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ज़िन्दगी की आरज़ू

ज़िन्दगी की आरज़ू. कौन इसकी परवाह करे. मेरा हबीब है रकीब के जैसा. कौन मुझे आगाह करे. दिल का मसला ज़ालिम के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. परवाना जल के मर जायेगा. कौन उसे आगाह करे. इश्क का मसला मौत के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. मर जायेंगे और मिट जायेंगे. अश्क-ए-मोहब्बत पी जायेंगे. अंजाम का मसला ज़हर के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. लहू का क़तर ज़ाया होगा. उसका ऐब न नुमायाँ होगा. ऐब का मसला अदा के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. रुख मोड़ना क्या जुर्म नहीं. कौन इसकी परवाह करे. नाम का मसला ' सलीम. के जैसा. होश अब कह&#...

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ज़िन्दगी की आरज़ू. कौन इसकी परवाह करे. मेरा हबीब है रकीब के जैसा. कौन मुझे आगाह करे. दिल का मसला ज़ालिम के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. परवाना जल के मर जायेगा. कौन उसे आगाह करे. इश्क का मसला मौत के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. मर जायेंगे और मिट जायेंगे. अश्क-ए-मोहब्बत पी जायेंगे. अंजाम का मसला ज़हर के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. लहू का क़तर ज़ाया होगा. उसका ऐब न नुमायाँ होगा. ऐब का मसला अदा के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. रुख मोड़ना क्या जुर्म नहीं. कौन इसकी परवाह करे. नाम का मसला ' सलीम. के जैसा. होश अब कह&#...
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ज़िन्दगी की आरज़ू | zindagikiaarzoo.blogspot.com Reviews

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ज़िन्दगी की आरज़ू. कौन इसकी परवाह करे. मेरा हबीब है रकीब के जैसा. कौन मुझे आगाह करे. दिल का मसला ज़ालिम के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. परवाना जल के मर जायेगा. कौन उसे आगाह करे. इश्क का मसला मौत के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. मर जायेंगे और मिट जायेंगे. अश्क-ए-मोहब्बत पी जायेंगे. अंजाम का मसला ज़हर के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. लहू का क़तर ज़ाया होगा. उसका ऐब न नुमायाँ होगा. ऐब का मसला अदा के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. रुख मोड़ना क्या जुर्म नहीं. कौन इसकी परवाह करे. नाम का मसला ' सलीम. के जैसा. होश अब कह&#...

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ज़िन्दगी की आरज़ू: June 2012

http://www.zindagikiaarzoo.blogspot.com/2012_06_01_archive.html

ज़िन्दगी की आरज़ू. जवानी में ये तन्हाई कितना तड़पाती है: SALEEM. क़ुरबत के वो दिन याद आतें हैं मुझको. तेरी फुरक़त की आंच जब जलाती है,. तुझमें तो अब कुछ एहसास बचा नहीं. तेरी यादें मुझे अब कितना तड़पाती हैं. तमन्ना है मरने से पहले देख तो लूं तुझे. आ जाओ अब मेरी मैयत भी जाती है,. कैसे अपने अश्क छुपाऊँ दुनियाँ वालों से. तेरी जुदाई में पल पल मेरी आँख भर आती है. नाम तक भूल गया है तू जूनून में मेरा. पर धडकनों पे बस तेरी ही साज़ आती है,. 0 टिप्पणियाँ:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. All India Bloggers' Association.

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ज़िन्दगी की आरज़ू: अलग रहने के बना लिए बहाने...Saleem Khan

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ज़िन्दगी की आरज़ू. अलग रहने के बना लिए बहाने.Saleem Khan. दूर जाके मुझसे बना लिए ठिकाने. अलग रहने के बना लिए बहाने. बिछड़ के तुमने बहुत. हैं दिए. उन्हीं अश्क़ से हमने बना लिए फ़साने. दौलत पे अपने तुम्हें रश्क है बहुत. हमने मुफ़लिसी को बना लिए ख़जाने. शहनाई बज उठी जब लाश पे 'सलीम'. मैंने उन्ही से अब अपने बना लिए तराने. महलों में रहने वाली तुम खुश रहो सदा. हमने तो खंडहर में अब बना लिए ठिकाने. 0 टिप्पणियाँ:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. पुरानी पोस्ट. हमारी अन्जुमन. All India Bloggers' Association.

