सोमवार, 18 फ़रवरी 2013. चिंतन . अपमान उसका होता है जिसका कोई मान हो. पर जिसका कोई मान न हो उससे कोई अपमानित नहीं होता! रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. 5 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. चिंतन . चिंतन . चिंतन . तो आ...
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आत्म-चिंतन: June 2014
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सोमवार, 30 जून 2014. तूफ़ान की तरह उठापटक करते आते हैं विचार,. मन के दरवाज़े को पीटते हैं. मस्तिष्क के कोनों से कई ख्याल उड़ा ले जाते हैं. जब तक वेग रूकता है. एक सन्नाटा होता है. और उस सन्नाटे की सोच अलग होती है उस तूफ़ान से. रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. 1 टिप्पणी:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: सर्वाधिकार सुरक्षित. शुक्रवार, 20 जून 2014. चिंतन . रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. चिंतन . चिंतन . रश्मि ...समय - न&#...
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आत्म-चिंतन: March 2013
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बुधवार, 20 मार्च 2013. चिंतन . ज़िन्दगी उलझती,टूटती पैबन्दों के संग चलती है. बिना सलवटों की ज़िन्दगी भी भला ज़िन्दगी होती है! रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. 5 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: सर्वाधिकार सुरक्षित. बुधवार, 13 मार्च 2013. चिंतन . यह तो एक परिधान है - जिसके अंतर्गत सौन्दर्य बढ़ जाता है! रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. 7 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. चिंतन . चिंतन . समय - नì...
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आत्म-चिंतन: August 2012
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बुधवार, 29 अगस्त 2012. संत, धर्मात्मा . उनके जीने की राह , उनका आशीष -. दिखावा , ईर्ष्या, कटुता , छल , हिंसा ,. भौतिकता की चमक दमक से दूर करता है. जो खुद लिप्त है - वह ज्ञानी हो सकता है ,. पर संत धर्मात्मा नहीं. और उसके अनुयायी तो ढकोसले से बढ़कर कुछ नहीं! रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. 6 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. सोमवार, 27 अगस्त 2012. चिंतन . रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. 2 टिप्पणियां:. चिंतन . चिंतन . चिंतन . कोई...
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आत्म-चिंतन: April 2013
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सोमवार, 15 अप्रैल 2013. चिंतन . अगर हम निराशा को ही सर्वस्व मान लें. तो असंख्य रश्मियाँ भी रास्तों के अँधेरे नहीं मिटा सकती. पर खुद पर भरोसा कर लें. तो एक किरण भी काफी है . रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. 3 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: सर्वाधिकार सुरक्षित. बुधवार, 3 अप्रैल 2013. चिंतन . जो अकबका कर तुमसे व्यक्तिगत बात कह जाये,. रश्मि प्रभा. प्रस्तुतकर्ता. 6 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. 2 दिन पहले. इस दृ...