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सिताब दियारा : November 2013
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सिताब दियारा. शुक्रवार, 29 नवंबर 2013. अनुराग सिंह 'ऋषि' की गजलें. अनुराग सिंह 'ऋषि'. लेखन के क्षेत्र में युवा अनुराग सिंह ‘ऋषि’ के ये आरंभिक कदम हैं ऐसे प्रत्येक संभावनाशील आरंभिक कदम का सिताब दियारा ब्लॉग स्वागत करता है . प्रस्तुत है युवा रचनाकार अनुराग सिंह ‘ऋषि’ की गजलें. एक गलतियाँ. इंसान को इंसान बनाती हैं गलतियाँ. अनुभव के साथ ज्ञान भी लाती हैं गलतियाँ. आखिर कमी कहाँ थी क्या बात रह गई. हर राह पे चलने के कुछ अपने कायदे हैं. 8220; ऋषि. दो . ज़िक्र. उसकी तारीफ़ मे. गजल क्या लिखे. पर सभी के ...कमतरì...
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सिताब दियारा : April 2015
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सिताब दियारा. गुरुवार, 30 अप्रैल 2015. कविता में कला जरुरी है, लेकिन कंटेंट के बाद ही - संतोष चतुर्वेदी. संतोष चतुर्वेदी. सिताब दियारा ब्लॉग पर आज प्रस्तुत है. जाने-माने कवि और अनहद पत्रिका के सम्पादक. संतोष चतुर्वेदी. युवा कवि. नित्यानन्द गायेन. की बातचीत . प्रश्न -1. कवि संतोष चतुर्वेदी की रचना प्रक्रिया क्या है? प्रश्न -2. आपके लिए ‘लोक’ क्या है? क्या यह लोकधर्मिता से भिन्न है? और क्या ‘लोक’ और ‘जन’ में कोई फर्क है? जब आप लिख रहे होते हैं तो आप. जब भी हम लिखने के लिए ब...साहित्य&#...युवा...
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सिताब दियारा : January 2015
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सिताब दियारा. बुधवार, 28 जनवरी 2015. सोनी पाण्डेय की कहानी - परिवर्तन. आज सिताब दियारा ब्लॉग पर सोनी पाण्डेय की कहानी. आसमान काले मेघोँ से पट गया था. बारिश किसी भी वक्त शुरु हो सकती थी ।. मैँ तेजी से कदम बढाते हुए किसी तरह मुख्य मार्ग तक पहुँचना चाहती थी. अचानक किसी ने पीछे से आवाज दी. मैडम जी. मैँने पीछे मुड कर देखा तो लक्ष्मीना भागी आ रही थी. हल्की फुहारे पडने. झट से छाते के नीचे आते हुए मेरा हाथ जोर से पकड लिया. भरभराऐ हुए गले. से कहा. क्या हुआ. बुढिया कुछ करती. के कोर से बार. खेत हाथ. कलजुग म&#...
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सिताब दियारा : May 2014
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सिताब दियारा. बुधवार, 28 मई 2014. उपासना' की दो कवितायें. आईये पढ़ते हैं, सिताब दियारा ब्लॉग पर युवा साहित्यकार. 8216;उपासना’ की दो कवितायें. माफ़ीनामा. सुनो न सौरभ,. हर रात जब मैं,. सुबह उठने के लिए,. सोने जाती हूँ,. तब याद आती है मुझे,. तुम्हारी पानी सी मुस्कुराहट! तुम्हारी टेढ़ी-तिरछी लिखावट,. तुम्हारे उल्टे-पुल्टे क.ख.ग. तुम्हारी चार लाइन की पटरी से,. उतरी हुई ए.बी.सी. और इन सबसे ज्यादा,. याद आती है,. सटाक से जमाई थी छड़ी,. तुम रोये नहीं थे जरा भी,. अम्मा कहती हैं कि-. लेकिन अब,. इसलिए कि. आज मुझ&#...
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सिताब दियारा : श्याम गोपाल की कवितायें
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सिताब दियारा. शनिवार, 16 मई 2015. श्याम गोपाल की कवितायें. आज सिताब दियारा ब्लॉग पर श्यामगोपाल की कवितायें. सर्दी के दिनों में. दिन ढलते ही. जल जाता है. आग सेंकने के साथ. लोग साझा करते है. एक- दुसरे का दुःख -दर्द. करते हैं सलाह -मशविरा. किस्सों -कहानियों से. बच्चों में डाला जाता है संस्कार. शिष्टाचार. आग के मद्धिम पड़ने के बावजूद भी. देर रात तक करते हैं. चौकीदारी. सुबह फैली राख. प्रमाणित कराती है. द्वार के सामाजिक विस्तार को. यह खतरनाक समय है. यह खतरनाक समय है. यह खतरनाक समय है . जब विश्वì...आस्...