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ज़िन्दगी की आरज़ू: July 2012

http://www.zindagikiaarzoo.blogspot.com/2012_07_01_archive.html

ज़िन्दगी की आरज़ू. कौन इसकी परवाह करे. मेरा हबीब है रकीब के जैसा. कौन मुझे आगाह करे. दिल का मसला ज़ालिम के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. परवाना जल के मर जायेगा. कौन उसे आगाह करे. इश्क का मसला मौत के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. मर जायेंगे और मिट जायेंगे. अश्क-ए-मोहब्बत पी जायेंगे. अंजाम का मसला ज़हर के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. लहू का क़तर ज़ाया होगा. उसका ऐब न नुमायाँ होगा. ऐब का मसला अदा के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. रुख मोड़ना क्या जुर्म नहीं. कौन इसकी परवाह करे. नाम का मसला ' सलीम. के जैसा. एक बार आरज़&...

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ज़िन्दगी की आरज़ू: हसीनों की ख़ासियत... Saleem Khan

http://www.zindagikiaarzoo.blogspot.com/2011/05/saleem-khan_19.html

ज़िन्दगी की आरज़ू. हसीनों की ख़ासियत. Saleem Khan. किसी के दिल को आबाद करके. फिर उसे तोड़ कर बर्बाद करना. किसी के बेजान दिल में जान भर कर. फिर उसे बेईम्तहा बेजान कर देना. किसी तन्हा को पास बुला कर. फिर उसे तन्हा होने की सज़ा देना. किसी की आँखों को ख़्वाब दिखा कर. फिर अश्क के मझधार में छोड़ देना. किसी की रातों को उजाले में तब्दील करके. फिर उसे उम्र भर अँधेरे में धकेल देना. हसीनों की ख़ासियत बन गयी है. 2 टिप्पणियाँ:. ने कहा…. Kya ye khasiyat sirf haseenon kee hai? Ladke bhee yahee karte hain! एक बार ...

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ज़िन्दगी की आरज़ू: जवानी में ये तन्हाई कितना तड़पाती है:: SALEEM

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ज़िन्दगी की आरज़ू. जवानी में ये तन्हाई कितना तड़पाती है: SALEEM. क़ुरबत के वो दिन याद आतें हैं मुझको. तेरी फुरक़त की आंच जब जलाती है,. तुझमें तो अब कुछ एहसास बचा नहीं. तेरी यादें मुझे अब कितना तड़पाती हैं. तमन्ना है मरने से पहले देख तो लूं तुझे. आ जाओ अब मेरी मैयत भी जाती है,. कैसे अपने अश्क छुपाऊँ दुनियाँ वालों से. तेरी जुदाई में पल पल मेरी आँख भर आती है. नाम तक भूल गया है तू जूनून में मेरा. पर धडकनों पे बस तेरी ही साज़ आती है,. 0 टिप्पणियाँ:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. All India Bloggers' Association.

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लारैब: हर बात, हक़ बात: मैं हूँ 'ज़लज़ला', EJAZ AHMAD IDREESI

http://laraibhaqbat.blogspot.com/2010/05/ejaz-ahmad-idreesi.html

लारैब: हर बात, हक़ बात. क्या सब कुछ सच है, या फिर सब झूठ. सभी लेख. काफ़िर. 10 मिनट में -8 चटका. कौन है श्रेष्ठ ब्लागरिन. तू हिन्दू है या मुसलमान. प्रेतात्मा. भगवा प्रेम. मैं हूँ ज़लज़ला. रेड इंडियन. लारैब: हर बात हक़ बात. सलीम ख़ान. सलीम ख़ान के साथ सुरेश चिपलूनकर. सोचने वाली बातें. मंगलवार, मई 18, 2010. मैं हूँ 'ज़लज़ला', EJAZ AHMAD IDREESI. कहाँ है ज़लज़ला? किधर से आया है ये ज़लज़ला? किधर को जाएगा ये ज़लज़ला? किस ब्लॉगर की उपज है ये ज़लज़ला? प्रस्तुतकर्ता EJAZ AHMAD IDREESI. ने कहा…. लारैब:...सोच...

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लारैब: हर बात, हक़ बात: मनुष्य किसे कहते हैं !

http://laraibhaqbat.blogspot.com/2010/07/blog-post.html

लारैब: हर बात, हक़ बात. क्या सब कुछ सच है, या फिर सब झूठ. सभी लेख. काफ़िर. 10 मिनट में -8 चटका. कौन है श्रेष्ठ ब्लागरिन. तू हिन्दू है या मुसलमान. प्रेतात्मा. भगवा प्रेम. मैं हूँ ज़लज़ला. रेड इंडियन. लारैब: हर बात हक़ बात. सलीम ख़ान. सलीम ख़ान के साथ सुरेश चिपलूनकर. सोचने वाली बातें. गुरुवार, जुलाई 08, 2010. मनुष्य किसे कहते हैं! आदर करने पर- चापलूसी समझता है! उपदेश देने पर- मुहँ घुमा लेता है! विश्वास करने पर- विश्वासघात करता है! क्षमा करने पर- कमज़ोर समझता है! लेबल: मनुष्य. ने कहा…. नई पोस्ट. लार&#2...

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Mushayera: May 2015

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मुशायरा: : नॉन-स्टॉप. Tuesday, May 12, 2015. फासले इतने न अब पैदा करो" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'). हौसले के साथ में आगे बढ़ो. फासले इतने न अब पैदा करो।. जिन्दगी तो है हकीकत पर टिकी. मत इसे जज्बात में रौंदा करो।. चाँद-तारों से भरी इस रात में. उल्लुओं सी सोच मत रक्खा करो।. बुलबुलों से. ज़िन्दगी की. सीख लो,. राग अंधियारों का मत छेड़ा करो।. उलझनों का नाम ही है जिन्दगी. थककर न यूँ बैठा करो।. छोड़कर शिकवें-गिलों की बात को. मुल्क पर जानो-जिगर शैदा करो।. पर इतना न मत ऎंठा करो।. Labels: ग़ज़ल. 160; हौसल...

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लारैब: हर बात, हक़ बात: सोचने वाली बातें

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लारैब: हर बात, हक़ बात. क्या सब कुछ सच है, या फिर सब झूठ. सभी लेख. काफ़िर. 10 मिनट में -8 चटका. कौन है श्रेष्ठ ब्लागरिन. तू हिन्दू है या मुसलमान. प्रेतात्मा. भगवा प्रेम. मैं हूँ ज़लज़ला. रेड इंडियन. लारैब: हर बात हक़ बात. सलीम ख़ान. सलीम ख़ान के साथ सुरेश चिपलूनकर. सोचने वाली बातें. शुक्रवार, जुलाई 09, 2010. सोचने वाली बातें. विवेक को खा जाता है! चिंता. आयु को खा जाता है! क्रोध -. ज्ञान को खा जाता है! ईमान को खा जाता है! प्रायश्चित. पाप को खा जाता है! रिशवत - -. दरिद्रता. ने कहा…. Har baar ki tarah Uttam.

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Mushayera: May 2013

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मुशायरा: : नॉन-स्टॉप. Thursday, May 23, 2013. मिला जिससे हमें जीवन उसे एक दिन में बंधवाती . सम्मानित ब्लोगर्स. शालिनी कौशिक. तरक्की इस जहाँ में है तमाशे खूब करवाती ,. मिला जिससे हमें जीवन उसे एक दिन में बंधवाती . महीनों गर्भ में रखती ,जनम दे करती रखवाली ,. उसे औलाद के हाथों है कुछ सौगात दिलवाती . सिरहाने बैठ माँ के एक पल भी दे नहीं सकते ,. दिखावे में उन्हीं से होटलों में मंच सजवाती . कहे माँ लाने को ऐनक ,नहीं दिखता बिना उसके ,. शालिनी कौशिक. Posted by Shalini Kaushik. Labels: gazal by shalini kaushik.