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सिताब दियारा : December 2014
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सिताब दियारा. गुरुवार, 25 दिसंबर 2014. अविनाश कुमार सिंह की कवितायें. आज सिताब दियारा ब्लॉग पर अविनाश कुमार सिंह की कुछ कवितायें. ईश्वर किस सैलून में जाता होगा. किस उस्तरे से बनती होगी. उसकी हजामत. और निकाले जाते होंगे. नाक के बाल. किस महीन धार से. कलम के सफ़ेद बाल छंटते होंगे और. चंपी होती होगी. क्या हज्जाम से ब्लेड बदलने को. ईश्वर जिच करता होगा. डरता होगा. एड्स से और. ईश्वर के प्यादे भोजन सूँघने की तरह. ब्लेड सूँघते होंगे. और पचा जाते होंगे कि. ईश्वर के औरस की नाल. कि नाक के बाल. 8216; गुलनार. इक्...
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सिताब दियारा : October 2014
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सिताब दियारा. शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2014. वंदना वाजपेयी की कवितायें. प्रस्तुत है सिताब दियारा ब्लॉग पर स्त्री-विमर्श के एक नए दरवाजे को खटखटाती हुयी. वंदना वाजपेयी की कवितायें. कूड़े की संस्कृति . चौरासी लाख योनियों में भटकने के बाद. बड़े भाग मानुस तन पावा पर. प्रश्नचिन्ह लगाते हुए खोली थी उसने आँख. अस्पताल के ठीक पीछे बने कूड़ा घर में. जहाँ आस -पास. इधर -उधर बिखरा पड़ा था. कूड़ा ही कूड़ा "जबरन खीच कर निकाले गए कन्या भ्रूण. कुछ सीरिंज. प्लास्टिक की बोतलें. छलक आई थी ममता. हर पुन्य. यही कूड़े क&...चल दी थ&#...
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सिताब दियारा : August 2014
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सिताब दियारा. रविवार, 24 अगस्त 2014. ग़ालिब-ए-ख़स्ता के बगैर" - - तीसरी क़िस्त - - 'अशोक आज़मी'. अशोक आज़मी. पिछली किस्तों में ‘. अशोक आज़मी’. तो आईये पढ़ते हैं सिताब दियारा ब्लॉग अशोक आज़मी के संस्मरण. 8220;ग़ालिब-ए-ख़स्ता के बगैर”. की तीसरी क़िस्त. देवियों के कोप अक्सर बेक़सूर मासूमों पर होते हैं. जारी है . परिचय और संपर्क. अशोक आज़मी. अशोक कुमार पाण्डेय). वाम जन-आन्दोलनों से गहरा जुड़ाव. युवा कवि, आलोचक, ब्लॉगर और प्रकाशक. आजकल दिल्ली में रहनवारी. रामजी तिवारी. 7 टिप्पणियां:. Links to this post. Links to this post.
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सिताब दियारा : April 2014
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सिताब दियारा. सोमवार, 28 अप्रैल 2014. राजीव रंजन प्रसाद की कवितायें. आम चुनाव के कुछ कम चर्चित और अज्ञात पक्षों को कविताओं के माध्यम से देखने का प्रयास ‘राजीव रंजन’ ने किया है आईये इन्हें पढ़ते हैं. प्रस्तुत है. सिताब दियारा ब्लॉग पर आज राजीव रंजन प्रसाद की कुछ कवितायें. हमारे आदत-व्यवहार की. एक सामान्य क्रिया है. 8216; चुनना. आचरण-स्वभाव में घुला-मिला. एकदम साधारण शब्द है यह. यह एक कामकाजी शब्द है. जिसका रिश्ता हमारे होने से है. वह भी इतना गाढ़ा कि. बाल सफेद. बात भुलक्कड़. कमर टेढ़ी. इंडिया...उनकी...
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सिताब दियारा : March 2014
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सिताब दियारा. शुक्रवार, 28 मार्च 2014. पंकज देवड़ा की कवितायें. इंजीनियरिंग के छात्र रहे पंकज देवड़ा एक आई.टी. कंपनी में कार्यरत हैं ख़ुशी की बात है कि. कविता में रमा मन उन्हें साहित्य मुहाने पर खींच लाया है ये कवितायें एक ताज़ी बयार की तरह. कविता के उस विशाल फलक को थोड़ा और विस्तारित करती हैं, समृद्ध करती हैं इस दौर के. समझने में सहायक इन कविताओं के लिए सिताब दियारा ब्लॉग उनका आभारी है. एक वन नाईट स्टैंड. झूठ कहती हैं कुछ लड़कियाँ. कि वे शाकाहारी हैं. 8220; इत्ता सारा. जिन दिनों. धुप में. जब उन ऊँघí...