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Mushayera: March 2014

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मुशायरा: : नॉन-स्टॉप. Sunday, March 23, 2014. सियासत के काफिले . हमको बुला रहे हैं सियासत के काफिले ,. सबको लुभा रहे हैं सियासत के काफिले . तशरीफ़ आवरी है घडी इंतखाब की,. दिल को भुना रहे हैं सियासत के काफिले . तसलीम कर रहे हैं हमें आज संभलकर ,. दुम को दबा रहे हैं सियासत के काफिले . न देते हैं मदद जो हमें फ़ाकाकशी में ,. घर को लुटा रहे हैं सियासत के काफिले . मख़मूर हुए फिरते हैं सत्ता में बैठकर ,. करते रहे फरेब हैं जो हमसे शबो-रोज़ ,. शालिनी कौशिक. Posted by Shalini Kaushik. Box For Hindi Typing. इमाम ह...

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Mushayera: January 2014

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मुशायरा: : नॉन-स्टॉप. Friday, January 17, 2014. 651 उर्दू शायरों की सात हजार गजलें. नई दिल्ली।. एक रिपोर्ट साभार. नोट: नई बात यह है कि किसी भी शब्द का अर्थ जानने के लिए बस उस पर क्लिक करना काफ़ी है. देखें-. Posted by DR. ANWER JAMAL. Labels: DR. ANWER JAMAL. डा. रूपचंद शास्त्री 'मयंक' जी. सद्र (अध्यक्ष), महफ़िल ए मुशायरा. Box For Hindi Typing. विजेट आपके ब्लॉग पर. शमा ए महफ़िल. बहुत खूब , मुकर्रर इरशाद. सुबहानल्लाह. बेख़ौफ़ हो गए हैं ,बेदर्द हो गए ...सियासत के काफिले . फिरते थे आरज़ू ...जौनपुर क&...जनम ल&#23...

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लारैब: हर बात, हक़ बात: April 2010

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लारैब: हर बात, हक़ बात. क्या सब कुछ सच है, या फिर सब झूठ. सभी लेख. काफ़िर. 10 मिनट में -8 चटका. कौन है श्रेष्ठ ब्लागरिन. तू हिन्दू है या मुसलमान. प्रेतात्मा. भगवा प्रेम. मैं हूँ ज़लज़ला. रेड इंडियन. लारैब: हर बात हक़ बात. सलीम ख़ान. सलीम ख़ान के साथ सुरेश चिपलूनकर. सोचने वाली बातें. गुरुवार, अप्रैल 29, 2010. सच सच बता, तू हिन्दू है या मुसलमान! उसे जब तक नज़ारा समझ में आता कि. दंगाईयों का एक जत्था वहां आ गया. स्रोत: क्रांतिवीर. प्रस्तुतकर्ता EJAZ AHMAD IDREESI. कहते है. या परम माता. कहते है&#2...इन क&#236...

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लारैब: हर बात, हक़ बात: लेख पोस्ट होने के 10 मिनट के अन्दर 8 Negative वोट ! थू है थू है थू है थू है थू है

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लारैब: हर बात, हक़ बात. क्या सब कुछ सच है, या फिर सब झूठ. सभी लेख. काफ़िर. 10 मिनट में -8 चटका. कौन है श्रेष्ठ ब्लागरिन. तू हिन्दू है या मुसलमान. प्रेतात्मा. भगवा प्रेम. मैं हूँ ज़लज़ला. रेड इंडियन. लारैब: हर बात हक़ बात. सलीम ख़ान. सलीम ख़ान के साथ सुरेश चिपलूनकर. सोचने वाली बातें. सोमवार, मई 17, 2010. लेख पोस्ट होने के 10 मिनट के अन्दर 8 Negative वोट! थू है थू है थू है थू है थू है थू है थू है थू है! EZAJ AHMAD IDREESI भी इस भेंड चाल में शामिल हो गए. ने कहा…. Sath to ham hai aapke shrimaan! मै&#23...

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लारैब: हर बात, हक़ बात: फ़िरदौस जी ने जिस दीलेरी से स्वयं को "काफ़िर" घोषित किया वह वाक़ई क&#2

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خ دا اور زندگی کے متعلق سوالات کو تلاش کرنا. خ دا کا وجود. خ دا کو کیسے جانیں؟ جنسی تعلقات یا رشتے. سوالات اور جوابات کا فورم. آپ کو ایک محفوظ جگہ پر خوش آمدید کہا جاتا ہے جہاں zindagikaysawalat.com پر آپ زندگی اور خ دا کو جاننے کے متعلق سوالات پوچھ سکتے ہیں۔ ۔ ہمیں خوشی ہے کہ آپ یہاں آئے۔. اس بات پر ایمان رکھنے کے لیے کہ خدا واقعی موجود ہے ۔ آئیے چھ عام فہم وجوہات پر غور کریں۔. اندھے اعتقاد سے پرے. کیا یسوع خدا ہے؟ کیا یسوع نے کبھی خدا ہونے کادعوی کیا ہے؟ یسوع اور د نیا کے مذاہب میں کیا فرق ہے؟

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Zindagi ke Fundae: Garam aur Thande. Recent Updates Toggle Comment Threads. August 2, 2013. Tags: Fundae ( 19 ). Izzat dekar kaam nikalo, aur laat do, kaam hoga. Laat dekar kaam nikaloge, toh izaat nahin hogi, kaam bhi nahin hoga. Required fields are marked *. Notify me of new comments via email. July 19, 2013. Tags: Fundae ( 19 ). February 28, 2013. Tags: busy, Fundae ( 19 ). It hurts as long as you think about it…get busy. February 28, 2013. Tags: doubt, Fundae ( 19 ). October 14, 2012. Girls ( 3 ).

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ज़िन्दगी की आरज़ू

ज़िन्दगी की आरज़ू. कौन इसकी परवाह करे. मेरा हबीब है रकीब के जैसा. कौन मुझे आगाह करे. दिल का मसला ज़ालिम के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. परवाना जल के मर जायेगा. कौन उसे आगाह करे. इश्क का मसला मौत के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. मर जायेंगे और मिट जायेंगे. अश्क-ए-मोहब्बत पी जायेंगे. अंजाम का मसला ज़हर के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. लहू का क़तर ज़ाया होगा. उसका ऐब न नुमायाँ होगा. ऐब का मसला अदा के जैसा. कौन इसकी परवाह करे. रुख मोड़ना क्या जुर्म नहीं. कौन इसकी परवाह करे. नाम का मसला ' सलीम. के जैसा. होश अब कह&#...

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Zindagi Ki Kalam Se. Saturday, April 10, 2010. Curfewed Night : A memoir. I recently wrote a book review for my alma mater in journalism, The Kashmir Times. It appeared in the paper on April 10, 2010 and you can read it at: What Went Wrong With the Place Called 'Heaven on Earth'. If you can get a hold of the book, the book is worth reading! Thursday, March 11, 2010. Road' to the Past. Have been listening to ". Sar Jo Tera Chakraye. Remix version) from the film, ". Rest of the weekdays passed in a blur.

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Zindagi k panno se. Wednesday, February 13, 2013. Is it that a Hug or a Kiss given on Hug Day/ Kiss Day will have more meaning or is it that a Promise made on the Promise day will never be broken? Well Propose Day. What to say. Zindagi k panno se. Links to this post. Tuesday, October 5, 2010. Ek arji pesh hai. Meri shikayat hai, aur sawal bhi. mom. Kise jada pyar karti hai? Puchne par.excuse (bahana) diya ki. itni badi ho gayi hai ab tere liye bhi post likhu b'day ki? Zindagi k panno se. Picture Window t...

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ज़िन्दगी लाईव (जीने का फ़लसफा) हिन्दी त्रैमासिक पत्रिका

ज़िन्दगी लाईव (जीने का फ़लसफा) हिन्दी त्रैमासिक पत्रिका. सोमवार, 31 अगस्त 2009. ज़िन्द़गी लाईव त्रैमासिक पत्रिका (जुलाई-सितम्बर 2009). प्रस्तुतकर्ता. ज़िन्दगी Live. 3 टिप्‍पणियां:. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). ज़िन्द़गी लाईव त्रैमासिक पत्रिका. जनवरी-जून 2009). ज़िन्द़गी लाईव त्रैमासिक पत्रिका. अक्टूबर-दिसम्बर 2008). आगामी अंक. रचनाकारों से. रचनाएं इस पते पर भेज सकते हैं ।. सम्पादक ज़िन्दगी लाईव पत्रिका. A-178 , रिद्धि सिद्धि नगर. ई-मेलः zindgi.live@yahoo.co.in.